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    आपका पत्र मिला 2015-08-05
    2015-08-10 09:22:53 cri

    अनिल:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल पांडे का नमस्कार।

    मीनू:सभी श्रोताओं को मीनू का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिलः आज के कार्यक्रम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे। इसके बाद एक श्रोता के साथ हुई बातचीत के मुख्य अंश पेश किए जाएंगे।

    अनिल:आज श्रोताओं के पत्र पढ़ने का सिलसिला शुरू करने से पहले हम भारत के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम के निधन पर शोक व्यक्त करें।

    भारत के पूर्व राष्ट्रपति और भारत के मिसाइल मैन अब्दुल कलाम का 27 जुलाई की रात को दिल का दौरा पड़ने से देहांत हो गया, वे 83 वर्ष के थे। बिहार से डॉ हेमन्त कुमार ने अब्दुल कलाम को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए हमें पत्र भेजा है। इसमें कहा गया है.....भारत के पूर्व राष्ट्रपति, महान वैज्ञानिक और शिक्षक ए पी जे अब्दुल कलाम किसी परिचय के मोहताज़ नहीं हैं। वे भारत के सबसे पसंदीदा यूथ आइकॉन हैं। उन्होंने अपनी मेहनत, लगन और इच्छा शक्ति से अर्श से शिखर तक का सफर तय किया है। उन्होंने बहुत सी ऐसी बातें कहीं हैं जिन्हें अपने जीवन में अपनाकर कोई कामयाबी के शिखर तक पहुँच सकता है। उनके ऐसे ही विचारो का संकलन किया गया है।

    सपना वो नहीं हैं जो आप नींद में देखें, सपने वो हैं जो आपको नींद ही नहीं आने दें।

    इंतज़ार करने वालों को सिर्फ उतना ही मिलता है, जितना कोशिश करने वाले छोड़ देते हैं।

    एक अच्छी पुस्तक हज़ार दोस्तों के बराबर होती है जबकि एक अच्छा दोस्त एक लाइब्रेरी (पुस्तकालय) के बराबर होता है ।

    देश का सबसे अच्छा दिमाग, क्लास रूम की आखिरी बेंचो पर मिल सकता है।

    आप अपना भविष्य नहीं बदल सकते पर आप अपनी आदतें बदल सकते हैं और निश्चित रूप से आपकी आदतें आपका फ्यूचर बदल देंगी।

    महान सपने देखने वालों के महान सपने हमेशा पूरे होते हैं।

    अपने मिशन में कामयाब होने के लिए, आपको अपने लक्ष्य के प्रति एकचित्त निष्ठावान होना पड़ेगा।

    मैं हमेशा इस बात को स्वीकार करने के लिए तैयार था कि मैं कुछ चीजें नहीं बदल सकता ।

    यदि हम स्वतंत्र नहीं हैं तो कोई भी हमारा आदर नहीं करेगा ।

    आइये हम अपने आज का बलिदान कर दें ताकि हमारे बच्चों का कल बेहतर हो सके ।

    किसी भी धर्म में किसी धर्म को बनाए रखने और बढाने के लिए दूसरों को मारना नहीं बताया गया ।

    आज देश ने एक अनमोल रत्न खोया है । सर आपका निधन समूचे देश के लिए अपूरणीय क्षति है ।शत् शत् नमन सर.

    मीनू:हेमन्त कुमार जी, हमें पत्र भेजने और कलाम जी की बातों को हम तक पहुंचाने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद। चलिए, अगला पत्र मेरे पास है झारखंड से एस बी शर्मा जी का। उन्होंने लिखा है.....

