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    आपका पत्र मिला 2016-08-31
    2016-09-12 10:52:02 cri

    अनिल:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल का नमस्कार।

    हैया:सभी श्रोताओं को हैया का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिल:दोस्तो, पहले की तरह आज के कार्यक्रम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे। इसके बाद एक श्रोता के साथ हुई बातचीत के मुख्य अंश पेश किए जाएंगे।

    चलिए श्रोताओं के पत्र पढ़ने का सिलसिला शुरू करते हैं। पहला पत्र हमें आया है, पश्चिम बंगाल से सुदेष्णा बसु जी का। उन्होंने सपनों की दुनिया चीन में मेरा सात दिन की अनुभव नामक एक लेख भेजा है। उनहोंने लिखा है......

    मैं सुदेष्णा बसु, सीआरआई के पुराने श्रोता रविशंकर बसु की पत्नी हूं। मेरे पिता नारायण चंद्र पोरेल एक गरीब किसान हैं। बचपन से 25 जून, शनिवार तक जब भी मैं किसी भी विमान की आवाज सुनती थी तब मैं हमेशा अपने घर से दौड़ कर बाहर चली जाती थी और नीले आसमान का सीना चीरते हुए कैसे हवाई जहाज उड़ते हैं, वह देखती थी। मैं कोलकाता स्थित चीनी कांसुलेट जनरल मा चानवू (Ma Zhanwu ) की आभारी हूं। क्योंकि उन्होंने मुझे एक हवाई जहाज में सवार होकर एक पक्षी की तरह सपनों की दुनिया चीन तक पहुँचने का मेरा सपना पूरा कर दिया। 25 जून ,शनिवार की दोपहर तक मैं कल्पना भी नहीं कर सकती थी कि मेरे जैसी एक साधारण गृहिणी हवाई जहाज़ पर चढ़कर चीन की यात्रा करने के लिए जा रही है। 25 जून की शाम को कोलकाता चीनी कांसुलेट ऑफिस ने साल्ट लेक के सिटी सेंटर स्थित शानदार आफरा रेस्टोरेंट (Afraa Restaurant) में हमारे लिए एक चमत्कार डिनर की व्यवस्था की थी। वहां चीनी कौंसल सुआन ली (Mrs. Suyan Li), छन आन खाई आंकई (Mr. Chen Ankai) और फिल्म निर्देशक शुभा दास मल्लिक की उपस्थिति में हमने महंगा स्वादिष्ट भारतीय खाना जी भर के खाया था।

    खाने के बाद हम नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए रवाना हो गए। रात करीब 10 बजे तक जब हम हवाई अड्डे पर पहुंचे तब हमने चमकीली रोशनी में हवाई अड्डे के रनवे में कई विमानों को लैंडिंग और टेक ऑफ करते हुए देखा। चाइना ईस्टर्न एयरलाइन्स की उड़ान MU556 पर चढ़ते हुए मुझे अद्भुत रोमांचक अनुभव हुआ। विमान में बैठकर मेरे दिमाग में यह सवाल आया कि क्या मैं वही सुदेष्णा बसु हूं जो सचमुच हवाई जहाज में बैठी है। जब विमान रनवे पर दौड़ने लगा तब मेरे दिल में कुछ अद्भुत ख्याल आ रहे थे। ख़ुशी,घबराहट और उत्साह की भावना के साथ मेरे पूरे परिवार को पीछे छोड़ कर पहली बार विदेश यात्रा पर जाने का दुःख भी हो रहा था। मैंने खुद से पूछा कि क्या यह वही सुदेष्णा है जो 1999 में शादी के बाद अपने पति के साथ कहीं भी घूमने नहीं गयी थी।

