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    आपका पत्र मिला 2016-12-28
    2017-03-05 16:04:37 cri

    अनिल:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल का नमस्कार।

    हैया:सभी श्रोताओं को हैया का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिल:दोस्तो, पहले की तरह आज के कार्यक्रम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे।

    चलिए श्रोताओं के पत्र पढ़ने का सिलसिला शुरू करते हैं। पहला पत्र हमें आया है, ओडिसा से हमारे मॉनिटर सुरेश अग्रवाल जी का। उन्होंने लिखा है......

    केसिंगा दिनांक 22 दिसम्बर। देश-दुनिया की अहम ख़बरों का ज़ायज़ा लेने के बाद हमने साप्ताहिक "बाल-महिला स्पेशल" का ताज़ा अंक भी ग़ौर से सुना, जिसके तहत चीन में विभिन्न स्तरीय सरकारों के सांस्कृतिक विभाग गैर-भौतिक सांस्कृतिक विरासतों पर कितना ध्यान देते हैं, इस विषय पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की गई। इस परिप्रेक्ष्य में चीन के हाएनान प्रांत के सानया क्षेत्र के एक छोटे से गांव में सीआरआई संवाददाता द्वारा प्राइमरी स्कूल में सुनी गई संगीत की कक्षा से हमें न सिर्फ़ हाएनान द्वीप में रहने वाली जनता के हंसमुख व आशावादी चरित्र, बल्कि स्थानीय पुरातन गीतों में उनका प्राकृतिक जोश, प्रेम तथा गैर-भौतिक सांस्कृतिक विरासतों के कारगर विकास में उनकी गहन कोशिशों का भी पता चलता है।

    हाएनान का मौसम अक्तूबर में गर्म होता है। सानया शहर के याचो क्षेत्र में स्थित बाओफिंग गांव चीन का प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल पृथ्वी के छोर से 20 किलोमीटर दूर है। यह याचो लोकगीत का जन्मस्थान भी है। सुबह अध्यापक माई ईबिन पुरातन शैली की एक इमारत में पहुंचे। यहां याचो लोकगीत का प्रशिक्षण व अभ्यास केंद्र है, जहां वे अकसर छात्रों को संगीत की शिक्षा देते हैं।

    53 वर्षीय माई ईबिन जन्म से ही बाओफिंग गांव में रहते हैं, और याचो लोकगीत के उत्तराधिकारी हैं। वर्ष 2006 के मई में याचो लोकगीत को पहली खेप वाले चीन के राष्ट्रीय गैर-भौतिक सांस्कृतिक विरासतों की नामसूची में शामिल किया गया। बीते कई सालों से याचो लोकगीत लोगों के ख्याल से ओझल हो गया था, इसलिये माई ईबिन को इस क्षेत्र में कोई साथी नहीं मिला। लेकिन तीन साल पहले उन्होंने सरकार व स्कूल से समर्थन पाकर बाओफिंग गांव के कांगशी प्राइमरी स्कूल में चीनी भाषा सिखाने के साथ-साथ याचो लोकगीत भी सिखाना शुरू किया। उन्होंने कहा -आज हम एक लोरी गाएंगे। जिसके बोल कुछ इस प्रकार हैं -'मां बच्चे को सुलाने के लिए गीत गाती हैं, और बच्चे को बताती हैं कि हमारे घर के सामने केले के पेड़ उगाये जाते हैं, और दादा के घर के पीछे गन्ना उगाया जाता है। केला मीठा है, और गन्ना ठंडा है। तुम्हारे सोने के बाद मैं उन्हें लाकर तुम्हें खिलाउंगी। क्योंकि यह एक लोरी है, इसलिये हमें शांतिपूर्ण व स्नेहपूर्ण रूप से इसे गाना चाहिये।

