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    टी टाइम 170817
    2017-08-11 13:14:13 cri

    अनिलः दोस्तो, आज हम आपको बताएंगे 15 अगस्त के बारे में कुछ अहम जानकारी।

    200 साल तक भारत और भारत के लोगों ने अंग्रेज़ों की गुलामी की और फिर कई देशभक्‍तों और क्रांतिकारियों की शहादत के बाद देश को 15 अगस्‍त 1947 के दिन आज़ादी मिली।

    लेकिन क्‍या कभी आपने सोचा है कि 15 अगस्‍त को ही आज़ादी के दिन के रूप में क्‍यों चुना गया? आखिर इस दिन में क्‍या खास था जो उस समय के सभी कद्दावर नेताओं ने इस दिन को भारत की आज़ादी के रूप में चुना ?

    1947 वो साल था जब गांधी जी के भारत छोड़ो आंदोलन और जिन्‍ना और नेहरू के बीच चल रही बंटवारे की जंग को लेकर बढ़ रहे विवाइ में लॉर्ड की समस्‍या को और भी ज्‍यादा बढ़ा दिया था। इसकी कारण से अंग्रेज़ों ने भारत को जून 1948 के बजाय 1947 में ही आज़ाद कर दिया था।

    लेकिन इस बात को कोई नहीं जानता कि 15 अगस्‍त की तारीख को स्‍वतंत्रता दिवस के रूप में क्‍यों चुना गया। भारत को आज़ाद करने का फैसला ब्रिटेन सरकार ने 26 फरवरी 1947 को लिया था। अपने इस फैसले के साथ ब्रिटिशों ने एक पॉलिसी भी बनाई थी। इस पॉलिसी के मुताबिक भारत को जून 1948 को आज़ादी दी जाने का फैसला किया गया था। इसी आज़ादी की घोषणा के लिए लॉर्ड माउंटबेटन को भारत का वायसरॉय बनाया गया था। इसके बाद जब ये फैसला हुआ कि भारत को एक साल पहले ही आज़ाद करना है तो 1947 में आज़ादी का महीना और तारीख चुनने के बारे में सोचा गया। लॉर्ड माउंटबेटन ने खुद भारत की आज़ादी के लिए 15 अगस्‍त की तारीख को चुना था। उस समय के भारत के आखिरी वायसरॉय लॉर्ड माउंटबेटन के प्रेस सचिव ने बताया था कि लॉर्ड 15 को अपने करियर का लकी नंबर मानते थे और इसी निजी कारण की वजह से उन्‍होंने 15 अगस्‍त को भारत की आज़ादी के दिवस के रूप में चुना।

    ये दिन ब्रिटेन के लिए इसलिए भी खास था क्‍योंकि इसी दिन द्वितीय विश्‍व युद्ध के दौरान 15 अगस्‍त 1945 को जापान ने आत्‍मसमर्पण कर दिया था।

    नीलमः अब समय हो गया है तकनीक संबंधी जानकारी का।

    प्रमुख प्रौद्योगिकी कंपनी गूगल ने अपने वायस सर्च फीचर में बंगाली, मलयालम व तमिल सहित आठ और भारतीय भाषाओं को शामिल किया है। इन भाषाओं में अब सिर्फ शब्द बोलकर ही ऑनलाइन सामग्री सर्च की जा सकेगी। अब तक गूगल की यह वायस सर्च फीचर अंग्रेजी व हिंदी में ही उपलब्ध थी। कंपनी ने आज से इसमें गुजराती, कन्नड़, मराठी, तेलुगु व उर्दू सहित आठ नई भाषाओं को भी शामिल कर लिया है।

    गूगल के प्रौद्योगिकी कार्यक्रम प्रबंधक डान वान इश ने वीडियो कान्फ्रेंस के जरिए संवाददाताओं को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, 'आज से इन भाषाओं को बोलने वाले भी एंड्रायड पर जीबोर्ड तथा गूगल और ऐप के जरिए सर्च में अपने सवालों का जवाब केवल बोलकर पा सकेंगे। यानी उन्हें सर्च के लिए लिखना नहीं पड़ेगा।'

