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    आपका पत्र मिला 2017-04-12
    2017-04-13 09:46:51 cri

    अनिलः आपका पत्र मिला प्रोग्राम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल पांडेय का नमस्कार।

    ललिताः सभी श्रोताओं को ललिता का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिलः दोस्तो, आज के प्रोग्राम में भी हम हमेशा की तरह श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे। चलिए श्रोताओं के पत्र पढ़ने का सिलसिला शुरू होता है। पहला पत्र हमें आया है दरभंगा बिहार से शंकर प्रसाद शंभू का। शंभू जी का पत्र हमें देर से मिला है, फिर भी हम इसे शामिल कर रहे हैं। उन्होंने पत्र में लिखा है, जोकि पहले के कार्यक्रम के बारे में है। लिखते हैं कि हमारे क्लब के सभी सदस्य आपके द्वारा प्रसारित कार्यक्रम सुनते आ रहे हैं ! 29 मार्च को प्रसारित कार्यक्रम विश्व का आईना में येरूशलम से संबंधित एक रिपोर्ट यहूदी धर्म, ईसाई और इस्लाम धर्म तीनों धर्म, जिसे पवित्र स्थल मानते हैं, उसके बारे में जानकारी दी गई। लेकिन येरूशलम में गहरे धार्मिक रंग के अलावा विविधतापूर्ण कृषि-आधारित मनोरंजन भी रंग-बिरंगे हैं। पर्यटक न सिर्फ विभिन्न स्वाद वाले व्यंजन चखते हैं, बल्कि संगीत और कला आदि का अनुभव भी ले सकते हैं। यहां कृषि-आधारित मनोरंजन की विचारधारा चीन के पेइचिंग के हूथोंग से आया है। येरूशलम के उपनगर का यिनचीलिन गांव एक सुन्दर गांव है, जहां यमन से आये कई येहूदी प्रवासी रहते हैं। 60 साल की दालिआ पुष्पों की पोशाक पहने हुए मेहमानों का सत्कार कर रही हैं। उनके पति यमन से आये यहूदी प्रवासी है, जो गिटार बजाने में निपुण हैं। उन्होंने अपने आंगन में कृषि-आधारित मनोरंजन का आयोजन किया। दालिआ ने कहा कि वे पैसों के लिए यह काम नहीं करती। वे चाहते हैं कि इससे अधिक से अधिक दोस्तों से मुलाकात हो। उनके घर में कुछ चीनी पर्यटक भी आते हैं। वे एक साथ खेती में काम करते हैं, खाना खाते हैं, गाते हैं और नाचते हैं। यह रिपोर्ट हम लोगों को बेहद पसंद आयी !

    आपका पत्र मिला प्रोग्राम में मेरे पत्र को शामिल करने के लिए शुक्रिया। मेरे सभी दोस्त इससे खुश हुए हैं !

    ललिताः शंभू जी ने आगे लिखा है कि बाल महिला स्पेशल में ब्राजील में ज़ीका महामारी सबसे गंभीर है। हर हफ्ते लगभग 17 हजार लोग ज़ीका से संक्रमित हुए। साथ ही ज़ीका वायरस अन्य देशों और क्षेत्रों में फैलने लगा है। इस पर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने गत वर्ष फ़रवरी में यह घोषणा की कि ज़ीका वायरस से विश्व का ध्यान आपात सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं पर केंद्रित हुआ है। अब तक विश्व में ब्राज़ील में ज़ीका ग्रस्त लोगों की संख्या सबसे अधिक है। इसलिये हमें लगातार सतर्क रहना है।

