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    आपका पत्र मिला 2015-10-28
    2015-11-04 15:03:56 cri

    अनिल:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल पांडे का नमस्कार।

    मीनू:सभी श्रोताओं को मीनू का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिलः आज के कार्यक्रम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे। इसके बाद एक श्रोता के साथ हुई बातचीत के मुख्य अंश पेश किए जाएंगे।

    अनिल:चलिए श्रोताओं के पत्र पढ़ने का सिलसिला शुरू करते हैं। पहला पत्र हम शामिल करते हैं, ओड़िशा से हमारे मोनिटर सुरेश अग्रवाल जी का। उन्होंने लिखा है.....

    दिनांक 23 अक्टूबर को सीआरआई हिन्दी के ताज़ा प्रसारण का अभिवादन हम सब मित्र-परिजनों ने प्रतिदिन की भांति आज भी शाम ठीक साढ़े छह बजे किया और प्रसारित कार्यक्रम का भरपूर लुत्फ़ उठाने के बाद अब मैं उस पर अपनी त्वरित प्रतिक्रिया के साथ आपके समक्ष उपस्थित हूँ। देश-दुनिया की अहम ख़बरों का ज़ायज़ा लेने के बाद साप्ताहिक "चीन का तिब्बत" के तहत आज निंगछी प्रिफैक्चर के कोंग्पो क्षेत्र में गाये जाने वाले कोंग्पो तीर गीत के बारे में दी गई जानकारी और स्वयं 75 वर्षीय दादी माँ सांक्ये खांगसो की आवाज़ में कांग्पो तीर गीत सुन कर पता चला कि क्यों इसे तिब्बत की ग़ैर-सांस्कृतिक भौतिक विरासत में शामिल किया गया। यह जानकर अच्छा लगा कि कांग्पो तीर गीत गाने वाली एकमात्र दादी माँ सांक्ये खांगसो बची थीं, परन्तु उनके साथ अब उनकी बेटी तसरीन तथा मैरी ज़िले के कुछ अन्य युवा भी इसे सीखने में रूचि ले रहे हैं। गीत को अपनी अभिनय नृत्यकला के साथ जोड़ इसे एक नया आयाम देने वाले नकावांग दोर्जे के प्रयासों की भी जितनी प्रशंसा की जाये, कम है।

    कार्यक्रम "दक्षिण एशिया फ़ोकस" के अन्तर्गत आज यह उत्साहवर्द्धक समाचार सुनने को मिला कि डैटा कंसल्टेंसी (ईएनवाय) के सर्वेक्षण के अनुसार भारत विदेशी निवेश के मामले में विश्व का नम्बर एक गन्तव्य बन गया है। मेरी राय में यह कोरा खयाली पुलाव तो कदापि नहीं हो सकता और लगता है कि अब इसके पीछे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयास अपना रंग दिखाने लगे हैं। इस सन्दर्भ में वरिष्ठ पत्रकार उमेश चतुर्वेदी के विचार काफी महत्वपूर्ण लगे। यद्यपि, उन्होंने सन 2014 के विश्वबैंक द्वारा ज़ारी भारत की आर्थिक प्रगति सम्बन्धी आंकड़ों के हवाले से जो जानकारी दी, उसमें भारत का स्थान कहीं पीछे था, परन्तु एक साल के बाद भारत ने यह जो छलांग लगाई है, क़ाबिल-ए-तारीफ़ है। उमेशजी द्वारा उद्योग-धंधों के लिये कृषि की उपजाऊ भूमि के बजाय दलदली और बंजर भूमि का जो विकल्प सुझाया गया, काफी व्यावहारिक और सारगर्भित लगा और यदि हमारे राजनेता वोट की राजनीति को तज, इस पर अमल करें तो देश की एक बहुत बड़ी समस्या का हल हो सकता है। धन्यवाद एक अच्छी प्रस्तुति के लिये।

