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अनिलः दोस्तो, पिछले प्रोग्राम में हमने जलवायु परिवर्तन पर बात की थी। आज भी हम इस मुद्दे के साथ-साथ विश्व भूगोल कांग्रेस के बारे में चर्चा करेंगे। इस मामले पर मुझे बात करने का अवसर मिला। विश्व भूगोल कांग्रेस के उपाध्यक्ष और दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर आर.बी. सिंह से।
प्रोग्राम में सबसे पहले पेश है, उन्हीं के साथ चर्चा।
........बातचीत जारी है..
अभी आप सुन रहे थे, प्रो. आर.बी. सिंह के साथ बातचीत।
दोस्तो, अब कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए सुनते हैं, दूसरे विषय पर जानकारी।
क्या आपने कभी सुना है कि कोई महिला गर्भवती दिखे पर हो नहीं। शायद नहीं सुना होगा। पर ऐसा ही एक मामला इंग्लैंड में सामने आया है। जहां बेरियल रोमेन नाम की एक महिला पिछले 9 सालों से प्रेग्नेंट दिखती तो है पर वो गर्भवती नही है। बेरियल रोमेन को देखकर लोग लोग उनसे पूछने लगते हैं और उनका जवाब होता है वे गर्भवती नहीं हैं।
दरअसल बेरियल एक गंभीर बीमारी से पीडि़त हैं। बेरियल के यूटेरस में फाइब्रॉइड होने के कारण उनका पेट एक प्रेग्नेंट वुमेन की तरह 18 इंच फूला रहता है। बेरियले कई देशों के डॉक्टर्स से कन्सल्ट कर चुकी हैं लेकिन फायदा नहीं हुआ। अंत में डॉक्टर्स ने उन्हें यूट्रेस निकलवाने की सलाह दी। बेरियल बताती हैं कि मैने यूट्रस निकलवाने से इंकार कर दिया, क्योंकि इसके बाद मैं कभी मां नहीं बन सकती थी। उसने बताया कि 2012 से मैंने मेडिसिन लेनी शुरू कर दी जिससे फाइब्रॉइड सिकुड़ रहा है और उम्मीद है कि यह ठीक हो जाएगा। डॉक्टरों के अनुसार महावारी में रक्तस्राव अधिक होना, दर्द होना और बार-बार पेशाब आना इस बीमारी के लक्षण हैं।
चलिए अब दूसरी जानकारी। दोस्तो फास्ट फ़ूड स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं होता है, यह तो हम जानते हैं। पिछले साल मैगी के बारे में खुलासा हुआ, उसके बाद खाने वाली ब्रेड के बारे में। अब 'मैकडोनाल्ड में फास्ट फूड बनाने के लिए काम में आ रहा पाम ऑयल जोधपुर व जयपुर की लेबोरेट्री जांच में फेल हो गया है।
चिकित्सा विभाग की ओर से दोनों शहरों से लिए गए खाद्य तेल के नमूनों में एसिडिक वैल्यू अधिक पाई गई ,जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
मैकडोनाल्ड पाम ऑयल से बर्गर, फ्रैंच फ्राइज टिकिया सहित कई तरह के फास्ट फूड बनाता है।
फूड इंस्पेक्टरों ने मैकडोनाल्ड के आउटलेट में फास्ट फूड बनाते समय उपयोग आ रहे तेल का नमूना जांच के लिए लिया था।
जोधपुर में उस समय तेल में फ्रेंच फ्राइज बनाई जा रही थी। इसके अलावा जयपुर में मैकडोनाल्ड की ब्रेड का नमूना भी फेल हो गया।
इसमें पोटेशियम ब्रोमेट मानकों से अधिक निकला। मैकडोनाल्ड का कहना है कि भारत में फूड सेफ्टी अथॉरिटी ऑफ इण्डिया (एफएसएआई) के मानकों में ताजा तेल और उपयोग हो रहे तेल (यूज्ड या रनिंग ऑयल) के लिए अलग मानक तय नहीं है।
अधिक एसिडिक वैल्यू होने से तेल से बने पदार्थों से शरीर में एसिडिटी होने की आशंका रहती है। इसके अलावा और भी कुछ मानकों पर यह तेल खरा नहीं उतरा।
विभाग ने उसी तेल का नमूना जांचा है, जिसमें मैकडोनाल्ड फास्ट फूड बना रहा था। वह तेल मानकों पर खरा नहीं है। इसके बाद कोर्ट में चालान पेश कर दिया गया है।
मैकडोनाल्ड की आपत्ति पर जयपुर में तेल का एक और नमूना जांच के लिए लिया गया है। अगर फिर भी यह फेल हुआ तो मैकडोनाल्ड के आउटलेट सीज कर दिए जाएंगे।
दोस्तो, प्रोग्राम में जानकारी यही संपन्न होती है। अब समय हो गया है, श्रोताओं की टिप्पणी शामिल करने का।