    दिनाक 20 जुलाई के मैत्री की आवाज कार्यक्रम में भारत के आंध्र प्रदेश राज्य के प्रतिनिधि से अखिल जी बातचीत सुनने को मिली। आंध्रप्रदेश के प्रतिनिधि चीन में अपने राज्य के पर्यटन को बढ़ावा देने हेतु प्रचार प्रसार के लिए गए हुए थे। वे चीन के पंद्रह बीस टूर ऑपरेटर्स को भारत के आंध्रप्रदेश में घुमाकर यहां के पर्यटन स्थलों का प्रचार करना चाहते हैं। वे इन टूर ऑपरेटर्स को दिखाना और बताना चाहते हैं कि राज्य में पर्यटन की अपार सम्भावनाये हैं, साथ ही नए पर्यटन स्थलों को भी प्रमोट करना चाहते हैं। वैसे तो आंध्र प्रदेश में तिरुपति जैसा अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल है, जहां दुनिया भर से लाखों पर्यटक हर साल आते हैं, जो राज्य के साथ देश की आय का भी बढ़ा साधन है। पर आंध्र प्रदेश अब तिरुपति के अलावा विशाखापत्तनम, कोनसीमा और अमरावती जैसी जगहों को भी जैसे नए पर्यटन स्थलों के रूप में बढ़ावा देना चाहता है। विशाखापत्तनम में पर्यटन की तमाम संभावनाएं हैं। ये जानकर अच्छा लगा कि सरकार अब जंगल टूरिज्म बीच टूरिज्म बुद्धिस्ट हेरिटेज सर्किट टूरिज्म जैसी नई थीम से पर्यटन को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रही है। साथ ही अतिथि देवो भवः और इनक्रेडिबल इंडिया से भी आंध्र सहित अन्य राज्यों के टूरिज्म को नयी गति देना चाहती है। भारत में टूरिज्म की आपार सम्भावनाये हैं इस बाजार को विकसित कर इसका लाभ लेने का समय आ गया है। इससे सरकार सहित स्थानीय लोगों की आय में वृद्धि होगी और रोजगार का सृजन होगा। उम्मीद है सरकार की यह कोशिश बहुत परिवर्तन लाएगी।

    अनिल:एस बी शर्मा जी, आपका पत्र शामिल करते हुए हमें बहुत खुशी हो रही है, आशा है कि आपका हाथ ठीक हो चुका है और आप हमसे लगातार संपर्क करते रहेंगे। चलिए, अगला पत्र पढ़ते हैं हमारे मॉनिटर ओड़िशा से सुरेश अग्रवाल जी का। उन्होंने लिखा है.....

    दिनांक 2 अगस्त को दिनचर्या का अटूट हिस्सा बन चुके सीआरआई हिन्दी के ताज़ा प्रसारण को प्रतिदिन की तरह मैंने आज भी अपने तमाम मित्रों और परिजनों के साथ मिलकर अपने निवास पर शाम ठीक साढ़े छह बजे शॉर्टवेव 9450 किलोहर्ट्ज़ की आवृत्ति पर स्पष्ट रिसैप्शन के साथ सुना और अब मैं उस पर अपनी त्वरित प्रतिक्रिया के साथ आपके समक्ष पेश होने कम्प्यूटर के समक्ष बैठा हूँ। संचार और बिजली ने साथ दिया तो कुछ ही क्षणों में यह रिपोर्ट आपके हाथों में होगी। बहरहाल, ताज़ा समाचारों के बाद पेश साप्ताहिक "सण्डे की मस्ती" का आज का अंक भी तमाम जानकारियों और मनोरंजन से भरपूर था। एक मधुर चीनी प्रेमगीत से कार्यक्रम का आगाज़ किये जाने के बाद दी गई यह जानकारी मन को कुछ उदास कर गई कि आबादी की लिहाज़ से सन 2022 तक भारत चीन को भी पीछे छोड़ देगा। वास्तव में, बढ़ती जनसंख्या देश के विकास में सबसे बड़ी बाधा है। न्यूज़ीलैण्ड की बारह वर्षीय बालिका इसाबेल का नींद में चलना और पियानो बजाने का समाचार हैरान करने वाला था, जब कि पियानो तो उसे बजाना ही नहीं आता। इससे भी हैरतभरा समाचार चीनी डॉक्टरों द्वारा एक व्यक्ति के लेथ में कटे हाथ को ऑपरेशन के ज़रिये फिर से जोड़ा जाना लगा। बाहरी अन्तरिक्ष पर अपनी पैनी नज़र रखने चीन द्वारा विकसित कोई 500 मीटर व्यास वाली दुनिया की सर्ववृहद् दूरबीन भी किसी अज़ूबे से कम नहीं। नासा के वैज्ञानिकों द्वारा पृथ्वी ही की तरह के कैप्लर 452-बी नामक ग्रह की खोज़ के अलावा उस ग्रह की आठ ख़ास विशेषताओं का ज़िक्र किया जाना हमारे सामान्य-ज्ञान में वृध्दि कर गया। प्रेरक कहानी-मनहूस पेड़ और गुरु लाओचि की सीख को हम सभी को अपने जीवन में उतारना चाहिये। संघर्ष ही भविष्य का दूसरा नाम है-महाभारत में भगवान श्रीकृष्ण की यह सीख भी शाश्वत सन्देश प्रदान करती है। कार्यक्रम में सुनवाये गये हास्यकवि सुरेन्द्र शर्मा के जोक्स में व्यंग के साथ शिक्षा का पुट भी जुड़ा था। शेष जोक्स सामान्य स्तर के रहे। धन्यवाद एक अच्छी प्रस्तुति के लिये।