    मीनू:आगे सुरेश जी लिखते हैं.....श्रृंखला "पश्चिम की तीथयात्रा" की कड़ी में आज वानर, शूकर और भिक्षु रेतात्मा अपनी योजना में कामयाब रहे और वे बाघमुख गुफ़ा में प्रवेश करने में सफल रहे। अन्दर जाकर उन्हें अपनी खोयी तीनों निधियां दिखलायी पड़ीं, तो उनके धैर्य का बांध टूट गया और वे तीनों अपने असली रूप में आ गये। उन्होंने अपने-अपने शस्त्र उठा लिये और प्रेतात्मा पर टूट पड़े। प्रेतात्मा ने भी अपने परशु से उन पर प्रहार किये, पर उन दैवीय अस्त्रों के सामने उसकी एक न चली और अंततः वह वहां से भाग खड़ा हुआ । बाद में वानरादि तीनों गुरु-भाइयों ने गुफ़ा में जाकर वहां के तमाम छोटे दैत्यों का सफ़ाया कर गुफ़ा को आग के हवाले कर दिया और गुफ़ा से निकलीं काम की वस्तुओं को अपने साथ विख्वा नगर ले गये। अब कहानी में आगे क्या होगा, देखना है। धन्यवाद।

    अनिल:सुरेश अग्रवाल जी, हमें पत्र भेजने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद। चलिए, अगला पत्र मेरे हाथ आया है पश्चिम बंगाल से देवशंकर चक्रबर्ती जी का। उन्होंने लिखा है....

    फिजियोलॉजी और चिकित्सा के क्षेत्र में इस साल का नोबेल पुरस्कार परजीवी यानी पैरासाइट से होने वाले संक्रमण से लड़ने में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले तीन वैज्ञानिकों- चीनी महिला वैज्ञानिक तू योयो,आयरलैंड के वैज्ञानिक विलियम सी. कैम्प्बेल और जापानी वैज्ञानिक सातोशी ओमूरा को एक साथ संयुक्त रूप से पुरस्कार दिया गया है। इन वैज्ञानिकों में विलियम सी कैम्पबेल, सातोशी ओमुरा को यह पुरस्कार इनफैक्शन से निपटने की थैरपी के लिए और चीन की तू योयो को मलेरिया को खत्म करने की दवा ईजाद करने पर मिला है। चीन में पहली बार किसी महिला ने विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार जीता है।

    आज भी दुनिया भर में मलेरिया वाकई एक भयानक समस्या है।विश्व स्वास्थ्य संगठन की पिछले वर्ष आई विश्व मलेरिया रिपोर्ट के अनुसार 2013 में विश्व भर में करीब 19 करोड़ 80 लाख लोग मलेरिया से पीड़ित हुए और लगभग 5 लाख 84 हजार मरीजों की मृत्यु हो गई। भारत में तो हर साल मलेरिया से करीब 20 लाख लोग प्रभावित होते हैं। जिनमें से प्रत्येक वर्ष एक हजार लोगों की मौत हो जाती है। हमारे देश की कुल आबादी में से 80.5 प्रतिशत लोग ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं जहां मलेरिया का खतरा सबसे अधिक है। मलेरिया के वैश्विक खतरों को देखते हुए हर वर्ष 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस (World Malaria Day) मनाया जाता है जिससे इस रोग की भयानकता और इससे बचाव का संदेश प्रचारित किया जा सके।

    30 दिसंबर 1930 को औषधि विशेषज्ञ तू का जन्म शंघाई से करीब 200 किमी दूर निंगबो में हुआ था। इनके साथ प्राचीन और आधुनिक विज्ञान के अनोखे सामजंस्य की सुंदर कथा भी जुड़ी है। सबसे बड़ी खासियत यह है कि इनके पास मेडिकल या डॉक्टरेट डिग्री नहीं है। वे 1969 से ट्रेडिशनल मेडिसिन में रिसर्च कर रही थीं। यूयू तू को मलेरिया की सबसे सफल दवा आटेंमिसिनिन (Artemisinin) की खोज के लिए भी जाना जाता है। उन्होंने चीन के प्राचीन चिकित्सा ग्रंथों के अध्ययन को अपने शोधकार्य का हिस्सा बनाया था। प्राचीन नुस्खों को आधुनिक विज्ञान की कसौटी पर कसने के बाद उनकी टीम ने आटेंमिसिनिन सहित अनेक दवाओं को विकसित किया है और आज नोबेल विजेता बनी हैं।

    हम सब आशा करते है कि चीनी विज्ञानी तू योयो ने मलेरिया के खिलाफ कारगर दवा आर्टेमिसाइनिन की खोज की है,जिससे मलेरिया उन्मूलन में मदद मिलेगी। मैं आपके माध्यम से नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने पर चीनी महिला वैज्ञानिक तू योयो को मुबारकबाद दे रहा हूं।

