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    आपका पत्र मिला 2015-09-23
    2015-10-09 10:28:33 cri

    अनिल:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल पांडे का नमस्कार।

    मीनू:सभी श्रोताओं को मीनू का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिलः आज के कार्यक्रम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे। इसके बाद एक श्रोता के साथ हुई बातचीत के मुख्य अंश पेश किए जाएंगे।

    अनिल:चलिए श्रोताओं के पत्र पढ़ने का सिलसिला शुरू करते हैं। पहला पत्र हम पढ़ते हैं उत्तर प्रदेश से सादिक आज़मी जी का। उन्होंने लिखा है....

    मैं सभी लोगों को, तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की 50वीं वर्षगांठ की बधाई पेश करता हूं, इस अवसर पर श्याओ थॉग जी द्वारा विशेष प्रस्तुति काफी ज्ञानवर्धक लगी, पूरी रिपोर्ट सुनकर तिब्बत के विकास की जानकारी मिली। वहीं सीआरआई हिंदी विभाग से हर विशेष अवसर पर रिपोर्ट सुनवाया जाना एक अच्छा कदम है जो हमेशा जारी रहना चाहिए। तिब्बत का विकास सभी देशों के लिये विशेष उदाहरण है, और तिब्बत कई मायने मे भी विशेष रहा है। वहां की सांस्कृतिक रूपरेखा का उल्लेख भारतीय अखबारों में भी पढ़ने को मिलता है, विगत 50 वर्षों पर नज़र डालें तो विश्व में सबसे ऊंचाई पर स्थित झील नैमको की बात मन में घूमने लगती है जो तिब्बत में स्थित तीन पवित्र झीलों में से एक है।मैं तो कहता हूं तिब्बत की यात्रा पर जाने वाले पर्यटकों को नैमको झील के दर्शन अवश्य करने चाहिये। झील ऊंचाई और आस-पास के प्राकृतिक सौंदर्य के कारण प्रसिद्ध है। यह चीन की दूसरी बड़ी नमकीन झील है। झील करीब 1,920 वर्ग किलोमीटर में और समुद्री तल से 4,718 की ऊंचाई पर स्थित है जो अपने आप में कीर्तिमान है, एक अच्छी रिपोर्ट पर एक बार फिर धन्यवाद

    मीनू:सादिक आज़मी जी, हमें पत्र भेजने के लिए आपका धन्यवाद। चलिए अगला पत्र हमें भेजा है राजस्थान से राजीव शर्मा जी ने। उन्होंने लिखा है....

    सीआरआर्इ हिंदी टीम के सभी साथियों को नमस्कार। यह र्इमेल मैं आपको जयपुर से भेज रहा हूं। मैं आपकी वेबसाइट का नियमित पाठक हूं.. और यह कहूं तो गलत नहीं होगा कि सीआरआर्इ हिंदी मेरी सबसे ज्यादा पसंदीदा वेबसाइट है। इस वेबसाइट पर डाले गए सभी चित्र मुझे बहुत पसंद हैं। खास तौर से तिब्बत से जुड़ी जानकारी मैं जरूर पढ़ता हूं। मेरा सपना है तिब्बत का भ्रमण करना। उम्मीद है यह जरूर पूरा होगा।

    अनिल:राजीव शर्मा जी, हम आपके सुझाव पर ध्यान देंगे और तिब्बत के बारे में और ज्यादा जानकारी अपनी वेबसाइट पर डालेंगे। हमें पत्र भेजने और अपनी प्रतिक्रिया हम तक पहुंचाने के लिए शुक्रिया। चलिए, आगे आपको सुनाया जा रहा है ओड़िशा से हमारे मोनिटर सुरेश अग्रवाल जी का पत्र। उन्होंने लिखा है......

