tingzhongluntan170315
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अनिलः आपका पत्र मिला प्रोग्राम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल पांडेय का नमस्कार। दोस्तो, आज से आपका पत्र मिला प्रोग्राम में मेरे साथ होंगी ललिता। तो सबसे पहले हम ललिता का स्वागत करते हैं आपका पत्र मिला प्रोग्राम में।
ललिताः सभी श्रोताओं को ललिता का भी प्यार भरा नमस्कार।
अनिलः दोस्तो, आज के प्रोग्राम में सबसे पहले हम पेश करने जा रहे हैं, एनपीसी और सीपीपीसीसी पर अनिल पांडेय द्वारा लिखा गया एक लेख। जिसका शीर्षक था, चीन के सम्मेलनों से दुनिया को मिलेगी दिशा।
चीन में साल के दो सबसे बड़े सम्मेलनों एनपीसी और सीपीपीसीसी पर चीन सहित दुनिया भर के लोग नज़र गड़ाए हुए थे। राष्ट्रपति शी चिनफिंग के नेतृत्व में चीन सरकार और कम्युनिस्ट पार्टी विश्व को दिखा रहे हैं कि चीन क्या करने में सक्षम है। पिछले साल हांगचो में जी-20 के सफल आयोजन के बाद चीन के लिए यह विश्व का ध्यान आकर्षित करने का सबसे महत्वपूर्ण मंच है। यह कहने में कोई दोराय नहीं कि चीन इन दो सम्मेलनों के जरिए दुनिया को अपना महत्व और भूमिका को सही ढंग से बताने में सफल हुआ है। वैश्विक मंदी के दौर में दुनिया में आर्थिक स्थिरता कायम करने की दिशा में एनपीसी और सीपीपीसीसी के सम्मेलन बेहद अहम भूमिका निभा रहे हैं। मंदी के बावजूद चीन की वृद्धि दर 6.5 फ़ीसदी से अधिक रही है, जो कई विकसित देशों से अधिक है। ऐसे में आने वाले समय में चीन ग्लोबल स्तर पर और बड़ी रचनात्मक भूमिका निभाएगा।
इसके साथ ही चीन के सर्वोच्च प्रतिनिधियों का ध्यान जलवायु परिवर्तन, गरीबी उन्मूलन, विश्व शांति और आतंकवाद से निपटने पर है। जाहिर सी बात है कि आज चीन विश्व की दूसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति है। ऐसे में वह अपनी वैश्विक ज़िम्मेदारी को पूरी तरह समझता है। जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण प्रदूषण के मुकाबले में चीन अग्रणी योगदान दे रहा है। जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए प्रमुख तौर पर आगे आने वाले देशों में चीन भी शामिल है। जबकि प्रदूषण की समस्या को सुलझाने के लिए स्वच्छ ऊर्जा और पुनरूत्पादनीय ऊर्जा के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जा रहा है। हाल के वर्षों में चीन में साइकिलों का चलन भी तेज़ी से बढ़ा है, जो पर्यावरण को स्वच्छी करने की दिशा में बड़ा कदम कहा जा सकता है।
ललिताः इसके साथ ही अनिल पांडेय ने लिखा है कि एक पट्टी-एक मार्ग के जरिए तमाम देशों को जोड़ने की कवायद एनपीपी और सीपीपीसीसी सम्मेलनों में भी स्पष्ट रूप से सामने आयी है। आगामी मई माह में चीन में एक पट्टी-एक मार्ग पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा। चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने मीडिया से बातचीत में यह समझाने की कोशिश की है कि बेल्ट और रोड योजना सिर्फ चीन की नहीं है। इसे आगे बढ़ाने और सफलता से पूरा करने में सभी देशों को अपनी-अपनी भूमिका निभाने की जरूरत है। इस योजना से न केवल संबंधित देशों का आधारभूत ढांचा सुधरेगा, बल्कि समृद्धि भी आएगी और देशों की आपसी मैत्री भी मजबूत होगी। उम्मीद की जानी चाहिए कि चीन की इस पहल में सभी संबंधित देश भागीदार बनेंगे।