    मीनू:देवशंकर जी, हमें भी बहुत खुशी है कि चीन में पहली बार किसी महिला ने विज्ञान में नोबेल पुरस्कार जीता है। उम्मीद है कि भविष्य में ज्यादा से ज्यादा चीनी महिलाएं इस क्षेत्र में शानदार प्रदर्शन करेंगी। हमें पत्र भेजने के लिए धन्यवाद। चलिए आगे पेश है झारखंड से एसबी शर्मा जी का पत्र। उन्होंने भी तू योयो के नोबेल पुरस्कार जीतने के बारे में एक पत्र भेजा है। आइए, सुनते हैं...... अभी हाल में ही स्वीडन के कारोलिंस्का संस्थान ने स्टॉकहोम से घोषणा की कि चीनी महिला वैज्ञानिक तू योयो को 2015 का चिकित्सा नोबेल पुरस्कार दिया गया है योयो तू ने मलेरिया के इलाज के लिए पारम्परिक चीनी चिकित्सा पद्धति से अर्टेमिसिनिन का प्रयोग किया, जिससे रोगियों की मृत्यु दर कम हुई। इससे परजीवी से होने वाले रोग का उपचार संभव हुआ जो मानव जाति के लिए क्रांति है। वैसे विश्व में हर वर्ष लाखों लोग मलेरिया के चलते अपनी जान गंवा देते है। उम्मीद है इस खोज से मलेरिया की रोकथाम में काफी मदद मिलेगी। 2015 चिकित्सा क्षेत्र के तीनों नोबेल पुरस्कार बधाई।

    अनिल:एसबी शर्मा जी, हमें पत्र भेजने के लिए धन्यवाद। चलिए, आगे आपको सुनाया जा रहा है पश्चिम बंगाल से बिधान चंद्र सान्याल जी का पत्र। उन्होंने लिखा है..... दुर्गापूजा के अवसर पर सी आर आई हिन्दी परिवार को शुभकामनाएं। दुर्गापूजा हिन्दुओं का खासकर बंगाल का महत्वपूर्ण त्योहार है। दुर्गापूजा मां दुर्गा की पूजा होती है , यह शरत ऋतु मेँ मनाया जाता है। इसलिए उसे शारदीय उत्सव भी कहते हैं। दुर्गापूजा का पर्व भारतीय सांस्कृतिक पर्वों में सबसे ज्यादा लोकप्रिय है। लगभग दशहरा , दीवाली और होली की तरह इसका बहुत महत्व है। बंगाल के बारे मेँ कहा जाता है कि बंगाल जो आज सोचता है, कल पूरा देश उसे मानता है। आधुनिकता के बारे मेँ भी यही बात कही जाती है कि बंगाल मेँ ही आधुनिकता की पहली लहर का उन्मेष हुआ। संयोग से दुर्गा पूजा की ऐतिहासिकता बंगाल से ही जुड़ी है। आज पूरा देश इसे धूमधाम से मनाता है। दुर्गापूजा सिर्फ मिथ की पूजा नही, बल्कि स्त्री की ताकत , सामर्थ्य और उसके स्वाभिमान की एक सार्वजनिक पूजा है। दुर्गापूजा मनाने का सही मतलब तो यही है कि समाज मेँ स्त्री को लेकर किसी तरह का दिखावे , छलावा और शोषण नहीं होना चाहिए। हम दुर्गापूजा के शुभ अवसर पर सी आर आई हिन्दी सेवा के प्रचार प्रसार काम मेँ जुड़े हैं।

    मीनू:बिधान चंद्र जी, आपको भी दुर्गापूजा की शुभकामनाएं। चलिए, अगला पत्र मेरे हाथ आया है पश्चिम बंगाल से देवाशीष गोप जी का। उन्होंने लिखा है.....11 अक्टूबर को संडे की मस्ती प्रोग्राम सुना, जिसकी शुरूआत एक बढ़िया से चीनी गीत के साथ की गई। उसके बाद आपने संडे स्पेशल में प्लास्टिक से हो रहे नुकसान के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी, सच में यह एक चिंताजनक विचार है। उसके बाद आपके रोचक व अजीबोगरीब खबरों में चटपटी ख़बरों का सिलसिला चला, जिसमें एक ख़बर सुनी कि घमंड में चूर एक अमीर चीनी औरत ने एक स्टोर में हंगामा खड़ा कर दिया। इस प्रोग्राम में आपके द्वारा सुनाई जाने वाली कहानी हमारा मार्गदर्शन करती है। सच में आपका प्रोग्राम सुनना बहुत अच्छा लगता है। धन्यवाद।

