Web  hindi.cri.cn
    आपका पत्र मिला 2016-09-14
    2016-09-19 09:19:31 cri

    अनिल:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल का नमस्कार।

    हैया:सभी श्रोताओं को हैया का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिल:दोस्तो, पहले की तरह आज के कार्यक्रम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे। चलिए श्रोताओं के पत्र पढ़ने का सिलसिला शुरू करते हैं। पहला पत्र हमें आया है, ओडिसा से हमारे मॉनिटर सुरेश अग्रवाल जी का। उन्होंने लिखा है......

    केसिंगा दिनांक 8 सितम्बर। ताज़ा समाचारों के उपरान्त चन्द्रिमाजी द्वारा साप्ताहिक "बाल-महिला स्पेशल" के तहत वैश्वीकरण के दौर में विश्व में बढ़ती आर्थिक विषमता और उससे बच्चों पर पड़ने वाले सर्वाधिक कुप्रभावों पर अत्यन्त विचारोत्तेजक रिपोर्ट पेश की गई। महज़ एक प्रतिशत लोगों द्वारा विश्व की आधी आबादी के हिस्से की समृध्दि का उपभोग किया जाना, आज की आधुनिक सभ्यता के लिये कलंक समान कहा जायेगा। यूनिसेफ़ द्वारा 28 जून 2016 को ज़ारी रिपोर्ट में दिये गये इस तथ्य के बारे में जान कर चिन्ता हुई कि यदि वर्ष 2020 तक बाल मृत्यु-दर को नियंत्रित नहीं किया गया, तो भारत विश्व के पांच प्रमुख बाल मृत्यु-दर वाले देशों में एक होगा। प्रश्न उठता है कि क्या फ़ायदा ऐसे विकास का, जो अपने नौनिहालों का जीवन भी सुरक्षित न रख सके ! दिल को छूती इस रिपोर्ट की प्रस्तुति के लिये चन्द्रिमाजी का आभार।

    कार्यक्रम "टी टाइम" के तहत आज शुरुआत ही में विश्व भूगोल कांग्रेस के कार्य के बारे में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्राध्यापक आर.बी.सिंह से बातचीत सुनवाया जाना काफी महत्वपूर्ण लगा, क्योंकि आम तौर पर इस संस्था के बारे में कम ही सुनने को मिलता है। अपनी स्थापना के सौ साल पूरे करने के क़रीब पहुँची उक्त भूगोल कांग्रेस के पास समकालीन समस्याओं को हल करने चालीस आयोग हैं और हर साल विश्व के किसी एक स्थान पर इसका सम्मेलन आयोजित किया जाता है, के बारे में जान कर यह महसूस हुआ कि इसका कार्य भी दस्तावेज़ी अधिक और वास्तविक कम है। वैसे यह बातचीत सुनते हुये डेमोग्राफ़िक्स डिविडेंस, मौसम की भविष्यवाणी करने में एयरलाइंस भी निभा सकती हैं, महत्वपूर्ण भूमिका आदि बातें भी जानने का मौक़ा मिला। भारत जैसे देश में क्यों खरी नहीं उतरती मौसम की भविष्यवाणियाँ तथा जलवायु परिवर्तन कितना बड़ा मुद्दा है, आदि बातों के अलावा वनीकरण और जल-संरक्षण की आवश्यकता पर भी महती जानकारी हासिल हुई। जानकारियों के क्रम में इंग्लैण्ड की बैरियल रोमेन का नौ साल से गर्भवती न होने के बावज़ूद गर्भवती दिखना, जानकारी आश्चर्यजनक लगी। निश्चित तौर पर ऐसी बीमारी चिकित्सा विज्ञान के लिये भी एक चुनौती कही जायेगी। जोधपुर स्थित मॅकडोनल्ड के एक फास्टफ़ूड आउटलेट में इस्तेमाल किये जाने वाले पाम-ऑयल का जांच में फेल होना, इस बात का परिचायक है कि ये बड़े ब्राण्ड भारत में लोगों के स्वास्थ्य के साथ किस कदर खिलवाड़ कर रहे हैं, और अब इन पर नकेल कसने की कितनी सख़्त ज़रुरत है। आज के कार्यक्रम में पेश पहला जोक -'पहली बार कदमों का सही इस्तेमाल' मुझे बहुत उम्दा लगा।