    कार्यक्रम चीन का तिब्बत में 23 मार्च को पेइचिंग में उद्घाटित तिब्बती संस्कृति संरक्षण संगोष्ठी में सौ से अधिक विद्वानों ने चीनी विदेशी संवाददाताओं के साथ बातचीत की। हांगकांग के एक संवाददाता द्वारा विदेशों में रहने वाले तिब्बतियों की भावना के प्रति पूछे गये प्रश्न का उत्तर देते हुए चीनी तिब्बती अनुसंधान केंद्र के महासचिव जंग त्वेई ने कहा कि अधिकांश तिब्बती देशबंधु चीन के तिब्बती क्षेत्रों में रहते हैं। तिब्बती संस्कृति की जड़ चीन में ही मौजूद है। और विदेशों में रहने वाले तिब्बतियों का दिल भी मातृभूमि के लिए धड़कता है। तिब्बत में स्वास्थ्य व्यवस्था के निर्माण की चर्चा करते हुए चीनी तिब्बती अनुसंधान केंद्र के तिब्बती चिकित्सा प्रतिष्ठान के उप प्रधान जूंग क-च्या ने कहा कि इधर के वर्षों में देश में तिब्बती चिकित्सा का तेज़ी से विकास किया जा रहा है। तिब्बती चिकित्सा के विकास पर देश विदेश के अनेक अनुसंधान संस्थाओं का ध्यान केंद्रित है। संवाददाता द्वारा तिब्बत में साधुओं की सामाजिक गारंटी के बारे में पूछे गये प्रश्नों के उत्तर देते हुए तिब्बती अनुसंधान केंद्र के पदाधिकारी ली ड-छंग ने कहा कि वर्तमान में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में कुल मिलाकर 46 हजार भिक्षु और भिक्षुणी हैं, जो 1700 से अधिक मंदिरों में रहते हैं। सारे तिब्बती क्षेत्रों में साधुओं और मंदिरों की संख्या डेढ़ लाख और 3500 तक जा पहुंची है। साधुओं और धार्मिक अनुयायियों का धार्मिक विश्वास काफी सुनिश्चित है। यह खास रिपोर्ट अच्छी लगी ! एक बेहतरीन प्रोग्राम पेश करने के लिए फिर से धन्यवाद।

    अनिलः अगला पत्र हमें भेजा है चंदोई बदायूं उत्तर प्रदेश से खान रेडियो श्रोता संघ के गुल मोहम्मद ने, जिन्होंने पत्र फेसबुक के जरिए भेजा है। लिखते हैं कि सबसे पहले आपका पत्र मिला कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाले अनिल पांडेय जी और ललिता जी को नमस्कार। हमने आपकी पसंद प्रोग्राम सुना। जिसे पंकज श्रीवास्तव और अंजली जी ने पेश किया। कार्यक्रम मे कटघर, पचपेड़ा, मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश से मोहम्मद नसीम खान के आशिकी फिल्म के गाने को पेश करने के लिए धन्यवाद। यह गाना हमें अच्छा लगा। क्लब की ओर से नसीम खान जी को धन्यवाद। कार्यक्रम में पंकज जी और अंजली जी ने रोचक जानकारी देते हुए प्रोग्राम में चार चांद लगा दिये। आप दोनों को भी धन्यवाद्।

    ललिताः 28 मार्च को प्रसारित नमस्कार चाइना भी सुना, जिसे अखिल पाराशर और हैया जी ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में एक बातचीत को सुनवाया गया, जिसमें मेहमान थे अमित जी उनका इंटरव्यू अच्छा लगा। वहीं आपका पत्र मिला कार्यक्रम को हमारे क्लब के सभी सदस्यों और पड़ोसियों ने भी सुना, काफी अच्छा लगा। जिसमें हमारे पत्र को स्थान दिया गया। हमारे क्लब के सभी सदस्य सीआरआई को धन्यवाद देते हैं।

