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    आपका पत्र मिला 2015-09-09
    2015-09-10 10:19:50 cri

    अनिल:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल पांडे का नमस्कार।

    मीनू:सभी श्रोताओं को मीनू का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिलः आज के कार्यक्रम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे। समय की कमी के चलते आज के कार्यक्रम में श्रोता के साथ हुई बातचीत नहीं सुनायी जाएगी।

    अनिल:चलिए श्रोताओं के पत्र पढ़ने का सिलसिला शुरू करते हैं। पहला पत्र हम पढ़ते हैं पश्चिम बंगाल से बिधान चंद्र सान्याल का। उन्होंने लिखा है......

    तिब्बत की 50वीँ वर्षगांठ पर सी आर आई हिन्दी सेवा की तरफ से सी आर आई हिन्दी वेब पेज पर " तिब्बती ऑपेरा ने शुए तुन त्योहार को रोशन किया शीर्षक रिपोर्ट पढ़ने को मिली। इससे पता चला कि तिब्बत में नये साल के बाद दूसरा सबसे बड़ा त्योहार है शुए तुन त्योहार। इस बार यह त्योहार इस महीने की 14 से 20 तारीख तक मनाया गया। त्योहार के दौरान ल्हासा के नुबुलिंगका पार्क और लॉग वांग थेन पार्क परंपरागत तिब्बती ऑपेरा कई तिब्बती लोगों और देशी विदेशी पर्यटकों को आकर्षित कर रहा है। सफेद मुखौटा पहने और रंगीन तीर लिए हुए कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करते हुए नृत्य करते हैं। वहां परियां गाते हुए नाचती हैं। सात दिन तक तिब्बती ऑपेरा के प्रदर्शन से माहौल खुशनुमा हो जाता है। शानदार रिपोर्ट के लिए धन्यवाद।

    भारतीय युवा दल ने चीन का दौरा किया। जिसमेँ बिभिन्न क्षेत्रों के 200 युवा शामिल है। भारतीय युवा प्रतिनिधियों ने पेइचिंग , क्वांगचो , शीआन , शांगहाई व हांगचो आदि शहरों का दौरा किया। इस तरह आदान-प्रदान से दोस्ती की डोर मजबूत हो रही है। 2006 से युवा प्रतिनिधिमंडलों के आदान-प्रदान से एक-दूसरे को समझने के बेहतर मौके मिले हैं। भारतीय युवाओं के एक दल ने पिछले 21 अगस्त को सी आर आई का दौरा किया। यह बहुत खुशी की बात है। धन्यवाद।

    मीनू:आगे बिधान चंद्र लिखते हैं .....

    चीनी जनता के जापानी आक्रमण विरोधी युद्ध एबं विश्व फ़ासिस्ट विरोधी युद्ध की विजय की 70वीँ वर्षगांठ पर सैन्य परेड की खास रिपोर्ट और वीडियो बहुत अच्छा लगा। कोई दोराय नहीं कि चीन मेँ आयोजित सैन्य परेड एक बड़ा महत्व रखती है। जो लोग द्वितीय विश्व युद्ध के महत्व को कमजोर करने की कोशिश कर रहे है, चीन मेँ आयोजित सैन्य परेड लड़ाई करने का महत्व समझाने के लिए लाभदायक है। 70वीँ बर्षगांठ के स्मृति समारोह मेँ जो महत्वपूर्ण भाषण चीनी नेताओं ने दिया, इस पर चर्चा करने की आवश्यकता है। और अंतरॉष्ट्रीय समुदाय ने इस पर व्यापक चर्चा की। वास्तव में शी चिनफिंग ने अपने भाषण मेँ ' न्याय की जय , शांति की जय व जनता की जय ' का महान सत्य की बात की। चीन ने पूरी दुनिया को अपने शांतिपूर्ण विकास करने की इच्छा प्रदर्शित की। ऑल इंडिया सी आर आई लिस्नर्स एसोसिएशन के सभी सदस्यों ने जापानी आक्रमण विरोधी युद्ध में शहीद नायकों के लिए प्रार्थना की। हमें विश्वास है कि भारत व चीन की दोस्ती, इस संबंध में बहुत अहम है। इस दौरान प्रदर्शन बेहतरीन रहा। खासकर हवाई परेड का उल्लेख करना चाहता हूं। जिसमेँ करीब 200 विमानों ने भाग लिया, इतिहास मेँ नया रिकोर्ड बना। सचमुच इस सैन्य परेड से चीनी जनमुक्ति सेना की शक्ति और आधुनिकीकरण जाहिर हुआ जो मेरी नजर मेँ बहुत अच्छा है।