    वहीं 9 सितंबर को पेश साप्ताहिक "चीन का तिब्बत" के तहत गत जुलाई में तिब्बत की राजधानी ल्हासा में आयोजित तिब्बत विकास मंच में विशेष प्रतिनिधि के तौर पर भाग लेने गये सीआरआई हिन्दी के अनिल आज़ाद पाण्डे से हूमिनजी द्वारा ली गई भेंटवार्ता का दूसरा भाग सुना, जिसके तहत उन्होंने न केवल तिब्बत का दिल कहे जाने वाले 1300 सौ साल पुराने जोखांग मठ और पोताला महल का ज़िक्र किया, अपितु आज के आधुनिक दौर में भी तिब्बती लोगों की सादगी और उनकी धार्मिक आस्था पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की गई। तिब्बत में चीन की मुख्यभूमि की तरह मूलभूत ढ़ांचे का एक समान विकास और सर्वोपरि अब विदेशियों के लिये तिब्बत जाना कितना आसान हुआ, आदि बातों पर भी अच्छी जानकारी हासिल हुई। तिब्बत का विकास कैसे और किस तरह का हो, इस पर भी अनिलजी का उत्तर बिलकुल सही जान पड़ा कि -वहां की संस्कृति और परम्परा के मद्देनज़र ही विकास हो। धन्यवाद् एक सूचनाप्रद प्रस्तुति के लिये।

    कार्यक्रम "दक्षिण एशिया फ़ोकस" के अन्तर्गत हांगचो में सम्पन्न जी-20 शिखर सम्मेलन पर संवाददाता देव द्वारा भारतीय नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविन्द पनगढ़िया से ली गई भेंटवार्ता सुन सम्मेलन में उठाये जाने वाले बहुपक्षीय मुद्दों के अलावा विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों के बीच होने वाले द्विपक्षीय सम्पर्कों के अलावा सम्मेलन में चीन-भारत की भूमिका पर भी महती जानकारी हासिल हुई। देव द्वारा अरविन्दजी से जी-20 के अलावा भारतीय नीति आयोग के कामकाज सम्बन्धी किया गया प्रश्न भी काफी अहम् लगा। और हाँ, अब तो देवजी की हिन्दी का स्तर भी काफी अच्छा हो गया है। धन्यवाद्।

    सुरेश जी आगे लिखते हैं कि 10 सितंबर को "आपकी पसन्द" सुना। हर बार की तरह आज भी लाज़वाब रहा।श्रोताओं की पसन्द पर सुनवाये गये फ़िल्म -सितारा, आप तो ऐसे न थे, जब प्यार किसी से होता है, खिलाड़ी तथा साहब के पांच गानों के साथ दी गई तमाम जानकारी रोचक ज्ञानवर्द्धक और आश्चर्यजनक लगी। गिनीज़ बुक में विश्व की सब से महंगी शादी का रिकॉर्ड भारतीय इस्पात कारोबारी लक्ष्मीनिवास मित्तल की बेटी के नाम दर्ज़ है, जिस पर कुल 817 करोड़ रुपये ख़र्च किये और वह शादी अधिक दिन चल भी नहीं पायी, यह जान कर दुःख हुआ। इसे कहते हैं धन का भोण्डा प्रदर्शन। वाई-फ़ाई और ब्रॉडबैण्ड से डेटा चोरी से होने वाले नुकसान के अलावा उसकी क़ानूनी पेचीदगियों के बचने के उपायों की चर्चा काफी उपादेय लगी। नये चलन में आये मिस्ड-कॉल मार्केटिंग से कम्पनियाँ किस प्रकार फ़ायदा उठाती हैं, यह जानकारी भी जागरूकता पैदा करने वाली थी। मुझे तो यह भी पता नहीं था कि 'कानखजूरा टेशन डॉट कॉम' नामक वेबसाइट पर मिस्ड-कॉल के ज़रिये मनपसन्द गाने सुने जा सकते हैं।