    26 जून,रविवार चीनी समय के अनुसार सुबह 4.30 बजे हम आलीशान खुनमिंग छांगश्वेई अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट (Kunming Changshui International Airport) पर पहुंचे। इससे पहले मैंने कभी पहाड़ नहीं देखे थे। जिनच्यांग होटल को जाते वक्त, मैं ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों को निहार रही थी। मैं कल्पना भी नहीं कर सकती थी कि मेरे जैसी एक साधारण महिला आज चीन की धरती पर पहुंच गयी है ! होटल में पहुंचने के बाद भी मैं चीनी कांसुलेट जनरल को याद कर रही थी। होटल की 13 वीं मंजिल पर मौजूद कमरे में मैं एक अमीर औरत की तरह महसूस कर रही थी। उस दिन आराम करने के लिए हमें बहुत कम समय मिला। नाश्ते के बाद हम शलिन स्टोन फोरेस्ट यानि पत्थरों का जंगल घूमने गए थे।

    नींद से मेरी आंखें भारी हो गई थी, लेकिन बाहर के आकर्षक प्राकृतिक दृश्यों का आनंद लेने के लिए अपनी आंखें खुली रखी थी। इससे पहले मैंने प्रकृति की ऐसी सुंदरता कभी देखी नहीं थी। स्टोन फोरेस्ट घूमते हुए मैं प्राकृतिक पत्थरों की आकृतियों को देखकर अचंभित हो गई थी। वाकई प्रकृति की गोद में स्टोन फोरेस्ट एक खूबसूरत जगह है। मैं स्टोन फोरेस्ट के सौंदर्य को देखकर आश्चर्य से अभिभूत हो गयी थी।स्टोन फोरेस्ट में अलग-अलग संरचनाओं के पत्थर हैं। पार्क के चारों ओर घूमते हुए मैंने सोचा कि प्रकृति कितनी सुन्दर है। मुझे एहसास हुआ कि चीन को प्रकृति ने अपनी असीम खूबसूरती से नवाजा है। स्टोन फोरेस्ट से निकलने के बाद स्वादिस्ट चाइनीज खाना खाकर आलीशान होटल में विश्राम।

    अगले दिन सुबह बाथरूम में जाकर मैंने खुशी में रोना शुरू कर दिया क्योंकि बाथरूम में इतनी चीजें थी, लेकिन कुछ भी इस्तेमाल नहीं कर पायी। मैंने महसूस किया कि अब मैं अपने सपनों की दुनिया में हूं। किसी तरह नहाने के बाद मैं खुली खिड़की के सामने बैठकर सड़क पर अनुशासित चीनी लोगों और चमकदार कारों को देख रही थी। नाश्ते के बाद हम वेस्ट माउंटेन ड्रैगन गेट देखने गए थे।वह भी एक नया अनुभव था। हमारी बस सर्पीली घुमावदार पहाड़ी सड़क पर धीरे-धीरे पर्वतों पर जा रही थी।वहां पहाड़ी सड़क पर खतरनाक मोड़ थे। मैं नीचे देखने से डर रही थी। बस से उतरने के बाद हम पैदल चलकर पहाड़ के ऊपर ड्रैगन गेट पहुंचे। पहाड़ियों की चट्टान पर ताओ धर्म का ड्रैगन गेट है, जहां पर हमने कुई जिंग, गुआन इम आदि देवी देवताओं को देखा।वहां मैंने देखा कि मंदिर में देवताओं की पूजा करते समय चीनी लोग जूते-चप्पल नहीं उतारते। इसके अलावा वे देवी-देवताओं की मूर्तियों को छूते भी है।

