Web  hindi.cri.cn
    सुप्रसिद्ध विद्वान और शिक्षाशास्त्री थाओ शिंग जी की भारत यात्राएं
    2014-09-10 13:57:32 cri

    श्री थाओ शिंग जी के इस लेख को गांधी जी की प्रशंसा प्राप्त होने का सबब है। यह एक आम परिचात्मक लेख कतई नहीं है, यह उन के शिक्षा विचार का निजोड़ है। लेख ने लोक शिक्षा आन्दोलन के निम्र तीन उद्देश्यों पर प्रकाश डाला, बाकायदा स्कूलों के अभाव की भरसक पूर्ति करना, अपने देश की शिक्षा का विकास करने का प्रयास करना, न कि विदेशों से आयातित शिक्षा का जो ऐतिहासिक पृष्टिभूमि और प्राकृतिक स्थितियों से भिन्न है, विकास करना, विशाल मेहनत कश लोगों की सेना करने वाला शिक्षा कार्य का विकास करने का प्रयत्न करना, न कि मुट्ठीभर विशेष अधिकार प्राप्त वर्गों की सेवा करने वाले शिक्षा कार्य का विकास करना, संपूर्ण जीवन शिक्षा का विकास करने का प्रयत्न करना, न कि विकृत बौद्धिक शिक्षा का विकास करना। यही है शिक्षा की राष्ट्रीयता, लोकप्रियता औऱ संपूर्णता। लेख में ये तीन मकसद पूरा करने वाले तरीकों का भी परिचय दिया गया। यह है भारत की पत्रिका में चीनी शिक्षास्त्री और सामाजिक कार्यकर्ता का पहला लेख प्रकाशित हुआ।

    यात्रा के जरिए श्री थाओ शिंग जी को भारत और भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन के बारे में बहुत सारी नई जानकारी प्राप्त हुई थी। स्वदेश लौटने के बाद उन के विचार में अपने के लिए यह फर्ज पेश किया गया कि इन जानकारियों को चीनी जनता से अवगत कराया जाए। इस तरह उन्होंने अपने को चीन भारत मैत्री के लिए एक श्री संदेश वाहक बना लिया।

    अपने एक लेख में श्री थाओ शिंग जी ने यह विश्वास व्यक्त किया कि भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन का भविष्य उज्जवल रहेगा। और अपने देश बंधुओं को यह बताया कि भारतीय जनता जापानी आक्रमण विरोधी युद्ध में चीनी जनता से बेहद हमदर्दी रखती है और चीनी जनता को सहायता देती रही है। भारतीय मेडिकल मिशन का चीन में आना इस का एक जीता जागता साक्षी था।


    1 2 3 4
    © China Radio International.CRI. All Rights Reserved.
    16A Shijingshan Road, Beijing, China. 100040