    20 सितम्बर को देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों में यह जान कर प्रसन्नता हुई कि आज सुबह 7 बजकर 1 मिनट पर थाईयुआन उपग्रह प्रक्षेपण केंद्र में चीन का नया वाहन रॉकेट छयांग जेंग 6 सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया, जिससे एक बार में 20 माइक्रो उपग्रह अंतरिक्ष में पहुंचाये गये हैं।इस सफल प्रक्षेपण से न केवल चीन के छ्यांगजेंग श्रेणी वाले वाहन रॉकेट के परिवार में नये सदस्य की एंट्री हुई है, बल्कि चीन ने अंतरिक्ष उद्योग में एक रॉकेट से कई उपग्रह पहुंचाने का नया इतिहास भी रचा है। सही मायने में अन्तरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में बढ़ाया गया यह चीन का एक और महत्वपूर्ण कदम है। सीआरआई के माध्यम से हम तमाम चीनी जनता को इस असाधारण सफलता पर अपनी हार्दिक बधाई प्रेषित करते हैं। आज के समाचार बुलेटिन में यह हृदयविदारक समाचार भी सुनने को मिला कि हमारे अपने प्रान्त ओड़िशा के सुन्दरगढ़ ज़िले में हुये एक सड़क हादसे में नौ होनहार कबड्डी खिलाड़ियों की मृत्यु हो गई। बहरहाल, ख़बर अच्छी-बुरी,जो भी हो, हम तक तुरन्त पहुँचाने का शुक्रिया।

    साप्ताहिक "सण्डे की मस्ती" के तहत नाशपती का फूल शीर्षक चीनी गीत के साथ आगाज़ के बाद कार्यक्रम में अपने शरीर पर तमाम देशों के झण्डे टैटू के रूप में गुदवाने वाले दुनिया के एकमात्र व्यक्ति ऋषि, जो कि एक भारतीय हैं, का नाम गिनीज़ बुक में दर्ज़ हो गया -यह जान कर तो ख़ुशी हुई, परन्तु वह अस्सी साल की उम्र में फिर से पिता बनने का कीर्तिमान स्थापित करना चाहते हैं, वह भी अपनी पत्नी की रज़ामन्दी के बिना, उनके उक्त निर्णय की प्रशंसा नहीं की जा सकती। चीन के हुन्नान प्रान्त में चालकरहित बस का सफल परीक्षण तो शायद गूगल की चालकरहित कार से भी अधिक महत्वपूर्ण है। चींटियाँ भी होती हैं आईफ़ोन की दीवानी, सुनकर एकबार तो सर चकराया, परन्तु बाद में पता चला कि यह आकर्षण तो महज़ फ़ोन से निकलने वाली विद्युतचुम्बकीय तरंगों का क़माल था, जिसे आपने बढ़ा-चढ़ा कर दीवानगी में तब्दील कर दिया ! अमेरिका के सबसे छोटे किताबी कीड़े, ली नामक एक उन्नीस वर्षीय युवक के कान से निकले छत्तीस कॉक्रोच और टाइटैनिक दुर्घटना के सौ साल बाद उस दिन के जहाज़ के मेनू के मिलने सम्बन्धी जानकारी निश्चित तौर पर अच्छी कही जायेगी। अखिलजी की प्रेरक कहानी -लुकमान की बुध्दिमत्ता तथा धारावाहिक महाभारत में भगवान श्रीकृष्ण की महत्वपूर्ण सीख -स्वतन्त्रता, वास्तव में प्रेरक लगी। जोक्स में दवाई के नुस्खे वाला जोक अनूठा लगा। हरियाणवी सास वाला ऑडियो जोक भी क़माल का था, परन्तु बाद में आपने जो एक और ऑडियो सुनवाया, सुन कर लगा कि यह तो महज़ समय की खानापूर्ति की जा रही है। धन्यवाद।

    मीनू:आगे सुरेश जी लिखते हैं....श्रृंखला "पश्चिम की तीर्थयात्रा" की कड़ी में आज गुफ़ा के अन्दर एक तख्ती और धूपदान क्या मिला, भव्य वानर अपने गुरु सानचांग को ढूंढने के बजाय उल्टे पाँव गुफ़ा से बाहर निकल आया और फिर बाहर आने का कारण भिक्षु रेतात्मा और शूकर को समझाया। वानर तख्ती और धूपदान लेकर सीधे जैतसम्राट के पास शिकायत दर्ज़ कराने जाता है और उसकी शिकायत पर स्वर्गसम्राट ली और उनके पुत्र नचा के ख़िलाफ़ मुक़द्दमा दायर कर लिया जाता है और कुछ स्वर्ग शिक्षकों के साथ वानर को भी जाने का आदेश दिया जाता है। अब कहानी में आगे क्या होगा, देखना है। धन्यवाद।