    उन्होंने कहा कि वॉयस यानी आवाज आधारित सर्च फीचर के लिए यूजर्स को गूगल ऐप की वॉयस सेटिंग मीनू में अपनी भाषा तय करनी होगी। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर अब हम 119 भाषाओं में वॉयस सर्च करने में सक्षम हैं। आज हम इस फीचर में 30 नई भाषाओं को जोड़ रहे हैं जिनमें से आठ भारतीय भाषाएं हैं।

    अनिलः दोस्तो, अब समय हो गया है दूसरी जानकारी का।

    भारतीयों की ऐसी कई आदतें हैं जो एक-दूसरे से मिलती हैं। जैसे कि जब भी हम कभी छुट्टियों से लौटकर घर आते हैं तो होटल के प्रयोग ना किए हुए क्यूट से नए साबुन अपने साथ रख लेते हैं। अमूमन ऐसा सभी करते होंगें लेकिन इसे स्वीकार कोई नहीं करता है। होटल में जो साबुन रखे होते हैं उनका प्रयोग हम सभी करते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपके जाने के बाद बचे हुए साबुन का क्याग होता है या उनका इस्ते‍माल किसलिए किया जाता है ?

    आपको जानकर हैरानी होगी कि आपके इस्तेमाल के बाद इन बचे हुए साबुनों के साथ होटल में क्या किया जाता है। इस ट्रेंड की शुरुआत यूएस से हुई थी और इसे दुनिया के सभी होटलों को भी अपनाना चाहिए क्योंकि यह काफी उपयोगी ट्रिक है।

    अकेले यूएस में ही होटल्स में 4.6 मिलियन कमरे हैं और जाहिर सी बात है कि यहां रूकने वाले सभी मेहमान तो पूरे साबुन का इस्ते माल नहीं कर पाते होंगें। सिर्फ साबुन ही नहीं बल्कि अलग-अलग शैंपू और कंडीश्नर के कंटेनर्स भी आधे बच ही जाते हैं।

    इन चीज़ों को बर्बादी से बचाने के लिए 'क्लीन द वर्ल्ड ' नामक संस्था 'ग्लोबल सोप प्रोजक्ट' के साथ मिलकर साझेदारी में एक ऐसी मुहिम चला रही है जिसके तहत आधे प्रयोग किए गए साबुन को नया साबुन बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इन साबुनों को विकासशील देशों के लिए बनाया जाता है और इससे चीज़ें बर्बाद भी नहीं होती हैं।

    नीलमः इस मुहिम की उन क्षेत्रों में बहुत जरूरत है जहां स्वच्छ पानी, सफाई और सैनिटेशन की सुविधाओं का अभाव है। इन कारणों से बड़ी संख्या में लोग निमोनिया और डायरिया के शिकार हो जाते हैं। साबुन के प्रयोग से इन लोगों में स्वच्छता को बढ़ावा दिया जा सकता है।

    इन आधे इस्ते‍माल किए गए साबुनों और अन्य चीज़ों को रिसाईकल करने में एक कमरे का महीने का खर्च 75 सेंट्स आता है। बचे हुए साबुन, बॉडी वॉश, शैंपू, कंडीश्नर को साफ कर उन्हें कीटाणुरहित बनाया जाता है और फिर उन्हें शुद्धता के लिए जांचा जाता है। इसके बाद ही इन चीज़ों को दूसरे लोगों के प्रयोग के लिए भेजा जाता है।

    अनिलः अब चर्चा करते हैं बॉलीवुड की।

    आज सलमान खान की फिल्म 'तेरे नाम' को रिलीज हुए 14 साल हो गए हैं यानि आज ही के दिन 15 अगस्त को ये फिल्म रिलीज हुई थी। सलमान के करियर में ये फिल्म मील का पत्थर साबित हुई और इसने उनके करियर को नई ऊंचाईयां दीं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि सलमान इस फिल्म के लिए पहली पसंद नहीं थे ?

