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    आपका पत्र मिला 2016-07-20
    2016-07-20 15:15:38 cri

    अनिल:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल का नमस्कार।

    हैया:सभी श्रोताओं को हैया का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिल:दोस्तो, पहले की तरह आज के कार्यक्रम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे। इसके बाद एक श्रोता के साथ हुई बातचीत के मुख्य अंश पेश किए जाएंगे।

    चलिए श्रोताओं के पत्र पढ़ने का सिलसिला शुरू करते हैं। पहला पत्र हमें आया है, बिहार से राम कुमार नीरज जी का। उनहोंने लिखा है......

    दुनिया के ज्वलंत मुद्दों को जानने और समझने के लिए सी आर आई हिंदी साइट मेरी सबसे पसंदीदा जगहों में एक है। रिपोर्टों की ताज़ा कड़ी में फ़्रांस में 3 दिन के राष्ट्रीय शोक पर विस्तृत रिपोर्ट पढ़ी और घटना को करीब से जानने का मौका मिला। वास्तव में,14 जुलाई को मनाया जाने वाला 'बास्तिल दिवस" एक तरह से फ्रांस का राष्ट्रीय दिवस है। इस दिन वहां उत्सव का माहौल रहता है। एक विकसित देश में, औपचारिक आपातकाल के बीच, ऐसे अहम अवसर पर आतंकवादी हमले की गुंजाइश छूटी रह जाए, तो उससे अधिक चिंताजनक और क्या हो सकता है?

    नीस शहर में 'बास्तिल दिवस" पर हर साल की तरह बड़ी संख्या में लोग जुटे। वहीं एक दहशतगर्द ने अपने ट्रक को इधर-उधर दौड़ाते हुए दर्जनों लोगों को कुचल दिया। उसने फायरिंग भी की। बाद में मालूम हुआ कि ट्रक में हथियार और हथगोले भी थे। यानी उसने पूरी तैयारी से ऐसा हमला किया, जिससे अधिकतम लोग हताहत हों। इसमें उसकी कामयाबी से फ्रांस सरकार का यह दावा निराधार साबित हुआ कि पिछले साल दो बड़े और गुजरे 18 महीनों में कई अन्य छोटे आतंकवादी हमलों के बाद अब उसने पुख्ता सुरक्षा तैयारियां की हैं। नीस कांड के हमलावर की पहचान ट्यूनिशियाई मूल के फ्रेंच नागरिक के रूप में की गई है। आरंभिक संकेत यही हैं कि फ्रांस में रहते हुए वह दहशतगर्दी की तरफ बढ़ा। विभिन्न् समाजों के लिए ऐसे रुझान कहीं ज्यादा खतरनाक हैं। इसलिए कि हमलावर बाहर से नहीं आ रहे, बल्कि उन्हीं समाजों में पनप रहे हैं। क्यों? फ्रांस और ऐसे तमाम समाजों के लिए यह गहरे आत्मनिरीक्षण का विषय होना चाहिए।

    रिपोर्ट को पढ़ते हुए लगा कि बेशक इस वक्त जरूरत यही है कि सारी दुनिया आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हो। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण यह है ये बात हर बड़े हमले के बाद दोहराई तो जाती है, लेकिन कुछ दिनों में ही इसे भुला दिया जाता है। दूसरी तरफ आधुनिक मूल्यों एवं मानव सभ्यता के उच्च आदर्शों के खिलाफ दहशतगर्दों की बर्बरता बढ़ती जा रही है। 'बास्तिल दिवस" 1789 की फ्रेंच क्रांति की याद में मनाया जाता है। 14 जुलाई 1789 को पेरिसवासियों ने बास्तिल किले पर कब्जा किया था, जहां राजतंत्र का विरोध कर रहे राजनीतिक बंदियों को रखा गया था। ये घटना ऐतिहासिक फ्रेंच क्रांति का प्रतीक बन गई, जिसका नारा 'स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व" थी। ये उसूल आज भी विश्व समुदाय के सर्वोच्च आदर्श हैं। नीस शहर में इन्हीं आदर्शों को निशाना बनाया गया। जाहिर है, इनकी रक्षा सारी दुनिया का कर्तव्य है, जिसे निभाने का अपेक्षित दृढ़निश्चय वह अब तक नहीं दिखा सकी है।

