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    चीन में खेती और किसान की जिंदगी में खुशहाली
    2017-08-08 10:45:58 cri

        खेती और किसान की जिंदगी में खुशहाली के लिए चीन कृषि औद्योगीकरण को अपना रहा है। इससे खेती में उत्पादन बढ़ा है, रोजगार के अवसर भी और गांव के जीवन में बदलाव आ रहा है। सरकार किसानों की जमीन पर कृषि पार्क बना रही है। इन पार्कों में प्राइवेट कंपनियों के सहयोग से खेती की जा रही है। योंग ख माडर्न एग्रीकल्चर पार्क ऐसे ही पार्कों में शामिल है।

        स्छवान प्रांत में सुईनिंग कस्बे से करीब 50 किमी दूर पहाड़ी पर योंग ख माडर्न एग्रीकल्चर पार्क है। 2014 में सरकार ने आसपास के किसानों की जमीन पर इसे बनाया था। पार्क को तीन कंपनियां चला रही हैं। हर फसल के सीजन में किसानों को एक मू जमीन का 780 युआन की दर से भुगतान किया जाता है। हर साल इसमें 20 युआन बढ़ाया जाता है। इसके अलावा पार्क में सभी ग्रामीणों को रोजगार मिला है। यहां काम करने वाले किसानों को महीने में 4 हजार युआन तनख्वाह भी मिलती है। पार्क में मुख्य तौर कमल और अंगूर की खेती की जा रही है।

        पार्क के लिए जमीन देने वाले 370 किसानों के लिए सरकार ने जीतोंग गांव बसाया है। किसानों को सब्सिडी में घर दिये हैं। गांव में बिजली, पानी और सड़क सहित अन्य सुविधाओं की भी व्यवस्था की है। सरकार अब तक जीतोंग गांव पर 10 करोड़ खर्च कर चुकी है जबकि करीब 3 करोड़ कंपनियों ने खर्च किया है। अगले पांच साल में 88 और परिवारों को इस प्रोजेक्ट से जोड़ा जाना है। खेती को उद्योग में बदलने के साथ ही इसे पर्यटन से भी जोड़ा गया है।

        यह प्रोजेक्ट शुरू होने से पहले ग्रामीणों के पास स्थानीय स्तर पर रोजगार के साधन नहीं थे। रोजी-रोटी के लिए ग्रामीण शहरों पर निर्भर थे। इसके अलावा खेती भी पारंपरिक तरीके से की जा रही थी। एग्रीकल्चर पार्क बनने के बाद रोजगार का संकट नहीं रहा। गांव में ही लोगों को काम मिला है और उनकी आर्थिक हालत भी मजबूत हुई है। इस प्रोजेक्ट के शुरुआत में 73 परिवार गरीबी की रेखा से नीचे थे। 2016 के सर्वे में मात्र पांच परिवार ही गरीब बचे हैं।

        जीतोंग गांव में पर्यटन केंद्र भी है, इसमें पर्यटकों के ठहरने की व्यवस्था के साथ ही घूमने फिरने से संबंधी सूचनाएं मिलती हैं। वीकएंड पर सुईनिंग,छंगतू सहित आसपास के शहरों से लोग यहां घूमने के लिए आते हैं। कुछ ग्रामीणों ने पर्यटकों के लिए कॉटेज और रेस्टोरेंट भी बनाए हैं।

        पर्यटक योंग ख जाकर खेती के इस नए प्रयोग को देखते हैं इसके अलावा पहाड़, जंगल सहित प्राकृतिक सौन्दर्य के पास खुद को पाते हैं। शहरों की चकाचौंध से दूर यहां सुकून से छुट्टियां बिताते हैं।

        इस गांव के डायरेक्टर चिअंग योंग बताते हैं कि एग्रीकल्चर पार्क में गांव के सभी लोगों को रोजगार मिला है। अब गांव के लोग रोजगार के लिए शहरों में नहीं जाते हैं। भविष्य में इस पार्क के विस्तार की भी योजना है।

        चीन 2021 तक देश को गरीबी से मुक्त करना चाहता है। बीजिंग, शंघाई, क्वांग्चो, शनचन और हांगकांग आदि शहर विकसित देशों के शहरों की बराबरी कर रहे हैं। अन्य शहरों और कस्बों का विकास भी पिछले दशकों में तेजी से हुआ है। हर शहर के पास विदेश मामलों का विभाग है। जो दुनिया के देशों से अपने शहर के व्यापारिक रिश्ते बनाता है। हर शहर नियोजित तरीके से बना है और अगले दशकों की योजना उसके पास है। म्युनिसिपलटी केंद्र में पूरे शहर और योजनाओं के मॉडल काम की प्लानिंग को बताने के लिए काफी हैं। शहरों में आसमान छूते बिजनेस टॉवर और सूचना केंद्र की एलईडी स्क्रीन विकास गाथा को बताते हैं। विकास की इस दौड़ में गांव कुछ पीछे छूट गए हैं। हालांकि सरकार खेती को उद्योगों और पर्यटन से जोड़कर गांवों की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रही है। खेती और किसानी को संकट से उबारने का यह तरीका एशियाई देशों के लिए मॉडल साबित हो सकता है।

    (जय प्रकाश पांडे )


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