    श्रृंखला "पश्चिम की तीर्थयात्रा" की कड़ी में आज स्थानीय देवता से दैत्यांगनाओं का राज़ जानने के बाद महानमनीषी ने अपनी तिलिस्मी शक्ति से न केवल उनके मकड़जाल को नष्ट कर डाला, अपितु उन सातों प्रेतात्माओं का भी कचूमर निकाल दिया। हाँ, ताओपंथी के साथ संघर्ष के 50-60 चक्र समाप्त होने पर, उसके हौसले तो पस्त किये, पर उसे पूरी तरह परास्त करने में वानर सफल नहीं हुआ। ताओपंथी द्वारा छोड़े गये स्वर्णिम प्रकाश की चकाचौंध से महान वानर भी काफी परेशान हुआ।कहानी में अब आगे क्या होगा,देखना है। धन्यवाद।

    मीनू:सुरेश अग्रवाल जी, इतना मेहनत से मोनिटर का कार्य करने के लिए हम आपके आभारी हैं। चलिए, अगला पत्र पेश है बिहार से शंकर प्रसाद शंभू जी ने। उन्होंने लिखा है......

    25 जुलाई, शनिवार को पंकज श्रीवास्तव जी और अंजली जी द्वारा प्रस्तुत साप्ताहिक कार्यक्रम आपकी फरमाईश,आपकी पसंद प्रोग्राम का ताज़ा अंक सुना ! इस प्रोग्राम में आज छह हिंदी फ़िल्मी गानों के अलावा कुछ मज़ेदार और रोचक जानकारी हमें सुनने को मिली । आज प्रोग्राम की शुरुआत में आपने भारत की पहली महिला प्रोफेशनल बॉडी बिल्डर महाराष्ट्र की 32 वर्षीया अश्विनी वासकर की कामयाबी की कहानी के बारे में बताय़ा , आज देश भर में अश्विनी की पहचान सफल और सशक्त प्रतिस्पर्धी बॉडी बिल्डर के तौर पर उभरी है। उन्होंने यह साबित किया है कि बॉडी बिल्डिंग करना सिर्फ पुरुषों का ही शगल नहीं है। अब तक 7 इंटरनेशनल बॉडी बिल्डिंग चैम्पियनशिप में हिस्सा ले चुकी हैं और नेशनल लेवल पर कई अवॉर्ड जीते। परंपरा से हटकर उन्होंने सिर्फ इस क्षेत्र को अपनाया ही नहीं है बल्कि दिल से मेहनत कर एक मुकाम भी हासिल किया। महिला बॉडी बिल्डिंग की दुनिया में उम्मीद का नया सूर्य अश्विनी वासकर को मेरा हार्दिक बधाई। हमें यह जानकर बेहद खुशी है कि हमारे डाजीर्लिंग की मकईबारी चाय भारत में सबसे महंगी चाय बन गई है। यह हमारे लिए बेहद गर्व की बात है कि दुबई में प्रीमियम क्वॉलिटी वाली भारतीय चाय की डिमांड लगातार बढ़ रही है और भारतीय चाय मकाईबारी टी जल्द ही दुबई के मार्केट में भी उपलब्ध होगी। आज ब्रिटेन के आधिपत्य वाले जिब्राल्टर द्वीप के एक अनोखा अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट से आगाह करने के लिए शुक्रिया। सुना है कि वहां रनवे के दोनों तरफ समुद्र है। विमानों के टेक ऑफ और लैंडिंग के लिए हाईवे पर सिग्नल से ट्रैफिक रोका जाता है। यह सच में आश्चर्यजनक है !