    अनिल:बिधान चंद्र सान्याल जी, हमें पत्र भेजने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद। अगला पत्र मेरे पास आया है बिहार से राम कुमार नीरज जी का। उन्होंने लिखा है....नमस्कार,

    चाइना रेडियो इंटरनेशनल के साथ साथ चीनी साहित्य से लोगों को जोड़ने का काम हमारा अनवरत चलता आ रहा है.इस प्रयास में 22 अगस्त को एक बार फिर बच्चों के साथ एक कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमे सेतु सम्बन्ध पत्रिका के नवीनतम अंक से अवगत कराया गया.बच्चों ने इस पत्रिका में छपे लेखों की सराहना करने के साथ साथ चीन राष्ट्र के बारे और अधिक जानने की इच्छा व्यक्त की.इस त्रैमासिक पत्रिका में बच्चों ने बच्चों से सम्बंधित अलग सामग्री की भी मांग की.चीन के स्कूल और चीनी बच्चों में भारत को लेकर उत्सुकता और जिज्ञासा को जानने चाहते हैं.सेतु सम्बन्ध की इस पत्रिका में चीनी साहित्यकारों द्वारा बच्चों के लिय रचित कहानियां,कवितायेँ भी पढ़ने का शौक रखते हैं.

    उम्मीद है बच्चों के बीच बढ़ रही इस पत्रिका के लोकप्रियता को ध्यान में रखकर उनके आकांक्षाओं का भी पूरा ध्यान रखा जायगा.इस संपन्न कार्यक्रम की कुछ तस्वीरें आपको भेज रहा हूँ,उम्मीद है पसंद आयगा.धन्यवाद

    मीनू:राम कुमार नीरज जी, आपका पत्र मिलकर हमें बहुत खुशी हुई कि भारतीय बच्चों को हमारा पत्रिका पसंद है। यह खबर हम तक पहुंचाने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद। दोस्तो, पिछले दिनों भारत में रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया गया। पश्चिम बंगाल सेमनीषा चक्रवर्ती जी ने हमें एक विशेष ई-मेल भेजकर हमारे लिए एक गाना भी गाया है। आईए, सुनते हैं उन्होंने क्या लिखा और क्या गाया।

    सादर प्रणाम। रिश्ता है यह जन्मों का,भरोसे का और प्यार का;और भी गहरा हो जाये यह रिश्ता क्योंकि राखी त्यौहार है भाई-बहन के प्यार का। आज भाई-बहन के प्यार का त्यौहार रक्षाबंधन है। भाई और बहन का रिश्ता मिस्री की तरह मीठा और मखमल की तरह मुलायम होता है। रक्षाबंधन का पर्व भाई-बहन के इसी पावन रिश्ते को समर्पित है। इसी त्यौहार पर इस रिश्ते की मोहक अनुभूति को सघनता से अभिव्यक्त किया जाता है। इस शुभ अवसर पर मैं चाइना रेडियो इन्टरनेशनल की हिन्दी विभाग के सभी भाइयों की दाईं कलाई पर रेशम की डोरी से बनी राखी बांधती हूं और दूर से ही मिठाई से आप सभी का मुंह मीठा कराती हूं । आप सभी को रक्षाबंधन की ढेर सारी बधाइयां।

    -----ओडियो-----

    अनिल:मनीषा चक्रवर्ती जी, आपको बहुत बहुत धन्यवाद, आपका गाना बहुत अच्छा लगा। आप और आपके परिवार को भी रक्षाबंधन की ढेर सारी बधाइयां। चलिए, आगे सुनाया जा रहा है ओड़िशा से हमारे मोनिटर सुरेश अग्रवाल जी का पत्र। उन्होंने लिखा है....

