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    आपका पत्र मिला 2017-08-02
    2017-08-03 09:52:08 cri

    अनिलः आपका पत्र मिला प्रोग्राम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल पांडेय का नमस्कार।

    ललिताः सभी श्रोताओं को ललिता का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिलः दोस्तो, आज के प्रोग्राम में भी हम हमेशा की तरह श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे। इसके साथ ही व्हट्सएप के जरिए हम तक जानकारी पहुंचाने वाले श्रोताओं के पत्र भी शामिल किए जाएंगे। तो लीजिए प्रोग्राम का आगाज करते हैं। पहला पत्र हमें आया है बहेला कोलकाता से प्रियंजीत कुमार घोषाल का। लिखते हैं कि मैं आपके प्रोग्राम लगातार सुनता हूं। वैसे तो मेरी मातृभाषा बांग्ला है, लेकिन मैं हिंदी में आपके द्वारा प्रसारित प्रोग्राम भी सुनता रहता हूं। गत् 23 जुलाई को संडे की मस्ती प्रोग्राम सुना। जबकि 22 जुलाई के प्रोग्राम में किशोर कुमार और आशा भोंसले जैसे गायकों के गीत सुने, जो कि बहुत पसंद आए। वहीं 5 जुलाई के अंक में बीजिंग से लगभग 400 किमी. दूर एक शहर की यात्रा बुलेट ट्रेन से करने के बारे में चर्चा हुई। इसके साथ ही अन्य प्रोग्राम भी मुझे पसंद आते हैं। सीआरआई हिंदी की पूरी टीम को धन्यवाद।

    घोषाल जी, हमें पत्र भेजने के लिए आपका भी शुक्रिया।

    ललिताः अगला पत्र हमें आया है केसिंगा ओड़िशा से मॉनिटर सुरेश अग्रवाल का। लिखते हैं कि इन दिनों मुझे सीआरआई हिन्दी वेबसाइट पर प्रकाशित सामग्री बहुत आकृष्ट कर रही है। इस परिप्रेक्ष्य में मुझे 27 से 28 जुलाई तक पेइचिंग में आयोजित सातवें ब्रिक्स सुरक्षा संबंधी उच्चस्तरीय प्रतिनिधि सम्मेलन सम्बन्धी रिपोर्ट महत्वपूर्ण लगी। ज्ञात हुआ कि इस वर्ष चीन ब्रिक्स का अध्यक्ष देश है और मौज़ूदा सम्मेलन चीन द्वारा आयोजित सिलसिलेवार सम्मेलनों में से एक है। वहीं चीन के शांगहाई में 1 से 2 अगस्त तक आयोजित सातवें ब्रिक्स अर्थतंत्र और व्यापार मंत्रियों के सम्मेलन को लेकर काफी उत्साह का माहौल है, जो कि हम दूर बैठे भी महसूस कर रहे हैं। चीनी वाणिज्य मंत्रालय के हवाले से 25 जुलाई को सीआरआई हिन्दी वेबसाइट पर प्रकाशित ख़बर के अनुसार मौज़ूदा सम्मेलन में ई-कॉमर्स सहयोग को सुदृढ़ बनाने पर विशेष विचार-विमर्श किया जायेगा।

    अनिलः सुरेश जी ने आगे लिखा है कि चीन दुनियाभर में अपने अनोखे अविष्कारों के लिए जाना जाता है। कुछ अविष्कार तो ऐसे हैं कि जिन्हें देख कर दांतों तले उंगली दबानी पड़ती है। सीआरआर हिन्दी की वेबसाइट पर चीन की ऐसी ही एक इमारत के बारे में तस्वीरों के साथ जानकारी पढ़ी, तो सहसा विश्वास नहीं हुआ कि किसी पाँच मंज़िला इमारत पर से होकर दो लाइन सड़क भी गुज़र सकती है। जी हाँ, इन दिनों चीन की सोशल मीडिया में वायरल हो रही यह अज़ीबोग़रीब सड़क चीन के छोंगछिंग शहर में बनी है और यह कोई मामूली सड़क नहीं, बल्कि इसे पांच मंजिला इमारत पर बनाया गया है। हैरानी की बात है कि इस दो-लेन रोड़ पर गाड़ियां फ़र्राटे से दौड़ती हैं। इतना ही नहीं, पैदल चलने वाले राहगीरों के लिए अलग से व्यवस्था की गई है। दरअस्ल, इस सड़क का निर्माण रोड़ कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने के लिये किया गया है। अच्छी बात यह है कि सड़क के नीचे रहने वाले लोगों को इससे कोई परेशानी नहीं होती, क्यों कि उनके घरों में ऐसे विशेष उपकरण लगाये गये हैं, ताकि ऊपर से गुज़रने वाले वाहनों का शोर अथवा कम्पन उन तक न पहुँचे।

