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    आपका पत्र मिला 2017-08-09
    2017-08-09 13:15:50 cri

    अनिलः आपका पत्र मिला प्रोग्राम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल पांडेय का नमस्कार।

    ललिताः सभी श्रोताओं को ललिता का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिलः दोस्तो, आज के प्रोग्राम में भी हम हमेशा की तरह श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे। तो लीजिए प्रोग्राम का आगाज करते हैं। पहला पत्र हमें आया है दरभंगा बिहार से शंकर प्रसाद शंभू का। लिखते हैं कि हमारे क्लब के सभी सदस्य आप के द्वारा प्रसारित कार्यक्रम सुनते आ रहे हैं। 31 जुलाई को देश विदेश के समाचार सुनने के बाद कार्यक्रम अतुल्य चीन में प्रसारित हर वर्किंग डे की सुबह पेइचिंग वासी मैडम च्यांग अपनी कॉलोनी से शेयरिंग वाली साइकिल पर सवार हो कर दो किलोमीटर दूर मेट्रो स्टेशन जाती हैं, फिर वहां मेट्रो से अपने काम के लिए पहुंचती हैं। शेयरिंग वाली साइकिल सबसे ज्यादा सुविधाजनक है। शेयरिंग वाली साइकिल बहुत ज्यादा हैं। दूसरा, सस्ती भी है। एक बार आधे युआन या एक युआन का खर्च आता है। इसके अलावा वह शारीरिक व्यायाम भी है और यातायात जाम की परेशानी भी नहीं होती। मैडम च्यांग जैसे शेयरिंग वाले साइकिल प्रेमियों की संख्या कम नहीं है। इस साल मई तक चीन के विभिन्न क्षेत्रों में 1 करोड़ से ज्यादा शेयरिंग वाली साइकिल रखी गई हैं और इसे इस्तेमाल करने वालों की संख्या 10 करोड़ से अधिक है। यह रिपोर्ट अच्छी लगी। एक बेहतरीन प्रोग्राम पेश करने के लिए धन्यवाद।

    शंकर प्रसाद शंभू जी, हमें पत्र भेजने के लिए आपका भी शुक्रिया। आशा करते हैं कि आप आने वाले समय में भी हमें यूंही पत्र भेजते रहेंगे। धन्यवाद।

    ललिताः अगला पत्र हमें आया है भिंड मध्य प्रदेश से अनामदर्शी मसीह का। लिखते हैं कि 6 अगस्त को प्रस्तुत कार्यक्रम आपकी पसंद में सभी गाने सुने। इसमें विशेष रूप से -आया सावन झूम के... और झिल-मिल सितारों का आंगन होगा... यह गीत बेहद पसंद आये। इसके बाद जानकारी में बिना सेक्स किये बच्चे पैदा करने के बारे में सुना। यह खोज मानव जाति और समाज के लिए घातक है। लेकिन दूसरी जानकारी में गाजियाबाद शहर को हरा भरा बनाने के अभियान पर सुनकर अच्छा लगा, राज शर्मा और संध्या त्यागी का कार्य बेहद सराहनीय है। मैं आपके कार्यक्रमों को प्रतिदिन सुन रहा हूँ, लेकिन व्यस्त होने के कारण पत्र काम लिख पा रहा हूँ। उत्तम कार्यक्रम हेतु आप सबका बहुत बहुत धन्यवाद।

    अनामदर्शी मसीह जी, हमें पत्र भेजने के लिए आपका बहुत धन्यवाद। आशा है आप आगे भी हमें पत्र भेजने रहेंगे। शुक्रिया।

    अनिलः अब पेश है कार्यक्रम का अगला पत्र, जिसे भेजा है सैदापुर अमेठी, उत्तर प्रदेश से अनिल द्विवेदी ने। लिखते हैं कि कार्यक्रम अतुल्य चीन में चीन में पढ़ रहे वेदप्रकाश के साथ भेंटवार्ता सुनने को मिली। पेइचिंग के बारे में विस्तार से रिपोर्ताज शैली में सुनने को मिला। हाईनान बौद्ध धर्म और मार्शल आर्ट की धुरी है। विभिन्न मंदिरों और दो हजार से अधिक मूर्तियों की गुफाएं भी वहाँ मौजूद हैं। इसके अलावा अन्य स्थानों पर भी घूमने का मौका मिला। हम बिना वहाँ गए ही थोड़ी देर कई नगरों की यात्रा कर लिए। शैंयांन और त्रिघाटी भी घूमने का मौका मिला। त्रिघाटी बांध क्षेत्र में परंपरागत शादी करने का तरीका अर्थात रीति रिवाज की जानकारी रोचक लगी। वास्तव में प्रकाश जी ने चीन को बहुत करीब से और बारीकी से देखा है।

