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येन छांगयू पहले एक कल्याणकारी उद्यम के प्रमुख थे, जिसमें 600 से अधिक विकलांग कर्मचारी काम करते थे। गत 90 के दशक में चीन में योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था के बाज़ार अर्थव्यवस्था में बदलने की प्रक्रिया पूरी हुई। बाज़ार में प्रतिस्पर्द्धा से पार न पाने की वजह से वर्ष 1997 में उद्यम का दिवाला निकल गया। उद्यम बंद होने के बाद येन छांगयू एक कल्याणकारी संगठन में नेता बन सकते थे, लेकिन उन्होंने इस आरामदेह काम को छोड़ा और ख़ुद व्यापार करना शुरू कर दिया।
"उस समय स्थानीय सरकार ने मुझे एक कल्याणकारी संगठन में नेता के पद की पेशकश की, पर मैंने उसे इनकार कर दिया। मैंने ऐसा क्यों किया, क्योंकि हमारे पुराने उद्यम में 800 कर्मचारी थे, जिनमें 620 से अधिक विकलांग थे। अगर मैं कल्याणकारी संगठन में चला जाता, तो उन्हें पुनः रोजगार देने का काम कौन करता? अगर वे बेरोजगार हो जाते, तो क्या होता? मैं चाहता था कि उनका अच्छी तरह से प्रबंधन किया जाए।"
वर्ष 1997 के वसंत में येन छांगयू और उनकी पत्नी मालिश का कौशल और परंपरागत चीनी चिकित्सा शास्त्र सीखने के लिए पेइचिंग मालिश अस्पताल आए। वर्ष 1998 के अंत में हूपेई प्रांत के यिछांग शहर के विकलांग संघ की सहायता में येन छांगयू का ब्लाइंड मसाज पार्लर औपचारिक रूप से यिछांग में खोला गया। लेकिन शुरुआती समय में व्यापार अच्छा नहीं रहा, बहुत कम ग्राहक मसाज पार्लर में आते थे। तो येन छांगयू ने पार्क में व्यायाम करने वालों में मौका ढूंढ़ने का निर्णय लिया। वे कर्मचारियों के साथ पार्क जाकर व्यायाम करने वालों की मालिश करते थे। जो पैसा देना चाहते हैं, तो तीन या पांच युआन देते थे। अगर पैसा देना नहीं चाहते, तो भी कोई बात नहीं थी। येन छांगयू कर्मचारियों को बताते थे कि हमेशा मुस्कान के साथ ग्राहकों के सामने पेश आएं।
एक साल की मेहनत और कोशिशों के बाद ब्लाइंड मसाज पार्लर धीरे धीरे ग्राहकों के बीच लोकप्रिय हो गया और काफी प्रशंसा मिलने लगी। रन नाम के एक ग्राहक ने अपने दोस्तों से येन छांगयू के मसाज पार्लर के बारे में सुना। रन के बड़े भाई कमर दर्द से ग्रस्त थे। दूसरों की सहायता के बिना वे चल नहीं सकते थे। येन छांगयू की कहानी सुनने के बाद रन ने अपने भाई को ब्लाइंड मसाज पार्लर भेजा। एक हफ्ते के इलाज के बाद उनका भाई अपने आप चलने लगे। लोगों के एक दूसरे को बताने के बाद येन छांगयू मालिश का कौशल और जादुई प्रभाव के चलते लोगों के बीच प्रसिद्ध हो गए। ब्लाइंड मसाज पार्लर में भी लोगों की भीड़ होने लगी। वर्ष 2016 में येन छांगयू ने मसाज पार्लर की पांचवीं शाखा खोली और कुल 163 विकलांग कर्मचारियों की भर्ती की।
येन छांगयू ने कहा कि अब समाज में दबाव ज़्यादा है। बहुत से छात्र और ऑफ़िस स्टाफ़ ग्रैव या कमर स्पोंडिलोसिस से ग्रस्त हैं। आधुनिक चिकित्सा शास्त्र में इसका इलाज करने में कोई कारगर उपाय नहीं है, पर पारंपरिक चीनी चिकित्सा के मालिश का विशेष परिणाम है।