    अनिल:शंकर प्रसाद शंभू जी, आपने बहुत ध्यान से हमारा कार्यक्रम सुना है, हम आपको बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहते हैं। चलिए, आगे बढ़ते हैं पश्चिम बंगाल से बिधान चंद्र सान्याल जी का पत्र। उन्होंने लिखा है.....

    कि चीनी नौसेना के 20वें अनुरक्षक बेड़े के ची नैन नाम के जलपोत ने मुंबई पहुंचकर 4 दिबसीय यात्रा शुरू की है। गौरतलब है कि चीन ने भारत मेँ आयोजित इंटरनेशनल फ्लीट रिव्यु ( आई एफ आर) मेँ हिस्सा लेने के लिए मंजूरी दे दी है यानी जल्द ही चीन के युद्धपोत भारत के जंगी बेड़े के साथ बंगाल की खाड़ी मेँ कदम से कदम मिलाते दिखाई देंगे। अगले साल फरवरी मेँ भारतीय नौसेना अंतराष्ट्रीय जहाजी बेड़े की समीक्षा का आयोजन करने जा रहा है। नौसेना के पूर्वी कमांड का विशाखापट्टनम स्थित मुख्यालय इस अंतराष्ट्रीय सैन्य पर्व का आयोजन कर रहा है। भारत ने करीब 90 देशों को इस आयोजन के लिए आमंत्रण भेजा था , अब तक 45 देश इस फ्लीट रिव्यु मेँ भाग लेने के लिए हामी भर चुके है। इन देशों मेँ अमेरिका, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया और सिंगापुर जैसी बड़ी नौसेनाएं भी शामिल हैं। लेकिन सबसे खुशी की बात है कि चीन इसमेँ हिस्सा लेगै। आई एफ आर मेँ दुनिया भर की नौसेनाएं युद्धक समुद्री जहाजों के बेड़े और नौसैनिकों के साथ शिरकत करेंगी, 5 फरवरी 2016 को शुरू होने वाले पांच दिवसीय इस आयोजन मेँ सभी नौसेनाएं अपनी समुद्री ताकत का प्रदर्शन करेंगी। खुद राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस समोराह मेँ मौजूद रहेंगे। आई एफ आर मेँ भाग लेने के लिए चीन का तैयार हो जाना काफी मायने रखता है। हाल ही मेँ चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने जिस तरह से भारत आकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ाया , ये उसी का नतीजा लगता है। खुद पीएम मोदी की चीन यात्रा और फिर ब्रिक्स और एससीओ की बैठक मेँ चीनी राष्ट्पति से गर्मजोशी भरी मुलाकात इसी की तरफ इशारा करती है। साथ ही साथ भारत चीन सबंधों के एक नए मार्ग पर पहुंचने का इशारा करती ही। जो मेरे जैसे सी आर आई प्रेमी श्रोता के लिए काफी प्रेरणादायक होती है । धन्यवाद ।

    मीनू:आगे विधान चंद्र सान्याल जी ने लिखा है.....