    अनिल:सुरेश अग्रवाल जी, हमें रोजाना पत्र भेजने के लिए हम आपका आभार व्यक्त करते हैं। चलिए, अगला पत्र मेरे हाथ आया है पश्चिम बंगाल से बिधान चंद्र सान्याल जी का। उन्होंने लिखा है......

    सी आर आई के साथ प्रसिद्ध समुद्र तटीय पर्यटन शहर हाई खो का दौरा करने का मौका मिलने पर बहुत अच्छा लगा । रिपोर्ट से पता चला कि हाई खो दक्षिण चीन के दक्षिण समुद्र मेँ खड़े हाई नान द्वीप पर स्थित है। हाई खो शहर हाईनान प्रांत की राजधानी है और वह इसी प्रांत का राजनीतिक आर्थिक व सांस्कृतिक केन्द्र भी है। हाई खो शहर का क्षेत्रफल 25 वर्ग किमी. है और आबादी कोई चार लाख से अधिक है। यह शहर हाईनान द्वीप मेँ बहने वाली सबसे बड़ी नदी नान तु नदी के समुद्री मुहाने पर स्थित है, इसलिये उसका नाम समुद्र का मुंह यानी हाई खो रखा गया है। इतिहास मेँ यह शहर चीन व दक्षिण पूर्वी एशियाई क्षेत्र को जोड़ने वाला अहम यातायात केन्द्र रहा था। इससे इस शहर ने अपनी विशेष पहचान बना ली है। पांच हस्तियों वाले स्मारक , यहां की वास्तु शैली अद्भुत है। हाई खो शहर मेँ अब 60 से अधिक सांस्कृतिक ऐतिहासिक अवशेष संरक्षण ईकाईयां हैं। धन्यवाद।

    11 Sep को दक्षिण एशिया फोकास के तहत संजय जी के साथ पंकज जी की चर्चा सुनी। जो कि अच्छी लगी।

    मुझे बहुत खुशी हो रही है कि चीनी महिला वॉलीबाल टीम ने वर्ष 2015 विश्व कप के फाइनल में 3-1 से जापान को हराकर 11 वर्षों बाद फिर एक बार चैम्पियनशिप जीती। इस शानदार जीत के लिए चीनी महिला टीम को बधाई।

    मीनू:बिधान चंद्र सान्याल जी, हमें पत्र भेजने और अपनी बात हम तक पहुंचाने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया। अगला पत्र हमें भेजा है नेपाल से उमेश रेग्मी जी ने। उन्होंने लिखा है....

    नमस्कार, मैं आपके प्रोग्राम नियमित तौर पर सुनता हूं और वेबसाइट भी विजिट करता हूं। गत 16 सितंबर का आपका पत्र मिला कार्यक्रम में उड़ीसा के श्रोता सुब्रत कुमार जी से ली गई बातचीत के कुछ अंश सुनने को मिले। इसमें रेडियो कार्यक्रमों के बारे में जानकर अच्छा लगा।

    आपने श्रोताओं से बातचीत के क्रम में सुनिए हमारे श्रोता मोहम्मद गफूर के साथ हुई बातचीत लिखा था, लेकिन उड़ीसा के श्रोता सुब्रत कुमार पति जी से ली गई बातचीत का ऑडियो सुनाई गया था।

    अनिल:उमेश रेग्मी जी, हमें पत्र भेजने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद। हमें बहुत खुशी है कि आपने हमारी वेबसाइट की गलती को निकाला। हम यहां माफी मांगना चाहते हैं कि गलती से नाम लिखा गया। अब हमने इसे ठीक कर लिया है। एक बार फिर उमेश जी को धन्यवाद। आने वाले समय में भी अगर कुछ गलती हो तो हमें हमें बता सकते हैं। चलिए, आगे पेश है गुजरात से मकवाना विशाल कुमार जी का पत्र। उन्होंने लिखा है.....