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के अंतर्राष्ट्रीय मामलों के प्रोफेसर स्वर्ण सिंह ने सीआरआई के साथ बातचीत में कहा कि तमाम विशेषज्ञ राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग की एक पट्टी-एक मार्ग योजना की तुलना अमेरिका के मार्शल प्लान से कर रहे हैं। मार्शल प्लान का लाभ यूरोप के साथ-साथ अमेरिका को भी मिला। ठीक उसी तरह एक पट्टी-एक मार्ग योजना का फायदा विश्व के विभिन्न देशों के साथ-साथ चीन को भी मिलेगा। मार्शल प्लान को द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 1948 में यूरोप की बहाली के लिए शुरू किया गया था।
पेइचिंग में चल रहे उक्त दो खास सम्मेलनों में कुछ अहम मुद्दों पर ध्यान देना जरुरी है। मसलन चीन के विशेष प्रतिनिधि इसके जरिए देश की आंतरिक समस्याओं को सुलझाने के लिए ज़ोर-शोर से योजनाओं का खांका तैयार करने में जुटे हैं। गरीबी उन्मूलन पर भी चीन के उच्च नेताओं का ध्यान है। हाल के वर्षों में चीन सरकार ने खुशहाल समाज के निर्माण के लिए सराहनीय कदम उठाए हैं। गरीब और पिछड़े इलाकों के विकास पर विशेष ज़ोर दिया जा रहा है। इसमें तिब्बत और चीन के पश्चिमी क्षेत्रों का उदाहरण दिया जा सकता है। पिछले कुछ दशकों में करोड़ों लोगों को गरीबी के जाल से मुक्त करने में चीन कामयाब हुआ है। यह दूसरे देशों के लिए एक सबक की तरह है।
जैसा कि हम जानते हैं कि चीन लगभग दो दशक तक अपनी विकास दर को दोहरे अंकों में स्थिर रखने में कामयाब रहा। दुनिया भर में छायी मंदी के बाद भी चीन का प्रदर्शन अच्छा है। पिछले कुछ समय से चीन ने अपना ध्यान सामान्य ग्रोथ से क्वालिटी ग्रोथ और आर्थिक स्थिरता कायम करने पर लगाया है। पेइचिंग में जारी दो सम्मेलनों में यह बात स्पष्ट हुई।
अनिलः इसके अलावा उक्त दो सम्लेलनों में निचले तबके और समाज के कमजोर वर्गों का प्रतिनिधित्व बढ़ चुका है, जबकि पारदर्शिता पर भी ध्यान है। वहीं भ्रष्टाचार से सख्ती से लड़ने की राष्ट्रपति शी चिनफिंग की मुहिम को एनपीसी और सीपीपीसीसी में व्यापक समर्थन मिला है। इससे स्पष्ट हो जाता है कि आने वाले समय में भी चीन सरकार और कम्युनिस्ट पार्टी देश को भ्रष्टाचार मुक्त करने के लिए अभियान जारी रखेगी।
वहीं चीन विश्व को भी शांति, सुरक्षा और एकता का संदेश दे रहा है। ऐसे वक्त में जब दुनिया आतंकवाद की विभीषिका को झेल रही है। कोरिया प्रायद्वीप में स्थिति तनावपूर्ण है। अमेरिका और दक्षिण कोरिया द्वारा थाड मिसाइल रक्षा प्रणाली की तैनाती की तैयारी की जा चुकी है। वहीं उत्तर कोरिया भी बार-बार मिसाइल परीक्षण कर तनाव बढ़ाने का ही काम कर रहा है। इस लिहाज से एशिया ही नहीं विश्व में भी चीन की भूमिका महत्वपूर्ण है। कुल मिलाकर कहा जाए तो एनपीसी और सीपीपीसीसी ने न केवल चीन के अंदरूनी मसलों को हल करने की योजनाएं तैयार करने में बड़ी पहल की है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय चिंताओं पर भी ध्यान दिया है।
दोस्तो, इस लेख के बारे में आपकी क्या राय है, हमें पत्र भेजकर बता सकते हैं।
ललिताः अब पेश करते हैं, प्रोग्राम में पत्र पढ़ने का सिलसिला। पहला पत्र हमें आया है केसिंगा उड़ीसा से मॉनिटर सुरेश अग्रवाल का।
उन्होंने लिखा है कि 6 मार्च को आपका प्रोग्राम सुना। वैसे तो मैं हमेशा आपके साथ जुड़ा रहता हूं। लेकिन सम-सामयिक मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त करने की इच्छा हमेशा रहती है।