    अनिल:देवाशीष गोप जी, हमें पत्र भेजने और अपनी बात हम तक पहुंचाने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया। अगला पत्र हमें भेजा है उत्तर प्रदेश से सादिक आज़मी जी ने। उन्होंने लिखा है.....हर बार की तरह इस बार भी सीआरआई हिंदी का नंबर 1 कार्यक्रम सण्डे की मस्ती का भरपूर आनंद लिया, पहली रिपोर्ट की सराहना करना आवश्यक समझता हूं जिसमें वर्तमान की सबसे बड़ी समस्या का रूप लेती इंटरनेट की लत और बढ़ते प्रचलन पर आप द्वारा की गई समीक्षा मन को छू गई, सच है आज इसके यूज़र्स की भारी संख्या के बीच रिश्तों का अभाव देखने को मिल रहा है, लोग किताबों से दूर होते जा रहे हैं, और अपनी संस्कृति को भी भूलते जा रहे हैं, कुछ लाभ तो अवश्य देखने को मिलते हैं पर कई अनगिनत पहलुओं के पीछे छूटने का दर्द भी है। हर बार ती तरह इस बार भी दिल को छू जाने वाली बात के मद्देनज़र मां के महत्व को उजागर करती कविता का सुनवाया जाना बहुत उपकारी लगा, पूर्व में भी भाई अखिल जी द्वारा मां को महत्व दिये जाने वाली रिपोर्ट सुनने को मिलती रही है । आज के सभी जोक्स भी उम्दा लगे, एक अच्छी प्रस्तुति पर बधाई, धन्यवाद

    मीनू:सादिक आज़मी जी, हमें पत्र भेजने और हमारे कार्यक्रम सराहना के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद। चलिए, अंत में आप सुनेंगे पश्चिम बंगाल से मोनिटर रविशंकर बसु जी का पत्र। उन्होंने लिखा है......सादर नमस्कार। सबसे पहले 19 से 23 अक्तूबर तक दुर्गा पूजा महोत्सव के पावन अवसर पर मैं सीआरआई-हिंदी सेवा के सभी कर्मचारियों को साथ ही सभी श्रोता-दोस्तों को शुभकामनाएं और बधाई देना चाहता हूं।

    19 अक्तूबर,2015,सोमवार को रात साढ़े नौ से साढ़े दस बजे तक आपका रेडियो प्रोग्राम सुना। अनिल पाण्डेय जी द्वारा पेश किये गए दुनिया भर के ताज़ा समाचार सुनने के बाद साप्ताहिक "चीन का भ्रमण" प्रोग्राम का ताज़ा अंक सुना। "चीन का भ्रमण" कार्यक्रम मुझे काफी अच्छा लगता है। मैं इस पसंदीदा कार्यक्रम को हर सोमवार को सुनना नहीं भूलता हूं। चीन के पर्यटन और संस्कृति के विषय में सही सही और प्रमाणिक जानकारी इसी कार्यक्रम से हमें मिलती हैl जब मैं यह प्रोग्राम सुनता हूं तब ऐसा लगता है कि मैं खुद चीन का भ्रमण कर रहा हूंl

    आज के "चीन का भ्रमण" कार्यक्रम में मैडम रूपा जी ने हमें दक्षिण पश्चिम चीन के छांगच्यांग नदी के ऊपरी भाग पर स्थित केंद्र शासित शहर छोंगछिंग शहर के साथ रूबरू कराया। इसे सुनने के बाद दिल कर रहा है कि कब मैं इस शहर की खूबसूरती को अपनी आंखों से देख पाऊंगा !!!

    मार्च1997 में चीन सरकार ने छोंगछिंग शहर को केंद्र शासित शहर का दर्जा प्रदान किया था। इस पहाड़ी शहर का क्षेत्रफल 80 हजार वर्ग किलोमीटर है। चीन की सबसे लम्बी नदी यांग्त्सी यानी छांगच्यांग नदी और चालिन नदी छोंगछिंग शहर को चार तटों में विभाजित किया है। इन चार तटों पर लकड़ियों से तैयार काष्ठ मकान कतारों में नज़र आते हैं जिसको झूलती इमारत कहते हैं। इन मकानों में हुंगयातुंग क्षेत्र में खड़े झूलते इमारत समूह को जीवंत जीवाश्म नाम से जाना जाता है। पर्यटक झूलते हुए इस शहर को देखकर मोहित हो जाते हैं। रिपोर्ट के अनुसार समूचे झूलती इमारत समूह की कुल लम्बाई 600 मीटर है और पहाड़ों से यह 11 मंजिला लकड़ी के मकान नज़र आते हैं। इन इमारतों पर सुंदर डिजाइनों का सूक्ष्म रूप से चित्रण किया गया है। मानना पड़ेगा कि इस भवन निर्माण समूह ने छोंगछिंग शहर में चार चांद लगा दिए हैं।