    आप हैरान रह जाएंगे जब आपको उस एक्टर के बारे में पता चलेगा जिसे इस फिल्म में राधे के लीड रोल के लिए साइन किया गया था।

    उस वक्त अनुराग कश्यप 'तेरे नाम' को डायरेक्ट करने वाले थे और फिल्म के हीरो थे संजय कपूर, लेकिन किसी वजह से संजय कपूर के साथ बात नहीं बनी और उन्हें रिप्लेस कर सलमान को फिल्म में साइन किया गया।

    उस वक्त अनुराग फिल्म की कहानी लिख रहे थे और उनकी कहानी के हिसाब से जरूरत थी कि सलमान अपनी छाती पर बाल उगाएं, लेकिन ना जाने क्या हुआ कि इस चक्कर में अनुराग कश्यप को फिल्म से निकाल दिया गया।

    इसका खुलासा अनुराग कश्यप ने एक शो में भी किया था। इस फिल्म के लिए कई प्रोड्यूसर और लेखक बदले गए और उसी के हिसाब से फिल्म के लिए लीड एक्टर भी बदलते गए। पहले संजय कपूर राधे का किरदार निभाते, लेकिन बाद में सलमान आए।

    खैर, फिल्म ने रिलीज होते ही छा गई। इस फिल्म में सलमान की एक्टिंग को काफी पसंद किया गया और इसके लिए उन्हें बेस्ट एक्टर के लिए कई अवॉर्ड शोज में नॉमिनेशन भी मिला।

    नीलमः अब बात करते हैं अगली जानकारी की। मौसम का कोई भरोसा नहीं है। कभी सुहावना मौसम रहता है तो कभी ऊमस भरी गर्मी पड़ जाती है। बालों और त्‍वचा पर मॉनसून में बारिश और गर्मी में लू का बहुत बुरा असर पड़ता है।

    ऐसे में सबसे ज्‍यादा नुकसान त्‍वचा को होता है। त्‍वचा शुष्‍क और बेजान हो जाती है और ऐसे में त्‍वचा में खुजली की समस्‍या भी रहती है। बहुत ज्‍यादा शुष्‍क होने पर मॉइश्‍चराइज़र भी कोई खास असर नहीं दिखा पाते हैं।

    शुष्‍क त्‍वचा के दौरान त्‍वचा की सबसे ऊपरी परत में नमी की कमी होने लगती है। बढ़ती उम्र में तो ये आम समस्‍या है लेकिन अब बेमौसम हवा और प्रदूषण के कारण युवाओं को भी ये परेशानी होने लगी है।

    आर्टिफिशियल एयर कंडीश्‍नर और पर्याप्‍त मात्रा में पानी नहीं पीने की वजह से भी त्‍वचा शुष्‍क हो जाती है। त्‍वचा सबसे ज्‍यादा शुष्‍क सर्दियों के मौसम में होती है।

    कई लोग ऐसी समस्‍या से गुज़रते हैं। त्‍वचा को टीएलसी की बहुत ज्‍यादा जरूरत होती है। लोशन और मॉइश्‍चराइज़र त्‍वचा को सिर्फ कुछ समय के लिए ही राहत पहुंचा पाते हैं लेकिन अगर आप इस समस्‍या से हमेशा के लिए छुटकारा पाना चाहते हैं तो आपको प्राकृतिक नुस्‍खे आज़माने चाहिए।

    शुष्‍क त्‍वचा की मरम्‍मत करने का सबसे आसान घरेलू उपाय है ओटमील। आमतौर पर ओटमील को स्‍क्रबिंग के लिए इस्‍तेमाल किया जाता है और शुष्‍क त्‍वचा के लिए इसे अच्‍छा नहीं माना जाता है क्‍योंकि ये त्‍वचा को और ज्‍यादा शुष्‍क बना सकता है।

    अनिलः ये एक गलत धारणा है। ओटमील में मॉइश्‍चराइजिंग, एंटी इंफ्लामेट्री, एंटीऑक्‍सीडेंट और राहत पहुंचाने वाले यौगिक मौजूद होते हैं। इसके साथ ही इसमें कई ऐसी चीज़ें होती हैं तो त्‍वचा के लिए फायदेमंद साबित होती हैं।

    ओटमील ना केवल त्‍वचा की मरम्‍मत करता है बल्कि उसे अन्‍य हानिकारक चीज़ों से भी बचाता है। इसमें पॉलीसैचेराइड्स भी होती है जिसमें त्‍वचा को मॉइश्‍चराइज़ करने वाले गुण मौजूद रहते हैं। ओटमील में एमोलिएंट गुण भी होता है जो त्‍वचा को खुजली जैसी समस्‍या से बचाता है। अब तो आप जान ही गए होंगें कि ओटमील में कितने सारे गुण होते हैं।