जैसे कि वर्तमान पेइचिंग में चल रहे 12वीं एनपीसी के 5वें पूर्णाधिवेशन पर पूरी दुनिया का ध्यान है, ऐसे में स्वाभाविक है कि उस पर हम भी अपने विचार आपके समक्ष रखें।
12वीं एनपीसी का 5वां पूर्णाधिवेशन 5 मार्च की सुबह पेइचिंग में उद्घाटित हुआ। चीनी प्रधानमंत्री ने उद्घाटन समारोह में सरकारी कार्य रिपोर्ट पेश की और 2017 चीन के मुख्य कार्यों पर व्याख्यान किया। रिपोर्ट में यह तय किया गया है कि इस वर्ष चीन की आर्थिक वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहेगी, उपभोक्ता कीमतों में 3 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी, शहरों और कस्बों में 1 करोड़ 10 लाख नए रोजगार का सृजन किया जाएगा। रिपोर्ट पर पूर्णाधिवेशन में भाग लेने वाले सीपीपीसीसी के तमाम सदस्यों द्वारा सरकारी कार्य रिपोर्ट एवं चीन की अर्थव्यवस्था में भरोसा जताया गया है। वहीं 7 मार्च को साप्ताहिक "चीन-भारत आवाज़" भी गौर से सुना, जिसके तहत आज भारत में पारित आम बज़ट तथा चीन में ज़ारी एनपीसी और सीपीपीसीसी के महाधिवेशन पर दोनों देशों की तुलनात्मक नीतियों पर पत्रकार प्रवीण गुप्ता से हूमिन जी द्वारा ली गयी भेंटवार्ता सुनी, काफी महत्वपूर्ण लगी, परन्तु सभी सवाल पुराने थे, जो कि आम तौर पर पहले भी कई बार दोहराये जा चुके थे। कृपया कुछ नई बात जोड़ने का कष्ट करें। धन्यवाद्।
कार्यक्रम "नमस्कार चाइना" की शुरुआत 'एकमात्र प्यार है तुम से' शीर्षक चीनी गीत से किया जाना अच्छा लगा। तत्पश्चात "प्रगति की राह पर अग्रसर चीन" शीर्षक रिपोर्ट सुनी, जो कि चीनी-नीतियों का वास्तविक रोडमैप कही जा सकती है, क्यों कि उसमें चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग एवं प्रधानमंत्री ली खछ्यांग द्वारा पेश सरकारी कार्य रिपोर्ट का विस्तृत खाका नज़र आया। कार्यक्रम में आगे 'महानायकों का चीन' स्तम्भ के तहत ईसा पूर्व 475 में जन्में चीनी महाकवि छ्यू युवेन् के जीवन एवं उनकी महान रचनाओं से अवगत कराया गया। यह जान कर दुःख हुआ कि अंततः व्यवस्था से तंग आकर महाकवि को आत्महत्या करनी पड़ी।
अनिलः वह आगे लिखते हैं कि आज 8 मार्च को सीआरआई हिन्दी के कार्यक्रमों में फ़ेरबदल किये जाने सम्बन्धी सूचना दी गयी। हमें नये कार्यक्रमों का उत्सुकता से इंतजार रहेगा। साप्ताहिक "विश्व का आइना" के तहत हाल ही में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय कमेटी कार्यालय और चीनी राज्य परिषद के कार्यालय द्वारा मोबाइल इंटरनेट के स्वस्थ और सुव्यवस्थित रूप से आगे निकलने के लिए ज़ारी मत पर मैडम श्याओ यांग की रिपोर्ट सुनी, महत्वपूर्ण लगी। वास्तव में यह सरकार द्वारा मोबाइल इंटरनेट के क्षेत्र में जारी एक ऐसा दस्तावेज़ है, जिसे सब से अहम दस्तावेज कहा जा सकता है। जिसके माध्यम से यह पता चलता है कि चीनी मोबाइल इंटरनेट के जन-जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव, सृजन विकास, तकनीकी उपलब्धियां, सुरक्षा और जोखिम से रोकना आदि कदम। जबकि "बाल-महिला स्पेशल" भी ध्यानपूर्वक सुना, जिसके तहत जनवृहद भवन में चल रहे एनपीसी अधिवेशन के दौरान महिला दिवस के मौके पर विशेष कार्यक्रम आयोजित करने वाली रिपोर्ट खास लगी। कार्यक्रम सुन कर यह भी पता