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030 जामुन से प्यास का अन्त
2017-05-30 19:49:38 cri

जामुन से प्यास का अन्त 望梅止渴

"जामुन से प्यास का अन्त"नाम की कहानी को चीनी भाषा में"वांग मेई जी खअ"(wàng méi zhǐ kě) कहा जाता है। इस में"वांग"का अर्थ है देखना, जबकि"मई"का अर्थ है जामुन, तीसरे शब्द"जी"का अर्थ है बंद होना और अंतिम शब्द"खअ"का अर्थ है प्यास।

चीन के त्रि-राज्य काल (वर्ष 220 से वर्ष 280 तक) में वेई राज्य के राजा छाओ छाओ एक बुद्धिमान राजनीतिज्ञ और सैन्य विशेषज्ञ थे। वे युद्ध में सामने आने वाली तमाम जटिल समस्याओं को दूर करने में बड़े दक्ष थे।

एक साल गर्मियों के दिन, उनके नेतृत्व में वेई राज्य की सेना एक ऐसी जगह पहुंची, वहां दूर-दूर तक पानी नहीं था। दोपहर की तपती धूप में ऊंचा तापमान असहनीय था, फिर सभी सौनिक भारी भरकम शस्त्रों से लदे थे। पसीने से सभी के वस्त्र तर-तर हो गए और हरेक को बहुत प्यास लग रही थी। सैनिक बड़ी मुश्किल से आगे बढ़ रहे थे। दूभर स्थिति का सैनिकों के अभियान पर बड़ा असर पड़ा।

इस हालत को देखकर छाओ छाओ बहुत चिंतित हुए। उन्होंने सेना के गाइड को बुलाया और आसपास के इलाके में पानी के स्रोत के बारे में पूछा। गाइड ने कहा:"यह सूखा इलाका है। आसपास की जगहों में भी पानी का कोई स्रोत नहीं है।"

लेकिन छाओ छाओ इससे भी निराश नहीं हुए। उन्होंने सेना को उसी जगह पर विश्राम करने का आदेश दिया और कुछ लोगों को चारों ओर पानी की तलाश में भेज दिया।

कुछ समय के बाद सभी लोग खाली बाल्टी के साथ वापस लौटे। क्योंकि वह इलाका बंजर था, यहां ना नदी थी, ना झील, तालाब तक नहीं था।

फिर छाओ छाओ ने सैनिकों से ज़मीन में कुआ खोदने कहा, पर बहुत गहरा खोदे जाने पर भी पानी की कोई बूंद नहीं निकली।

स्थिति काफ़ी गंभीर हो गई। अधिक समय तक ऐसी स्थिति में रहने से सैनिकों का मनोबल भी गिर सकता था। सोचते-सोचते छाओ छाओ को सहसा एक तरकीब सूझी, वह एक ऊंचे टीले पर चढ़ा और उस पर दूर निहारते हुए ऊंची आवाज़ में बोला:"पानी है। हां, पानी है।"

पानी मिलने की आस में सेना के सभी लोग उठ खड़े हुए और बड़ी खुशी में पूछने लगे:"पानी कहां है?कहां है?"

आगे की ओर इशारा करते हुए छाओ छाओ ने कहा:"मैं पहले इस रास्ते से एक बार गुजरा था, मुझे याद है कि आगे एक जगह पर जामुन का एक विशाल जंगल है, यह खुबानी पकने का मौसम है, वहां के खुबानी बहुत बड़े होते हैं और उनमें रस भी खूब होता है, हमें जल्दी वहां पहुंचना चाहिए।"

खुबानी और उसके मीठे रस की याद करते हुए सैनिकों के मुंह में स्वाभाविक रूप से पानी भर आया। इससे उनकी प्यास काफी हद तक मिट गयी।

छाओ छाओ के नेतृत्व में सेना बड़ी तेज़ गति के साथ आगे बढ़ी। अन्त में एक पानी वाली जगह पर पहुंची। सैनिकों ने जी भर कर पानी पिया, फिर युद्ध जीतने के लिए बड़े हौसले के साथ आगे बढ़े।

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