    चीन भारत आवाज प्रोग्राम में रेस्टोरेंट मालिक जसविंदर सिंह के साथ भेंटवार्ता सुनने को मिली। छह महीने पुराने रेस्टोरेंट में बिना रंग और केमिकल के खाना बनाया जाता है। वेज को प्राथमिकता दी जाती है। वेज वर्गर, वेज पिज्जा, वेज स्नैक्स यहां की खासियत हैं। मसाले और ग्रेवी पर भी बारीकी से बताया गया। कार्यक्रम के अंत में एक बेहतरीन गाना सुनने को मिला, धन्यवाद।

    ललिताः अनिल जी ने आगे लिखा है कि कार्यक्रम नमस्कार चाइना के विशेष सेगमेंट में पता चला कि जुलाई अगस्त में चीनी विश्वविद्यालय और महाविद्यालय से स्नातक करके विद्यार्थी निकलते हैं। दिल्ली निवासी 20 वर्षीय प्रत्युषा चीन में पढ़ाई कर रही है। चीन में उनके अनुभव और फ्रेंच स्पेनिश के बाद चीनी भाषा सीखना उसकी इच्छा थी। जिसके चलते वह चीन में 2 साल की अल्पावधि में चीनी भाषा पर अच्छी पकड़ हो गयी है। चीनी शिक्षा सेगमेंट में बताया गया कि चीन में उच्च शिक्षा का 100 साल इतिहास रहा है। चीन में अवकाश कालीन शिक्षा की भी व्यवस्था की गई है।

    चीनी कहानी में नीति कथाएं भी अच्छी लगी।

    विश्व का आईना प्रोग्राम में विदेशों की यात्रा और रुपये का तुलनात्मक अध्धयन सुनने को मिला। भारत में उत्तराखंड, हिमांचल प्रदेश, डलहौजी, मध्य प्रदेश, माउंट आबू आदि जगहों की विशेषता और रुकने के खर्चे पर अच्छी जानकारी मिली। पर्यटन के लिहाज से श्रीनगर, उंटी, रानीखेत, कुल्लू आदि जगहों के मशहूर तथ्यों के साथ वहां के विशेष आकर्षण के बारे में विस्तार से सुनने को मिला।

    आपका पत्र मिला प्रोग्राम में संजीव कुमार घोसाल, सुरेश अग्रवाल, अनाम दर्शी मसीह, हेमन्त कुमार, सुशील कुमार वर्मा, दीपक नेगी के साथ मेरे पत्रों को भी कार्यक्रम में शामिल किया गया। मेरे द्वारा प्रेषित नागपंचमी कथा को हूबहू पढ़कर सुना दिया। इससे हमारा उत्साह वर्धन हुआ है।

    अनिलः अनिल जी आगे लिखते हैं कि हम लोग कुशल पूर्वक से रहकर आप लोगों की कुशलता की कामना करते हैं। आज सुबह सुबह ही भाई सुरेश अग्रवाल जी का फोन आया था। बातचीत का मुख्य मुद्दा अन्य विषयों के साथ सीआरआई हिंदी प्रसारण और प्रतिक्रिया रही। 4-5 दिन पहले ही प्रांजल जी ने असम से फोन कर हाल चाल लिया था। सीआरआई के माध्यम से मुझे अच्छे मित्र मिले हैं। शुक्रिया।

    आज अपना हाथ दिखाने अस्पताल गया था। कलाई में लगी पांचों कीलें निकाल ली गई हैं। डॉक्टर ने 15 दिन में पूरी तरह स्वस्थ होने की बात कही है। कील निकालने और मरहम पट्टी से पहले इंजेक्शन देकर मुझे बेहोश किया गया था। अभी शाम साढ़े सात बजे घर आया हूँ। दर्द आज कुछ ज्यादा बना हुआ है। अतः सीआरआई तो सुन लूंगा, पर प्रतिक्रिया संछिप्त होगी।