    याचो लोकगीत पहली बार चीन के सून राजवंशकाल में सुनाई पड़े और छिंग राजवंश के अंत में यह बहुत लोकप्रिय हुए, जो कि हाएनान द्वीप के दक्षिण- पश्चिम क्षेत्र के इतिहास का एक प्रतीक हैं। माई ईबिन द्वारा सिखाया गया लोरी गीत याचो लोकगीतों में शांतिपूर्ण व सौम्य संगीत शैली वाला एक गीत है। जिसमें मुख्य तौर पर अपने जन्मस्थान की सुन्दरता की प्रशंसा और कृषि उत्पादन से जुड़ी बातों का वर्णन किया गया है। माई ईबिन के अनुसार यह लोरी हाएनान द्वीप में स्थानीय पुरातन गीत और हान जाति की संस्कृति का मेल कराती है।

    माई ने कहा कि मैं स्कूल में बुजुर्ग कलाकारों द्वारा रचे गये याचो लोकगीतों की शिक्षा दे रहा हूं और विद्यार्थियों के लिये उचित चुनिन्दा गीतों को पढ़ाता हूं। शिक्षा देते समय बच्चों को कुछ तकनीक भी बतायी जाती हैं। इस सेमेस्टर में मैं स्कूल के दूसरे साल के बच्चों से लेकर पांचवें साल के विद्यार्थियों तक को लोकगीत सिखाता हूं। एक गीत में साढ़े चार वाक्य शामिल हैं। केवल दो कक्षाओं के बाद वे एक गीत गा सकते हैं। इसलिये हफ्तेभर में ही बच्चे एक गीत सीख जाते हैं।

    इस बार माई ईबिन ने प्रदर्शन के समय गांव में बच्चों की मां को भी आमंत्रित किया। माताएं कामकाजी होते हुए भी वहां पहुँचती हैं और ईबिन की कक्षा में गीत गाने का मज़ा लेती हैं। एक युवा मां ने कहा कि,मैं बैठी हुई गीत गाती हूं, चलती हुई गीत गाती हूं। हम सभी याचो लोकगीत गाना पसंद करती हैं। हम सभी किसान हैं। बचपन से ही मां-बाप ने हमें याचो लोकगीत सिखाया। हमें भी अपने आप से यह लोकगीत पसंद है। इसलिये अध्यापक माई के यहां आकर हम बहुत खुश हैं।

    जीवन जीने के पुराने तौर-तरीके धीरे-धीरे समाप्त हो रहे हैं, लेकिन लोकगीतों में गांव वासियों की खुशी बरकरार है। खेत में, यार्ड में, हर दिन वे पुरातन याचो भाषा में लोकगीत गाते हैं। वे अपने जीवन के बारे में गीत गाते हैं। यह आवाज़ पृथ्वी के छोर तक गूँज रही है। माई ईबिन ने कहा कि खास तौर पर हम लोरी सुनते-सुनते ही अपने मां-बाप की याद करते हैं। चीन में सुधार व खुलेपन के बाद तीस वर्ष से अधिक समय बीत चुका है और भिन्न-भिन्न केटीवी, डेन्स हाल, पॉप गीत, फिल्म व टीवी नाटक आदि समृद्ध संस्कृति हमारे जीवन में आ गयी, लेकिन याचो लोकगीत हमारे याचो लोगों के मन में रहता है, जो कि हमारे लिये एक अपरिहार्य आध्यात्मिक भोजन की तरह बन गया है।

    कार्यक्रम "टी टाइम" के अन्तर्गत संगीत को सपर्पित औरंगाबाद, बिहार के श्री राजेश कुमार मिश्रा से की गई बातचीत काफी उपयोगी लगी। चाहते हुए भी संगीत को अपना कॅरियर न बना पाने के मलाल के बावजूद मिश्राजी संगीत में प्रतिभा रखने वाले ज़रुरतमंद बच्चों के लिये एक स्कूल खोलना चाहते हैं, मैं उनके इस ज़ज़्बे को नमन करता हूँ। भगवान करें कि वह अपने उद्देश्य में सफल हों। इसके साथ ही उन द्वारा प्रदत्त औरंगाबाद के समीप देव प्रखण्ड में सूर्य मन्दिर होने सम्बन्धी जानकारी भी काफी सूचनाप्रद लगी। जानकारियों के क्रम में आगे ब्रिटेन में बिगड़े रईसजादों द्वारा दिखावे के लिये 75 लाख की मर्सडीज़ कार को आग के हवाले किये जाने का समाचार पीड़ादायक लगा। जब कि चीन के हन्नान प्रान्त में न दिखाई देने वाले 350 मीटर लम्बे पुल के निर्माण का समाचार उत्साहवर्धक लगा। इसके लिये चीनी इंजीनियर बधाई के पात्र हैं। आज के कार्यक्रम में पेश तीनों जोक्स भी काफी उम्दा लगे। धन्यवाद् फिर एक शानदार प्रस्तुति के लिये।

