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    आप की पसंद 160806
    2016-08-08 15:10:49 cri

    06 अगस्त आपकी पसंद

    पंकज - नमस्कार मित्रों आपके पसंदीदा कार्यक्रम आपकी पसंद में मैं पंकज श्रीवास्तव आप सभी का स्वागत करता हूं, आज के कार्यक्रम में भी हम आपको देने जा रहे हैं कुछ रोचक आश्चर्यजनक और ज्ञानवर्धक जानकारियां, तो आज के आपकी पसंद कार्यक्रम की शुरुआत करते हैं।

    अंजली – श्रोताओं को अंजली का भी प्यार भरा नमस्कार, श्रोताओं हम आपसे हर सप्ताह मिलते हैं आपसे बातें करते हैं आपको ढेर सारी जानकारियां देते हैं साथ ही हम आपको सुनवाते हैं आपके मन पसंद फिल्मी गाने तो आज का कार्यक्रम शुरु करते हैं और सुनवाते हैं आपको ये गाना जिसके लिये हमें फरमाईश पत्र लिख भेजा है .... मालवा रेडियो श्रोता संघ प्रमिलागंज, आलोट महाराष्ट्र से बलवंत कुमार वर्मा, राजुबाई माया वर्मा, शोभा वर्मा, राहुल, ज्योति, अतुल और इनके ढेर सारे मित्रों ने आप सभी ने सुनना चाहा है काश (1987) फिल्म का गाना जिसे किशोर कुमार और साधना सरगम ने गीतकार हैं फारुख़ कैसर और संगीत दिया है राहुल रौशन ने और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 1. फूल ये कहां से आए हैं ....

    पंकज – श्रोता मित्रों आज हम आपको बताने जा रहे हैं उन जानवरों के बारे में जो विलुप्त होने की कगार पर हैं ....

    दुनिया में ऐसे कई जानवर हैं जिनके हमेशा के लिए मिट जाने का ख़तरा मंडरा रहा है. ऐसा ही जानवर है, वैक्विटा पॉरपॉइज़ या सुइंस.

    डॉल्फ़िन और व्हेल की नस्ल के ये समुद्री जानवर अमरीका और मेक्सिको के समंदर से लगे इलाक़ों में पाए जाते हैं.

    1997 में इनकी तादाद पांच सौ के आस-पास थी. 2008 में इन सुइंस की संख्या घटकर 245 रह गई.

    आज कहा जा रहा है कि कैलिफ़ोर्निया की खाड़ी में महज़ 50 वैक्विटा पॉरपॉइज़ ही बची हैं.

    डॉल्फ़िन की ये बहनें, कैलिफ़ोर्निया की खाड़ी में ही पाई जाती हैं. ये सेटासियन नस्ल के जानवर हैं.

    इनमें व्हेलें, डॉल्फ़िन और दूसरी पॉरपॉइज़ आती हैं. अपने ग्रुप के ये सबसे छोटे स्तनपायी जीव हैं.

    आजकल इन्हें बचाने के लिए मेक्सिको के कुछ लोग, इन समुद्री जानवरों की जासूसी करते हैं.

    इससे ये पता लगाने की कोशिश की जाती है कि आख़िर समंदर में कितनी वैक्विटा पॉरपॉइज़ बची हैं.

    अक्सर इन्हें डॉल्फ़िन समझ लिया जाता है. दोनों में ज़्यादा फ़र्क़ होता भी नहीं.

    लेकिन डॉल्फ़िन के मुक़ाबले इनकी चोंच छोटी होती है. इनके और डॉल्फ़िन के दांतों में भी अंतर होता है.

    इनका आकार भी डॉल्फ़िन के मुक़ाबले छोटा होता है.

    दुनिया में सुइंस या पॉरपॉइज़ की छह नस्लें पाई जाती हैं. वैक्विटा पॉरपॉइज़ इनमें से सबसे छोटी होती है.