    वहीं बाल महिला स्पेशल कार्यक्रम में सुनवाया गया कि यूरोपीय खिड़की के माध्यम से चीन और यूरोप के बीच विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग किया जा रहा है। इसी के तहत फोटो ग्राफर प्रदर्शनी के बारे में सुनने को मिला।

    टी टाइम प्रोग्राम में तमाम जानकारी के बाद श्रोताओं की प्रतिक्रिया के अन्तर्गत दो श्रोता मित्रों भाई सुरेश अग्रवाल और देवाशीष के पत्रों का उद्धरण सुनने को मिला।

    चीन का तिब्बत प्रोग्राम में याक के साथ चरवाहों की जिंदगी और उनके विकास और कोरो क्षेत्र के बारे में जानकारी मिली।

    जबकि दक्षिण एशिया फोकस में सपना और हूमिन के बीच की वार्ता सुनी। चीन और पाकिस्तान के बीच आर्थिक गलियारे पर भारतीय लोगों के नजरिये पर सफाई दी गयी। चीन पाकिस्तान में जो विकास कर रहा है, उसका बहुत छोटा हिस्सा भारत वियतनाम में करता है, तो चीन को यह अच्छा नहीं लगता। भूटान से समझौते के तहत भारत भूटानी भूमि पर चीन के कब्जे और निर्माण को रोका तो आपे से बाहर हो गया। रोज ही नई नई धमकी दी जा रही है।

    अनिल द्विवेदी जी, हमें पत्र भेजने के लिए आपका बेहद शुक्रिया। उम्मीद करते हैं कि आने वाले समय में आप स्वस्थ होकर हमें यूंही टिप्पणी भेजते रहेंगे।

    ललिताः अनिल जी ने आगे लिखा है कि संडे की मस्ती में एक थाईवानी गीत सुनने में बड़ा आनंद मिला है। संवेदन कहानी में घोड़े लोशेरो और रूपन की कहानी का दूसरा भाग सुना, जो पसंद आया। धन्यवाद अच्छी प्रस्तुति के लिए।

    अनिल द्विवेदी जी, हमें पत्र भेजने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद।

    अनिलः लीजिए दोस्तों, अब पेश है कार्यक्रम का अगला पत्र, जिसे भेजा है केसिंगा ओड़िशा से मॉनिटर सुरेश अग्रवाल ने। लिखते हैं कि कार्यक्रम "अतुल्य चीन" के तहत पेइचिंग में रह कर विगत कई वर्षों से पढ़ाई करने वाले भारतीय छात्र जयप्रकाश से की गई बातचीत सूचनाप्रद लगी। जयप्रकाश द्वारा अपने चीन के अनुभव स्पष्ट और प्रभावी ढ़ंग से साझा किये गये। फिर चाहे वह चीन के तमाम पर्यटक स्थलों की साफ़-सफ़ाई की बात हो, या कि उनसे जुड़ी विशेषताओं की, उन्होंने हर बात पर सही ढ़ंग से रौशनी डाली।

    कार्यक्रम "चीन-भारत आवाज़" के अन्तर्गत शनचन में रेस्तरां चलाने वाले भारतीय होटल मालिक से की गयी बातचीत सुन कर पता चला कि कैसे वहां उत्तर-भारत के ज़ायके का मज़ा लिया जा सकता है।

    साप्ताहिक कार्यक्रम "आर्थिक जगत" के तहत आर्थिक समाचारों में अमरीका द्वारा 30 जुलाई को ज़ारी 500 कारोबारी कंपनियों की सूची में चीन दूसरे स्थान पर और 'एक पट्टी एक मार्ग' के खुल जाने पर नेपाल के लिये अवसरों की भरमार और विशेष रिपोर्ट में चीन में हाईस्पीड रेलवे नेटवर्क के विकास से कम होती दूरियों पर भी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान दी गयी।