    वेबसाइट पर एक अन्य पोस्ट में दी गयी दुबई के पांच ख़ूबसूरत दर्शनीय स्थलों की जानकारी भी महत्वपूर्ण लगी। इससे यह साबित होता है कि सीआरआई महज़ चीन के बारे में ही नहीं, अब विश्व के उन तमाम स्थानों की जानकारी भी साझा करने लगा है, जो कि सैर-सपाटे अथवा पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं।

    ललिताः सुरेश जी आगे लिखते हैं कि साप्ताहिक "बाल-महिला स्पेशल" में सुनाई गयी शिनच्यांग स्वायत्त प्रदेश की 75 वर्षीया अध्यापिका और उनके दो हज़ार बच्चों की कहानी काफी प्रेरक लगी। स्वयं की माली हालत अच्छी न होने और पारिवारिक विरोध के बावज़ूद उन्होंने बच्चों के बीच शिक्षा का विस्तार किया, मैं ऐसी अध्यापिका को नमन करता हूँ। 'काश' उन जैसी 'प्यार कक्षा' विश्व में हर जगह चलायी जातीं।

    कार्यक्रम "टी टाइम" के अन्तर्गत तमाम जानकारियों के साथ पेश श्रोताओं की प्रतिक्रिया और सुनवाये गये ज़ोक्स भी अच्छे लगे।

    अनिलः वहीं साप्ताहिक "चीन का तिब्बत" के तहत छिंगहाई प्रान्त के कोरो क्षेत्र में स्थित ताचि रिकुंग तिब्बती चिकित्सा विद्यालय पर दी गयी जानकारी महत्वपूर्ण लगी। क्षेत्र के ग़रीब किसान और चरवाहों के जीवन में खुशहाली लाने सरकार द्वारा किये जा रहे ऐसे प्रयास प्रशंसनीय हैं। कार्यक्रम में आगे पेइचिंग स्थित लुंगछिंग मन्दिर और उसमें विश्व की सोलह भाषाओं में किया जाने वाला चीनी बौध्द-ग्रंथों का अनुवाद कार्य सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यन्त अहम कहा जायेगा।

    जबकि कार्यक्रम "दक्षिण एशिया फ़ोकस" में 'एक पट्टी एक मार्ग' पर पेश बातचीत में यह जताने की कोशिश की गई कि इस विषय पर भारतीय मित्रों को ग़लतफ़हमी है। मेरी राय में ऐसा नहीं है, बल्कि भारतीय मानस अधिक परिपक्क्व है। वास्तव में, इस योजना के लिये भारत का खुलकर सामने न आने का कारण चीन-भारत के बीच 55 सालों से चला आ रहा सीमा-विवाद है, जिसे हल किये बिना विश्वास बाहाली सम्भव नहीं है। यह मेरी नहीं, अपितु आम भारतीय की राय है।

    ललिताः साप्ताहिक "आपकी पसन्द" हर बार की तरह आज भी लाज़वाब रहा, जिसमें श्रोताओं के पसंदीदा फ़िल्मों के छह गानों के साथ दी गई तमाम जानकारी महत्वपूर्ण लगी।

    "सन्डे की मस्ती" कार्यक्रम की शुरुआत 'आकाश' शीर्षक मधुर चीनी गीत से किया जाना कानों में रस घोल गया। सन्डे स्पेशल सेगमेंट में पेश चिली की कहानी 'लूसेरो' का पहला भाग रोचक लगा, हमें कहानी का अगला भाग सुनने का बेसब्री से इन्तज़ार रहेगा।

    अज़ीबोग़रीब और चटपटी बातों के क्रम में सत्रहवीं सदी में चीन में जन्में और कुल 256 वर्ष तक जीवित रहे ली चिंग युन के बारे में जान कर वास्तव में हैरत हुई कि उनके बारे में दुनिया अब कैसे अनजान रही। वहीं चीन में 60 साल के भाई चाओ और उनकी बहन के रिश्ते की मिसाल बने वीडियो के वायरल होने का क़िस्सा भी प्रेरक लगा। चीन के शांगहाई शहर में पतियों की बोरियत दूर करने हेतु बनाये गये विशेष शॉपिंग मॉल की जानकारी तो दिलचस्प थी। प्रेरक कहानी स्तम्भ के तहत पेश कहानी 'सुराही का जिन' शिक्षाप्रद लगी। जबकि मनोरंजन खण्ड में इस शुक्रवार रिलीज़ हुई फ़िल्म 'मुबारकां' की चर्चा के साथ उसका प्रोमो सुनवाया जाना और ज़ोक्स में मेरे भेजे चुटकुलों को स्थान दिया जाना काफी उत्साहवर्धक लगा। धन्यवाद् फिर एक अच्छी प्रस्तुति के लिये।