    दिनांक 3 सितम्बर को रोज़ाना की तरह मैंने आज भी अपने तमाम मित्र-परिजनों के साथ मिलकर शाम ठीक साढ़े छह बजे शॉर्टवेव 9450 किलोहर्ट्ज़ की आवृत्ति पर कार्यक्रम सुना और अब मैं उस पर हम सभी की मिलीजुली प्रतिक्रिया के साथ आपके समक्ष उपस्थित होने कम्प्यूटर की शरण में हूँ। उम्मीद है कि ज़ल्द ही हमारी बात आप तक पहुँच जायेगी। यूँ तो पिछले कुछ दिनों से ताज़ा अन्तर्राष्ट्रीय समाचारों के तुरन्त बाद हम सीआरआई पर फ़ासिस्ट विरोधी युध्द की सत्तरवीं वर्षगाँठ पर आधारित विशेष कार्यक्रम नियमितरूप से सुनते आ रहे हैं, परन्तु आपके विशेष आग्रह पर आज तीन सितम्बर को हमने रेड़ियो के साथ-साथ सीआरआई हिन्दी की वेबसाइट का भी अवलोकन किया और सत्तरवीं वर्षगांठ को समर्पित विशेष कार्यक्रमों को सुना और पढ़ा। वास्तव में फ़ासिस्ट विरोधी युद्ध में तमाम मित्र-राष्ट्रों के मध्य चीन का योगदान अतुलनीय रहा, इसमें दोराय नहीं।

    जहाँ आज शाम साढ़े छह बजे सीआरआई हिन्दी रेड़ियो पर समाचारों के बाद फ़ासिस्ट विरोधी युद्ध की सत्तरवीं वर्षगाँठ के उपलक्ष्य में 96 वर्षीय बहादुर सैनिक यांग यांग छिन के असाधारण साहस और शौर्य की गाथा सुन शरीर के रोमकूप खड़े हो गये, वहीं वेबसाइट पर विजय दिवस के उपलक्ष्य में पेइचिंग के थ्येनआनमन चौक में आयोजित विशेष परेड़ का जश्न रोमांचकारी प्रतीत हुआ। इस भव्य परेड़ में चीन द्वारा प्रदर्शित आधुनिकतम युध्दक विमान, हेलिकॉप्टर एवं अन्य सैन्य साजो-सामान की चर्चा न केवल चीनी मीडिया, अपितु विदेशी सूचनातंत्र द्वारा भी विस्तार से की गई। विश्व की जानीमानी प्रसारण संस्था बीबीसी द्वारा थ्येनआनमन चौक में आयोजित परेड़ में बारह हज़ार चीनी सैनिकों के साथ कोई एक हज़ार विदेशी सैनिकों के शामिल होने और कुल सत्रह देशों के राष्ट्र प्रमुखों के उक्त समारोह में भाग लेने का उच्च मूल्यांकन किया गया। भारत की ओर से जनरल बी.के. सिंह की उपस्थिति को भी महत्वपूर्ण बतलाया गया। वेबसाइट पर लाइव इण्डिया टीवी के वरिष्ठ पत्रकार उमेश चतुर्वेदी और एबीपी न्यूज़ के आनन्द से लिया गया साक्षात्कार भी भारत की अहमियत का द्योतक है। सीआरआई के रेड़ियो और इण्टरनेट प्रसारण के माध्यम से फ़ासिस्ट विरोधी युध्द की सत्तरवीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित तमाम गतिविधियों में हमने भी स्वयं शरीक पाया। धन्यवाद।

    मीनू:आगे सुरेश जी लिखते हैं.....चीन में हिन्दी के लोकप्रिय होने की बात तो हम जानते थे, परन्तु आज साप्ताहिक "आज का लाइफ़स्टाइल" के तहत चीन में संस्कृत की बढ़ती लोकप्रियता के बारे में जान कर सुखद आश्चर्य हुआ। हेल्थकेयर की चर्चा में धीरे-धीरे भोजन करने के महत्व को समझाने का शुक्रिया। कॅरियर कॉर्नर में आवाज़ की दुनिया में डबिंग आर्टिस्ट बन भविष्य संवारने की सम्भावनाओं पर दी गई जानकारी मार्ग प्रशस्त करने जैसी लगी। बॉलीवुड हंगामा में बात चाहे ऋतिक रोशन की "आशिक़ी-3" नज़र आने की हो या कि ऐश्वर्या राय बच्चन की पांच साल बाद हो रही फ़िल्मों में वापसी की, इस स्तम्भ को सार्थकता प्रदान करती महसूस हुई। सर्वोपरि इस शुक्रवार रिलीज़ होने वाली अनिल कपूर और जॉन अब्राहम अभिनीत फ़िल्म "वेलकम बैक" की चर्चा के साथ उसका प्रोमो सुनवाया जाना भी शानदार रहा। धन्यवाद एक सूचनाप्रद प्रस्तुति हेतु।