    वहीं 11 सितंबर को पेश साप्ताहिक "सन्डे की मस्ती" के तहत आज भी कार्यक्रम की शुरुआत मधुर चीनी गीत से किया जाना अच्छा लगा। तत्पश्चात 'विश्ब की संवेदंशील कहानी' क्रम में सपनाजी द्वारा पेश फ्रेड्रिक ब्राउन द्वारा लिखित अमेरिकी कहानी 'हिम-मानव यति' सुनी, जो कि काफी रहस्य-रोमांच से परिपूर्ण किसी चलचित्र जैसी प्रतीत हुई। एथर्टन और मादा यति का किस्सा किसी को भी भयभीत कर सकता है।

    जानकारियों के क्रम में पचास साल की उम्र में ज़िम जाना शुरू कर अस्सी साल की उम्र तक ऐसा करने वाले वर्ल्ड्स हॉटेस्ट ग्रैण्ड-पा देशुम वांग तथा चीन ही के कुइयांग में रहने वाले 59 वर्षीय ऊ साहब के ज़ज़्बे को सलाम कि जिन्होंने कैंसर के कारण बीस साल में कुल सत्रह बार सर्जरी करायी और फिर भी हार नहीं मानी। चीन ही में एक गाँव के मुखिया सन मिन चिंग के साथ मिलकर तेरह लोगों द्वारा दुर्गम पहाड़ी को काट बारह सौ मीटर लम्बी सुरंग का बनाया जाना भी एक असाधारण कीर्तिमान कहा जायेगा। और हाँ, चीन में रईस औरतों को मैनर्स सिखाने हेतु दस दिन की आठ लाख रुपये फ़ीस लेने वाली महिला के टैलेण्ट के सामने तो नतमस्तक होना ही पड़ेगा। मनोरंजन खण्ड के तहत आज आपने इस शुक्रवार रिलीज़ हुई फ़िल्मों में महज़ फ़िल्म "फ़्रीकी अली" का प्रोमो सुनवाया, जब कि फ़िल्म "बार-बार देखो" भी आज ही रिलीज़ हुई थी। आज के कार्यक्रम में पेश सभी हंसगुल्ले, रसगुल्ले लगे। धन्यवाद् एक अच्छी प्रस्तुति हेतु।

    हैया:सुरेश जी, पत्र भेजने के लिये बहुत धन्यवाद। आगे पेश है पश्चिम बंगाल से मॉनिटर रविशंकर बसु का पत्र। उन्होंने लिखा है.. 4 सितम्बर को प्रोग्राम सुना। आज चंद्रिमा जी द्वारा पेश किये गए दुनिया भर के ताज़ा समाचार सुनने के बाद अखिल पाराशर जी और मैडम श्याओ थांग जी द्वारा पेश "संडे की मस्ती" प्रोग्राम सुना।

    आज "संडे की मस्ती" कार्यक्रम में एबीपी न्यूज की वेबसाइट पर प्रकाशित अखिल पाराशर की जी-20 शिखर सम्मेलन से संबंधित एक खास लेख हमें सुनने को मिली जो मुझे बहुत ही सूचनाप्रद और प्रासंगिक लगा। रिपोर्ट ध्यान से सुनकर पता चला कि 4 और 5 सितंबर को हांगचो में होने वाला 11वां जी-20 शिखर सम्मेलन पहली बार चीन में हो रहा है और इसके लिए चीन ने बहुत कम समय में अपने शहर हांगचो की सूरत बदल दी है। लेख में बताया गया है कि जी-20 शिखर सम्मेलन को अब तक का सबसे अनूठा आयोजन बनाने के लिए चीन ने सालभर से सब कुछ झोंका हुआ है। हांगचो शहर में प्रदूषणरहित नीले आसमान और साफ हवा को सुनिश्चित करने के लिए इस साल की शुरुआत से ही कार्बन के इस्तेमाल को कम से कम करने की मुहिम शुरू की गई।

