
च में कमाल की एक बात है। उसका डिजाइन भी आज तक विश्व के पुलों के इतिहास में अपना विशेष स्थान बनाये रखे है। यूरोप में इस प्रकार के गोलाकार पुलों का निर्माण 18 वीं शताब्दी में शुरू हुआ। ऐतिहासिक ग्रंथों के अनुसार चाओ चओ पुल का निर्माण चीन के प्रसिद्ध प्राचीन नक्काश ली छुन ने दूसरे अनुभवी नक्काशों का नेतृत्व कर किया। बहुत से लोग मानते हैं कि इतने आश्चर्यजनक टिकाऊ पुल को मानव शक्ति बनाने में असमर्थ रही होगी। इसलिए स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इस पुल के निर्माता चीन की भवन निर्माण कला के संस्थापक लू पान रहे होंगे। हमारी गाइड ऊ फिंग श्या ने बताया कि इस किम्वदंती के अनुसार असाधारण पुल निर्माता लू पान ने केवल एक रात में इस पुल का निर्माण पूरा किया, पर स्वर्ग के देवता को इस खबर पर विश्वास नहीं हुआ, इसलिए वे इस पुल की जांच के लिए धरती पर आये। उन में से काष्ठ देवता इस पुल पर अपना एकपहिया रथ ढकेलते समय असावधानीवश गिर पड़े।
देखिए, यह उस रथ के पहिये की लकीर है। कहा जाता है कि काष्ठ देवता के रथ पर पांच बड़े पर्वत रखे थे। यह लकीर पुल पार करते समय एकपहिये रथ ने छोड़ी। और देखिए, यह गोलाकार गड्ढा काष्ठ देवता के घुटने की छाप है। काष्ठ देवता के एकपहिया रथ पर पांच बड़े पर्वत थे और उसे ढकेलना बहुत कठिन था, इसीलिए पुल पार करते समय वे पांव फिसलने के कारण गिर पड़े और उनके घुटने की छाप बड़े गड्ढे के रूप में पुल पर पड़ी। पुल पर हमें सचमुच इस किम्वदंती में प्रचलित एकपहिया रथ की लकीर और घुटने की छाप दिखाई दी, पर हमें मालूम है कि इन का किसी देवता से कोई वास्ता नहीं है। गाय चराना नामक एक चीनी लोकगीत में भी इस कहानी की चर्चा हुई है।
गीत के बोल हैं, चाओ चओ पुल लू पान दादा ने बनाया, संगमरमर की बाड़ आचार्य ने खड़ी की, देवता चांग क्वो लौ के कंधे पर सवार होकर पुल के पार गये और काष्ठ देवता के एकपहिया रथ ने पुल पर एक लकीर छोड़ी।