    सुरेश अग्रवाल जी, हमें प्रतिक्रिया भेजने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद।

    अनिलः दोस्तों लीजिए अब पेश है कार्यक्रम का अगला पत्र, जिसे भेजा है सैदापुर अमेठी, उत्तर प्रदेश से हमारे श्रोता अनिल द्विवेदी ने। लिखते हैं कि कार्यक्रम विश्व का आईना के तहत विभिन्न देशों के बारे अच्छी और रोचक जानकारी मिली। रूस, हंगरी, इक्वाडोर, पनामा, मेसोडोनिया आदि देशों में नागरिकता हासिल करने के बारे में जानकारी मिली। इसके साथ ही पार्क में उपलब्ध सुविधाओं के बारे में भी पता चला। विभिन्न देशों में अजीबो गरीब सुविधाओं के साथ पार्क स्वागत करते हैं। अजीबो गरीब निर्माण के बारे में भी पता चला। इसमें चीन में बहुमंजिला इमारत के ऊपर से गुजरती सड़क और फ्लाईओवर की जानकारी मिली। जबकि दुबई में सबसे ऊंची इमारत बुर्ज खलीफा और फाउंटेन पार्क की रोचकता जानकर अच्छा लगा। वहीं गर्मी के समय भारतीयों के लिए द्रास, धर्म कूट गुरुद्वारा विकल्प आपके द्वारा नई जानकारी हमें पता चली। मुझे इसके बारे में पहले पता नहीं था।

    वहीं आपका पत्र मिला प्रोग्राम के अंर्तगत विभिन्न श्रोताओं अनाम दर्शी मसीह, भाई सुरेश अग्रवाल, एस बी शर्मा और अन्य श्रोताओं के साथ मेरे पत्रों को कार्यक्रम में शामिल किया गया, इसके लिए धन्यवाद।

    ललिताः साप्ताहिक बाल महिला स्पेशल कार्यक्रम में सुनवाया गया कि वृद्ध अध्यापिका 20 वर्षों से शिक्षण कार्य कर रही हैं। दो बच्चों से शुरू प्यार कक्षा में पढ़ाई और संस्कार देने वाली कक्षा में आज 2000 बच्चों का चरित्र निर्माण किया जा चुका है। इनके बारे में कल ही सीआरआई हिंदी की वेबसाइट पर भी सचित्र खबर पढ़ी थी। इन्हें स्थानीय हीरो कहा जाता है।

    टी टाइम कार्यक्रम में तमाम जानकारियों के साथ भाई सुरेश अग्रवाल के पत्रों में कार्यक्रम पर व्यक्त विचार सुनने को भी मिले।

    अनिलः अनिल द्विवेदी जी लिखते हैं कि उत्तर प्रदेश और कुछ अन्य हिस्सों में मनाए जाने वाले नागपंचमी त्योहार के अवसर पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं। कई पौराणिक कथाएं आज के त्योहार से जुड़ी हैं। महाभारत काल के बासुकि नाग की कथा सभी जानते हैं।

    एक अन्य लोक कथा

    नागपंचमी की कथा सीआरआई हिंदी से जुड़े सभी प्रियजनों के लिए.......

    किसी नगर में एक किसान अपने परिवार के साथ रहता था। उसके तीन बच्चे थे, दो लड़के और एक लड़की। एक दिन जब वह हल चला रहा था तो उसके हल के फल में बिंधकर सांप के तीन बच्चे मर गए। बच्चों के मर जाने पर माँ नागिन विलाप करने लगी और फिर उसने अपने बच्चों को मारने वाले से बदला लेने का प्रण किया। एक रात्रि को जब किसान अपने बच्चों के साथ सो रहा था तो नागिन ने किसान, उसकी पत्नी और उसके दोनों पुत्रों को डस लिया। दूसरे दिन जब नागिन किसान की पुत्री को डसने आई तो उस कन्या ने डरकर नागिन के सामने दूध का कटोरा रख दिया और हाथ जोड़कर क्षमा मांगने लगी। उस दिन नागपंचमी थी। नागिन ने प्रसन्न होकर कन्या से वर मांगने को कहा। लड़की बोली-'मेरे माता-पिता और भाई जीवित हो जाएं और आज के दिन जो भी नागों की पूजा करे उसे नाग कभी न डसे। नागिन तथास्तु कहकर चली गई और किसान का परिवार जीवित हो गया। उसी दिन से नागपंचमी को खेत में हल चलाना और साग काटना निषिद्ध हो गया।

    आज के इस त्योहार पर यहां गुझिया और पकवान बनाये जाते हैं। शाम को अखाड़ा कूदने और लड़ने के बाद हरी टहनियों से लड़के कपड़े की बनी गुड़िया पीटते हैं। गुड़िया लड़कियां बनाकर ले जाती हैं। इसके बाद टहनियां बीच में तोड़ कर उसमें गुड़िया बांधकर खेत में अशुभ से बचाने के लिए गाड़ी देती है।