चला कि चीन में दुनिया की सबसे अधिक महिला सीईओ हैं और यहाँ महिलाओं की कुल आबादी 67 करोड़ से अधिक है, जो कि चीन की कुल आबादी का 48 प्रतिशत है। साप्ताहिक "चीन का तिब्बत" भी गौर से सुना। परंपरागत पंचांग के अनुसार इस वर्ष 27 फ़रवरी को तिब्बती नया साल मनाया गया था और तिब्बत में उसकी ख़ूब धूम रही। परन्तु आज का कार्यक्रम सुन कर पता चला कि तिब्बत ही नहीं, इस मौके पर विश्व के अन्य भागों में रहने वाले तिब्बती लोग भी पारंपरिक त्योहार की खुशियां मनाते हैं। वहीं कार्यक्रम "दक्षिण एशिया फ़ोकस" के अन्तर्गत भारत में सम्पन्न पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव और उसकी तमाम पेचीदगियों का वरिष्ठ पत्रकार उमेश चतुर्वेदी द्वारा किया गया विवेचन अहम लगा। मैं उमेशजी की राय से पूरी तरह सहमत हूँ कि भारत में वोट के लिये मुसलमानों को डराने की राजनीति बन्द होनी चाहिये। धन्यवाद् एक अच्छे विश्लेषण के लिए।
ललिताः दोस्तो, प्रोग्राम को आगे बढ़ाते हुए पेश करते हैं, अगला पत्र। जिसे भेजा है, पश्चिम बंगाल से मॉनिटर रविशंकर बसु ने। बसु ने पत्र भेजकर इस बात के लिए खेद जताया है कि इन दिनों वह प्रोग्राम के बारे में लगातार टिप्पणी नहीं भेज पा रहे हैं। इसकी वजह उनकी भाभी का बीमार होना है, उनके ईलाज के लिए बसु जी को भी चेन्नई जाना पड़ा है। हम उम्मीद करते हैं कि आपकी भाभी की तबियत में जल्द सुधार होगा और आप फिर से सक्रियता से पत्र भेज सकें।
हालांकि जो पत्र हम आज पेश कर रहे हैं, वह पहले लिखा हुआ प्रतीत होता है। उन्होंने लिखा है कि 8 मार्च को "विश्व का आईना" प्रोग्राम और उसके बाद अनिल पांडेय जी और हैया जी द्वारा पेश साप्ताहिक "आपका पत्र मिला" प्रोग्राम सुना।
"विश्व का आईना" प्रोग्राम में पहली रिपोर्ट में मैडम श्याओ यांग जी ने चीन में मोबाइल इंटरनेट से जुड़े चीनी राज्य परिषद द्वारा जारी "मोबाइल इंटरनेट के स्वस्थ और सुव्यवस्थित विकास को आगे बढ़ाने के बारे में राय" शीर्षक एक रिपोर्ट को लेकर चर्चा की, जो मुझे बहुत ही सूचनाप्रद लगी। रिपोर्ट में बताया गया है कि मोबाइल इंटरनेट कैसे चीनी नागरिकों को लाभ पहुंचा सकता है, कैसे नवाचार और विकास को बढ़ावा दे सकता है, कैसे तकनीक के क्षेत्र में नई पहचान स्थापित कर सकता है और कैसे सुरक्षा के खतरे की रोकथाम कर सकता है।
इसके साथ ही दूसरी रिपोर्ट में सुना है कि DNA में अब भारत के लोगों की मौत का कारण बनने वाली Kill-fie (किल्फी) का विश्लेषण करेंगे। Killfie कोई प्रचलित शब्द नहीं है, बल्कि इसे Kill और Selfie को मिलाकर बनाया गया है। जब सेल्फी लेने की आदत मौत की वजह बन जाती है तो उसे Kill-fie कहा जाता है।
फिर भी अनुरोध है कि हमें फिर एकबार "सेल्फी ले ले रे" (Bajrangi Bhaijaan) गाना सुना दीजियेगा।
अनिलः बसु जी आगे लिखते हैं कि एनपीसी और सीपीपीसीसी के वार्षिक सम्मेलन के अवसर पर प्रकाशित अनिल पांडेय जी के विशेष लेख पर मेरे विचार:
उक्त सम्मेलनों पर वरिष्ठ पत्रकार द्वारा लिखा गया "चीन के सम्मेलनों से दुनिया को मिलेगी दिशा" शीर्षक विशेष लेख मैंने पढ़ा। सबसे पहले मैं उन्हें और हिंदी सेवा को धन्यवाद देना चाहता हूं कि एनपीसी और सीपीपीसीसी के वार्षिक सत्र पर इस तरह एक मौलिक समीक्षा पेश की।