    एक तरफ जहां ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों का सड़कों पर प्रतिबंध लगा दिया गया, वहीं दूसरी ओर स्वच्छ सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा दिया गया। इसके अंतर्गत आने वाले दिनों में अपनी 1500 स्वच्छ ऊर्जा बसों के नेटवर्क में 500 बसें और जोड़ी जा रही हैं। इतना ही नहीं, शहर में बिजली के लिए कोयले का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा और सभी इस्पात कारखाने भी बंद कर दिए गए हैं। रिपोर्ट में सुना है कि हालांकि हांगचो में शिखर सम्मेलन के लिए नई इमारतों का निर्माण नहीं किया गया है, लेकिन पिछले साल ही हर तरह की मरम्मत का काम पूरा किया जा चुका है। जिसमें वेस्ट लेक, ग्रेट कैनन और छियनथांग नदी जैसे प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल शामिल हैं। इन तीनों क्षेत्रों में रोशनी के अच्छे इंतजाम किए गए हैं। इस रिपोर्ट के माध्यम से चीन को चीन बनाने के पीछे चीन की लीडरशिप की इच्छाशक्ति और चुस्त-दुस्त प्रशासनिक मशीनरी की एक झलक हमें देखने को मिली।

    अनिल:आज 'विश्व की संवेदनशील कहानी' की सेगमेंट में मैडम श्याओ थांग जी द्वारा पेश एलन सिंगर द्वारा लिखित अमेरिकी कहानी " चौराहा " सुना जो बहुत ही मनभावन और दिल को छूनेवाली लगी। वहीं चीन की राजधानी बीजिंग में एक भिखारी की असलियत वाकई हैरान कर देने वाली लगी। दुनिया की सबसे लंबी और बड़ी द ग्रेट वॉल ऑफ चाइना के लिए चर्चित चीन ने एक और कारनामा कर दिखाया है। चीन ने दुनिया के सबसे ऊंचे और लंबे कांच के पुल का निर्माण किया है। चीन के इस ब्रिज को इंजीनियरिंग का अद्भुत नमूना माना जा रहा है। पूरी तरह पारदर्शी कांच के तले से बना यह अनोखा पुल चीन के हुनान प्रांत के झांगजियाजी (Zhangjiajie City) में 20 अगस्त को आम लोगों के लिए खोला गया है। चीन के इस कांच के पुल की लंबाई 430 मीटर है। यह पुल 99 ट्रिपल लेयर शीशे के पैनल से बना है और इस पुल से लोग खाई में झांक सकते हैं। इस पुल का डिजाइन तैयार किया है इजराइली आर्किटेक्ट हाइम डोटान (Israeli architect Haim Dotan) ने।यह बेहतरीन लंबा कांच का पुल के बारे में सुनने के बाद वह देखने के लिए दिल कर रहा है। धन्यवाद।

    वहीं बृहस्पतिवार 8 सितम्बर को अनिल पाण्डेय जी द्वारा पेश साप्ताहिक "टी टाइम" प्रोग्राम सुना।