    श्रृंखला "पश्चिम की तीर्थयात्रा" की कड़ी में तो आज भव्य वानर और शूकर ने पवित्र महिमा कन्दरा के बूढ़े दैत्य और दैत्यांगना को उनके असली रूप में लाकर कमाल ही कर दिया। तत्पश्चात वानर ने महिमा कन्दरा सहित उसके आस-पास के उन तमाम ठिकानों को आग लगा कर नष्ट कर दिया, जहाँ दुष्टात्माओं का निवास हो सकता था। अब कहानी में आगे क्या होगा, देखना है। धन्यवाद।

    अनिल:सुरेश जी, हमें पत्र भेजने के लिए आपका शुक्रिया। दोस्तो, पिछले 20 अगस्त 2015 को छत्तीसगढ़ रेडियो श्रोता संघ ने 'श्रोता दिवस'के अवसर पर भारतीय श्रोता सम्मेलन का आयोजन किया। इस बारे में श्रोता अशोक बजाज ने हमें प्रधानमंत्री के 'मन की बात'ने बढ़ाया रेडियो का महत्व शीर्षक एक समाचार भेजा। आईए, सुनते हैं यह समाचार।

    प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी 20 अगस्त 2015 को छत्तीसगढ़ रेडियो श्रोता संघ द्वारा 'श्रोता दिवस'के अवसर पर यहां अखिल भारतीय श्रोता सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन में छत्तीसगढ़ सहित हरियाणा, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र आदि कई राज्यों के रेडियो श्रोता संघों के प्रतिनिधि शामिल हुए। सम्मेलन में रेडियो श्रोताओं को छत्तीसगढ़ सरकार की योजनाओं और उपलब्धियों पर जनसम्पर्क विभाग द्वारा प्रकाशित पुस्तिकाएं भी वितरित की गई।

    छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी बैंक के अध्यक्ष अशोक बजाज ने इस मौके पर कहा कि सूचना क्रांति के इस आधुनिक युग में टेलीविजन और इंटरनेट जैसे संचार संसाधनों में वृद्धि के बावजूद रेडियो की महत्ता और प्रासंगिकता आज भी कायम है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी अपने मन की बात कहने के लिए रेडियो को चुना है। उनके द्वारा आकाशवाणी से 'मन की बात'कार्यक्रम के जरिए हर महीने देश की जनता को सम्बोधित करने की जो शुरूआत की गई है, उससे भारत में रेडियो का महत्व और भी अधिक बढ़ गया है। यह हम सबके लिए एक बड़ी उपलब्धि है। छत्तीसगढ़ के रेडियो श्रोता भी प्रधानमंत्री के 'मन की बात' बड़े चाव से सुनते हैं। उन्होंने कहा कि रेडियो की महत्ता को खत्म करने के सारे कुचक्र फेल हो गए हैं। रेडियो अपने नये रूप में एक बार फिर लोकप्रियता हासिल करने लगा है। भारत में प्रथम रेडियो प्रसारण स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रांतिकारियों द्वारा 20 अगस्त 1921 को हुआ था। इस दिन को यादगार बनाने के लिए छत्तीसगढ़ के रेडियो श्रोताओं द्वारा विगत दस वर्षों से लगातार हर साल 'श्रोता दिवस' और श्रोता सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है।

    मीनू:आगे अशोक बजाज ने लिखा है.......कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ संपादक नीलकण्ठ पारटकर ने कहा कि आधुनिक समय में रेडियो का महत्व न तो कभी कम हुआ है और न कभी कम होगा। रेडियो गांव में, नाव में और कहीं भी, कभी भी सुना जा सकता है। रेडियो देश की रक्षा के लिए सरहदों पर मोर्चे पर तैनात हमारे वीर जवानों का भी साथी है। सम्मेलन को विशेष अतिथि विविध भारती (मुम्बई) के वरिष्ठ उदघोषक अशोक सोनावाणे ने भी सम्बोधित किया। उनके अलावा आकाशवाणी रायपुर के उदघोषक दीपक हटवार, हिन्दी और छत्तीसगढ़ी के लोकप्रिय कवि रामेश्वर वैष्णव, वरिष्ठ रंगकर्मी चंद्रशेखर व्यास और आकाशवाणी अम्बिकापुर के उदघोषक शोभनाथ साहू सहित अनेक वक्ताओं ने विचार व्यक्त किए।

