अगस्त उन्नीस सौ अड़तीस में श्री थाओ शिंग जी ने युरोप से स्वदेश लौटने के रास्ते में दोबारा भारत यीत्रा की। इस यात्रा में उन्हें आशा थी कि महात्मा गांधी रवीन्द्रनाथ ठाकुर औऱ सुबाशचन्द्र बोस से मुलाकात हो सकेगी। तथा वे ज्यादा से ज्यादा भारत के बारे में जानकारी हासिल कर सकेंगे व भारतीय दोस्तों से चीन को और ज्यादा अवगत करा सकेंगे। इस यात्रा का बन्दोबस्त, लन्दन के एक मित्र ने किया था, पहले उन्होंने मिश्र से महात्मा गांधी रवीन्द्रनाथ ठाकुर और सुभाशचन्द्र के नाम अलग अलग पत्र भेज कर उन से मिलने की इच्छा व्यक्त की।
महात्मा गांधई के नाम अपने पत्र में उन्होंने कहा, आप की शिक्षा औऱ बलिदान की भावना, हमेशा चीनी जनता को प्रेरणा देती रहेगी। लम्बे अरसे से आप के महान देश कीयात्रा करने की मेरी अदभ्य उत्कंठा रहती आयी है। अब वह साकार होने ही वाली है। आप के मार्गदर्शन में मैं नव भारत से एक अच्छा सबक सीख सकूंगा। जल्दी ही मुझे आप से खुशी खुशी मुलाकात होगी। कामना है कि भारत को स्वाधीनता प्राप्त हो जाए।
रवीन्द्रनाथ ठाकुर के नाम पत्र में श्री थाओ शिंग जी ने कहा, पेइचिंग में मुझे आप से मिले हुए अब कोई बीस साल गुजर चुके हैं। आफ के व्याख्यान हमेशा मेरी जनता के कीमती धन दौलद रहेंगे और उन्हें मैं हमेशा अपने दिल में बांध लूंगा। मैं खुशी खूशी आप को बताना चाहता हूं। स्वदेश लौटने के रास्ते में मुझे आप के महान देश की अल्पकालिक यात्रा करने का मौका प्राप्त होगा। कलकत्ता पहुंचने के फौरण बाद मैं फिर आप को पत्र लिखूंगा और आप से फिर मुलाकात होने के इन्तजार में होऊंगा।
सुभाषन्चन्द्र बोस के नाम पत्र में श्री थाओ शिंग जी ने यह कामना की कि सुभाषनाचन्द्र बोस की रहनुमाई में भारत स्वाधीनता की प्राप्ति के लिए संघर्ष में महान विजय हासिल करे। आठ अगस्त को श्री थाओ शिंग जी का जहाज माद्रास पहुंचा औऱ उन्होंने भारत की दोबारा यात्रा करना शुरु किया।
ग्यारह अगस्त उन्होंने रवीन्द्रनाथ ठाकुर से मुलाकात की। बारह अगस्त को सुभाषचन्द्र बोस ने उन के स्वागत में एक टी पार्टी आयोजित की। स्वागत समारोह और टी पार्टी में छात्रों, मजदूरों औऱ किसानों के प्रतिनिधि तथा राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के अन्य नेतागण उपस्थित थे। स्वागत समारोह में छात्रों किसानों और मजदूरों के प्रतिनिधियों ने भाषण दिये। श्री थाओ शिंग जी ने भी व्याख्यान दिया। उन का व्याख्यान तेरह अगस्त के 'माद्रास पोस्त' में छापा गया। सुभाषचन्द्र बोस नेहरु के बाद राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के पद पर चुने गये थे। उस समय चीन की स्थिति में भारी परिवर्तन आया था। च्यांग काई शक को मजबूर होकर प्रतिरोध युद्ध चलाना पड़ा। प्रतिरोध युद्ध का भारतीय कांग्रेस पार्टी ने जोरदार समर्थन किया। श्री थाओ शिंग जी ने चीनी जनता की ओर से इस पर हार्दिक आभार व्यक्त किया।