    राम कुमार जी, आपने इस मुदद् पर सीआरआई पर रिपोर्ट पढ़ी और उस पर अपनी प्रतिक्रिया भेजी है। वास्तव में आतंकवाद आज पूरी दुनिया के लिए चुनौती बन चुका है। कोई विकसित देश हो या फिर विकासशील या गरीब देश, विश्व के कोने-कोने में आतंकवाद नामक वायरस अपनी जड़ें पसार रहा है। यह वाकई में सुख चैन, शांति के लिए बड़ी चुनौती है। उम्मीद करते हैं कि दुनिया को इससे छुटकारा मिलेगा।

    हैया:राम कुमार नीरज जी, पत्र भेजने के लिये आपका धन्यवाद। चलिये, अगला पत्र मेरे हाथ आया है छत्तीसगढ़ से चुन्नीलाल कैवर्त जी का। उन्होंने लिखा है......

    चीन की झलक में चीनी महिलाओं के पर्यटन के विषय में प्रकाशित रिपोर्ट रोचक और तथ्यात्मक लगी। रिपोर्ट के अनुसार लगभग सभी चीनी महिलाएं पर्यटन के लिए योजना बनाने में सक्रिय हैं और उनमें से 43 प्रतिशत लोगों ने अपनी इच्छा के अनुसार स्वतंत्र रूप से पर्यटन-योजनाएं बनाई हैं और करीब 55 प्रतिशत लोगों ने अपने परिजनों या मित्रों के साथ मिलकर पर्यटन-योजनाएं बनाई हैं। केवल 1 प्रतिशत महिला पर्यटक किसी दूसरे की बनी योजना के अनुसार पर्यटन पर निकली। पर्यटन से चीनी महिलाओं ने दुनिया और नई बातों को अच्छी तरह समझने की अपनी क्षमता बढाई है। इस तरह जीवन के बारे में उनकी सोच और जीवनशैली बदल गई है। उनमें आत्मविश्वास बहुत बढा है। कहा जा सकता है कि पर्यटन चीनी महिलाओं का दुनिया जानने का अहम रास्ता बन गया है। चीन में पुरूषों की तुलना में महिलाएं पर्यटन को अधिक पसंद करती हैं और पर्यटन पर अधिक खर्च करती हैं। निश्चित रूप से पर्यटन का हम सबकी जिन्दगी पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।सार्थक और रोचक जानकारी के लिए आपका धन्यवाद।

    यह जानकर बड़ी खुशी हुई कि यूनेस्को की 40वीं विश्व विरासत धरोहर कमेटी की बैठक में 17 जुलाई को चीन के हूपेई प्रांत के शननोनच्या को विश्व विरासत धरोहरों की सूची में शामिल कर लिया गया है। इस प्रकार चीन में विश्व विरासत धरोहर परियोजनाओं की संख्या 50 हो गई है।इसी बैठक में भारत के प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय को भी विश्व विरासत धरोहर में शामिल कर लिया गया है। प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय का,हान राजवंश के बौद्ध महाचार्य हवेनसांग के साथ गहरा संबंध है। सी आर आई से मध्य चीन के हूपेई प्रांत में स्थित शननोनच्या के बारे में कभी नहीं सुना। अतः आपसे निवेदन है कि 'चीन की झलक' में शननोनच्या के बारे में सचित्र विस्तृत जानकारी देने का कष्ट करें। धन्यवाद।

    अनिल:चुन्नीलाल कैवर्त जी, हमें पत्र भेजने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद। चलिए, अगला पत्र मेरे हाथ आया है उड़ीसा से हमारे मॉनिटर सुरेश अग्रवाल जी का। उन्होंने लिखा है......