    इस मौके पर लगभग 109 बार रक्तदान कर चुके विनोद माहेश्वरी को विशेष रूप से सम्मानित किया गया। श्रोताओं और उदघोषकों के बीच रेडियो कार्यक्रमों को लेकर परस्पर दिलचस्प बातचीत भी हुई। फरमाइशी गीतों के कार्यक्रमों में अपना नाम शामिल नहीं किए जाने को लेकर आत्मीय शिकायतें भी कुछ श्रोताओं ने रखी। उदघोषकों ने इसे रेडियो के प्रति श्रोताओं के गहरे जुड़ाव का परिचायक बताया।

    अनिल:अशोक जी, हमें पत्र भेजने और इस गतिविधि के बारे में जानकारी देने के लिए आपका धन्यवाद। अंत में सुनते हैं पश्चिम बंगाल से रविशंकर बसु जी का पत्र। उन्होंने लिखा है......

    सादर नमस्कार। आपके द्वारा भेजे गए "सेतु संबंध" पत्रिका का अगस्त-अक्टूबर अंक ,2015 मुझे मिल चुका है। अब मैं इस पत्रिका के बारे में एक प्रतिक्रिया आपके पास भेज रहा हूं ।

    "सेतु संबंध" के इस अंक में आशा के अनुरूप पिछले 14 मई से 16 मई तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मैत्रीपूर्ण चीन यात्रा के बारे में तीन विशेष लेख प्रकाशित हुए हैं, जिसमें चीन और भारत दोनों देशों के बीच वर्तमान में जो बड़े बदलाव आया है, उसे काफ़ी महत्व दिया गया है। प्रमोद जोशी की कवर स्टोरी "भारत-चीन सहयोग का अनंत आकाश" पढ़कर प्रधानमंत्री मोदी की महत्वपूर्ण चीन-यात्रा पर पर्याप्त जानकारी हासिल हुई। प्रो. यू लों गयू ने सही कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीन दिवसीय चीन यात्रा से भारत-चीन संबंधों के विकास में और एक मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने कहा कि विश्वास की डोर मज़बूत होने लगी है। यह बिलकुल सही बात है। हम दोनों देश एक दूसरे की प्रतिद्वंदी नहीं है। दोनों देशों की आवाजाही को मजबूत करके भारत-चीन संबंध को और सुंदर भविष्य के लिए प्रयास करना चाहिए। इस दिशा में "सेतु संबंध" मैगज़ीन भी शामिल है,जिस के लिए सेतु संबंध टीम को धन्यवाद।

    सीआरआई के हिंदी विभाग के विशेषज्ञ और पत्रिका की मैनेजिंग एडिटर अनिल आज़ाद पाण्डेय जी द्वारा लिखे गए लेख "कोटनिस का योगदान नहीं भूलेंगे चीनी" वाकई अत्यन्त महत्वपूर्ण लगी। एक भारतीय होने के नाते मैं बहुत ही गर्व महसूस कर रहा हूं कि दूसरे विश्व युद्ध के दौरान घायल चीनी सैनिकों की सेवा कर इंसानियत,मैत्री और भाईचारे की मिसाल कायम करने वाले भारत मां के सपूत डॉक्टर कोटनिस को आज भी चीन की जनता श्रद्धा और प्रेम से याद करती है।1910 में दक्षिण महाराष्ट्र के सोलापुर जिले में जन्मे कोटनिस 1938 में चीन को मेडिकल सहायता देने के लिए भारत से रवाना हुए और द्वितीय विश्र्व युद्ध के दौरान चीन के जापान विरोधी युद्ध में हिस्सा लिया।चीन के होपेइ प्रांत के थांग काऊंटी के ककूं गांव में डॉक्टर कोटनिस की 9 दिसंबर,1942 को महज 32 साल की उम्र में अपीलैपसी यानी मिरगी के कारण मौत हो गई ।डॉक्टर कोटनिस ने चीनी जनता के मुक्ति-कार्य के लिए अपने मूल्यवान जीवन का बलिदान दिया ।चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के अध्य़क्ष और चीन के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष माओ त्सेतोंग ने डॉक्टर कोटनिस के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया था। उन्होंने कहा था कि चीनी सेना और चीनी जनता ने एक दोस्त को खो दिया।उनकी अतुल्य महान भावना हमेशा चीनी जनता के हृदय में याद रखी जाएगी।