"मालिश परंपरागत चीनी चिकित्सा शास्त्र का एक भाग है। हम एक्यूपंक्चर पॉइंट और मेरिडियन पर मालिश करने के ज़रिए शरीर की स्थिति को बताते हैं। चाहे बिमार हो या नहीं, लम्बे समय तक काम करने के बाद हमारी शरीर में लैक्टिक एसिड (lactic acid) पैदा होता है। मालिश से लैक्टिक एसिड दूर किया जाता है और लोग आरामदेह महसूस करते हैं।"
अपने व्यापार में सफलता मिलने के बाद येन छांगयू अन्य विकलांग लोगों को नहीं भूले। वर्ष 1999 से अब तक उन्होंने यिछांग के विकलांग रोज़गार केन्द्र के साथ 34 बार मालिश के प्रशिक्षण का आयोजन किया, जिनमें 1792 छात्रों ने भाग लिया है। येन छांगयू के विचार में समाज में प्रतिस्पर्द्धा दिन प्रति दिन तीव्र होती जा रही है। विकलांग, विशेषकर नेत्रहीन व्यक्ति व्यावहारिक कौशल पाने पर ही पैसा कमा सकते हैं और आर्थिक स्वतंत्रता प्राप्त कर सकते हैं, ऐसे में प्रतिष्ठा स्थापित हो पाएगी।
"बाज़ार सबका है। हम चाहते हैं कि सभी लोग पैसा कमा सके, रोज़गार करे और गौरव के साथ जीवन बिता सके। प्रतिष्ठा क्या है ? थैली में पैसा होता है, अपने पैसे से सामान ख़रीद सकते हैं। यही है प्रतिष्ठा।"
येन छांगयू ने यह भी कहा कि नेत्रहीन व्यक्ति हालांकि देख नहीं सकते, लेकिन मालिश करने में उनकी अपनी श्रेष्ठता है। क्योंकि उनका मन एकदम शांत और फोकस्ड होता है। उनके छूने की भावना और संवेदनशील है। वे अच्छी तरह मालिश कर सकते हैं और मालिश का परिणाम भी बेहतर होता है।
"सामान्य लोगों की तुलना में मालिश करने में हम नेत्रहीन व्यक्तियों की अपनी श्रेष्ठता है, क्योंकि हमारा मन शांत होता है। जैसा कि अब आप मुझसे सवाल पूछते हैं, तो मैं पूरे मन से आपके साथ बात करता हूं। जब आप सामान्य व्यक्ति के साथ बात करते हैं, तो शायद वह बोलते हुए इधर-उधर भी देखते हैं। शायद वे अपने मन में कुछ अन्य चीज़ों के बारे में सोचते हैं, पर मेरा मन शांत रहता है।"
विकलांग लोगों को मालिश सीखते वक्त मेहनत ज़रूर करनी होती है और मसाज पार्लर खोलते समय सामान्य लोगों के साथ प्रतिस्पर्द्धा करनी होती है। जितनी मेहनत से काम करते हैं, उतनी ज़्यादा उपलब्धियां प्राप्त करते हैं। येन छांगयू ने कहा कि कुछ विकलांग दुकान खोलने के बाद बहुत से पैसे कमा सकते हैं, पर कुछ तो सिर्फ़ पेट ही भर सकते हैं।
"मेरे छात्रों में कुछ तो बहुत ही स्मार्ट हैं और तेज़ी से समझ जाते हैं, जबकि कुछ तो ठीक-ठाक हैं और सिखाने में ज़्यादा समय लगता है। मेरे बहुत से छात्र, कुछ तो मसाज पार्लर के मालिक बन गए हैं और कुछ बड़ा व्यापार करते हैं। उन्होंने कार ख़रीद ली है और मकान भी। लेकिन कुछ तो बस ख़ुद का ही पेट भर पाते हैं।"
येन छांगयू के विचार में समाज में विकलांगों पर देख-भाल और ध्यान पर्याप्त है। विकलांगों को बहुत से मुफ़्त प्रशिक्षण दिए जाते हैं और व्यापार करने में सब्सिडी दी जाती है। इसके बावजूद विकलांग लोगों को मेहनत और कोशिश से प्रतिष्ठा प्राप्त करनी चाहिए।