    27 जून की दोपहर में खराब मौसम के कारण पेइचिंग जाने के लिए हमें खुनमिंग एयरपोर्ट पर करीब पांच घंटे इंतजार करना पड़ा। अधिकांश यात्री चीनी थे और वे अंग्रेजी नहीं जानते थे। मेरे पति ने एक युवा चीनी छात्र जिन्हें थोड़ा अंग्रेजी आती थी, को बताया कि हम भूखे हैं और हम सुअर का मांस या गोमांस (पॉर्क या बीफ) नहीं खाते हैं। उस चीनी छात्र ने हमें कुछ फल केक, दूध और सॉफ्ट ड्रिंक्स दिलवाने में मदद की। लंबे इंतजार के बाद हम पेइचिंग जाने वाली फ्लाइट में सवार हुए। सुबह 4.20 बजे पेइचिंग कैपिटल हवाई अड्डे पहुंचने पर, भारी बारिश ने हमारा स्वागत किया। हमारे टुअर गाइड जेन शिनिंग हमारा इंतजार कर रही थी। बारिश में भीगते हुए हम कार में पहुंचे। जब हम चिंगलुन होटल में पहुंचे तब भोर की रोशनी निकल चुकी थी। दो घंटे आराम करने के बाद हम होटल में नाश्ता करने के लिए निकले।शाही नाश्ता खाने के वक्त मुझे फिर से चीनी कांसुलेट जनरल मा चानवू याद आए। उसके बाद हम थ्येनआनमन चौक के पास छ्यैनमन सड़क (Qianmen Street) गए। सड़क पर घूमते हुए हम नए देश के नए लोगों को देख रहे थे। साफ सुथरी सड़कें, सुव्यवस्थित यातायात और लोगों की सभ्यता के साथ चहल-पहल शहर की सुन्दरता में चार चांद लगाती है। छ्यैनमन स्ट्रीट में हम अपने परिवार के सदस्यों और रेडियो क्लब के सदस्यों के लिए कुछ चीन की यादगार चीजें खरीदी। बारिश ने हमारा दिन भर पीछा किया।

    थोड़ी देर बाद हमारे गाईड ने हमें बताया कि सी.आर.आई से फोन आ रहा है वहां जल्दी जाने के लिए। जल्दी से लंच करके होटल में कपड़े बदल कर हमारे साथ वाले सी.आर.आई भवन की ओर चल पड़े। उस दिन जो आनंद और डर लगा था वह मुझे सारी ज़िंदगी याद रहेगा। बहुत सारे जानी पहचानी शक्लें देखने को मिली। वहां सभी ने हमारा स्वागत किया। वहां हमने सी.आर.आई के उप महा संपादक मा पोहुई (Mr. Ma Bohui) के साथ बातचीत की। हम आम तौर पर टीवी पर जिस तरह मंत्री स्तरीय बैठक देखते थे उनके साथ यह मुलाकात उसी तरह की थी। एक घंटे तक चली बैठक के अंत में उन्होंने हमें कुछ सी.आर.आई का स्मृति चिन्ह भेंट किया और हमने भी उन्हें कुछ गिफ्ट दिए। उनके साथ मुलाकात के बाद हम सी.आर.आई के अंग्रेजी विभाग के पास गए।

    अंग्रेजी विभाग के पूरे डिपार्टमेंट को देखने के बाद हम गए हमारे सबसे प्यारा सी आर आई हिंदी विभाग के पास। जिन लोगों की आवाज हमारे बहुत करीब है ,उन लोगों को करीब से देखने का मौका मिला । हिंदी विभाग के सभी कर्मचारियों,यांग ईफंग जी, श्याओ थांग जी , चंद्रिमा जी , अनिल आज़ाद पाण्डेय जी ,अखिल पाराशर जी ,पंकज श्रीवास्तव,मीरा जी (चू चिंग चिंग),हैया जी ,नीलम जी ,हूमिन जी - सभी ने गर्मजोशी के साथ हमें बधाई दी और बातचीत की। जब अनिल पांडेय जी ने मेरा साक्षात्कार लिया तब मैं घबरा गई। सीआरआई के साथ यह मेरा पहला साक्षात्कार था। बहुत सारे यादगार पल बिताने के बाद वहां से डिनर कर हम लोग होटल में लौट गए। वाकई सीआरआई हिंदी सेवा के साथ मुलाकात एक अविस्मरणीय अनुभव था!