    ललिताः सुरेश जी ने आगे लिखा है कि साप्ताहिक "नमस्कार चाइना" भी पूरे मनोयोग से सुना। विशेष सेगमेण्ट में जुलाई-अगस्त चीन में स्नातकों का मौसम होने और युवाओं को अच्छी नौकरी की तलाश होने के साथ-साथ चीनी भाषा का अध्ययन करने दिल्ली से अकेली चीन आयी प्रत्युषा की दाद देनी होगी कि उसने यह फ़ैसला लिया। इसके साथ ही यह भी महसूस हुआ कि चीन में महिलाएं, विशेषकर विदेशी महिलाएं भी कितनी सुरक्षित हैं। वैसे प्रत्युषा तो बहुत मेधावी छात्रा हैं, जिन्होंने स्वदेश में रहते हुये स्पेनिश और फ़्रेंच सीखी, चीन में चीनी और अब अमरीका जाकर अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध विषय पर पढ़ाई करेंगी, वह भी महज़ बीस वर्ष की अवस्था में। मैं सीआरआई के माध्यम से उनके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ। रिपोर्ट अच्छी होते हुये भी इसमें एक कमी रह गई, वह यह कि आपने प्रत्युषा की आवाज़ नहीं सुनवाई।

    कार्यक्रम में आगे 'चीनी शिक्षा' स्तम्भ के तहत चीन की हाईस्कूल शिक्षा, उच्च शिक्षा और स्कूल के बाद अवकाशकालीन शिक्षा पर अहम् जानकारी हासिल हुई।

    कार्यक्रम "चीनी कहानी" में होस्ट लीला भट्ट द्वारा पेश दोनों नीति-कथाएं शिक्षाप्रद लगीं।

    अनिलः वहीं साप्ताहिक "विश्व का आइना" के तहत विदेश घूमने का शौक़ रखने वालों के लिये आपने खुशखबरी देने की कोशिश की और कम ख़र्च पर ज़्यादा मज़ा लेने की बात कही। परन्तु यह जानकारी मुझे विरोधाभासी और भ्रामक प्रतीत हुई। आपने कहा कि ईरान में भारतीय एक रुपए में आपको 504 रुपए मिल रहे हैं। जी हां ! यह बात 100 फीसदी सच है। यह कैसे सम्भव है ? आपने यह भी कहा कि भारतीय रुपए में ज़्यादा मुद्राएं देने वाला सिर्फ़ ईरान नहीं, बल्कि लगभग दर्जनभर ऐसे देश हैं जहां की मुद्रा भारतीय रुपए की तुलना में बहुत सस्ती है। सस्ती मुद्राओं वाले ये देश गरीब नहीं हैं बल्कि ब्रिटेन और अमेरिका जैसे संपन्न देश हैं।

    माफ कीजियेगा, इस बात पर विश्वास करना सम्भव नहीं है, क्यों कि सभी जानते हैं कि इन दिनों एक ब्रिटिश पाउण्ड भारतीय मुद्रा में कोई अस्सी रुपये और अमेरिकी डॉलर की विनिमय दर छियासठ रुपये बैठती है। अब आप ही बताइये कि ब्रिटेन और अमेरिका की सैर भारतीयों के लिये कैसे सस्ती हो सकती है ?

    सम्भव है कि वियतनाम में एक रुपए के बदले 352.52 डोंग मिलते हों, परन्तु क्या वहां एक रुपये में 352 रुपये मूल्य की वस्तु ख़रीदी जा सकती है ?

    इसी तरह सम्भव है कि ईरानी मुद्रा भारतीय रुपये के मुक़ाबले बहुत कमज़ोर हो, परन्तु वहां की चीज़ें भी तो उसी अनुपात में सस्ती या महँगी होंगी ! सौ रुपए में 50 हज़ार रियाल मिल सकते हैं, परन्तु क्या उनसे पचास हज़ार रुपये के बराबर क़ीमत वसूली जा सकती है ? फिर चाहे बात पैरागुए की मुद्रा की हो या कि मंगोलिया की, इतना अन्तर नहीं आ सकता। माना कि कमज़ोर कैरेंसी वाले देश की सैर करना कुछ किफ़ायती होता है, परन्तु इतना अन्तर सम्भव नहीं, जितना कि रिपोर्ट में दर्शाने की कोशिश की गई। कहीं ऐसा तो नहीं कि रिपोर्ट बनाते समय अनजाने में गलती रह गई हो ?

