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    आपका पत्र मिला 2017-02-15
    2017-03-05 16:33:45 cri

    अनिल:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल का नमस्कार।

    हैया:सभी श्रोताओं को हैया का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिल:दोस्तो, पहले की तरह आज के कार्यक्रम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे।

    चलिए श्रोताओं के पत्र पढ़ने का सिलसिला शुरू करते हैं। पहला पत्र हमें आया है, पश्चिम बंगाल से मॉनिटर रविशंकर बसु का। उन्होंने लिखा है. . . . . .

    (paper)

    हैया:बसु जी, पत्र भेजने के लिये बहुत धन्यवाद। आगे पेश है उड़ीसा से मॉनिटर सुरेश अग्रवाल जी का पत्र। उन्होंने लिखा है. .

    केसिंगा दिनांक 8 फ़रवरी को समाचारों के बाद पेश "विश्व का आइना" भी हमने ध्यानपूर्वक सुना, जिसके तहत मैडम श्याओ यांग द्वारा -'बाई न्येन', जो कि वसंतोत्सव में चीन का पारंपरिक रीति-रिवाज है और जिसके तहत नए साल के अवसर पर लोग एक-दूसरे को बधाई व शुभकामनाएं देते हैं, पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की गई। आम तौर पर नव-वर्ष के पहले दिन, घर के बड़े लोग छोटे लोगों को लेकर रिश्तेदारों, मित्रों या वृद्धों से मिलने जाते हैं और शुभ वाक्यों में नए साल का अभिवादन करते हैं। छोटे लोगों को दंडवत् प्रणाम करके सलामी देना है। चीनी लोग इसे"बाई न्येन" कहते हैं। मेज़बान केक, मिठाई एवं लाल लिफ़ाफ़े में पैसे( या स्विई छ्येन) देकर आतिथ्य करते हैं। नव वर्ष के पहले दिन सुबह, लोग उठने के बाद नए कपड़े पहनते और द्वार खोलते समय पटाखे छोड़ते हैं। फिर रिश्तेदारों या मित्रों के घर जाकर एक दूसरे को नए साल की बधाई व शुभकामनाएं देते हैं। प्राचीन काल में"बाई न्येन"का अनुक्रम होता थाः सब से पहले स्वर्ग व धरती की पूजा की जाती थी, फिर पूर्वजों को श्रद्धांजलि दी जाती थी, फिर माता-पिता को शुभकामना दी जाती थी, इस प्रकार के तमाम कर्म के बाद बाहर जाकर रिश्तेदारों या मित्रों से मिलने जाते थे और एक दूसरे को शुभकामना दी जाती थी। यह प्रथा भी प्रचलित थी कि नए साल के प्रथम दिन, लोग अपने घर के वृद्धों का अभिवादन करते थे, दूसरे दिन पत्नी के साथ ससुर के घर जाते थे और उन्हें को अभिवादन देते थे, तीसरे दिन, रिश्तेदारों को बधाई देने जाते थे। इसी तरह"बाई न्येन" 15वें दिनों तक चलता था। पुराने समय में "बाई न्येन" व "ह न्येन" का अलग अलग अर्थ था। "बाई न्येन" का अर्थ था कि नयी पीढ़ी के लोग वृद्धों को शुभकामना देते थे, जबकि "ह न्येन" का अर्थ था सम पीढ़ी में एक-दूसरे को शुभकामना देना। सुंग राजवंश में रिश्तेदार या मित्र एक-दूसरे को छ्वुन थ्येई ( वसंतोत्सव का बधाई कार्ड) देकर नए साल की शुभकामना देते थे। हो सकता है कि यह सब से पुराना बधाई कार्ड होगा। मिंग राजवंश में बधाई कार्ड की डिज़ाइन और सुन्दर हो गयी। कार्ड पर न केवल कार्ड देने वाले व्यक्ति का नाम-पता होता था, बल्कि "नया साल मुबारक" और "गूड लक" जैसे वाक्य भी लिखे जाते थे।