    मीनू:आगे बसु जी ने लिखा है.....वहीं और एक लेख में अनिल पाण्डेय जी ने मध्य प्रदेश में कुख्यात व्यापम घोटाले पर हमारा ध्यान आकर्षित किया। आज़ादी के 69 साल के बाद स्‍वतंत्र भारत में भ्रष्टाचार और घोटालों की फ़ेहरिस्त काफी लंबी है। लेकिन हाल ही के व्यापम घोटाले ने देश ही नहीं सत्ता के गलियारे में भी खलबली मचा दी। कई लोगों की जान लेने वाला व्यापम घोटाला आखिर क्या है ,इस बारे में हमें एक विस्तृत जानकारी लेख के माध्यम से देने के लिए अनिल पाण्डेय जी को सविशेष धन्यवाद।

    पत्रिका संपादक अखिल पाराशर जी ने दक्षिण पश्चिमी चीन के युन्नान प्रांत पर अपने सैर का अहसास हमारे साथ साझा किया और उनके आंखों से हमने भी युन्नान प्रांत में स्थित वुतिंग काउंटी और युआनमो काउंटी घूमी। लेख के वर्णन के अनुसार वुतिंग काउंटी छुछियोंग यी स्वायत्त प्रांत के अंतगर्त आता है और वहां अधिकतर यी जाति के लोग रहते हैं। आम तौर पर यी जाति के लोग कृषि या गाय,भेड़ और बकरियों के मवेशी-पालन में लगे हुए हैं।यह काउंटी "वुतिंग चिकन" के लिए बहुत मशहूर है। वुतिंग शहर के मुर्गा या मुर्गी 4 से 5 किलोग्राम के होते हैं और मोटे-ताजे होते हैं।अखिल जी ने युन्नान प्रांत में छुछियोंग यी स्वायत्त प्रान्त में स्थित दूसरी काउंटी युआनमो काउंटी को "सब्जियों का गढ़" संज्ञा दिया है क्योंकि वहां की जलवायु और वातावरण सब्जी व फलों को उगाने के लिए सबसे उपयुक्त है। युआनमो काउंटी में टमाटर का उत्पादन सबसे अधिक होता है। वहां का टमाटर चीन के अलावा रूस,जापान आदि देशों में बेचा जाता है। युआनमो काउंटी में किसानों ने बड़ी संख्या में उन्नत और आधुनिक तकनीक का उपयोग कर अच्छी खेती-बाड़ी कर रहे हैं। हमें वुतिंग काउंटी और युआनमो काउंटी के बारे में रूबरू कराने के लिए अखिल जी को हार्दिक धन्यवाद।

    अनिल:आगे बसु जी लिखते हैं.....अखिल जी द्वारा सम्पादित "चीन में बढ़ता योग का जुनून" नामक शीर्षक लेख मैं बहुत मनोयोग से पढ़ा। योग भारतीय संस्कृति की मूल पहचान है जो दुनिया भर में लोगों को स्वास्थ्य और प्रसन्नता की रोशनी दिखा रही है। यह हमारे लिए बहुत ही ख़ुशी और गर्व की बात है कि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल सितंबर महीने में संयुक्त राष्ट्र में अपने पहले संबोधन में 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने की प्रस्ताव पेश की थी । 11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र संघ में 193 सदस्यों द्वारा 21 जून अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के प्रस्ताव को मंजूरी मिली।पिछले 21 जून को दुनियाभर के 193 देशों के 251 से अधिक शहरों में पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया।

    इस लेख से पता चला कि चीन की युवा पीढ़ी में आज के समय में भारतीय योग तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। पिछले 16 मई को पेइचिंग में चीन के योग संगठन "योगी योग" द्वारा एक तीन दिवसीय पहला चीन योग शिखर सम्मेलन आयोजित हुआ था । पिछले 13 जून को युन्नान मिनज़ू युनिवर्सिटी में भारत का पहला योग संस्थान खुला है । इसके अलावा दक्षिण पश्चिमी चीन के सछ्वान प्रांत की राजधानी छंगतु के अधीन तु च्यांगयान शहर में 17 जून से 20 जून तक पहला चीन-भारत अंतरराष्ट्रीय योग उत्सव आयोजित हुआ था । मुझे आशा है कि आने वाले दिनों में चीन का थाई छी और भारत का योग दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक रिश्तों को मज़बूत करने के लिए अहम योगदान देगी।