    हैया:सुरेश जी आगे लिखते हैं.... केसिंगा दिनांक 25 दिसम्बर। सर्वप्रथम आप सभी को बड़े दिन क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनाएं। ताज़ा अन्तर्राष्ट्रीय समाचारों के बाद पेश साप्ताहिक "सन्डे की मस्ती" भी हम सभी ने पूरे मनोयोग से सुना और इसे काफी सूचनाप्रद पाया। विश्व की संवेदनशील कहानी क्रम में सपनाजी द्वारा पेश रूसी लेखक अंतोन चेखव की कहानी 'वह निर्लज्ज स्त्री' का दूसरा और अन्तिम भाग भी सुना, जो कि दिल को छू गया। हैरतअंगेज़ जानकारियों के क्रम में चीन में जन्मी पहली क्लोन बकरी और उसके ऊन की विशेषताओं; चीन में 140 किलोग्राम वज़नी महिला को प्रसव कराने सोलह डॉक्टरों की टीम को मशक्क़त करनी पड़ी; अब चीन ने बनाया पहले से भी ख़तरनाक पुल आदि जानकारियां वास्तव में, हैरान करने वाली लगीं। वैसे अद्भुत पुल वाली जानकारी इससे पहले भी आपके एक अन्य साप्ताहिक कार्यक्रम में 'न दिखाई पड़ने वाले पुल' के तौर पर प्रसारित की जा चुकी थी। क्रिसमस के मौक़े पर कार्यक्रम में विशेष पैकेज़ के तौर पर दी गई जानकारी भी क़ाबिल-ए-तारीफ़ लगी। मैक्सिको में गाज़र पर क्रिसमस सम्बन्धी नक्कासी उकेरने की परम्परा काफी अनूठी लगी। मनोरंजन खण्ड में इस शुक्रवार रिलीज़ हुई आमीर खान की फ़िल्म 'दंगल' की चर्चा के साथ पेश उसका प्रोमो भी ग़ज़ब का था। और हाँ, जोक्स में मेरे जोक्स को सराहना के साथ स्थान देने का शुक्रिया। धन्यवाद् फिर एक सुन्दर प्रस्तुति के लिये।

    अनिल:सुरेश जी, पत्र भेजने के लिये बहुत धन्यवाद। आगे पेश है पश्चिम बंगाल से रविशंकर बसु जी का पत्र। उन्होंने लिखा है....

    दिनांक - बुधवार 14 दिसंबर को ताज़ा समाचार सुनने के बाद मैडम श्याओ यांग जी द्वारा पेश "विश्व का आईना" प्रोग्राम और उसके बाद पंकज श्रीवास्तव जी और हैया जी द्वारा पेश साप्ताहिक "आपका पत्र मिला " प्रोग्राम सुना।

    आज "विश्व का आईना" कार्यक्रम में मैडम श्याओ यांग जी ने चीन के मध्यम वर्ग के लोगों की वास्तविक परिस्थिति को लेकर एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट पेश की। इसे सुनकर मुझे चीन के मध्य वर्ग के लोगों के जीवन की एक झलक मिली।

    चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के 18वीं राष्ट्रीय कांग्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक 2020 तक चीन में कुल घरेलू उत्पादन राशि और शहरी निवासियों की औसत आमदनी में 2010 की तुलना में दोगुनी होगी और चीन में खुशहाल समाज की स्थापना की जाएगी। वहीं 2 नवम्बर को अर्थशास्त्री खुफिया इकाई(Economist Intelligence Unit) की नयी रिपोर्ट से जाहिर है कि विश्व की दूसरी बड़ी आर्थिक इकाई होने के नाते चीन 2030 में मध्यम आमदनी वाले देश की श्रेणी में शामिल हो जाएगा। तीन चौथाई चीनी लोग मध्य वर्ग के होंगे। जुलाई 2016 की पत्रिका अर्थशास्त्री में बताया गया कि चीन में मध्य वर्ग की संख्या 22 करोड़ 50 लाख है, लेकिन अब वे विश्व में सबसे अधिक चिंता करने वाले लोग हैं। इस पत्रिका ने चीनी मध्य वर्ग के लोगों का व्याख्यान किया कि वार्षिक पारिवारिक आय 80 हजार से 3 लाख चीनी युआन, यानी 8 लाख से 30 लाख रूपए के बीच के समूह चीन का मध्य वर्ग माना जाता है।रिपोर्ट में सुना है कि वास्तव में चीन के मध्य वर्ग के लोग बहुत चिंतित हैं। लोगों के पास ज्यादा पैसे जमा नहीं हैं, क्योंकि उन्हें हर चीज महंगी मिलती है।

    चीनी श्रम संघ के उपाध्यक्ष सू हाईनान के मुताबिक अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में मध्य वर्ग में उसे शामिल किया जाता है। यानी कि जिनकी आय व संपत्ति समाज के मध्यम स्तर या आसपास के स्तर में होती है। इससे पता चलता है कि आज चीन में करीब 30 करोड़ से ज्यादा मध्य वर्ग के लोग हैं।

    आजकल चीन में कई लोग मध्य आमदनी फंदे के बारे में चर्चा करते रहते हैं। मध्य आमदनी फंदे का मतलब है कि देश का औसत जीडीपी हमेशा के लिए 4000 से 12000 अमेरिकी डॉलर के बीच रहा है और 12000 अमेरिकी डॉलर के ऊपर के विकसित देशों की पंक्ति में नहीं प्रवेश कर पाता है। चीन के छिनह्वा विश्वविद्यालय के चीनी अर्थतंत्र अनुसंधान केंद्र के प्रधान ली ताओख्वेई ने कहा कि हाल ही में उनके बच्चे के कुछ सहपाठियों के मां-बाप विदेशों में प्रवास करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्हें चिंता है कि बच्चे चीन में अति बड़ी प्रतिस्पर्द्धा वाली शिक्षा नहीं सह पाएंगे। उनके पास के कई मित्र वायु गुणवत्ता के बच्चों के स्वास्थ्य पर असर पड़ने से चिंतित होकर विदेशों में भी गये। और कुछ लोगों ने भविष्य की भारी चिकित्सक फीस नहीं दे पाने से चिंतित होने से औस्ट्रेलिया आदि अच्छी परिपक्व सार्वजनिक स्वास्थ्य सिस्टम होने वाले देश में स्थानांतरित होने का निर्णय लिया। अन्य कुछ लोग उनसे मिलने के बाद बार बार पूछते हैं कि क्या आरएमबी का अवमूल्यन होगा। पारिवारिक संपत्ति कैसे विदेशों में स्थानांतरित की जा सकती है। उपरोक्त स्थितियों से जाहिर है कि चीन के मध्य वर्ग के लोग बहुत चिंतित हैं।चीनी श्रम संघ के उपाध्यक्ष सू हाईनान के अनुसार, हालिया सबसे फौरी बात यह है कि हमें आमदनी के वितरण में अनुचित ढांचे को बदलना चाहिए और मध्यम वर्ग के लोगों के अनुपात का विस्तार करने की कोशिश करनी चाहिए। अनुमान है कि 2020 में चीन में मध्यम वर्ग के लोगों की संख्या 40 करोड़ तक पहुंचेगी।

    रिपोर्ट से यह स्पष्ट है कि आज के चीन के आम-आदमी के व्यक्तिगत जीवन एवं दाम्पत्य जीवन में अर्थाभाव की स्थिति प्रकट है। बड़े शहरों में घर खरीदना सिर्फ आज आम भारतीय का समस्या नहीं है ,यह समस्या "विश्व की दूसरी बड़ी आर्थिक इकाई" चीन में भी है। इस मामले पर हम भारतीय और चीनी समान है। धन्यवाद।

    हैया:बसु जी आगे लिखते हैं....