    कार्यक्रम सुन कर पता चला कि -साल में छोटी पीढ़ी के लोग जब बड़ी पीढ़ी के लोगों को नए साल की शुभकामना देते हैं, तो बड़े लोग "या स्विई छ्येन" ( त्योहार के उपहार के रूप में पैसा) को छोटे लोगों को देते हैं, जिस का तात्पर्य है नए साल का आशीर्वाद। कहा जाता है कि "या स्विई छ्येन" दुष्टात्मा को दबा सकता था। चूंकि पुराने समय में यह माना जाता था "व" "का" उच्चारण एक जैसा है, इसलिए("या स्विई छ्येन - उपहार का पैसा")का अर्थ यह भी निकाला जा सकता है("या स्विई छ्येन - दुष्टात्मा को दबाने का पैसा")। "या स्विई छ्येन" मिलने के बाद छोटे लोग अमन-चैन से नया साल बिता सकेंगे। वृद्धों को शुभकामना देने के बाद छोटी पीढ़ी के लोगों को "या स्विई छ्येन" दिया जा सकता है, या नव-वर्ष की पूर्वरात्रि में बड़े लोग चुकचाप से बच्चों के तकिये के नीचे रख भी सकते हैं। चीनी जनता इसलिए "या स्विई छ्येन" को बच्चों के तकिये के नीचे रख देते हैं कि जिससे दुष्टात्मा को दबाया जा सकता है।

    लोगों की उम्मीद है कि यदि भूत-प्रेत या "न्येन" बच्चों को नुकसान पहुंचाने आते हो, तो बच्चे इन पैसों से उसे रिश्वत देकर अपने को बचा सकेंगे। निसंदेह इसमें बड़ी पीढ़ी के लोगों द्वारा अपनी संतान को दी गयी कामनाएं भी निहित है कि नव -वर्ष में बच्चे खुश रहे और स्वस्थ हो।

    कार्यक्रम में वसंतोत्सव के बाद आने वाले चीन के दूसरे अहम त्योहार आने -य्वानश्याओ उत्सव पर भी महती जानकारी दी गई। चीनी चंद्र पंचांग के अनुसार नव-वर्ष के पहले माह की 15वीं तारीख को य्वानश्याओ उत्सव यानी लालटेन उत्सव मनाया जाता है। चीनी भाषा में चीनी कलेंडर में पहले माह को य्वानय्यो कहा जाता है और लालटेन उत्सव य्वानश्याओ में से श्याओ का मतलब रात है। य्वानय्यो माह के पंद्रहवें दिन की रात साल की प्रथम पूर्णिमा रात्रि है, अतएव इस रात को चीनी लोग य्वानश्याओ उत्सव के रूप में मनाते हैं, य्वानश्याओ नामक एक विशेष किस्म का पकवान खाते हैं और रात को सुन्दर लालटेनों की प्रदर्शनी देखने का आनंद लेते हैं। सो य्वानश्याओ उत्सव को लालटेन उत्सव भी कहा जाता है।

    कार्यक्रम में त्यौहार के मौक़े पर आवश्यक तौर पर किये जाने वाले -शेर नृत्य प्रदर्शन पर भी अनूठी जानकारी हासिल हुई। वास्तव में, शेर नृत्य का श्रीगणेश उत्तर व दक्षिण राज्य काल में हुआ था, थांग राजवंश तक यह एक किस्म का सौ व्यक्तियों वाला सामूहिक नृत्य बन गया था। यह भी जाना कि शेर नृत्य चीन में एक किस्म का परम्परागत खेल इवेंट ही नहीं, परम्परागत सांस्कृतिक कला भी है।

    चाहे उत्तर चीन हो या दक्षिण चीन, शहर हो या गांव, सभी स्थानों में त्योहार और समारोह के दिनों शेर नृत्य दर्शाया जाता है। कहते हैं कि शेर नृत्य से प्रबल रूप से लोगों की खुशी जाहिर होती है और उत्साह का माहौल बढ़ा देता है। दक्षिण चीन के क्वांगतुंग प्रांत में शेर नृत्य सब से लोकप्रिय है। नृत्य के लिए बनाया नकली शेर देखने में प्रतापी और शक्तिशाली दिखता है और हाव-भाव परिवर्तनशील और जीता जागता लगता है। क्वांगतुंग वासी इसे "जागृत शेर" कहते हैं। धन्यवाद् इस अत्यन्त सूचनाप्रद प्रस्तुति हेतु।

    श्रोताओं के अपने मंच साप्ताहिक "आपका पत्र मिला" के अन्तर्गत श्रोताओं को यथावत स्थान दिया जाना तो आपने ज़ारी रखा, परन्तु श्रोता निरन्तर कुछ नये की उम्मीद और मांग कर रहे हैं। सम्भवतः श्रोताओं का इशारा कोई बड़ी रेडियो प्रतियोगिता आयोजित कराये जाने की ओर है। धन्यवाद्।