    आज के प्रोग्राम में अनिल पाण्डेय जी ने अंतर्राष्ट्रीय भूगोल कांग्रेस के उपाध्यक्ष और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आर.बी. सिंह के साथ जलवायु परिवर्तन को लेकर जो बातचीत की वह मुझे काफी अहम लगा। बातचीत में प्रोफेसर आर.बी. सिंह ने अंतरराष्ट्रीय ज्योग्राफिक कांग्रेस की इतिहास पर हमें बताया। सुना है कि पेइचिंग में आयोजित पांच दिवसीय 33वीं अंतरराष्ट्रीय ज्योग्राफिक कांग्रेस में हिस्सा लेने के लिए उन्होंने पेइचिंग गए थे। यह सच है कि जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा और शहरीकरण और नदियों में बढ़ते प्रदूषण आज के समय में दुनिया के लिए गंभीर समस्या है। इस कांग्रेस में विश्व भर के वैज्ञानिक और भूगोलवेत्ताओं ने अपने-अपने देशों में समाज, संस्कृति व बदलते वातावरण पर विचार रखे है। प्रोफेसर आर.बी.सिंह ने कहा, हमें नई तकनीक के इस्तेमाल पर विशेष ध्यान देना चाहिए। वहीं मौसम की भविष्यवाणी और आपदा प्रबंधन को भी उन्नत बनाना होगा, ताकि लोगों को समय पर सूचना मिल सके और जान-माल का कम से कम नुकसान हो। उन्होंने कहा कि वाटर हार्वेस्टिंग कल्चर को डेवेलोप करना चाहिए साथ ही भारत में वेस्ट लैंड को चीन की तरह फॉरेस्टेशन करना चाहिए।

    जानकारियों के क्रम में आज यह सुनकर हैरान हो गया कि इंग्‍लैंड के बेरियल रोमेन नाम की एक महिला पिछले 9 सालों से प्रेग्‍नेंट दिखती तो है पर वो गर्भवती नहीं है। वहीं मैकडोनाल्ड का बर्गर, फ्रैंच फ्राइज आदि फास्ट फूड पर दी गई जानकारी काफी सूचनाप्रद लगी। धन्यवाद।

    अनिल:दोस्तो, हाल ही में भारत में 'चीन पर्यटन वर्ष'के उपलक्ष्य में सीआरआई ने 'मैं और चाइना'शीर्षक लेख प्रतियोगिता का आयोजन किया। कई लोगों ने हमें ईमेल और पत्र भेजे। इस सप्ताह से हर बार के आपका पत्र मिला कार्यक्रम के अंत में हम लेख शामिल करेंगे। पहला लेख है छत्तीसगढ़ से चुन्नीलाल कैवर्त का। उन्होंने लिखा है......

    " चीन में मेरा अनुभव "

    पिछले 36 सालों से चाइना रेडियो इंटरनेशनल के नियमित श्रोता होने के नाते चीन के मनमोहक प्राकृतिक सौंदर्य ,अद्भुत सांस्कृतिक रहस्य और विकसित चीन के बारे में मुझे पहले से पता था। लेकिन चीन आकर ही मुझे पता चला कि चीनी भाई बहनों के दिलों में भारतियों के प्रति कितना प्यार है !चीनी लोग मेहमानों का कितना आदर और प्रेम करते हैं ! मार्च,2009 में मैंने सी॰ आर॰ आई॰ के सौजन्य से चीन लोक गणराज्य की 10 दिवसीय यात्रा की थी। इस दौरान मुझे चीन में जो भी लोग मिले , सब मेरे परिवार जैसे लगे। तब से मुझे चीन अपनी मातृभूमि की तरह लगने लगा है। भारत में ह्वेन त्सांग का बड़ा नाम है ,जो चीन भारत मैत्री का प्रतीक है। इसी प्रकार डॉक्टर द्वारकानाथ कोटनिस को चीनी जनता अपना सर्वश्रेष्ठ विदेशी मित्र मानती है। इधर के कुछ सालों में चीन भारत सम्बन्धों का तेज विकास हुआ है। विभिन्न क्षेत्रों में चीन और भारत के बीच घनिष्ठ आवाजाही बढ़ रही है। दोनों देशों की जनता एक दूसरे को जानने समझने लगी है।

    चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की यात्रा करने की मेरी दिली तमन्ना है। इस जन्म में संभव नहीं हुआ ,तो अगले जन्म में। तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति के बाद तिब्बत का कायापलट हो गया। जीवन के हर क्षेत्र में तिब्बत का तेज विकास हुआ है। तिब्बती किसान और चरवाहों का जीवन खुशहाल हो गया है। छिंगहाई से तिब्बत की राजधानी ल्हासा और फिर ल्हासा से शिगात्से तक रेल सेवा को देखकर दुनिया आश्चर्यचकित है। तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के चतुर्मुखी विकास और तिब्बती जाति की अनोखी संस्कृति को मैं दिल से अनुभव करना चाहता हूँ।

    दिन भर की उड़ान के बाद जब मैं शाम को पेइचिंग पहुंचा,तो मुझे लेने के लिए ली छिन ,एयरपोर्ट आये हुए थे। दिनभर के सफ़र के बाद जब कोई मित्र अथवा परिजन हमें लेने के लिए रेलवे स्टेशन या एअरपोर्ट पर पहुंचता है,तब हमें बेहद खुशी होती है l अनजान देश और अनजान जगह तो और भी ज्यादा ! यही सच्चा अतिथि सत्कार भी है l मुझे ली छिन अपने छोटे भाई की तरह लगे l उसने मेरा सामान उठा लिया और हम बाहर कार स्टैंड आ गये,जहां ड्राईवर हमारी प्रतीक्षा कर रहा था l

    पेइचिंग के थ्येनआनमन चौक ,शाही राजप्रासाद ,लंबी दीवार ,स्वर्ग मंदिर और समर पैलेस से लेकर शांगहाई के जन चौक (पीपल्स स्क्वायर) और च्यांगसू प्रांत के चोच्वांग गाँव तक, मुझे सभी चीनी हँसमुख,मिलनसार और सहयोग के लिए तत्पर दिखाई दिये। मेरे चीनी मित्र मुझसे मेरी रुचियों,खानपान आदि के बारे में पूछते l ताकि चीन में खानपान को लेकर मुझे कोई असुविधा न हो और मैं अपने चीन प्रवास का पूरा आनंद ले सकूं l लेकिन मैंने स्पष्ट कर दिया था कि मैं जब तक चीन में रहूँगा,मेरा खानपान चीनियों की तरह रहेगा l क्योंकि मैं चीनी खानपान और रहन-सहन को नजदीक से देखना और महसूस करना चाहता था l

    वर्ष 2008 में चीन ने ऐतहासिक और शानदार ओलंपियाड का आयोजन किया। जिसमें पदक तालिका में चीन का स्थान सर्वोच्च था। भारत के अभिनव बिंद्रा ने निशानेबाजी में भारत को स्वर्ण पदक दिलाया था। जब मैंने पेइचिंग के बर्ड नेस्ट स्टेडियम और वाटर क्यूब को देखा ,तो एक साल पहले टी वी पर देखे दृश्य ताजा हो गये। मैं सोचने लगा , खेलकूद में चीन विश्व की महाशक्ति है और इस क्षेत्र में चीन के पास समृद्ध अनुभव है ,जबकि सूचना तकनीक में भारत का अनुभव कहीं अधिक परिपक्व है l सूचना तकनीक व साफ्टवेयर में भारत विश्व की अग्रिम पंक्ति में है,जबकि चीन हार्डवेयर के क्षेत्र में l अनेक क्षेत्रों में दोनों एक दूसरे से बहुत कुछ सीख सकते हैं l