    15 दिसंबर को अनिल पाण्डेय जी और नीलम जी द्वारा पेश साप्ताहिक "टी टाइम" प्रोग्राम सुना।आज के कार्यक्रम की शुरुआत में आपने हमें एक अच्छी खबर सुनाई। सुना है कि पासपोर्ट सेवाओं की आपूर्ति के लिए विदेश मंत्रालय डाकघरों का उपयोग ले रहा है जो आम लोगों के लिए एक अच्छी पहल कहा जा सकता है। आप द्वारा पेश दूसरी जानकारी वाकई काफी उत्साहजनक है। अपने बताया कि रिलायंस गु्रप की ओर से सभी ग्राहाकों के लिए 'हैप्पी न्यू ईयर' प्लान के तहत जिओ 4जी सिम के सभी ग्राहकों के लिए 31 मार्च तक सभी सेवाएं फ्री कर दी गई हैं। इनमें नए और पुराने सभी ग्राहक शामिल हैं।वाकई यह हम आम लोगों के लिए एक बड़ी खुश खबरी है।वहीं दुनिया का सबसे ताकतवर शख्स पॉल एंडरसन के अलावा घोड़ों की अलग-अलग नस्लों सहित हाथियों के बारे में आपने जो जानकारी हमे दी वह बहुत ही सूचनाप्रद लगी। लेकिन वज़न उठाने के मामले में हाथियों से चींटियां बहुत आगे हैं। यह जानकर मैं तो हैरान हो गया कि चींटी की एक नस्ल, 'ओकोफिलिया समाराडिना' अपने वज़न से 100 गुना भारी वज़न उठा सकती है। वहीं उत्तर प्रदेश में बागपत जिले के वाजिदपुर गांव के रिटायर्ड फौजी सुभाष चंद कश्यप ने अपनी बेटी की शादी का कार्ड में हर्ष फायरिंग और शराब पीने की मेहमानों के बारे जो इस चेतावनी दी है उसको मैं प्रशंसा करता हूं। उधर सुना है कि चीन के क्वेईचोउ प्रांत की 'झांग डोंगफांग' को पिछले माह अकेले ही विवाह की रस्में पूरी करनी पड़ी क्योंकि उनकी शादी के दिन ही उनके मंगेतर को शहर से बाहर किसी प्रतियोगिता में भाग लेने जाना पड़ा। मैं इस नई जोड़ी को शुभकामनाएं देता हूं। धन्यवाद एक सुन्दर प्रस्तुति हेतु।

    अनिल:बसु जी, पत्र भेजने के लिये आपका बहुत धन्यवाद। आगे पेश है बिहार के राम कुमार नीरज जी का पत्र। उन्होंने लिखा है....

    एक कवि की इन पंक्तियों के माध्यम से नववर्ष 2017 की शुभकामनायें आप तक भेज रहा हूँ,उम्मीद है स्वीकार्य होगा.

    छेड़ ऐसी ग़ज़ल इस नए साल में

    झूमे मन का कंवल इस नए साल में

    कोई ग़मगीन माहौल क्यों हो भला

    हर तरफ़ हो चहल इस नए साल में

    गिर न पाए कभी है यही आरज़ू

    हसरतों का महल इस नए साल में

    याद आए सदा कारनामा तेरा

    मुश्किलें कर सहल इस नए साल में

    नेकियों की तेरी यूँ कमी तो नहीं

    हर बदी से निकल इस नए साल में

    पहले खुद को बदल कर दिखा हमसफ़र

    फिर जग को बदल इस नए साल में

    रोज इतना ही काफ़ी है तेरे लिए

    मुस्करा पल दो पल इस नए साल में

    अनिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल और हैया को आज्ञा दीजिए, नमस्कार।

    हैया:गुडबाय।

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