नकली वाद्य वादक 滥竽充数
कहानी"नकली वाद्य वादक"को चीनी भाषा में"लान यू छोंग शू"(làn yú chōng shù) कहा जाता है। इसमें"लान"का अर्थ है खरबा या बुरा,"यू"किसी चीनी प्राचीन वाद्ययंत्र है, यहां तीसरे शब्द"छोंग"का अर्थ है नकल करना और"शू"का अर्थ है संख्या। कुल मिलाकर कहा जाए, तो"लान यू छोंग शू"का अर्थ निकलता है यू वाद्ययंत्र को खराब बजाने वाले वादय अच्छे वादकों में शामिल करता है, संक्षिप्त में हम इसे"नकली वाद्य वादक"कहते हैं।
यह आज से साढ़े दो हजार साल पहले की कहानी थी। चीन के युद्धरत राज्य काल में छी क्वो नामक राज्य का राजा छी श्वानवांग कहलाता था। वह एक संगीत का प्रेमी था, खास कर वह यु नाम के वाद्य यंत्रों का समूह गान सुनना पसंद करता था।
यु नाम का वाद्य यंत्र बांस के पाइपों से जोड़ कर बनाया गया है और मुंह से हवा फुंक कर बजाया जाता था।
छी श्वानवांग यु नामक वाद्य बजाने वालों द्वारा सामुहिक रूप से प्रस्तुति पसंद करता था, और वाद्य दल जितना बड़ा और बजाने वलों की संख्या जितनी ज्यादा थे, वह उतना बड़ा खुश होता था।
छी क्वो राज्य में नान क्वो नाम का एक निवासी था। वह ना विद्य जानता था, ना ही मेहनत करना चाहता था। वह केवल लोगों की खुशामद करना और डींग मारना जानता था। जब उसने सुना कि राज्य का राजा एक विशाल वाद्य दल का गठन कर रहा है, तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसने दूसरों के माध्यम से राजा को अपना परिचय भेजा और अपने को कुशल वादक बतलाया।
राजा छी श्वानवांग बहुत खुश हुआ और उसे वाद्य मंडली में शामिल किया गया। जब कभी राजा के सामने संगीत का कार्यक्रम प्रस्तुत हो रहा था, तो नान क्वो तीन सौ वादकों से गठित वाद्य समूह में बैठे हुए यु नामक वाद्य यंत्र बजाने का स्वांग कर रहा था। उसका गला भी दूसरों की भांति हरकत करता दिखाई पड़ता है और शरीर आगे पीछे झुकता उठता रहा था। देखने में जान पड़ता था कि वह वाद्य बजाने में बड़ी मेहनत कर रहा हो और बड़ा कुशल भी नज़र आया हो। दरअसल उसके वाद्य यंत्र से जरा भी ध्वनि नहीं निकलती थी।
नान क्वो रोज दूसरे वादकों की तरह राजा से अच्छा वेतन कमाता था, बढ़िया खाना खाने को मिलता था। इसी तरह कई साल यों गुजर गए।
बाद में छी क्वो का राजा छी श्वानवांग का देहांत हो गया। उसका पुत्र मिनवांग राजा बन गया। मिनवांग भी संगीत के शौकिन था, लेकिन उसे सामुहिक वाद्य प्रस्तुति पसंद नहीं थी। वह एकल बजाना सुनना चाहता था। सो यु बजाने वाला वादकों को एक-एक करके उसके सामने बजाना पड़ता। इस तरह के प्रबंध से नान क्वो की कलई ज़रूर खुल जाएगी। अंततः डर के मारे उसे दुम दबा कर फरार होना पड़ा।
नान क्वो एक ऐसा व्यक्ति था, जो लोगों को धोखा देने के जरिए पेट पालता था। जब उसकी असलियत प्रकट में आयी, तो वह व्यंग का पात्र बन गया। नीति कथा हमें बताती है कि केवल ईमानदारी और मेहनत से काम लेने से ही सम्मान के साथ परिश्रम का सफल पा सकता है।
संतुक खरीद कर मोती वापस देना 买椟还珠
कहानी"संतुक खरीद कर मोती वापस देना"को चीनी भाषा में"माई तू हुआन चू"(mǎi dú huán zhū) कहा जाता है। इसमें"माई"का अर्थ है खरीदना,"तू"का अर्थ है बोक्स यानी संतुक, जबकि"हुआन"का अर्थ है वापस देना और"चू"का अर्थ है मोती। कुल मिलाकर कहा जाए, तो"माई तू हुआन चू"का अर्थ निकलता है कि बोक्स खरीद कर व्यापारी को मोती वापस देना है।
प्राचीन छु राज्य में एक जेहरात व्यापारी था। एक बार वह मोती बेचने चङ राज्य गया। मोती को बेहतर दाम पर बेचने के लिए व्यापारी ने मोती रखने का एक संतुक भी बनाया। वह संतुक बढ़िया लकड़ी से बनाया गया था और तरह-तरह के नामी मसालों से सुगंधित कर दिया गया। उसकी चारों भित्तियों पर छोटी-छोटी चमकदार रत्न जड़ित हुए और ऊपर लाल रंग के मणि लगाए गए थे। देखने में संतुक बड़ा सुन्दर लगता था और बहुत सुगंधित भी था।
चङ राज्य के एक आदमी को यह खूबसूरत संतुक पसंद आया। उसने ऊंचे दाम पर संतुक खरीदा, पर संतुक के अन्दर रखी वह मूल्यवान मोती को व्यापारी को वापस लौटा दिया।
इस नीति कथा का अर्थ बहुत स्पष्ट है। यानी चङ राज्य का वह व्यक्ति केवल बाहर की सुन्दरता से भ्रमित हुआ था, वह नहीं जानता था कि संतुक के अन्दर की मोती कहीं अधिक मूल्यवान है। इसलिए वह मूल्यवान चीज पाने से छूट गया।