    इनके तेज़ी से ख़ात्मे की सबसे बड़ी वजह है, रिहाइशी इलाक़ों में बड़े पैमाने पर मछलियों के पकड़ने का कारोबार।

    अंजली – मित्रों वैसे तो पूरे विश्व की एक बड़ी आबादी अपने भोजन के लिये समुद्री जीवों पर निर्भर करती है, जैसे जैसे समुद्री जीवों की मांग बाज़ार में बढ़ती जा रही है वैसे ही कई देशों की सरकारों ने भी मत्स्य उत्पादन, समेत, कछुए, ऑक्टोपस, स्क्विड, घोंघे, सीप, केंकड़े और झींगे की पैदावार बढ़ाने के लिये ढेरों कदम उठाए हैं लेकिन दुनिया की बेतहाशा बढ़ती आबादी की मांग के आगे ये सब नाकाफ़ी लगते हैं। इस समय हमें ज़रूरत इस बात की है कि हम विलुप्त होते जीवों को बिल्कुल भी न छुएं, साथ ही हमारी ये भी कोशिश होनी चाहिए कि हम समुद्र, नदी, और तालाब से जितनी मछलियां मारें उससे ज्यादा के बीज वहां छोड़ें जिससे अगले सीज़न में हमारे लिये मछलियों का अकाल न पड़े। क्योंकि हम इन समुद्री जीवों को खाना तो नहीं छोड़ सकते तो दूसरा उपाय यही बचता है कि हम इनकी जनसंख्या बढ़ाने के बारे में भी सोचें। तो चलिये श्रोता मित्रों इसी के साथ मैं उठा रही हूं कार्यक्रम का अगला पत्र जिसे हमें लिख भेजा है आदर्श श्रीवास रेडियो श्रोता संघ ग्राम लहंगाबाथा, पोस्ट बेलगहना, ज़िला बिलासपुर, छत्तीसगढ़ से पारस राम श्रीवास और इनके ढेर सारे मित्रों ने आप सभी ने सुनना चाहा है डांस डांस (1987) फिल्म का गाना जिसे गाया है अलीशा चिनाय ने गीतकार हैं अंजान और संगीत दिया है बप्पी लाहिरी ने और गीत के बोल हैं ------

    सांग नंबर 2. दिल मेरा तोड़ो ना ....

    पंकज - होता ये है कि ये अक्सर मछली पकड़ने के जाल में फंसकर अपनी जान गंवा देती हैं.

    जिस इलाक़े में वैक्विटा पॉरपॉइज़ पायी जाती हैं वहां पर मछलियां पकड़ने का काम ज़ोर-शोर से होता है.

    मछलियों को पकड़ने के लिए जिलनेट नाम के जाल का ग़ैरक़ानूनी तरीक़े से इस्तेमाल होता है.

    इन्ही जालों की वजह से चीन की यांग्त्ज़ी नदी से डॉल्फ़िन का ख़ात्मा हो गया. आज यही ख़तरा वैक्विटा पॉरपॉइज़ पर मंडरा रहा है.

    ये सुइंस, समंदर में तेज़ आवाज़ें निकालती हैं. आज इनकी आवाज़ की रिकॉर्डिंग करके इनकी तादाद का पता लगाने की कोशिश की जा रही है.

    मेक्सिको के अमांडो यारामिलो लेगोरेटा काफ़ी दिनों से इस काम में लगे हैं.

    उन्होंने 2011 से 2015 के बीच अपने साथियों की मदद से समंदर में इन वैक्विटा पॉरपॉइज़ की निगरानी की.

    इनकी आवाज़ की रफ़्तार इतनी तेज़ होती है कि इंसान के कान उसे सुन नहीं सकते.

    इसलिए इन सुइंस की आवाज़ को मशीन के ज़रिए रिकॉर्ड किया जाता है.

