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कुछ दिन पहले चीन की सबसे बड़ी और शक्तिशाली कार ग्लास की उत्पादन कंपनी फ़ूयाओ ग्रुप के अध्यक्ष छाओ तवांग ने अमेरिका में कारखाना स्थापित किया और कहा कि चीन में उद्यमों के लिए टैक्स अमेरिका से 35 प्रतिशत अधिक है। छाओ तवांग की बातों पर कई क्षेत्रों के लोगों ने बहुत ध्यान दिया है। कुछ लोग कहते हैं कि अमेरिका में कारखाना स्थापित करके छाओ तवांग चीन से भागना चाहते हैं। तो छाओ तवांग का असली उद्देश्य क्या है? वे चीन से भागना चाहते हैं या बस विदेशों में पूंजी निवेश करना चाहते हैं? हम एक साथ देखें।
फ़ूयाओ ग्लास द्वारा जारी वित्तीय रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका के विभिन्न प्रांतों में टैक्स की दर अलग है, औसत दर 35 प्रतिशत नहीं है। अमेरिका में निर्माण हो रहे उद्यमों को कॉर्पोरेट आयकर देने की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि कंपनी को मुनाफ़ा नहीं होता। बाकी सभी उपक्रमों को विभिन्न राज्यों के नियम के अनुसार 36.5 से 40 फीसदी की आयकर देना पड़ता है। वहीं चीन के विभिन्न प्रांतों में कॉर्पोरेट आयकर बराबर है, जो 25 प्रतिशत है, पर टैक्स की कई प्रकार की उदार नीति के चलते वास्तव में आयकर की दर सिर्फ़ 15 प्रतिशत के आसपास है।
अतिरिक्त टैक्स को छोड़कर सिर्फ़ आयकर और वैट यानी मूल्यवर्धित कर आदि मुख्य शुल्क की लागत की तुलना करें, तो उद्यमों के लिए चीन और अमेरिका में टैक्स की लागत में ज़्यादा अंतर नहीं है। चीन में घटाया गया आयकर वर्द्धित वैट के बराबर है। अन्य अतिरिक्त कर के साथ चीन में टैक्स की लागत अमेरिका से करीब 10 प्रतिशत अधिक है। यह संख्या मीडिया की कुछ रिपोर्टों में लिखित 35 प्रतिशत से काफ़ी कम है।
वास्तव में चीन और अमेरिका की टैक्स व्यवस्था में बड़ी भिन्नता मौजूद है। अमेरिका में मुख्यतः प्रत्यक्ष कर लिया जाता है, जबकि चीन में अप्रत्यक्ष कर अधिक है। सिर्फ़ कर की दर की तुलना करें, तो यह अवैज्ञानिक है। सबसे अहम बात यह है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की 18वीं राष्ट्रीय कमिटी के तीसरे पूर्णाधिवेशन में कर व्यवस्था को सुधारने की दिशा निर्धारित की गई है। चीन भी अप्रत्यक्ष कर लेने से प्रत्यक्ष कर लेने में खुद को बदलेगा। इसलिए हमें कर व्यवस्था को सुधारना की प्रक्रिया पर कायम रहना चाहिए और पूरे समाज को स्पष्ट संकेत देना चाहिए, ताकि बाज़ार का बेहतर वातावरण तैयार हो सके।