    पत्रिका की एसोसिएट एडिटर चंद्रिमा जी द्वारा लिखे गए लेख "सच्चे प्रेम की मिसाल एक चीनी दंपति" को जितने भी तारीफ़ किया जाए वह कम होगा।इस लेख के ज़रिये चंद्रिमा जी ने चीन के एक विकलांग दंपति की सच्चे प्यार की जो कहानी हमें सुनाई वह वाकई दिल को छू लेने वाली घटना लगी। चीन के 58 वर्षीय ल्यू चिंग फिंग और थोंग फंग लैन की जोड़ी को देखकर यह सच जान पड़ता है कि शायद भगवान जोड़ी ऊपर से बनाकर ही भेजते हैं। वर्ष 1982 में ल्यू और थोंग ने एक दूसरे को प्यार करके शादी किया। लेकिन ग्लूकोमा वीमारी से पीड़ित होने के कारण 1993 में ल्यू चिंग फिंग का आंखों की रोशनी चला गया और वह अंधा हो गए । फिर भी थोंग फंग लैन अपने नेत्रहीन पति की मदद के लिए हमेशा साथ रहती है और हर वक्त आगे भी रहती है। वाकई दोनों एक दूसरे को बहुत प्यार करते हैं। यह सचमुच पति-पत्नी के प्रेम और एक दूसरे के प्रति पूर्ण समर्पण की कहानी है। चंद्रिमा जी आपने सही कहा कि हर एक सभ्य पुरुष के पीछे एक असाधारण महिला रहती है। यह सचमुच एक रियल लाइफ स्टोरी है जिस से हमें प्रेरणा मिलती है । मेरी कामना है कि ये दोनों जोड़ी सदा खुश रहें और अपने परिवार के दायित्वों को भी पूरा करते हुए सदा प्रेम से साथ रहें । ये सचमुच सच्चे प्यार की एक अलग ही मिसाल हैं।

    मीनू:आगे बसु जी लिखते हैं.....इस साल 26 मई को नरेंद्र मोदी सरकार के एक साल पुरे होने पर पंकज श्रीवास्तव जी ने "पीएम के तौर पर मोदी का एक साल" लेख के ज़रिये मोदी शासन के एक साल के कामकाज का विश्लेषण किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'मेक इन इंडिया' के नारे को प्रशंसा करते हुए पंकज जी ने लिखा है कि " देश की 65 फीसदी युवा आबादी को तकनीक और रोजगार के क्षेत्र से जोड़ने की दिशा में मेक इन इंडिया की आधारशिला महत्वपूर्ण कदम है।"लेकिन मेरा मानना है कि 'मेक इन इंडिया' के नारे को अमली जामा पहनाने के लिए कोई उल्लेखनीय पहल सामने नहीं आयी है। बाजार में आटा-दाल हो या फल-सब्जी, हर चीज के दाम लगातार बढ़ते जा रहे हैं।सच यह है कि आम जनता के बीच मोदी का जादू कुछ फीका पड़ा है।

    वहीं विकास कुमार सिंह द्वारा लिखे गए निबंध से चीन के "काओ खाओ" यानी राष्ट्रीय विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा के बारे में मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला। लेख से यह जानने को मिली कि वर्ष 2003 में चीनी शिक्षा विभाग ने प्रत्येक साल के जून माह की सात,आठ और नौ तारीख को राष्ट्रीय विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा आयोजित करने का फैसला किया। चीन के उच्च शिक्षण प्रतिष्ठानों में भरती के लिये तीव्र स्पर्द्धा वाली इस वार्षिक राष्ट्रीय विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा में कोई एक करोड़ से अधिक परीक्षार्थी हर साल भाग लेते हैं।अच्छे अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थी देश के प्रसिद्ध यूनिवर्सिटियों में दाखिला ले सकते हैं,जब कि अपेक्षाकृत कम अंक प्राप्त विद्यार्थियों को देश के साधारण उच्चशिक्षालयों में प्रवेश दिया जाता है। जब कि निर्धारित अंक-सीमा से बाहर के विद्यार्थियों को विश्विद्यालयों में प्रवेश करने के लिए फिर से अगले साल जून महीने में नयी राष्ट्रीय परीक्षा में हिस्सा लेना पड़ता है।विकास जी को चीनी विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा पर बेहतरीन लेख लिखने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

    अनिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल पांडे और मीनू को आज्ञा दीजिए, नमस्कार

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