    फिर उन्हीं आंकड़ों की मदद से कैलिफ़ोर्निया की खाड़ी में सुइंस की तादाद का अंदाज़ा लगाया जाता है।

    अंजली – मित्रों हमें अपने eco system को बिगड़ने नहीं देना है, अगर ये बिगड़ा तो हमारे सामने सबसे बड़ा खाद्य संकट पैदा हो जाएगा, हालांकि कुछ कारणों से पहले भी दुनिया के कई इलाकों में खाद्य संकट पैदा हुआ है लेकिन eco system कभी नहीं बिगड़ा, आज दुनिया की आबादी छै अरब से भी ज्यादा है ऐसे में eco system के बिगड़ने से भयावह हालात पैदा होंगे। हालांकि हम इसे बरकरार रखते हुए भी विविध तरह का खाना खा सकते हैं। तो चलिये अब हम आपको आपकी ही पसंद का गाना सुनवाते हैं। इसके लिये हमारे पास पत्र आया है नवीन रेडियो श्रोता संघ के दीपक उदयभान ठाकरे और इनके मित्रों का आपने हमें पत्र लिखा है गुरैया ढाना, रानीकामठ रोड, छिंदवाड़ा, मध्यप्रदेश से आप सभी ने सुनना चाहा है लोहा (1987) फिल्म का गाना जिसे गाया है अनुराधा पौडवाल और कविता कृष्णामूर्ति ने गीतकार हैं फ़ारुख़ कैसर और संगीत दिया है लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने और गीत के बोल हैं -----

    सांग नंबर 3. पतली कमर लंबे बाल ....

    पंकज - लेगोरेटा का कहना है कि पिछले चार सालों में इन सुइंस की आवाज़ में 34 फ़ीसद की गिरावट आई है.

    लेगोरेटा के अलावा भी एक और पड़ताल से पता चला है कि इनकी तादाद महज़ पचास ही रह गई है.

    अगर वैक्विटा पॉरपॉइज़ की इस नस्ल का ख़ात्मा होता है, तो इसके गंभीर नतीजे होंगे, क्योंकि आज की तारीख़ में इनके बचाव के लिए मछली मारने वालों को आर्थिक मदद मिलती है.

    वैक्विटा पॉरपॉइज़ के ख़ात्मे के बाद उन्हें ये पैसे नहीं मिलेंगे. वो और ज़्यादा तादाद में मछलियां पकड़ने की कोशिश करेंगे.

    इससे पूरे इलाक़े से ही मछलियों का ख़ात्मा होने का डर है.

    मेक्सिको के योर्ग टॉर इन वैक्विटा पॉरपॉइज़ को बचाने की मुहिम से जुड़े हुए हैं.

    वो कहते हैं कि प्रशासन इन सुइंस के ख़ात्मे के लिए क़रीब पंद्रह सौ मछुआरों को बार-बार ज़िम्मेदार बताता है. इससे वो लोग भी खीझ गए हैं.

    योर्ग सलाह देते हैं कि मेक्सिको की सरकार को वैक्विटा पॉरपॉइज़ को बचाने के लिए देशव्यापी मुहिम छेड़नी चाहिए.

    इसे देश की पहचान का मसला बताना चाहिए. तभी आम लोग, इस मुहिम को लेकर संजीदा होंगे.

    मेक्सिको के राष्ट्रपति ने 2015 में वैक्विटा पॉरपॉइज को बचाने के लिए एक इमरजेंसी अभियान का एलान किया है।

    अंजली – तो श्रोता मित्रों कार्यक्रम में मेरे आने का मतलब है कि अब आप अपनी ही पसंद का एक मधुर गीत सुनने जा रहे हैं। इस मधुर गीत के लिये हमें फरमाईशी पत्र लिख भेजा है आज़ाद नगर लक्सर हरिद्वार उत्तराखंड से ताज मोहम्मद अंसारी, गुलाम साबिर राही, मेहजार जहां और इनके सभी परिजनों ने आप सभी को हम सुनवाने जा रहे हैं डकैत (1987) फिल्म का गाना जिसे गाया है सुरेश वाडकर और आशा भोंसले ने गीतकार हैं आनंद बख्शी संगीत दिया है राहुल देव बर्मन ने और गीत के बोल हैं -----

    सांग नंबर 4. किस कारण नैया डोली ...