    केसिंगा दिनांक 10 फ़रवरी को साप्ताहिक "चीन का तिब्बत" के तहत आज चीन के छींगहाई प्रांत के गोलो तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र, जिसे राजा गेसार की जन्मभूमि माना जाता है, वहां गोलो सरकार की स्थापना की साठवीं जयंती पर आयोजित विशेष कार्यक्रम पर पेश रिपोर्ट महत्वपूर्ण लगी। इस आयोजन में हज़ारों की संख्या में तिब्बती लोग त्योहार की वेशभूषा में घासमैदान पर इकट्ठे हुए और उन्होंने नाचते-गाते त्यौहार की खुशियां व्यक्त कीं। कार्यक्रम में छींगहाई प्रांत के गोलोक तिब्बती स्वायत्त प्रिफेक्चर की मातो काउण्टी में जन्में चिगमे ट्रिनले, जो कि कला मंडल में गायक के रूप में इधर उधर प्रदर्शन करता है, पर महती जानकारी प्रदान की गई।

    वास्तव में, लोग उसकी अनूठी भूमिका, चेहरे पर उज्ज्वल मुस्कान और ईमानदार चरित्र को देखते हैं। और ऐसा क्यों न हो, चिगमे गानों में अपनी जन्मभूमि के प्रति प्यार की भावना जो झलकती है। चिगमे पर विस्तृत जानकारी देने का शुक्रिया।

    इसके अलावा मातो काउण्टी के बारे में दी गई संक्षिप्त जानकारियां भी काफी अहम् लगीं, जिसके अनुसार मातो काउन्टी छींगहाई प्रांत के गोलोक तिब्बती स्वायत्त प्रिफेक्चर के उत्तर पश्चिम में स्थित है । तिब्बती भाषा में मातो का मतलब ही है पीली नदी का स्रोत । मातो काउण्टी का क्षेत्रफल 25 हजार 253 वर्ग किमोमीटर विशाल है । मातो काउण्टी की औसत ऊँचाई 4200 मीटर और औसत तापमान माइनस 4 डिग्री तक रहता है । मातो काउण्टी की वार्षिक औसत वर्षा मात्रा 300 मिलीमीटर है । चीन की मशहूर पीली नदी का स्रोत यहां स्थित है और अलिंग झील और जेडलिंग झील आदि असंख्य झीलें भी मातो में फैली हुई हैं।

    सन 2013 के आंकड़ों के अनुसार मातो काउण्टी की जनसंख्या केवल 14 हजार पाँच सौ थी और इस काउण्टी के कुल छह टाउनशिपों में सब से बड़े क्षेत्र की जनसंख्या भी दो हजार से कम है। जनसंख्या का 92 प्रतिशत तिब्बती जाति है और अस्सी प्रतिशत लोग किसान या चरवाहे हैं। तिब्बती के अलावा मातो काउण्टी में हान, मंगोलियाई, सारा और म्याओ जाति सहित कुल आठ जातियां मौजूद हैं। वर्ष 2013 के आंकड़ों के अनुसार मातो काउन्टी में कुल चार प्राइमरी स्कूल और एक मिडिल स्कूल स्थापित हैं और स्कूल में सभी निवासियों के बच्चों की भर्ती दर शत-प्रतिशत हो गयी है। मातो काउण्टी अपने सुंदर प्राकृतिक दृश्यों के लिये सुप्रसिद्ध है। आज यहां भी अनेक पर्यटन स्थल निर्मित हो गये हैं जो देश-विदेश के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं।

    कार्यक्रम "दक्षिण एशिया फ़ोकस" के तहत भारत में गत पहली फ़रवरी को पेश आम बज़ट की ख़ास बातों पर वरिष्ठ पत्रकार उमेश चतुर्वेदी के विचार सुनवाया जाना अत्यन्त महत्वपूर्ण लगा। बातचीत सुन कर यह भी जाना कि भारत में सन 1924 से 2016 तक 28 फ़रवरी को बज़ट पेश किया जाता था, पहली बार इस साल 1 फ़रवरी को ऐसा किया गया है। रेल बज़ट को आम बज़ट के साथ मिलाकर पेश करना भी पहली बार हुआ है। मोदी सरकार वित्त-वर्ष को भी अप्रैल-मार्च के बजाय जनवरी-दिसम्बर अवधि वाला बनाना चाहती है, यह जानकारी भी सूचनाप्रद लगी। धन्यवाद्।

    अनिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल और हैया को आज्ञा दीजिए, नमस्कार।

    हैया:गुडबाय।

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