    कार्यक्रम में आगे उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश, शिलॉन्ग, माउण्ट आबू, श्रीनगर, ऊटी, रानीखेत, नैनीताल आदि तमाम भारतीय पर्यटन स्थलों पर भी जानकारी दी गयी। धन्यवाद्।

    श्रोताओं के अपने मंच सप्ताहिक "आपका पत्र मिला" के अन्तर्गत तमाम श्रोताओं के पत्र और प्रतिक्रियाओं के बाद व्हट्सएप्प के ज़रिये भागलपुर के डॉ. हेमंत कुमार, बौध्द गया से सुशील कुमार वर्मा और दीपक नेगी के सन्देश शामिल किया जाना अच्छा लगा।

    ललिताः सुरेश जी ने आगे लिखा है कि साप्ताहिक "बाल-महिला स्पेशल" के तहत पेश गत 12 जून को ब्रसेल्स स्थित यूरोपीय संघ मीडिया क्लब में उद्घाटित चीनी बच्चों पर फ़ोकस नामक पहली फ़ोटोग्राफी प्रदर्शनी पर आधारित रिपोर्ट महत्वपूर्ण लगी। कार्यक्रम के अंत में सुनवाया गया लोकप्रिय चीनी कार्टून फ़िल्म "दो भालुओं की कहानी" का गीत सुमधुर और कर्णप्रिय लगा।

    साप्ताहिक "चीन का तिब्बत" के तहत छिंगहाई-तिब्बत पठार पर रहने वाले तिब्बती चरवाहों के जीवन में याक क्या महत्व रखता है, पर महती जानकारी हासिल हुई। ज्ञात हुआ की तिब्बती लोगों के खान-पान, वेशभूषा, रहन-सहन आदि जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में याक सरोकार रखता है। याक का दूध तिब्बती लोगों का प्रमुख आहार है और इसके दूध ने स्थानीय चरवाहों के लिये समृध्दि का मार्ग खोल दिया है।

    अनिलः जबकि कार्यक्रम "दक्षिण एशिया फ़ोकस" के अन्तर्गत तमाम क्षेत्रीय समाचार सुनने को मिले। वहीं सीआरआई के टिप्पणीकार हूमिनजी और सपनाजी के बीच वार्ता में 'एक पट्टी एक मार्ग' और 'पाक-चीन आर्थिक गलियारे' पर फिर यह समझाने की कोशिश की गई इसके लिये भाषा ही सबसे बड़ी समस्या है। परन्तु ऐसा नहीं है। चीन लाख सफ़ाई दे कि उस द्वारा पाकिस्तान में चलाई जा रही तमाम योजनाएं उसके आर्थिक उत्थान के लिये हैं, परन्तु भारत इस बात पर विश्वास करे भी तो कैसे ? भारत पाकिस्तान में जिसे आतंकवादी समझता है, चीन उसे वीटो कर देता है। ग्वादर बंदरगाह को 99 साल की लीज़ पर लेना क्या सामरिक सोच नहीं रखता। यह बात मैं नहीं, आम भारतीय के ज़ेहन में है। मेरी राय में चीन को सच्चाई का सामना करना चाहिये क्यों कि चीन-भारत दोनों ही परिपक्क्व देश हैं और किसी में भी समझ की कमी नहीं है।

    ललिताः साप्ताहिक "आपकी पसन्द" हर बार की तरह आज भी लज़ीज़ और चटपटा लगा। श्रोताओं की पसन्द पर सुनवाये गये छह मधुर रसीले गानों के साथ दी गई तमाम जानकारी भी रोचक, आश्चर्यजनक और ज्ञानवर्द्धक लगी।

    "सन्डे की मस्ती" में सन्डे स्पेशल सेगमेण्ट में पेश चिली की कहानी 'लूसेरो' का दूसरा और अन्तिम भाग सुना, जो बेहद पसंद आया। धन्यवाद एक अच्छी प्रस्तुति के लिए।

    सुरेश जी, हमें निरंतर पत्र भेजने के लिए आपका बहुत धन्यवाद।

    अनिलः दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल पांडेय और ललिता को दीजिए इजाजत, नमस्कार।

    ललिताः बाय-बाय।

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