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    160328 आर्थिक विकास और सांस्कृतिक संरक्षण दोनों पर जोर
    2016-03-28 19:18:25 cri

    रोंगपा शिन्नाइन्टरव्यू देते हुए

    तेंगर के बराबर दक्षिण पश्चिमी चीन के युन्नान प्रांत के नूच्यांग लीसू जातीय स्वायत्त प्रिफेक्चर में फूमि जाति के सीपीपीसीसी सदस्य रोंगपा शिन्ना भी ऐसा ही सोचते हैं। हाल के दो सालों में रोंगपा शिन्ना इस बात से परेशान हैं कि उनकी जन्मभूमि देश के सीमांत क्षेत्र में स्थित है, जहां पहाड़ी इलाका है और अल्पसंख्यक जातीय लोग गरीब हैं। अब भी 1 लाख 73 हज़ार लोग गरीब हैं। दूसरी तरफ़ जन्मभूमि में पहले हाई स्पीड राजमार्ग पर यातायात का संचालन 2017 में औपचारिक तौर पर शुरू होगा। इसके साथ ही और अधिक बेहतर हवाई अड्डे का निर्माण भी जोरों पर है। रोंगपा शिन्ना ने कहा:"इसका मतलब है नूच्यांग नदी की घाटी का विकास होने वाला है। इस तरह अधिक लोग यहां आने के साथ-साथ लोजिस्टिक्स और पूंजी भी लगाएंगे। लेकिन अब मेरे सामने जातीय पारंपरिक संस्कृति के संरक्षण और आर्थिक विकास के बीच के अंतरविरोध वाली चिंता आ गई। अगर विकास न किया गया, तो लोगों का जीवन स्तर नहीं बढ़ पाएगा। लेकिन विकास किया गया, तो हमारे पूर्वजों द्वारा छोड़ी गई पारंपरिक संस्कृति पर जरूर बड़ा प्रभाव पड़ेगा।"

    आर्थिक विकास और जातीय संस्कृति के संरक्षण के बीच संतुलन कैसे बनाए रखा जाए?रोंगपा शिन्ना को चिंता है कि केवल 40 हज़ार जनसंख्या, भाषा होने और अक्षर न होने वाली फूमी जाति को आधुनिक अर्थव्यवस्था और समाज के प्रभाव का सामना करना पड़ता है। कई वर्षों तक जारी रही पारंपरिक संस्कृति कमजोर होगी। रोंगपा शिन्ना को आशा है कि देश नूच्यांग नदी क्षेत्र में आर्थिक विकास के पूर्व अल्पसंख्यक जातियों की पारंपरिक संस्कृति के संरक्षण पर प्राथमिकता देगा। ताकि दुर्लभ और मूल्यवान अल्पसंख्यक जातीय परम्परागत संस्कृति पीढ़ी दर पीढ़ी विरासत के रूप में लेते हुए उसका आगे विकास किया जा सके। इस वर्ष जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन की 12वीं राष्ट्रीय समिति के चौथे सम्मेलन में सीपीपीसीसी सदस्य रोंगपा शिन्ना ने इस के संदर्भ में प्रस्ताव पेश किया। उन्होंने अपना प्रस्ताव बताते हुए कहा:"इस वर्ष मेरा प्रस्ताव यह है कि न्यूच्यांग नदी को राष्ट्र स्तरीय जातीय सांस्कृतिक पारिस्थितिक संरक्षण केंद्र में शमिल किया जाए। मुझे आशा है कि देश के नूच्यांग नदी क्षेत्र के विकास के हमारी संस्कृति का और अच्छी तरह संरक्षण किया जा सके।"

    रोंगपा शिन्ना के मुताबिक वर्तमान में वे फूमी जाति का पहाड़ी गीत, पूजा की रस्म जैसी श्रेष्ठ संस्कृति को रिकॉर्ड किया गया है। ताकि संबंधित वृद्ध उत्तराधिकारियों के इस दुनिया को छोड़ जाने के बाद जातीय संस्कृति को विरासत के रूप में लेते हुए आगे विकास हो सके।


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