    दस सितंबर का दिन मेरे लिए खुशी का दिन रहा। क्योंकि इस दिन मेरा बर्थडे था और मैं आपसे जुड़ा हुआ हूं और आपके माध्यम से तमाम जानकारी हासिल होती है। आपकी वेबसाइट से मुझे चीनी भाषा सीखने का मौका भी मिलता है। वहीं चीन के रहन-सहन और संस्कृति आदि के बारे में भी पता चलता है।

    तिब्बत के विकास के बारे में भी पता चलता है। चीन का भ्रमण प्रोग्राम में हमें नए-नए शहरों के इतिहास और संस्कृति से रूबरू करवाया जाता है।

    उन्होंने आगे लिखा, दीपक की तरह हमेशा सीआरआई पूरी दुनिया में सभी लोगों के दिल में खुशी के दिए जलाए रखे, यही कामना करता हूं। धन्यवाद।

    मीनू:मकवाना विशाल कुमार जी। सबसे पहले देर से ही सही जन्मदिन की बहुत-बहुत बधाई और हार्दिक शुभकामनायें। हमें पत्र भेजने के लिए आपका धन्यवाद। चलिए, अगला पत्र हम पढ़ते हैं बाबू रेडियो लिस्नर्स क्लब बिहार से जावेद खान का। उन्होंने लिखा है

    सीआरआई के तमाम दोस्तो को प्यार भरा नमस्कार। साथ ही रेडियो सुनने वाले दूसरे दोस्तो को भी नमस्कारा। आपकी वेबसाइट बहुत अच्छी है।

    अनिल:जावेद खान, हमें पत्र भेजने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद। श्रोताओं, आप जानते हैं कि चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग ने 22 सितंबर को अपनी अमेरिकी यात्रा शुरू की। इस मौको पर पश्चिम बंगाल से हमारे मोनिटर रविशंकर बसु जी ने हमें चीन-अमेरिका संबंध-खट्टे-मीठे हैं शीर्षक एक लेख भेजा है। उन्होंने लिखा है।

    अमेरिका और चीन आज दुनिया के दो सर्वाधिक शक्तिशाली देश हैं।अमेरिका की अर्थव्यवस्था विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। लेकिन आज के समय में चीन अमेरिका को आर्थिक और सैन्य रूप से पछाड़ रहा है। वर्तमान में भूराजनैतिक स्थिति में विश्व की महाशक्ति बनने की होड़ में अमेरिका और चीन की दौड़ किसी से छुपी नहीं है।मेरा मानना है कि चीन -अमेरिका संबंध जैसा दीखता है वैसा नहीं है सिर्फ एक दिखावा है। दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास के रिश्ते से संदेह और अविश्वास ज्यादा है । एक-दूसरे के सहयोग की भावना से उससे भी ज्यादा आगे जाने का संघर्ष ज्यादा है। आर्थिक स्पर्धा के बावजूद चीन के अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के साथ व्यापारिक संबंध बहुत अच्छे हैं। दुनिया भर में अमेरिका की दादागिरी का समुचित जवाब है आज का चीन । सच यह है कि दुनिया की नयी महाशक्ति, आर्थिक शक्ति और सैन्य शक्ति के रूप में दुनिया के रंगमंच पर चीन का उदय हो चुका है। पिछले 20 वर्षों से चीन में सालाना 10 फीसदी से अधिक विकास दर दर्ज की है। दुनिया के आर्थिक विकास में यह अविश्वसनीय घटना है।सबसे बड़ी बात, 1981 से 2013 के बीच 68 करोड़ लोगों गरीबी से बाहर निकाला। मानव इतिहास में इतनी तेजी से इतनी बड़ी संख्या में लोगों ने कभी गरीबी से अमीरी का सफर तय नहीं किया है। यह मानव इतिहास की अब तक की सबसे बड़ी घटना है। राज्य संचालित पूंजीवाद ने बाजार व्यवस्था (मार्केट इकोनामी) को अपनाकर, दुनिया की आर्थिक प्रगति में एक नया अध्याय जोड़ दिया है।

    प्रसिद्ध विद्वान Samuel P. Huntington उनके 'The class of Civilizations and the Remaking of World Order' ग्रन्थ में दुनिया के देशों के बीच अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के बारे में कहा कि "Democratic states have commonalities with other democratic states and hence do not fight with each other. Values, culture and institutions pervasively influence how states define their interests."

