तिब्बत में लोकतांत्रिक सुधार के पहले गांव में बड़ा परिवर्तन

2022-07-15 10:21:56

63 साल पहले यानी वर्ष 1959 में चीन की केंद्र सरकार ने तिब्बत में लोकतांत्रिक सुधार करने की घोषणा की, तब से सामंती भूदास प्रथा रद्द कर दी गई और भूदास पठार पर स्वामी बने। भूदासों को पहली बार उत्पादन साधन मिले और शिक्षा लेने का अधिकार प्राप्त हुआ।

आज के तिब्बती बच्चे शायद कल्पना नहीं कर सकते कि लोकतांत्रिक सुधार से पहले स्कूल जाना अधिकांश तिब्बती बच्चों के लिए अव्यावहारिक आशा थी। लोकतांत्रिक सुधार से पहले जमीन का स्वामित्व सामंती भूदास मालिकों के पास था, जबकि भूदासों को सालों तक मेहनत से कठिन काम करने के बाद भी रोटी-कपड़े की गारंटी नहीं मिल पाती। शिक्षा के अधिकार के बारे में भी कभी नहीं सोच सकते थे।

लोकतांत्रिक सुधार तिब्बती लोगों के भाग्य में एक बड़ी छलांग है। इससे तिब्बत में सामंती भूदास प्रथा रद्द कर समाजवादी व्यवस्था स्थापित हुई। तब से तिब्बत में सामाजिक विकास और आधुनिक निर्माण होने लगा।

सुबह सुबह तिब्बत के लोका प्रिफेक्चर के नेतोंग जिले स्थित खसोंग गांव में निवासी जल्दी उठते हैं। लोकतांत्रिक सुधार से पहले यहां का पुराना नाम खसोंग जागीर था, जो पुराने तिब्बती भूदास मालिक के स्वामित्व में था। वर्ष 1959 में खसोंग गांव में सबसे पहले लोकतांत्रिक सुधार हुआ। इसलिए यहां तिब्बती लोकतांत्रिक सुधार के पहले गांव के नाम से जाना जाता है।

पिछले 60 से अधिक सालों में सिलसिलेवार उदार नीतियों के सहारे खसोंग गांव में उत्पादन स्तर काफी हद तक उन्नत हुआ। लोगों का जीवन दिन ब दिन सुधार हो रहा है। जुताई की मशीनीकरण सामान्य हो गई है, सुविधाजनक यातायात से खसोंग गांव अन्य इलाकों के साथ जुड़ा है, 5जी नेटवर्क से गांववासियों का दृष्टिपथ चौड़ा हुआ, चिकित्सा सेवा से गांववासियों को स्वास्थ्य गारंटी मिली, सभी स्कूल गांववासियों को शिक्षा लेने के लिए उचित स्थिति तैयार करते हैं। वर्ष 2017 में यहां के सभी गरीब लोगों ने गरीबी से छुटकारा पाया। वर्ष 2020 में खसोंग गांव में प्रति व्यक्ति वार्षिक शुद्ध आय 25,000 युआन से अधिक रही।

खसोंग गांव तिब्बत में विकास का एपिटोमी है। वर्ष 2019 में तिब्बत में 6 लाख 28 हजार गरीब लोग सब गरीबी से बाहर निकले और सभी 74 काउंटियों ने गरीब काउंटी की टोपी उतारी। तिब्बत में गरीबी उन्मूलन में विजय पाई गई। स्थानीय लोगों को पेयजल सुरक्षा, अनिवार्य शिक्षा, बुनियादी चिकित्सा बीमा और आवास सुरक्षा आदि की गारंटी मिली। आज तिब्बत में चाहे बुजुर्ग हो या बच्चे, सब के चेहरे पर मुस्कान देखने में मिलते हैं। यह तिब्बत में समृद्धि और विकास की वास्तविक अभिव्यक्ति है।

(ललिता)

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