    अनिल:आगे बसु जी ने लिखा है ......इस शहर का छांगच्यांग नदी का त्रिघाटी पर्यटन स्थल,बड़े पांव वाली पत्थर की बुद्ध की मूर्ति,अनुपम प्राकृतिक सौंदर्य और समृद्ध मानवीय विरासत देशी विदेशी पर्यटकों को अपनी ओर खींचती है । मशहूर त्रिघाटी का प्राकृतिक सौंदर्य अपनी विशेष पहचान रखता है। इसकी कुल लम्बाई 200 किलोमीटर है, जिस में 90 किलोमीटर घाटी है ।छांगच्यांग नदी की त्रिघाटी के दोनों किनारों पर रहने वाले ऊंचे-ऊंचे पर्वतों,गहरी घाटियां और गांवों के अद्भुत दृश्यों को देखने को मिलता है। छुंगछिंग शहर में बड़े पैरों वाली पत्थर की बुद्ध मूर्तियां का इतिहास कोई एक हजार वर्ष पुराना है। ये मूर्तियां चीनी गुफा कला की असाधारण निधि मानी जाती हैं । 1999 में बड़े पैरों वाली पत्थर की बुद्ध मूर्ति समूह को युनेस्को द्वारा विश्व सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल किया गया है । मैं आशा करता हूं कि मुझे भी एकदिन झुलते हुए छुंगछिंग शहर जाने का मौका मिलेगा।

    आज "मैत्री की आवाज़" प्रोग्राम में पंकज श्रीवास्तव जी के साथ आल इंडिया रेडियो यानी आकाशवाणी के उन्नी कृष्णन मेनन जी की बातचीत के मुख्य अंश हमें सुनने को मिले। उन्होंने हाल ही में सीआरआई का दौरा किया।उन्होंने चीन-भारत संबंधों को प्रगाढ़ करने तथा दोनों देशों के बीच मीडिया सहयोग के बारे में अपनी राय पेश की। लेकिन यह इंटरव्यू ध्यान से सुनने के बाद, मुझे लगा कि उन्हें सीआरआई के बारे में कुछ भी पता नहीं है क्योंकि सीआरआई का प्रोग्राम शॉर्टवेव और मीडियम वेव के ज़रिये भारत के घर घर में पहले से ही सुना जाता है । इसी समय वास्तव में सीआरआई दुनिया की सबसे बड़ी प्रसारण सेवा बन चुका है और मैं तो इसे दुनिया में नंबर वन मानता हूं। मीडिया दोनों देशों के बीच,पूरे विश्व के बीच एक बहुत बड़े सेतु का काम करता है और यही काम करता है-चाइना रेडियो इंटरनेशनल। सीआरआई ही एक मात्र मीडिया है,जो चीन और भारत यह दोनों देशों के बीच में क्या हो रहा है,वास्तविक स्थितियों को श्रोताओं तक पहुंचाता है। सीआरआई की वेबसाइट तो इतनी आकर्षक है,इतनी ज्ञानवर्धक है कि आप उसमें जितना भी पढ़ते जायें,एक से एक बढ़ करके सूचनाप्रद,शिक्षाप्रद जानकारियां ज़रूर मिलती हैं।आकाशवाणी की उन्नी कृष्णन मेनन जी को मैं आपके माध्यम से यह अनुरोध करना चाहता हूं कि आकाशवाणी की 86 लोकल स्टेशन के माध्यम से सीआरआई की कुछ डॉक्यूमेंट्री प्रोग्राम का प्रचार किया जाए। इससे संबंध मजबूत होंगे।

    मीनू:अब सुनिए हमारे श्रोता सरफुदिन अंसारी के साथ हुई बातचीत।

    अनिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल पांडे और मीनू को आज्ञा दीजिए, नमस्कार

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