    हैया:आगे सुदेष्णा बसु जी लिखती हैं......अगले दिन 29 जून को हम पश्चिमी पेइचिंग स्थित समर पैलेस घूमने गए। यह चीन के मिंग और छिंग राजवंशों का सम्राट महल था। समर पैलेस एक बड़ा झिलमिलाता खुनमिंग झील से घिरा हुआ है। हमने खुनमिंग झील में बोटिंग भी की, जो बेहद रोमांचक था। वहां से हम एक सपनों की दुनिया - बर्ड्स नेस्ट स्टेडियम और वाटर क्यूब घूमने गए।साल 2008 में मैंने अपने घर में टीवी पर पेइचिंग में हुए ओलम्पिक खेलों का उद्घाटन समारोह देखा था, तब मैंने कभी यह कल्पना नहीं की थी कि एक दिन मैं बर्ड्स नेस्ट स्टेडियम के चारों ओर घूमने में सक्षम होंगी। बाहर से देखने पर यह स्टेडियम आठ के आकार का लगता है। स्टेडियम की गैलरी में कुर्सियों पर बैठकर मैं उस अनुभव को महसूस करने की कोशिश कर रही थी जो ओलंपिक खेलों के दौरान दर्शकों को मिला था। स्टेडियम में जाकर मैंने गर्व महसूस किया। वहां से भीगते भीगते हम वाटर क्यूब गए। हमने अपने यहां कई तालाब देखे थे, लेकिन इससे पहले कभी भी मैंने इस तरह का वाटर पार्क नहीं देखा था। वाटर वार्क में बच्चों के लिए कई प्रकार के पानी में चलने वाले झूले उपलब्ध हैं।वहां से निकलकर हम स्वर्ग मंदिर देखने गए। स्वर्ग मंदिर को चीनी भाषा में "थियन थान" और अंग्रेजी भाषा में "द टेम्पल ऑफ हेवन" कहा जाता है। 1420 साल में निर्मित स्वर्ग मंदिर में मिंग और छिंग राजवंशों के सम्राट अच्छे मौसम और शांति की प्रार्थना करने हेतु स्वर्ग की पूजा करते थे।स्वर्ग मंदिर देखने में काफी बढ़िया लगा। स्वर्ग मंदिर से लौटके होटल जाने के वक्त हम सभी ने एक भारतीय रेस्तरां में डिनर खाया था। इस रेस्तरां में हमारी पंजाबी और बंगाली कर्मी से मुलाकात भी हुई।

    चीन की राजधानी पेइचिंग में हमारे संक्षिप्त टूर में हमने राजधानी के कई प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थलों को देखा।

    30 जून को हम थ्येनआनमन चौक के पास फॉरबिडन सिटी घूमने गए।फॉरबिडन सिटी देखने में काफी सुंदर और बढ़िया था। मेरे पति हमें समय समय पर फॉरबिडन सिटी की जानकारी दे रहे थे। फॉरबिडेन सिटी में ढेर सारे छोटे छोटे महल और कमरे बने हुए हैं जिनमें राजा और उसकी ढेर सारी रानियां रहा करती थीं। मैं विश्व की इस सांस्कृतिक धरोहर को देखकर बहुत देर तक आश्चर्यचकित हो गयी थी और सोचती रही कि 600 वर्षों से भी ज्यादा समय तक जिस जगह पर आम आदमी को झांकने की भी आज्ञा नहीं थी, आज मुझे इस अनमोल धरोहर को देखने का मौका मिला है।

    1 जुलाई को हम लोग चीन की महान दीवार घूमने गए। चीन तथा पूरी दुनिया का गौरव महान दीवार की घूमने की मेरी वर्षों पुरानी तमन्ना पूरी हो गयी। हम केबल कार के माध्यम से मूथ्यानयू लंबी दीवार पर पहुंचे। मैं और मेरा बेटा उदित शंकर महान दीवार की ऊंचाई वाली जगह पर भी गए। चीन की महान दीवार पर चढ़ने-चलने के वक्त हमें बहुत मजा आया। उस वक्त मैं चीख चीखकर कह रही थी कि मैं चीन की महान दीवार पर खड़ी हूं। जब हम चीन की महान दीवार से नीचे आ रहे थे तब हमने Toboggan सवारी का आनंद लिया।