    ललिताः चीन का तिब्बत कार्यक्रम में छिंगहाई में जड़ी बूटी चिकित्सा स्कूल के बारे में बहुत ही अच्छी जानकारी मिली। यह भी बहुत ही महत्वपूर्ण है कि यहां कोई फीस नहीं ली जाती है।

    दक्षिण एशिया फ़ोकस में कुछ समाचारों के बाद एक पट्टी एक मार्ग के विशालता और भारतीय दृष्टिकोण पर बहुत सटीक टिप्पणी सुनने को मिली। इसके अंर्तगत भारत के मेक इन इंडिया पर भी विचार सुनने को मिले।

    इस बार के आपकी पसंद प्रोग्राम में प्रस्तुत सभी गाने बहुत पसंद आये।

    संडे की मस्ती में प्रस्तुत चीनी गीत, विश्व की संवेदनशील कहानी, अजीबो गरीब बातों, प्रेरक कहानी और जोक्स भी अच्छे लगे। धन्यवाद एक अच्छी प्रस्तुति के लिए।

    अनिल द्विवेदी जी, हमें पत्र भेजने के लिए आपका बहुत धन्यवाद।

    अनिलः अब पेश है कार्यक्रम का अगला पत्र, जिसे भेजा है भिंड मध्य प्रदेश से अनामदर्शी मसीह ने। लिखते हैं कि चीन के समाज, पर्यटन और संस्कृति पर आधारित अतुल्य चीन कार्यक्रम में श्यामन और कूलांगयू द्वीप पर दी गई जानकारी सुनी, बेहद पसंद आयी।

    इसके बाद चीन-भारत आवाज में भारतीय व्यापारी विशाल चंद्रा से भी बातचीत सुनी।

    अंत में कार्यक्रम आर्थिक जगत सुना, इसमें कुछ आर्थिक समाचारों के बाद चीन-इटली औद्योगिक भाग पर विशेष रिपोर्ट सुनी। उपरोक्त कार्यक्रम अति उत्तम रहे। धन्यवाद।

    मसीह जी, हमें पत्र भेजने के लिए आपका भी बहुत बहुत धन्यवाद। आशा है आप आगे भी हमें पत्र भेजते रहेंगे। शुक्रिया।

    ललिताः दोस्तों अब पेश है व्हट्सएप के जरिए हम तक जानकारी पहुंचाने वाले श्रोताओं के पत्र। पहला पत्र आया है जिला भागलपुर, बिहार से प्रियदर्शिनी रेडियो लिस्नर्स क्लब के अध्यक्ष डॉ हेमन्त कुमार का। उन्होंने एक सवाल पूछा हैः एकीकृत चीनी गणराज्य की स्थापना किसने और कब की थी?

    हेमन्त कुमार जी, नए चीन की स्थापना 1 अक्तूबर 1949 को हुई थी। तत्कालीन चीनी राष्ट्राध्यक्ष माओ त्सेतोंग ने चीन की राजधानी पेइचिंग के मध्य में स्थित त्यानआनमेन चौक पर इसकी घोषणा की।

    अनिलः अब लीजिए पेश है आज के प्रोग्राम का अगला पत्र, जिसे भेजा है बोध गया से सुशील कुमार वर्मा ने। लिखते हैं

    लालू चाचा दूर के...

    चारा खायें चूर के

    नितिश को दिया प्याली में

    समधी को दिया थाली में

    नितिश गये रूठ

    अब गठबंधन गया टूट...😆😆😆🙏🏻🙏🏻

    सुशील कुमार वर्मा जी, बेहद अच्छी टिप्पणी आपने की है, जो आजकल बिहार में राजनीतिक घटनाक्रम चला है उस पर, शुक्रिया।

    वहीं दीपक नेगी ने भी हमें पत्र भेजा है। लिखते हैं

    आगे बढ़ने वाला व्यक्ति कभी

    किसी को बाधा नहीं पहुंचाता

    और दूसरों को बाधा पहुंचाने वाला

    व्यक्ति कभी आगे नहीं बढ़ता।

    "कोई अगर आपके अच्छे कार्य पर सन्देह करता है ...

    तो करने देना, क्योंकि ...

    शक़, सदा सोने की शुद्धता पर किया जाता है ...

    कोयले की कालिख पर नहीं ...!"

    दीपक जी, हमें पत्र भेजने के लिए शुक्रिया। और उम्मीद करते हैं कि आने वाले समय में आप हमारे प्रोग्राम पर टिप्पणी जरूर करेंगे, धन्यवाद।

    अनिलः दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल पांडेय और ललिता को दीजिए इजाजत, नमस्कार।

    ललिताः बाय-बाय।

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