    बहरहाल, ताज़ा अन्तर्राष्ट्रीय समाचारों के बाद हमने अपना चहेता साप्ताहिक "सण्डे की मस्ती" भी गौरपूर्वक सुना और उसका पूरा लुत्फ़ उठाया। हर बार की तरह आज के कार्यक्रम में भी दुनिया के कुछ अजब-गजब किस्सों और हैरतंगेज़ कारनामों की चर्चा ने हमारे मन को खूब लुभाया। कार्यक्रम की शुरुआत गायक रोंगचोंग अर्चा और गायिका वांगमू द्वारा गाये 'प्रकृति की आवाज़ से पहुंचता है प्यार' शीर्षक गीत से किया जाना कार्यक्रम में समां बांध गया। 'सण्डे स्पेशल' में सपनाजी द्वारा पेश 'विश्व की संवेदनशील कहानी' में इंगलैंड की संवेदनशील कहानी 'निष्कृति का बंधन' काफी हृदयस्पर्शी लगी। जॉर्ज और उसके हमशक्ल भिखारी का किस्सा कुछ सोचने पर विवश कर गया। अजीबोग़रीब और चटपटी बातों के खण्ड में ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न स्थित चिड़िया घर में जिंदगी से जूझ रहे एक हाथी के बच्चे के जीवन में जगी आशा की नई किरण सम्बन्धी जानकारी प्राप्त कर दिल को काफी सुकून मिला कि कैसे दुर्लभ विकार से ग्रस्त यह हथिनी मंगलवार को पहली बार अपने पैरों पर खड़ी हुई। तीन सप्ताह की यह हथिनी जन्मजात कार्पल फ्लेसर नामक रोग से ग्रसित है। यह भी जाना कि उक्त रोग की वजह से जानवरों के पैर पीछे की ओर मुड़ जाते हैं, और वे खड़े नहीं हो पाते।वैज्ञानिकों द्वारा गीर की गायों के यूरीन में सोना मिलने की पुष्टि का समाचार तो हमारे लिये और भी उत्साहवर्द्धक था। सनातन धर्म में गाय को यूँ ही माता का दर्ज़ा नहीं मिला होगा। सम्भव है कि वैज्ञानिक पुष्टि के बाद भी अनेक लोगों को यकीन नहीं हो रहा होगा कि दूध देने वाली गाय सोना भी सकती है। विश्व के लिये यह एक अनूठी मिसाल हो सकती है कि -चार साल की लम्बी रीसर्च के बाद, जूनागढ़ (गुजरात) एग्रीकल्‍चरल यूनिवर्सिटी के साइंटिस्‍ट्स ने गीर की गायों के मूत्र में सोने का पता लगाया है। यूनिवर्सिटी की फूड टेस्टिंग लैब में गीर की 400 गायों के मूत्र के नमूनों की जांच में एक लीटर मूत्र में 3 मिलीग्राम से लेकर 10 मिलीग्राम तक सोना पाया गया है और मूत्र में सोना आयनों के रूप में पाया गया है जो कि पानी में घुले स्वर्ण लवण हैं।

    यूनिवर्सिटी बायोटेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट के हेड डॉ. बीए गोलकिया के नेतृत्व में रीसर्चर्स की टीम ने गैस क्रिप्टाग्राफी-मास स्पेक्टोमैट्री (GS-MS) का प्रयोग गोमूत्र के परीक्षण के लिए किया. इसका मतलब ये है कि एक स्वस्थ्य गाय के मूत्र से एक दिन में कम से कम 3000 रुपए कीमत का एक ग्राम सोना और एक महीने में लगभग एक लाख रुपये कीमत का तीन तोला सोना निकाला जा सकता है। सचमुच, मालामाल करने वाला यह नुस्खा अब गोपालन को बढ़ावा देगा। यह तो महज़ गीर की गायों के मूत्र-परीक्षण से निकले सोने की बात है, कल्पना कीजिये, तब क्या होगा, जब भारत के तमाम हिस्सों की गाय सोना उगलेंगी।

    शायद दुनियाभर के वैज्ञानिक अब यह समझने लगेंगे कि -यूँ ही नहीं कहा जाता है कि गाय का दूध पीने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है; दिमाग तेज होता है; बीमारियां नहीं होती है और अब तो यह सोने की खदान भी साबित होने लगी है।

    कार्यक्रम में सुनवाये गये प्रेरक ऑडियो की यह बात हमें बहुत भायी कि -अपने फ़ायदे से पहले सामने वाले का फ़ायदा सोचने पर, वास्तव में अपना ही फ़ायदा होता है ! मनोरंजन सेगमेण्ट के तहत इस शुक्रवार यानि 15 जुलाई को रिलीज़ हुई इरफान की फिल्म 'मदारी' की चर्चा के साथ उसका प्रोमो सुनवाया जाना रुचिकर लगा। आज के जोक्स में मेरे भेजे जोक को परवान चढ़ाने का शुक्रिया और धन्यवाद फिर एक अच्छी प्रस्तुति के लिये।

    हैया:दोस्तो, हाल ही में भारतीय श्रोता दोस्तों के प्रतिनिधि के रूप में New Horizon Radio Listeners Club के मुख्य सदस्यों ने सीआरआई की यात्रा की। इस क्लब के प्रमुख मॉनिटर रविशंकर बसु है। अब सुनिए भारतीय श्रोता दोस्तों के दल के साथ हुई बातचीत।

    ---- INTERVIEW-----

    अनिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल और हैया को आज्ञा दीजिए, नमस्कार।

    हैया:गुडबाय।

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