    अनिलः अगला पत्र हमें भेजा है मॉनिटर सुरेश अग्रवाल ने। उन्होंने लिखा है कि प्रवास पर होने के कारण आज लगातार तीसरे दिन भी सीआरआई हिन्दी का ताज़ा प्रसारण रेड़ियो पर सुनना सम्भव नहीं हो पाया, जिसका मुझे दुख है, परन्तु अपने एंड्रॉयड फ़ोन के ज़रिये सीआरआई हिन्दी की वेबसाइट से मेरा सम्पर्क ट्रेन में भी निरन्तर बना रहा। इस कड़ी में आज 'चीनी बाज़ार फिनिश कम्पनियों के बीच बड़ा अवसर' शीर्षक लेख पढ़ने का मौक़ा मिला। ज्ञात हुआ कि चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग ने 4 अप्रैल को फिनलैंड की राजकीय यात्रा शुरू की। फिनिश सरकार और जनता ने इस यात्रा का स्वागत किया है। आशा है कि इस बार की यात्रा फिनलैंड-चीन द्विपक्षीय संबंधों के विकास में नए आयाम जोड़ेगी। चीनी बाजार फिनिश उद्यमों के लिये एक बड़ा अवसर है। फिनलैंड को उम्मीद है कि दोनों पक्षों के बीच सहयोग और मजबूत होगा। फिनलैंड एक छोटा देश है, लेकिन फिनलैंड अधिक श्रेष्ठता वाला देश है। फिनलैंड चीन के साथ इन श्रेष्ठताओं को साझा करना चाहता है। वैसे यहाँ मैं इतना और कहना चाहूँगा कि फिनलैंड ही नहीं, शी चिनफिंग जहाँ भी जाते है, उस देश के साथ चीन के रिश्ते प्रगाढ़ हो जाते हैं। धन्यवाद्।

    ललिताः सुरेश जी ने आगे लिखा है कि चार अप्रैल को फिनलैंड की यात्रा पर गए चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग का हेलसिंकी पहुंचने पर भव्य स्वागत हुआ। बाद में शी चिनफिंग ने हवाई अड्डे पर फिनलैंड की स्वतंत्रता की सौंवीं वर्षगांठ पर फिनलैंड सरकार और जनता को बधाई दी। इस मौके पर उन्होंने कहा कि चीनी जनता और फिनलैंड की जनता एक दूसरे के प्रति सौहार्दपूर्ण भावना रखती है। फिनलैंड सबसे पहले चीन के साथ राजनयिक संबंध कायम करने वाले पश्चिमी देशों में से एक है और फिनलैंड ने सबसे पहले चीन के साथ सरकारी व्यापार समझौता संपन्न किया था। राजनयिक संबंध स्थापना से अब तक के 67 सालों में वैश्विक स्थितियों में व्यापक परिवर्तन के बावजूद चीन और फिनलैंड के संबंधों का लगातार विकास होता रहा है।

    सीआरआई हिन्दी वेबसाइट पर पोस्ट हूमिनजी का लेख पढ़ कर यह भी ज्ञात हुआ कि फिनलैंड के हेलसिंकी विश्वविद्यालय में सन् 2007 में कन्फ्यूशियस अकादमी की स्थापना की गयी थी। इधर के वर्षों में इस अकादमी ने फिनलैंड वासियों में चीनी भाषा और चीनी संस्कृति का विस्तार करने और चीनी अध्ययन को बढ़ावा देने के संदर्भ में व्यापक योगदान दिया है। इधर के वर्षों में कन्फ्यूशियस अकादमी के सैंकड़ों छात्र स्नातक हो चुके हैं।