अनिल जी ने अपने लेख में सही लिखा है कि "राष्ट्रपति शी चिनफिंग के नेतृत्व में चीन सरकार और कम्युनिस्ट पार्टी विश्व को दिखा रहे हैं कि चीन क्या कर सकता है। पिछले साल हांगचो में जी-20 के सफल आयोजन के बाद चीन के लिए विश्व का ध्यान आकर्षित करने का सबसे महत्वपूर्ण मंच यही था।"
मैं अनिल जी का टिपण्णी से सहमत हूं "मंदी के बावजूद चीन की वृद्धि दर 6.5 फ़ीसदी से अधिक रही और कई विकसित देशों में ऐसा नहीं हो पाया।
वहीं 5 मार्च को 12वीं एनपीसी के 5वें पूर्णाधिवेशन के उद्घाटन समारोह में चीनी प्रधानमंत्री ने सरकारी कार्य रिपोर्ट पेश की। उन्होंने पिछले एक साल में सरकार के कार्य का सारांश दिया और 2017 वार्षिक सरकारी नीति का रोड मैप बतलाया। इस रिपोर्ट में यह तय किया गया कि इस वर्ष चीन की आर्थिक वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहेगी, जबकि 1 करोड़ 10 लाख नए रोजगार के मौके भी प्रदान किए जाएंगे।
ललिताः वहीं चीन द्वारा प्रस्तावित "बेल्ट और रोड पहल" के बारे में अनिल जी का विचार है कि "एक पट्टी-एक मार्ग को आगे बढ़ाने और सफलता से पूरा करने में सभी देशों को अपनी-अपनी भूमिका निभाने की जरूरत है। इस योजना से न केवल संबंधित देशों का आधारभूत ढांचा सुधरेगा, बल्कि समृद्धि भी आएगी और देशों की आपसी मैत्री भी मजबूत होगी। उम्मीद की जानी चाहिए कि चीन की इस पहल में सभी संबंधित देश भागीदार बनेंगे।"
अनिल जी ने विश्व में शांति के रखरखाव कार्य में चीन की महत्वपूर्ण भूमिका की प्रशंसा की है। इस लेख में कहा गया है कि "चीन विश्व को भी शांति, सुरक्षा और एकता का संदेश दे रहा है। ऐसे वक्त में जब दुनिया आतंकवाद की विभीषिका को झेल रही है। कोरिया प्रायद्वीप में स्थिति तनावपूर्ण है। इस लिहाज से एशिया ही नहीं विश्व में भी चीन की भूमिका महत्वपूर्ण है।"
एनपीसी और सीपीपीसीसी के वार्षिक सम्मेलन पर इस विशेष लेख के लिए अनिल जी को हार्दिक धन्यवाद।
अनिलः बसु, अपनी टिप्पणी हम तक पहुंचाने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया।
अब पेश करते हैं प्रोग्राम का अगला पत्र, जिसे भेजा है, दरभंगा बिहार से शंकर प्रसाद शंभू ने। उन्होंने लिखा है कि हमारे क्लब के सभी सदस्य आपका प्रोग्राम सुनते हैं। गत् 3 मार्च की रिपोर्ट सुनी। जिसमें चीन का तिब्बत में नींगची टर्मिनल भवन का प्रयोग शुरू होने के बाद इस क्षेत्र में पर्यावरण पर्यटन का विकास होने के बारे में रिपोर्ट सुनी। नींगची की सरकार ने पर्यावरण से जुड़े पर्यटन को गरीबी उन्मूलन कार्यों के साथ जोड़कर स्थानीय निवासियों को होम होटल, रेस्त्रां और हस्तशिल्प दुकानें आदि खोलने के लिए प्रोत्साहित किया। वहीं 4 मार्च को आपकी पसंद में रहस्यमय जानकारी दी गई। जिसके तहत समुद्र के अंदर से कई बार ऐसी चीजें भी मिली हैं, जो हैरान करने वाली होती हैं। हैरानी वाली बात है कि पूरे वर्ल्ड में केवल १० प्रतिशत ही ऐसे समुद्र हैं, जिनको आज तक एक्सप्लोर किया गया है। जबकि 6 मार्च को पेश चीनी कहानी में शिष्टाचारी की हद और नकली वाद्य वादक नाम की नीति कथा अच्छी लगी। वास्तव में केवल ईमानदारी और मेहनत से काम करने पर ही सही फल मिल सकता है। एक बेहतरीन प्रोग्राम पेश करने के लिए फिर से धन्यवाद।
शंभू जी, पत्र भेजने के लिए धन्यवाद।
अनिलः दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल पांडेय और ललिता को आज्ञा दीजिए, नमस्कार।
ललिताः बाय-बाय।