पहला पत्र हमें आया है केसिंगा, उड़ीसा से सुरेश अग्रवाल का। उन्होंने लिखा है, पिछले प्रोग्राम में सबसे पहले पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन जैसे अहम् विषय पर चर्चा सुनी। दिल्ली स्कूल ऑफ इकॉनमिक्स में असिसटेंट प्रोफेसर पंकज कुमार, जो कि भारतीय विशेषज्ञों के एक दल के साथ 33वीं अंतर्राष्ट्रीय भूगोल कांग्रेस में हिस्सा लेने बीजिंग पहुंचे थे, के विचार सुनवाया जाना अत्यन्त महत्वपूर्ण लगा। वास्तव में, जलवायु परिवर्तन दुनिया के लिए एक बड़ी चुनौती है और विश्व भर के वैज्ञानिक इस बात पर चिंता जताते रहे हैं।
वैज्ञानिक लंबे समय से चेतावनी देते आ रहे हैं कि जलवायु परिवर्तन की वजह से बढ़ते तापमान से भारत के लगभग सभी ग्लेशियर धीरे-धीरे खिसक रहे हैं। माना जा रहा है कि ग्लेशियर प्रतिवर्ष कुछ मीटर से लेकर 15-20 मीटर तक खिसक रहे हैं और अगर यही क्रम जारी रहा तो भविष्य में मानव को इसकी बड़ी क़ीमत चुकानी पड़ सकती है। वहीं खाद्य सुरक्षा और शहरीकरण और नदियों में बढ़ते प्रदूषण की समस्या भी लोगों को परेशान कर रही है। इन्हीं चिंताओं और मुद्दों पर चर्चा करने के लिए भारत सहित विश्व भर के भूगोलवेत्ता 21 से 25 अगस्त तक बीजिंग में जमा हुए। जबकि जानकारियों के क्रम में आगे -अर्जेंटीना में साल 1920 में बनी एक रेल लाइन दुनिया के सबसे ऊंचे रेल मार्गों में से एक है, पर दी गई जानकारी काफी आश्चर्यजनक लगी।
वहीं पुणे, महाराष्ट्र के 36 साल के एक युवक हनुमन्त ने एक ही फिल्म 105 बार थिएटर में देखकर अलग ही रिकॉर्ड कायम किया है। उसने नागराज मंजुले की बनाई मराठी फिल्म 'सैराट' को 105 बार देखा है।
अब बारी है अगले पत्र की। जो हमें आया है। पश्चिम बंगाल से रविशंकर बसु का। वे लिखते हैं, यह तो हम सब जान ही गए है कि प्रकृति से छेड़छाड़ मानव सभ्यता के विनाश का कारण है । टी-टाइम प्रोग्राम में दिल्ली विश्वविद्यालय के असिसटेंट प्रोफेसर पंकज कुमार के साथ जलवायु परिवर्तन को लेकर चर्चा अहम लगी। उन्होंने बताया कि जलवायु परिवर्तन की वजह से बढ़ते तापमान से भारत के लगभग ग्लेशियर धीरे-धीरे खिसक रहे हैं। और बर्फ पिघलने वाली जगह पर झील बन जाती है, भूकंप और हिमस्खलन आदि के वक्त वह झील फट जाती है। जिससे नदियों में बाढ़ आती है, लेकिन वहां से बहुत नीचे बसे लोगों को इस बात की भनक भी नहीं होती है कि उन पर इतना बड़ा खतरा मंडरा रहा है। इसके लिए संबंधित एजेंसियों को आपस में समन्वय बढ़ाना होगा, ताकि कम से कम नुकसान हो। वहीं अर्जेंटीना में समुद्र तल से चार हजार मीटर की ऊंचाई पर एंडीज पर्वत श्रृंखला से एक ऐसी ट्रेन गुजरती है जिसे 'ट्रेन टू द क्लाउड' कहा जाता है। यह रेल लाइन दुनिया के सबसे ऊंचे रेल रूटों में से एक है।
श्रोताओं की टिप्पणी यही संपन्न होती है, अब समय हो गया है हंसगुल्ले यानी जोक्स का।
पहला जोक—पत्नी : पूरा दिन क्रिकेट, क्रिकेट ..!! मैं घर छोड़ कर जा रही हूँ ... पति : (कोमेन्टरी के अंदाज़ में) पहली बार कदमों का बेहतरीन इस्तेमाल !!
दूसरा जोक—
पत्नी: तुमने कभी सोचा है कि अगर मेरी शादी किसी और से हो जाती तो तुम्हारा क्या होता? पति: भागवान, मैं कभी किसी और का बुरा नहीं सोचता.
तीसरा.दोस्तो...यह जोक तो नहीं है, लेकिन आप लोगों को पसंद आएगा।
किसी ने पूछा- ईत्र और मित्र में क्या फर्क होता है
मैंने कहा-
माहौल महका दे वह ईत्र-
और
जीवन महका दे वह मित्र।
दोस्तो, जोक्स यहीं संपन्न होते हैं। आपको कैसे लगे हंसगुल्ले।
दोस्तो, आपको आज का प्रोग्राम कैसा है। हमें जरूर बताइएगा। हमें आपके सुझावों और टिप्पणी का इंतजार रहेगा। हमारा ईमेल है.. hindi@cri.com.cn, हमारी वेबसाइट का पता है...hindi.cri.cn.......