    अनिलः सुरेश अग्रवाल जी आगे लिखते हैं कि 6 अप्रैल को "बाल-महिला स्पेशल" ध्यानपूर्वक सुना, जिसके तहत एंजल बाल कोरस की कहानी सुनी, दिलचस्प लगी। चीन ही नहीं, विश्व में बहुत सारे लोग यह चाहते हैं कि उनके बच्चे दूसरे बच्चों से अलग होकर ज्यादा श्रेष्ठ बनें। इस परिप्रेक्ष्य में कोरस की अध्यक्ष सोंग इंगफ़ांग का यह कहना बहुत अच्छा लगा कि हमारी मांग यह है कि कोरस में मैं नहीं हूं, केवल हम होते हैं। हम बचपन से यह शिक्षा लेते आए हैं। हमारे बच्चे तो हमारी संपत्ति हैं। एक अच्छा अध्यापक बच्चों की जिन्दगी को बदल सकता है। हमें एंजल बाल कोरस की अध्यक्ष सोंग इंगफ़ांग का कोरस के प्रति समर्पण अच्छा लगा। यह जान कर आश्चर्य होता है कि उन्होंने महज़ छह साल की आयु में कोरस में प्रवेश किया और कई वर्षों बाद पेइचिंग में एक प्रसिद्ध मीडिल स्कूल में संगीत की शिक्षा ली और स्नातक होने के बाद वे संगीत की एक अध्यापिका बनी, परन्तु उनका जीवन कभी भी कोरस से अलग नहीं हो सकता। यह जान कर तो और अच्छा लगा कि उन्होंने वर्ष 2012 में जंगली जानवरों की रक्षा के लिये एक चैरिटी सॉग भी गाया। उनकी इस कदम ने स्वयंसेवा संगठनों का ध्यान भी अपनी ओर खींचा। वास्तव में सोंग के मन में बहुत पहले से ही इस तरह की स्वयंसेवा का सपना पैदा हुआ था। चीन जैसे देश में जानवरों के प्रति इतना दयाभाव रखना अपने आप में एक मिसाल है। धन्यवाद् अच्छी प्रस्तुति के लिये।

    ललिताः सुरेश लिखते हैं कि साप्ताहिक "चीन का तिब्बत" भी पूरे मनोयोग से सुना, जिसके तहत तिब्बती जाति की सांस्कृतिक धरोहर और अद्भुत पारम्परिक ख़ज़ाने "तिब्बती ओपेरा" पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की गयी। वास्तव में, तिब्बती ओपेरा सिर्फ़ तिब्बत में ही नहीं, पूरे देश में लोकप्रिय रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार प्राचीनकाल में तिब्बती ओपेरा में आम तौर पर बौद्ध-ग्रंथों की पौराणिक कथाएं ही शामिल थीं और यह भी धार्मिक गतिविधियों का एक भाग था। बाद में तिब्बती ओपेरा को मंदिर में से निकाल कर संस्कृति कला का प्रदर्शन बनाया गया है।

    कार्यक्रम में तिब्बती जातीय कला संस्थान के भूतपूर्व प्रधान ल्यू ची चुन, जिन्होंने तिब्बती ओपेरा और तिब्बती बौद्ध-धर्म पर लम्बा अनुसंधान किया है और इस क्षेत्र में उनका खूब नाम है, उनके विचार में तिब्बती ओपेरा तिब्बती बौद्ध-धर्म से प्रभावित होता रहा है और इसके पारंपरिक प्रदर्शनों की सूची तिब्बत के स्थानीय धर्म और बौद्ध-धर्म के देवी-देवताओं और उनकी कहानियों से भरी हुई थी।

    प्रधान ल्यू ची चुन के अनुसार तिब्बती ओपेरा लोक-कला है जिसका धर्म के साथ घनिष्ठ संबंध बना हुआ है। तिब्बती संस्कृति का मुख्य अंक भी तिब्बती बौद्ध-धर्म पर आधारित है, इसलिय तिब्बती ओपेरा की कहानियां आम तौर पर बौद्ध-धर्म ग्रंथों, लोक-कथाओं और ऐतिहासिक कहानियों से संबंधित हैं, जो कि धार्मिक सामग्री और धार्मिक रस्मों से भरी हुई हैं। तिब्बती ओपेरा पर इतनी सूक्ष्म जानकारी प्रदान करने हेतु हार्दिक धन्यवाद।

    अनिलः कार्यक्रम "दक्षिण एशिया फ़ोकस" के अन्तर्गत आज गत सप्ताह प्रसारित अंक में पेश जानकारी को दोहराया जाना ठीक नहीं लगा, जिसमें उत्तरप्रदेश के नये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की काम करने की ताबड़तोड़ शैली पर वरिष्ठ पत्रकार उमेश चतुर्वेदी के विचार पेश किये गये थे।