    मीनू:आगे बसु जी ने लिखा है.....अमेरिका और चीन के बीच संबंधों भविष्य में किस दिशा में जायेगा ? क्या दोनों देशों का संबंध से फिर से एक और शीत युद्ध की शुरुआत होगा? अब यह सवाल अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में एक राजनीतिक बहस का विषय है। 21वीं शताब्दी के लिए अमेरिका-चीन संबंधों को बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि विश्व का 21वीं शताब्दी का स्वरूप अमेरिका चीन संबंधों के स्वरूप पर निर्भर करेगा। चीन की आर्थिक और सामरिक प्रगति को देखते हुए अमेरिका सोचता है कि चीन एक रणनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक खतरा बन गया है जो हार्ड लाइन अमेरिका विदेश नीतियों का अंग है ।

    अगर हम इतिहास के पन्नों पर नज़र डाले तो हम देखेंगे कि 1950 में कोरियाई युद्ध के दौरान अमेरिका ने चीन पर हमला किया था। जनरल मैकआर्थर युद्ध के प्रभारी थे। उसी वर्ष 30 अक्टूबर अमेरिकी बलों का चीनी पीपुल्स आर्मी का सामना करना पड़ा। इस जंग में चीनियों ने अमेरिकी सेनाओं को हार का स्वाद चखाया और चीन के दिवंगत नेता माओ त्जे-तुंग के लिए कोरियन युद्ध विश्व की तीसरी सबसे बड़ी शक्ति बनने के एक अवसर के रूप में आया था। अमेरिका और चीन का संबंध न शत्रुतापूर्ण है न मित्रतापूर्ण। दोनों के आपसी संबंध बहुत ही जटिल ढंग से आपस में गुंथे हुए हैं और दोनों परस्पर प्रतिद्वंद्विता के रास्ते पर अग्रसर है। एक विश्व शक्ति के रूप में चीन के उभारने से अमेरिका जैसा महाशक्ति भी शंकित है, साथ ही अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर चीन के आर्थिक विकास के प्रभाव के बारे में अमेरिकी सरकार चिंतित हैं।

    अनिल:आगे बसु जी लिखते हैं.....वास्तव यह है कि आज चीन का स्वर्णिम युग है। चीन ने पिछले 30-35 साल में जिस गति से विकास किया है उसे देखकर पूरी दुनिया अचंभित है। चीन के कम्युनिस्ट पार्टी के शीर्ष नेता स्वर्गीय तङ श्यो फिंग (Deng Xiaoping) ने अर्थव्यवस्था को कम्युनिस्ट नीतियों से अलग करने की शुरुआत की ।वे चीन के सुधार, खुलेपन तथा आधुनिकीकरण की नीति के मुख्य परिकल्पक थे। वर्ष 1978 से सुधार व खुलेपन की नीति लागू होने के बाद समाजवादी चीन एक गरीब, पिछड़े व बंद द्वार होने वाले देश से मुक्त होकर एक समृद्ध, सभ्य व खुले देश के रूप में बदल गया। यह एक एक ऐतिहासिक परिवर्तन है। जिस आबादी को विकास में बाधक माना जाता है उसे चीन ने अपनी ताकत बनाया। आज चीन दुनिया का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर है। एक आर्थिक महाशक्ति है। दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। आज पूरी दुनिया में Made in China का बोलबाला है। चीन और अमेरिका के आर्थिक संबंध शायद सर्वाधिक घनिष्ठ है, लेकिन अमेरिका सरकार की चिंता यह है कि चीन अपने माल से अमेरिकी बाजार को पाट रहा है। वस्तुत: अमेरिका में चीनी माल सस्ता पड़ता है, जिसके कारण अमेरिकी उपभोक्ता भी उसकी तरफ आकर्षित होते हैं और युवाओं में बेरोजगारी बढ़ रही है। हर देश के आर्थिक विकास में, कोई भी कभी भी एक अच्छी सवारी है। वर्ष 1979 में चीन के पूर्व उप प्रधानमंत्री तङ श्यो फिंग ने जब अमेरिका गए थे तब अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने कहा था कि चीन की वैश्विक पहुंच (global reach) दुनिया के लिए एक गंभीर खतरा है। लेकिन हमलोग देख रहे है कि आज चीन का बना सामान पूरी दुनिया के बाजारों में छाया हुआ है,सस्ते से लेकर महंगे तक। क्या दुनिया के सभी लोग बुद्धू है जो चीन का सामान ऐसे ही खरीद रहे है ? चीन के घरेलू प्रणाली(domestic system) आज दुनिया के लिए एक रोल मॉडल है।