    देखते देखते हमारे चीन में रहने का वक्त ख़त्म हो गया। 2 जुलाई को नाश्ते के बाद हम सुबह 8.30 बजे होटल से निकल गए। हम सभी पेइचिंग की सड़कों का नजारा देखते हुए कैपिटल म्यूजियम घूमने गए और वहां से फिर एकबार छ्यैन मन सड़क (Qianmen Street) गए कुछ खरीदारी के लिए। हम दोपहर का खाना खाने के लिए एक होटल में गए और वहां आखिरी बार कई प्रकार के स्वादिष्ट चीनी व्यंजन खाये। चीन छोड़ने के गम में मेरे पति ने उस दिन दोपहर का खाना नहीं खाया। भोजन समाप्त होने के उपरांत हम हमारे दिल में चीन यात्रा की सुखद यादें लेकर पेइचिंग एयरपोर्ट के लिए निकल पड़े। मेरी चीन यात्रा की डायरी समाप्त करने से पहले मैं मेरे दिल से चीन सरकार और कोलकाता स्थित चीनी कांसुलेट जनरल मा चानवू और उनके ऑफिस के प्रति मेरी आभार वक्त कर रही हूं। क्योंकि उन्होंने मेरी 16 साल के वैवाहिक जीवन में मेरे पति के साथ हमारे सपनों की दुनिया चीन में पहली बार रोमांटिक अवकाश मनाने का एक मौका दिया था।

    अनिल:सुदेष्णा बसु जी, लेख भेजने के लिये आपका धन्यवाद। चलिए, आगे पेश है उड़ीसा से हमारे मॉनिटर सुरेश अग्रवाल का पत्र। उन्होंने लिखा है......

    केसिंगा दिनांक 9 अगस्त को "चीन-भारत आवाज़" ध्यानपूर्वक सुना और पाया कि ZTE सॉफ्ट कम्पनी के श्री प्रसून शर्मा द्वारा पंकज श्रीवास्तव द्वारा ली गई भेंटवार्ता गत 2 अगस्त के कार्यक्रम में प्रसारित हो चुकी थी और जिस पर हम अपनी राय से भी आपको अवगत करा चुके थे, इसलिये बेहतर होता कि उक्त बातचीत के स्थान पर कुछ नया पेश किया जाता।

    कार्यक्रम "नमस्कार चाइना" के तहत मीराजी की ख़ास ख़बर सुन कर दिल बाग़-बाग़ हो उठा। जी हाँ, हमारे प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी द्वारा चीन की नयी 'टीईबी-1' बस में दिलचस्पी लिया जाना प्रसन्नता की बात है। सम्भव है कि ज़ल्द ही भारतीय महानगरों की सड़कों पर भी हमें ये बसें दौड़ाती दिखलायी पड़ें ! कार्यक्रम में आगे सौ भारतीय युवादल के सदस्य इन्दौर के नगर निगम सदस्य दीपक जैन से वार्ता काफी महत्वपूर्ण लगी। दीपकजी का अन्दाज़-ए-बयां क़ाबिल-ए-तारीफ़ लगा और वह अपनी बात स्पष्ट तौर पर रख पाये। चीन की ढांचागत सुविधाओं, वहां के लोगों की उद्यमिता, समय की पाबन्दी तथा चीनी विश्वविद्यालयों में म्यूज़ियम होने की बात से उनका प्रभावित होना स्वाभाविक ही था। चीन की पाँच शीर्ष सुर्ख़ियों में -चीन ने अपना पहला स्वनिर्मित मोबाइल संचार उपग्रह प्रक्षेपित किया; चीन में खोज़ में पायी गयीं एक हज़ार साल पुरानी पेंटिंग्स; चीनी दूरसंचार कम्पनी ZTE द्वारा इथियोपिया में पौधा-रोपण कार्यक्रम में हिस्सा लिया गया; चीन द्वारा अपने ल्यूनार मिशन को बन्द किया गया तथा चीनी पर्यटको का पहला ज़त्था क़ज़ाक़िस्तान के लिये रवाना हुआ, आदि समाचार काफी महत्वपूर्ण लगे। वहीं खेल-दुनिया में अमेरिका द्वारा रियो ऑलम्पिक्स का पहला स्वर्ण-पदक जीतने तथा नेपाल की गोरिका सिंह का ऑलम्पिक्स में भाग लेने वाली सब से कम उम्र खिलाड़ी होने की जानकारी के अलावा चीन सहित अन्य देशों के खेल-प्रदर्शन की चर्चा किया जाना अच्छा लगा। धन्यवाद् एक प्रस्तुति के लिये।

    हैया:अब सुनिए हमारे श्रोता दोस्त जी के साथ हुई बातचीत।

    अनिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल और हैया को आज्ञा दीजिए, नमस्कार।

    हैया:गुडबाय।

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