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036 तोंगक्वो और भेड़िया
2017-07-11 19:45:50 cri

तोंगक्वो और भेड़िया 东郭和狼

नीति कथा "तोंगक्वो और भेड़िया"को चीनी भाषा में"तोंगक्वो हअ लांग"(dōng guō hé láng) कहता जाता है। इस में"तोंग क्वो"व्यक्ति का नाम है, "हअ"का अर्थ है और, जबकि"लांग"का अर्थ है भेड़िया।

चीन में तोंगक्वो और चोंगशान भेड़िये की कहानी लंबे समय से प्रचलित रही है।

प्राचीन काल में तोंगक्वो नाम का एक व्यक्ति रहता था। उसे किताब का कीड़ा कहा जाता था। वह पढ़ाई के सिवाय और कुछ नहीं नहीं जानता था। वह बिल्कुल भी व्यवहारिक नहीं था।

एक दिन, तोंगक्वो अपने गधे को हांकते हुए चोंगशान नाम के एक राज्य में नौकरी ढूंढ़ने जा रहा था। गधे की पीठ पर लदे एक थैले में किताबें भरी हुई थीं।

चोंगशान जाते वक्त रास्ते में अचानक एक घायल भेड़िया भागकर सामने आ पहुंचा।

भेड़िये ने तोंगक्वो से विनती करते हुए कहा:"श्रीमान जी, एक शिकारी मेरा पीछा कर रहा है। उसका तीर मेरे शरीर पर लग चुका है, मैं बाल-बाल बचा हूं। कृपया मुझे बचा लो। मैं आपका एहसान कभी नहीं भूलूंगा।"

तोंगक्वो जानता था कि भेड़िया नर भक्षी है। लेकिन घायल भेड़िए पर उसे दया आ गयी। थोड़ा सोचकर उसने कहा:"तुम्हें बचाने पर शिकारी मुझसे नाराज हो जा सकता है, फिर भी तुमने मुझ से जान बचाने का अनुरोध किया है, तो मैं तुम्हें जरूर बचाऊंगा।"

इतना कहने पर तोंगक्वो ने भेड़िये से चारों पैरों को सिकोड़ कर मिलाने को कहा, फिर उसने भेड़िये को रस्सी से बांधा और उसका शरीर जितना संभव हो छोटा कर थैले के भीतर घुसा दिया।

थोड़ी देर में शिकारी आ पहुंचा।उसने तोंगक्वो से पूछा:" क्या आपने एक घायल भेड़िया देखा ?पता नहीं वह कहां चला गया है? "

तोंगक्वो ने कहा:"मैंने नहीं देखा। यहां कई रास्ते हैं, कहीं दूसरे रास्ते से वह भाग तो नहीं गया।"

तोंगक्वो की बातों पर शिकारी को विश्वास हो गया। वह दूसरी दिशा में भेड़िया का पीछा करने चला गया।

थैले के भीतर छिपे भेड़िये को जब लगा कि शिकारी वहां से जा चुका है, तो उसने तोंगक्वो से आग्रह किया कि वह तुरंत उसे बाहर निकाल ले, ताकि वह वहां से भागकर अपनी जान बचा सके।

तोंगक्वो को भेड़िये पर फिर से तरस आया, उसने भेड़िये को थैले से बाहर निकाल कर छोड़ दिया। लेकिन तोंगक्वो को उस समय आश्चर्य हुआ, जब भेड़िया उससे कहने लगा:"श्रीमान जी, आपने मेरी जान तो बचा ली है, पर मैं भूखा हूं।कृपया मुझ पर एक बार फिर से अहसान कर दो, मुझे पेट पर खाना खाना है।"

इतना कहते ही भेड़िया अपने पंजों के साथ तोंगक्वो पर टूट पड़ा।

तोंगक्वो बिना किसी हथियार के भेड़िये से भिड़ रहा था, वह ज़ोर-ज़ोर से भेड़िये को कोस रहा था। इसी बीच एक बुजुर्ग किसान फावड़ा लिए पास से गुजर रहा था।

तोंगक्वो ने उसका रास्ता रोक कर उसे पूरी कहानी बतायी। उसने किसान से न्याय करने की मांग की। हालांकि भेड़िया यह बात मानने को तैयार नहीं हुआ कि तोंगक्वो ने उसकी जान बचायी है।

तभी किसान ने थोड़ा सोचते हुए कहा:"मुझे तुम दोनों की बातों पर विश्वास नहीं हो रहा। यह थैला बहुत छोटा है, इतना बड़ा भेडिया इसमें कैसा रखा जा सकता है। बेहतर होगा कि तुम दोबारा वही काम करो, मुझे अपनी आंखों से देखना है।"

भेड़िया इसके लिए राजी हो गया। वह फिर से जमीन पर सिकुड़ कर बैठ गया और उसने तोंगक्वो को फिर से खुद को बांधने को कहा।

भेड़िये को थैले में डालने के बाद बुजुर्ग किसान ने रस्सी से थैले के मुंह को कसकर बांध दिया और तोंगक्वो से कहा:"यह आदमख्वांर जानवर है। उसका यह स्वभाव नहीं बदल सकता। तुम भेड़िये पर दया करते हो, सचमुच बेवकूफ़ हो।"

किसान ने फावड़ा उठाया और जोर से थैले पर मारकर भेड़िये को वहीं खत्म कर दिया। तब तक तोंगक्वो को अक्ल आ चुकी थी, उसने किसान का शुक्रिया अदा किया।

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