    मीनू:अंत में बसु जी ने लिखा है....मेरा मानना है कि वर्तमान में चीन और अमेरिका को मतभेद भूलकर साधारण स्वार्थ पर ध्यान देना चाहिए । अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के आमंत्रण में चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग आगामी मंगलवार 22 सितंबर को अमेरिका का राजकीय दौरा करेंगे। राष्ट्रपति ओबामा ने शी चिनफिंग की 25 सितंबर को मेजबानी करेंगे। यह वैश्विक सहमति है कि यह इस साल दोनों देशों के संबंधों में सबसे महत्वपूर्ण घटना होगा। चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की अमेरिका की पहली यात्रा से पहले चीन के साथ संपर्क पर टिप्पणी करते हुए व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जोश अर्नेस्ट ने कहा कि चीन के साथ अमेरिका का संपर्क और तमाम मतभेदों के बावजूद साम्यवादी देश के साथ एक सकारात्मक संबंध बनाने की उसकी इच्छा उसके राष्ट्रीय हित की रक्षा और उसे बढ़ावा देने में उपयोगी है।चीनी प्रधानमंत्री ली खछ्यांग ने पेइचिंग में चीन-अमेरिका संबंधों की चर्चा में कहा कि निसंदेह चीन व अमेरिका के बीच मतभेद मौजूद हैं, लेकिन दोनों के बीच विस्तृत समान कल्याण भी होते हैं। हमें मतभेदों का अच्छी तरह निपटारा करना चाहिए।

    मुझे लगता है कि यह एक रोमांचक क्षण है चीन और अमेरिका संबंधों का विस्तार करने का । चीनी राष्ट्रपति का अमेरिका दौरा विभिन्न वैश्विक, क्षेत्रीय और परस्पर हितों के द्विपक्षीय मुद्दों पर अमेरिका-चीन सहयोग को व्यापक करने का अवसर प्रदान करेगा और राष्ट्रपति ओबामा और चीनी राष्ट्रपति असहमति के क्षेत्रों पर रचनात्मक तरीके से विचार भी कर सकेंगे। चीन और अमेरिका को उच्च प्रौद्योगिकी क्षेत्र और स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी (high technology and clean-energy technology) क्षेत्र में एक दूसरे को मदद करना चाहिए। मुझे लगता है कि चीन-अमेरिका के रिश्ते का वास्तविक महत्व उन दोनों के बीच समस्याओं को ठीक से समाधान करने पर निहित है। अमेरिका और चीन को लंबी अवधि के आर्थिक विकास (long-term economic development ) करना चाहिए जिससे दुनिया के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे साथ ही अगली पीढ़ी के लिए एक दीर्घकालिक सहज माहौल (sustainable natural environment) का विकास करना चाहिए।

    मीनू:अब सुनिए हमारे श्रोता मोहम्मद गफूर के साथ हुई बातचीत।

    अनिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल पांडे और मीनू को आज्ञा दीजिए, नमस्कार

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