    शुष्‍क त्‍वचा को निखारने और उसकी चमक को बढ़ाने के लिए आप इन तरीकों से ओटमील का इस्‍तेमाल कर सकते हैं।

    अब अगली जानकारी। ऑफिस में सुबह से बैठे बैठे जब आप काम करते रहते हैं तो दोपहर तक थकान होना सामान्य बात है और इसी कारण से कई लोग ऑफिस में शाम को अपनी क्षमता अनुसार काम नहीं कर पाते हैं। कई लोग इस थकान को दूर करने के लिए थोड़े थोड़े अंतराल पर चाय कॉफ़ी भी पीते रहते हैं।

    आपको बता दें कि चाय कोफी के सेवन से कुछ देर के लिए तो आपको एनर्जी मिल जाती है लेकिन लम्बे समय तक इनका सेवन नुकसानदायक ही है।

    केला एक ऐसा फल है जिसे एनर्जी बूस्टर माना जाता है। इसमें कार्बोहाइड्रेट, नेचुरल शुगर, एमिनो एसिड, विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट की बहुत अधिक मात्रा पायी जाती है। इससे आपकी एलर्टनेस भी बढ़ती है और एक केला खाने से ही करीब 80-120 कैलोरी मिल जाती है। इसलिए रोजाना केले ज़रूर खाएं।

    एक मुठ्ठी नट्स आपको एनर्जी से भर देते हैं। कभी भी आपको थकान महसूस हो तो तुरंत थोड़ा सा नट्स खा लें थकान अपने आप खत्म हो जायेगी। इसमें मौजूद पोषक तत्व और हेल्दी ऑयल बहुत देर तक आपको उर्जा से भरपूर रखते हैं।

    नीलमः पूरी दुनिया में नाश्ते में अंडे खाना लोग सबसे ज्यादा पसंद करते हैं। आपको बता दें कि नाश्ते में उबले अंडे खाने से आप दिन भर एनर्जी से भरपूर रहते हैं। इसमें प्रोटीन और एसेंशियल एमिनो एसिड की मात्रा बहुत ज्यादा होती है साथ ही इसमें विटामिन डी और विटामिन बी भी अधिक मात्रा में मिलता है। इस लिहाज से यह थकान भगाने के लिए सबसे उपयुक्त चीज है।

    इस फल को सुपरफ़ूड की श्रेणी में रखा जाता है। इसमें विटामिन बी, सी, के और मिनरल्स की मात्रा इतनी ज्यादा होती है कि रोजाना सिर्फ एक एवोकैड़ो खाने से ही आपको सारे ज़रूरी पोषक तत्व मिल जाते हैं। इसमें मौजूद हाई फाइबर आपके पाचन को भी दुरुस्त रखता है। इसलिए रोजन कम से कम एक एवोकैड़ो ज़रूर खाएं।

    चॉकलेट तो वैसे भी हर किसी को बहुत पसंद आते हैं। इसमें मौजूद कैफीन और थियोब्रोमीन जैसे यौगिक अधिक मात्रा में उर्जा प्रदान करते हैं साथ ही साथ आपके मूड को भी बेहतर बनाये रखते हैं।

    लंच और डिनर में अगर आप रोजाना हरी सब्जियों को शामिल करते हैं तो फिर थकान का नामोनिशान ही नहीं रहेगा। हरी सब्जियों में कैलोरी की मात्रा तो कम होती है लेकिन फाइबर और मिनरल की मात्रा बहुत ज्यादा होती है जिस वजह से शरीर जल्दी थकता नहीं है। अपनी डाइट में पालक, मूली, मेथी, शिमला मिर्च जैसी सब्जियों को अधिक मात्रा में शामिल करें।

    अनिलः प्रोग्राम में जानकारी देने का सिलसिला यहीं संपन्न होता है। अब बारी है श्रोताओं की टिप्पणी की।