    साप्ताहिक "आपकी पसन्द" का पूरा मज़ा लिया। हर बार की तरह आज के अंक में भी श्रोताओं के पसन्दीदा फ़िल्मी नग़मों के साथ दी गई जानकारी अत्यन्त रुचिकर और ज्ञानवर्द्धक लगी। फ़िल्म –आशिक़ी, मधुमति, स्वर्ग-नरक, मुस्कुराहट, गर्दिश और परख के गानों के साथ जो जानकारी दी गयी, वह निश्चित तौर पर अन्य दिनों से हट कर और लोगों को गुमराह होने से बचाने वाली थी। जी हां, डिज़िटल मीडिया मार्केटिंग में ज़ुर्म की दुनिया किस प्रकार अपना कारोबार चला रही है, इस पर जो जानकारी आप ने दी, इससे पहले कहीं और से सुनने को नहीं मिली। फ़ेसबुक और ट्विटर पर लाइक्स और ट्रेण्ड की ख़रीदी-बिक्री का गोरखधंधा चौंकाने वाला लगा। इसके अलावा सर्च इंजिन और गूगल की सच्चाई तो और भी हैरान करने वाली थी। सचमुच, हर रोज़ कितने ही अंजान लोग सोशल मीडिया पर होने वाली इस धोखाधड़ी का शिकार होते होंगे। सवाल यह उठता है कि क्या हमारी सरकार ऐसी ग़ैरक़ानूनी गतिविधियों से अनभिज्ञ है ? यदि नहीं, तो फिर उन पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने में देर किस बात की है ? मैं सीआरआई हिन्दी पर प्रसारित इस तमाम जानकारी को जनहित में ज़ारी एक अत्यन्त महत्वपूर्ण सूचना के तौर पर लेते हुये उसके प्रति हार्दिक कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ। आपसे गुज़ारिश है कि व्यापक जनहित में उक्त जानकारी को अपनी वेवसाइट पर भी पोस्ट करें। धन्यवाद्।

    ललिताः सुरेश ने आगे लिखा है कि साप्ताहिक "सन्डे की मस्ती" भी ध्यानपूर्वक सुना, जिसके प्रारम्भ में 'तुम मेरी आँखें हो' शीर्षक मधुर चीनी गीत से किये जाने के बाद भारत से बोआओ एशिया मंच में भाग लेने गयीं मायडाला डॉट कॉम की मुख्य कार्यकारी अधिकारी अनिशा सिंह से सपनाजी द्वारा लिया गया विशेष साक्षात्कार सुना, जो कि अत्यन्त महत्वपूर्ण लगा। यह जान कर अच्छा लगा कि अनिशाजी जी अपनी कम्पनी में महिला उद्यमियों को अग्राधिकार देती हैं। ई-कॉमर्स के क्षेत्र में चीन और भारत के बीच सहयोग बढ़ाये जाने की संभावनाओं पर उनके विचार काफी उत्साहवर्धक लगे। मुझे उनका यह कहना भी सही जान पड़ा कि अमेरिका के नये राष्ट्रपति की विश्व-व्यापार नीति सहयोगपूर्ण नहीं है, ऐसी स्थिति में चीन और भारत के बीच आपसी सहयोग बढ़ाने का यह एक अच्छा मौक़ा है। कार्यक्रम में आगे अखिलजी द्वारा पेश प्रेरक कहानी 'जमी हुई नदी' वास्तव में काफी प्रेरक और शिक्षाप्रद लगी। जब कि मनोरंजन खण्ड में इस शुक्रवार को रिलीज़ हुई हिन्दी फ़िल्म 'लाली की शादी में लड्डू दीवाना' को कैसा रेस्पॉन्स मिलेगा, इसकी बात छोड़िये, फ़िल्म का शीर्षक सुन कर लगा कि अब तो फ़िल्मकारों को फ़िल्म का सही नाम भी नहीं मिलता। हाँ, आज के कार्यक्रम में पेश तीनों ज़ोक्स एक से बढ़ कर एक लगे। धन्यवाद् फिर एक अच्छी प्रस्तुति के लिये।

    अनिलः दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल पांडेय और ललिता को दीजिए इजाजत, नमस्कार।

    ललिताः बाय-बाय।

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