चीन और भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था में विकास की अपार संभावनाएं हैं

2022-07-13 10:32:47

इसमें दो राय नहीं है कि संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद आज दुनिया की दूसरे नंबर की अर्थव्यवस्था चीन की है। वहीं भारतीय अर्थव्यवस्था नए आंकड़ों के मुताबिक छठवें नंबर पर है। कोरोना के झटके से उबरने के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था लगातार तेजी से उभर रही है। सबसे बड़ी बात यह है कि डिजिटल लेनदेन के हिसाब से भारतीय अर्थव्यवस्था लगातार चीन के बाद दूसरे स्थान पर है। जनसंख्या के लिहाज से दुनिया के सबसे बड़े देश चीन के बाद भारत का स्थान दूसरा है। इस हिसाब से देखें तो भारत एक तरह से क्रांति कर रहा है।

इस मुद्दे पर चर्चा से पहले दोनों देशों के इंटरनेट उपभोक्ताओं के आंकड़ों पर एक नजर डाल लेनी चाहिए। आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर 2021 तक चीन में इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या एक अरब तीन करोड़ से कुछ अधिक थी। यानी चीन की तकरीबन आधी आबादी इंटरनेट का इस्तेमाल कर रही है। कुछ ऐसी ही स्थिति भारत की भी है। इसी आंकड़े के मुताबिक दिसंबर 2021 तक भारत में 64 करोड़ 60 लाख लोग इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे थे। भारत की करीब 135 करोड़ की जनसंख्या में यह आंकड़ा भी कम नहीं है। चीन के इंटरनेट उपभोक्ताओं और उपयोगकर्ताओं में सिर्फ 28 फीसद ही ग्रामीण हैं। लेकिन भारत में स्थिति कुछ भिन्न है। भारत के कुल 64 करोड़ 60 लाख से अधिक वाले कुल इंटरनेट उपभोक्ताओं में से करीब 35 करोड़ 20 लाख यानी आधे से ज्यादा इंटरनेट उपयोगकर्ता ग्रामीण इलाकों से आते हैं। दरअसल भारत में शहरीकरण भले ही तेजी से हो रहा है, लेकिन अब  भी भारतीय आबादी का दो तिहाई से ज्यादा हिस्सा गांवों में रहता है। जाहिर है कि अपेक्षाकृत कम सहूलियत प्राप्त भारतीय गांवों में इंटरनेट का पहुंचना और उसकी पहुंच बढ़ना मामूली बात नहीं है। यही वजह है कि भारत में डिजिटल अर्थव्यवस्था यहां की जनसंख्या के आंकड़ों के लिहाज तेजी से आगे बढ़ रही है। दिलचस्प यह है कि यह बढ़त भी 2019 के आंकड़ों की तुलना में 45 फीसद ज्यादा है। चूंकि भारत में इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या 2026 तक नब्बे करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है, इसलिए उम्मीद की जा रही है कि भारत में डिजिटल अर्थव्यवस्था और तेजी से पैर फैलाएगी। इसी आंकड़े के मुताबिक चीन में 2026 तक इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या में बढ़ोत्तरी करीब 23 करोड़ ही होगी। इसकी वजह यह है कि चीन में इंटरनेट विकास अपने उच्चतम स्तर पर तकरीबन पहुंच चुका है। यहां के बीजिंग, शंघाई, शेंजेन समेत तमाम शहरों में 5जी नेटवर्क अपना स्थान बना चुका है। 

इस डिजिटलीकरण के चलते दोनों देशों की अर्थव्यवस्था में भी तेजी आती नजर आ रही है। दिसंबर 2021 तक के आंकड़ों के मुताबिक, चीन और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार साल 2021 में 30 फीसदी बढ़कर 125.6 अरब डॉलर के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। हालांकि अब भी व्यापार में असंतुलन हावी है। साल 2021 के आंकड़ों के मुताबिक चीन से एकीकृत सर्किट के जरिए भारतीय आयात में 147 प्रतिशत की वृद्धि हुई। चीन से भारत को होने वाले लैपटॉप और कंप्यूटर के आयात में भी 77 प्रतिशत की बढ़त देखी गई है। भारतीय स्मार्टफोन बाजार में भी एक अरब 62 लाख यूनिट तक की बिक्री देखी गई। दरअसल भारतीय अर्थव्यवस्था के डिजिटल होने के चलते मोबाइल फोन की मांग भी बढ़ी है और चीन इसका बड़ा आपूर्तिकर्ता बनकर उभरा है। अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के शोध नतीजों के मुताबिक मौजूदा भारतीय डिजिटल अर्थव्यवस्था में विकास काफी तेजी से हो रहा है। ऐसा विकास चीन में करीब आठ साल पहले हो रहा था। 

राजनीतिक और सीमाई तनावों की वजह से करीब दो दशकों में भारतीय बाजार ने चीन के प्रति हिचक दिखाई है। यही वजह है कि भारत में प्रत्यक्ष चीनी निवेश भारत में हुए कुल विदेशी निवेश का सिर्फ 0.51 प्रतिशत है। भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में भारत को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था में बदलने की दृष्टि से डिजिटल इंडिया की पहल की। इसी का नतीजा है कि भारत में तेजी से अर्थव्यवस्था के डिजिटलाइजेशन में मदद मिल रही है। 

चीन के डिजिटल अर्थव्यवस्था विकास पर 2021 में जारी एक श्वेत पत्र के अनुसार, चीन के सकल घरेलू उत्पाद का 38.6 प्रतिशत हिस्सा चीन की डिजिटल अर्थव्यवस्था है। इसी तरह माना जा रहा है कि  भारतीय डिजिटल अर्थव्यवस्था की उसके सकल घरेलू उत्पाद में अगले पांच साल में हिस्सेदारी करीब बीस फीसद होगी। जाहिर है कि इस क्षेत्र में अभी बहुत गुंजाइश है और इस दिशा में भारत अपने राजनीतिक और लोकहितों की बुनियाद पर आगे बढ़ने की कोशिश करेगा। 

(उमेश चतुर्वेदी,वरिष्ठ भारतीय हिंदी पत्रकार)

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