    हैयाः पिछली शताब्दी के उत्तरार्ध में भारत व चीन की जनता के बीच दीवार का एक कारण संवादहीनता थी l चीनी भाषा के बारे में भारतीयों को और हिन्दी भाषा के बारे में चीनियों को बहुत कम ज्ञान था l दुर्भाग्य की बात है कि पिछली शताब्दी में भारतीय जनमानस चीन को पश्चिमी दृष्टिकोण से देखता था l पश्चिमी मीडिया चीन के बारे में हमारे सामने जैसी तस्वीर पेश करते,हम उस पर सहज विश्वास कर लेते थे l जिनमें कई बातें भ्रामक और दुर्भावनापूर्ण होती थीं l फलस्वरूप दोनों देशों के बीच आवाजाही का क्रम टूट-सा गया l दोनों देश लम्बे समय तक पड़ौसी और मित्र देश होते हुए भी परस्पर अनजान रहे l मेरे विचार से यदि 50 और 60 के दशक में भारत व चीन के बीच आर्थिक व सांस्कृतिक आदान-प्रदान आज की तरह तेज होता और कूटनीतिक वार्ता जारी रहती,तो वर्ष 1962 की अप्रिय घटना नहीं होती l दो हजार साल की हमारी मित्रता की तुलना में सीमा समस्या बहुत छोटी है l एक दूसरे के यहाँ कुछ साल बिता चुका कोई भारतीय या चीनी बता सकता है कि दोनों देशों की जनता के दिलों में एक दूसरे के लिए स्नेह की कैसी भावना है ! अब हमें 20 वीं शताब्दी की गलतियों से सबक लेकर 21 वीं शताब्दी में परस्पर सहयोग और आपसी समझ को बढ़ाना होगा l ताकि दोनों देशों की जनता कंधे से कंधा मिलाकर उन्नत और खुशहाल जीवन की ओर आगे बढ़ सके l अब दुनियां के दो सबसे विशाल आबादी वाले देश भारत और चीन को पश्चिम की ओर अधिक नहीं तांकना चाहिए l

    शांगहाई,चीन का सबसे बड़ा अर्थतंत्र, वित्त, व्यापार और जहाजरानी का केंद्र है। यहाँ शांगहाई स्टॉक एक्सचेंज बाजार, चीनी बैंकिंग एक्सचेंज बाजार, सोना एक्सचेंज बाजार, चीनी विदेशी मुद्रा का विनिमय केंद्र के साथ बहुत कुछ स्थित है। शांगहाई का वित्तीय पारिस्थिति वातावरण बहुत अच्छा है, इसलिए यहाँ देश विदेश के बैंकिंग क्षेत्र की संस्थाएं हैं। चीन और भारत के बीच आर्थिक सहयोग जितना मजबूत होगा ,उतना ही दोनों देशों की जनता का जीवन खुशहाल होगा। चीन ,विश्व अर्थव्यवस्था का इंजन है। चीन के साथ आर्थिक एवं व्यापारिक सम्बन्धों से भारत की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी।

    अपनी चीन यात्रा के दौरान मुझे कहीं कहीं भाषा की दिक्कत महसूस हुई। आम भारतीयों को चीनी भाषा नहीं आती और चीनी मित्रों को हिन्दी व अँग्रेजी की बहुत कम समझ है। मेरे विचार से भारतीय विद्यार्थियों को चीनी और चीनी विद्यार्थियों को हिन्दी व अँग्रेजी जरूर सीखनी चाहिये। इस दिशा में दोनों एक दूसरे की भरपूर मदद कर सकते हैं। प्रति वर्ष भारत और चीन के 200-200 युवाओं की टीमों की एक दूसरे देशों की यात्रा से युवा पीढ़ी में परस्पर आपसी समझ और मैत्री का तेजी से विकास हो रहा है।

    चीन की सफल यात्रा करके जब मैं अपने गाँव लौटा ,तो हफ्ते भर तक लोगों की भीड़ रही।सबने चीन के बारे में बहुत-सी बातें पूछीं।मैंने बताया कि चीन एक विशाल और प्राचीन देश है,चीनी भाई बहन भी बहुत अच्छे हैं ,मिलनसार हैं,मेहमाननवाज़ हैं।भारतीयों का बहुत आदर और प्यार करते हैं।जीवन में यदि दोबारा संभव हुआ,तो एक बार मैं फिर चीन की यात्रा करना चाहूँगा।  

    अनिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल और हैया को आज्ञा दीजिए, नमस्कार।

    हैया:गुडबाय।

    © China Radio International.CRI. All Rights Reserved.
    16A Shijingshan Road, Beijing, China. 100040