    पंकज - पिछले साल से ही मछलियां पकड़ने के लिए जिलनेट के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई है.

    इससे मछुआरों को होने वाले नुक़सान की भरपायी के लिए सरकार पैसे दे रही है।

    हवाई सर्वे से पता चला है कि अमरीका की कोलोराडो नदी के डेल्टा में कुछ और सुइंस पायी गई है।

    अब अगर सरकार की मुहिम रंग लाती है तो इस इलाक़े में वैक्विटा पॉरपॉइज़ की तादाद बढ़ने की उम्मीद है।

    इसके लिए सबसे ज़रूरी है कि जिलनेट का इस्तेमाल पूरी तरह बंद हो।

    हालांकि सिर्फ़ वैक्विटा पॉरपॉइज़ से पूरी नस्ल को बचा पाना बहुत मुश्किल काम है।

    पंकज - मुंबई-पुणे हाईवे पर हुई मछलियों की बारिश

    मुंबई/पुणे: दुनिया में कई अनसुलझे रहस्यों में से एक है आसमान से मछलियों की होने वाली बारिश। मुंबई-पुणे हाईवे पर भी सोमवार दोपहर मछलियों की बारिश हुई है। लोगों में सड़क पर पड़ी मछलियों को उठाने और उसके फोटो/वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर करने की होड़ मची हुई है। हालांकि अभी तक प्रशासन ऐसी घटना की पुष्टि नहीं कर रहा है लेकिन तस्वीरें तेज़ी से वायरल हो रही हैं। सड़कों पर मरी मिली हजारों मछलियां ..

    - सोशल मीडिया में डाली गई तस्वीरों में सैकड़ों लोग मुंबई-पुणे हाईवे पर पड़ी हुई मछलियां उठाते नजर आ रहे हैं।

    - लोगों के मुताबिक कई किलोमीटर तक इसी तरह से मछलियां सड़क पर पड़ी हुई थीं।

    अंजली – श्रोता मित्रों इस तरह की हैरतअंगेज़ घटनाएं समय समय पर हमें सुनने और देखने को मिलती रहती हैं। कभी भीषण गर्मी में बरसात के साथ आसमान से बर्फ के गोले गिरते हैं. इनसे कई बार किसानों की फसलें भी खराब हो जाती हैं, कभी हमें रेगिस्तान में भी बाढ़ की खबरें सुनने को मिलती हैं, ये प्रकृति बहुत सारी विस्मृत कर देने वाली घटनाओं से भरी है। मित्रों अब मैं आपको सुनाने जा रही हूं कार्यक्रम का अगला गाना जिसके लिये हमें फ़रमाईशी पत्र लिख भेजा है मोजाहिदपुर, पूरबटोला, भागलपुर, बिहार से मोहम्मद खालिद अंसारी, मोहम्मद ताहिर अंसारी, कादिर, मुन्ना खान मुन्ना, नुरूलहोदा, शब्बीर ज़फ़र, एम के नाज़, इनके साथ ही नवगछिया, मुमताज मोहल्ले से पत्र लिखा है ज़फ़र अंसारी, शौकत अंसारी, मास्टर अतहर अंसारी ने आप सभी ने सुनना चाहा है आवारगी (1990) फिल्म का गाना जिसे गाया है शब्बीर कुमार और लता मंगेशकर ने गीतकार हैं आनंद बख्शी और संगीत दिया है अनु मलिक ने और गीत के बोल हैं ------

    सांग नंबर 5. बाली उमर ने मेरा हाल वो किया ....