    कार्यक्रम "टी टाइम" का आगाज़ पत्रकार दल के साथ चीन गये वरिष्ठ पत्रकार जयशंकरजी के साथ की गयी बातचीत के साथ किया जाना अत्यन्त महत्वपूर्ण लगा। उनकी बातें बहुत ही व्यावहारिक लगीं, विशेषकर मीडिया द्वारा अपना टीआरपी बढ़ाने हेतु किये जाने वाले प्रोपोगेंडा पर उनके विचार काफी सटीक थे। चीनी लोगों की सदाशयता पर व्यक्त विचार भी बिलकुल सही जान पड़े, क्यों कि यह अनुभव तो मैं स्वयं भी कर चुका हूँ। उन्होंने डोकलाम विवाद पर भी चीनी लोगों का रुख़ स्पष्ट किया, जो कि भारतीय मीडिया में छायी ख़बरों से बिलकुल भिन्न था। वास्तव में, किसी भी देश की आम जनता कभी युध्द नहीं चाहती, परन्तु देश के नेताओं की सोच जनता से मेल नहीं खाती, जो कि विवाद का मुख्य कारण बनता है। माना कि हमें इतिहास को पकड़ कर नहीं बैठना चाहिये, बल्कि उससे प्रेरणा लेते हुये भविष्य की चुनौतियों का सामना करना चाहिये। इसके बावज़ूद प्रश्न देश की अस्मिता का हो तो कोई क्या करे ? इसका उत्तर हमें फिर भी नहीं मिलता। जहाँ तक चीन-भारत के लोगों के बीच एक-दूसरे की जानकारी के अभाव की बात है, तो मैं जयशंकरजी की बात से पूरी तरह सहमत हूँ कि चाइना रेड़ियो इण्टरनेशनल तथा आकाशवाणी इसमें अहम् रोल निभा सकते हैं।

    नीलमः कार्यक्रम में आगे जानकारियों के क्रम में इटली की 101 वर्षीय महिला द्वारा अपनी 17 वीं संतान के रूप में 9 पौण्ड के स्वस्थ बच्चे को जन्म देना; क़्वालकॉम प्रोसेसर की तीव्रता; गूगल द्वारा अपना सबसे तेज़ पिक्सल-2 स्मार्टफ़ोन बाज़ार में उतारे जाने तथा भारत में सरकार द्वारा 11.44 लाख पेनकार्ड ब्लॉक कर दिये जाने का समाचार काफी महत्वपूर्ण लगा।

    वहीं दक्षिण भारत के स्टार महेश बाबू का डंका कि बॉलीवुड में भी उन्हें टक्कर देने वाला कोई नहीं तथा उन द्वारा एक फ़िल्म की फ़ीस 25 करोड़ लिया जाना बात को सच साबित करता है।

    खेल की ख़बरों में सौरभ गांगुली द्वारा वर्ष 2016 में ईडन गार्डन में आयोजित विश्वकप टी-20 की मेज़बानी को यादगार बयां करना भी ख़ास लगा।

    स्वास्थ्य की बातों में - प्रातःकाल हरी घास अथवा रेत पर नंगे पाँव चलने से शरीर को होने वाले फ़ायदे सम्बन्धी जानकारी भी उपादेय लगी। और हाँ, कार्यक्रम में आज पेश तीनों ज़ोक्स भी काफी उम्दा लगे। धन्यवाद् फिर एक अच्छी प्रस्तुति के लिये। सुरेश जी हमें पत्र भेजने के लिए शुक्रिया।

    टिप्पणी के बाद लीजिए पेश करते हैं जोक्स।

    पहला जोक.

    पत्नी: देखो जी, अखबार में लिखा है कि शराब नहीं पीनी चाहिए.

    शराबी पति: तो फिर कर दूं बंद?

    पत्नी: हां जी, वादा करो आप बंद कर देंगें.

    पति: तुझसे किया वादा मैं कभी नहीं तोड़ सकता, कल से घर में अखबार आना बंद.

    दूसरा जोक.

    पापा: बेटा तुम चाहे पास हो या फेल मैं तुम्हें बाइक जरूर दिलाऊंगा.

    बेटा: थैंक्स पापा, आप बहुत अच्छे हैं.

    पापा: पास हो गए तो कॉलेज जाने के लिए और फेल हो गए तो दूध बेचने के लिए

    तीसरा जोक.

    तराजू पर बैठा मुर्गा ग्राहक को घूर-घूर कर देख रहा था...

    ग्राहक: क्या देख रहा है?

    मुर्गा: मुझे तो खरीद लिया है, अब जरा टमाटर खरीद कर दिखा.

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