    पंकज - इन्हें उठाने की होड़ में सड़क पर लंबा जाम लग गया। हाईवे पर ट्रैवल करने वाले गाड़ियां रोक-रोक कर मछलियों को उठा रहे थे।

    - कुछ लोगों ने इस पूरी घटना का वीडियो अपने मोबाइल फोन से तैयार किया और फेसबुक और ट्विटर पर डाल दिया।

    - हालांकि अभी तक आधिकारिक तौर पर इस बरसात की पुष्टि स्थानीय प्रशासन की ओर से नहीं की गई है।

    पहले भी हुई ऐसी बरसात

    - बता दें कि ऐसा एक बार नहीं कई बार और दुनिया के कई इलाकों में हो चुका है।

    - जून 2015 में मछलियों की ऐसी ही बारिश आंध्रप्रदेश के विजयवाड़ा के गोलमुंडी गांव में भी हुई थी।

    - एक संभावना यह भी जताई जा रही है कि किसी ट्रक में या दूसरी गाडी में इन मछलियों को ले जाया जा रहा हो, और उसके पलटने से मछलियां सड़क में बिखर गई हों।

    -हालांकि इस फैक्ट पर भरोसा इसलिए नहीं हो रहा है क्यूंकि अव्वल तो सड़क पर कोई एक्सीडेंट हुआ व्हीकल नहीं है और कुछ मछलियाँ लोगों को जिंदा भी मिली हैं, जो किसी ट्रक में कैरी करने पर संभव नहीं है।

    यह हो सकती है वजह....

    - वैज्ञानिकों की रिसर्च बताती है कि, इस तरह की घटनाएं जल स्तंभ या बवंडर के कारण होती हैं।

    - जब बवंडर समुद्र तल को पार करते हैं तो ऐसी स्थिति में पानी के भीषण तूफान में बदल जाते हैं।

    - इस दौरान चलने वाली हवाएं अपने साथ मछलियां, मेंढक, कछुए, केकड़े यहां तक कि कई बार घड़ियालों को भी साथ ले जाती हैं।

    - यह जीव इस बवंडर के साथ उड़ते रहते हैं और तब तक आसमान में होते हैं, जब तक हवा की गति कम न हो जाए।

    - जैसे ही हवा धीमी होती है और यह बवंडर जहां पहुंचता है उसके आसपास के हिस्सों में यह जीव बरसात के पानी के साथ गिरने लगते हैं।

    - वैज्ञानिक बिल इवांस की एक पुस्तक के अनुसार पानी के प्राणी सालभर में करीब 40 बार बारिश के पानी के आसमान से नीचे गिरते हैं।

    अंजली - मित्रों हमें अगला पत्र लिखा है हमारे पुराने और चिर परिचित श्रोता ने परमवीर हाउस, आदर्श नगर, बठिंडा, पंजाब से अशोक ग्रोवर, परवीन ग्रोवर, नीती ग्रोवर, पवनीत ग्रोवर, विक्रमजीत ग्रोवर और इनके साथियों ने आप सभी ने सुनना चाहा है रंगीला (1995) का गाना जिसे गाया है उदित नारायण और चित्रा ने गीतकार हैं महबूब और संगीत दिया है ए आर रहमान ने और गीत के बोल हैं-----

    सांग नंबर 6. यारों सुनलो ज़रा ....

    पंकज – तो मित्रों इसी के साथ हमें आज का कार्यक्रम समाप्त करने की आज्ञा दीजिये अगले सप्ताह आज ही के दिन और समय पर हम एक बार फिर आपके सामने लेकर आएंगे कुछ नई और रोचक जानकारियां साथ में आपको सुनवाएँगे आपकी पसंद के फिल्मी गीत तबतक के लिये नमस्कार।

    अंजली - नमस्कार।

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