    दिनांक 19 July देश-विदेश के ताजा समाचार सुनने के बाद सण्डे की मस्ती सुनी और बहुत मजा आया । सुन्दर एक चाइनीज गाने के साथ कार्यक्रम शुरू हुआ । इसके बाद 2022 शीतकालीन ओलम्पिक प्रस्तुति के बारे मेँ रिपोर्ट सुनने को मिली। महाभारत में भगवान श्रीकृष्ण की बात बहुत अच्छी लगी। साथ ही साथ कहानी, जोक्स सब मिलाकर एक खास प्रस्तुति के लिए सण्डे की मस्ती टीम को धन्यवाद।

    अनिल:विधान चंद्र सान्याल जी, हमें पत्र भेजने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया। चलिए अभी आपको सुनाया जा रहा है पश्चिम बंगाल से रविशंकर बसु जी का पत्र। उन्होंने लिखा है..... 27 जुलाई ,2015 सोमवार को रात साढ़े नौ से साढ़े दस बजे तक आपका रेडियो प्रोग्राम सुना। पंकज श्रीवास्तव जी द्वारा पेश किये गए दुनिया भर के समाचार सुनने के बाद "चीन का भ्रमण" प्रोग्राम का ताज़ा अंक ध्यानपूर्वक सुना ।आज "चीन का भ्रमण" कार्यक्रम में दो हिस्से थे । पहले हिस्से में मैडम श्याओ यांग जी हमें चीन के भीतरी तिब्बत के सैर पर ले गई और मैं भीतरी तिब्बत पर्यटन क्षेत्र का प्राकृतिक सौंदर्य काल्पनिक तौर पर देखने के बाद एकदम मोहित हो गया ।

    रिपोर्ट से पता चला कि भीतरी तिब्बत यालुत्साडंपू नदी के ऊपरी भाग में स्थित है, जिसकी राजधानी शिकाजे है। उसके उत्तर में हेइहो नदी बहती है। इस विस्तृत व उपजाऊ भूमि में विश्वविख्यात पर्वतीय झील,अनेक रमणीक स्थान व प्राचीन अवशेष मौजूद हैं।चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश का दूसरा बड़ा शहर शिकाजे पश्चिम ल्हासा शहर से 250 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और यह स्थल समुद्र की सतह से काफी अधिक ऊंचाई पर स्थित है। वहां के गानबाला पर्वत पर याडंच्वो युडंमछो यानि "पवित्र पर्वतीय झील" का अनुपम प्राकृतिक सौंदर्य सभी का दिल चुरा लेता है । इस झील का क्षेत्रफल 638 वर्ग किलोमीटर है। मीठे पानी वाली यह झील हिमालय पर्वतमाला की उत्तरी ढलान पर सबसे बड़ी अंदरूनी स्थलीय झील है। इस झील को "पवित्र झील" कहा जाता है। सुना है कि इस झील में दस से ज्यादा द्वीप हैं। द्वीपों पर जल पक्षी विहार करते हैं। झील के आसपास विस्तृत प्राकृतिक चरागाह है। झील में मछलियों की मात्रा 30 करोड़ किलोग्राम है।

    रिपोर्ट सुनके जानने को मिला कि याडंच्वो युडंमछो झील से 90 किलोमीटर दूर 700 वर्ष पुराना ग्यानत्से शहर स्थित है । यह शहर "वीर शहर" नाम से भी जाना जाता है। शहर में एक पाएच्वी मन्दिर है। सुना है तिब्बती भाषा में पाएच्वी का मतलब "शुभचक्र व महान आनन्द मन्दिर" है। बौद्ध धर्म के भिक्षुओं की संख्या इस मंदिर में ज्यादा है । पाएच्वी मन्दिर के पास एक अनोखा पाएच्वी पगोडा है। इस नौ मंजिले पगोडा की ऊंचाई 30 मीटर से ज्यादा है।इस पगोडा में एक लाख बुद्ध मूर्तियां हैं। इसलिए पाएच्वी पगोडा "लाख बुद्ध मूर्तियों वाला पगोडा" कहलाता है।

    ताशलुनपू (चाशलुम्बू) मन्दिर शिकाजे शहर के उत्तर-पश्चिम में रिक्वाडं पर्वत पर स्थित है। इस मन्दिर का क्षेत्रफल 1 लाख 50 हजार वर्ग मीटर है।इस मन्दिर का निर्माण त्सुग खापा की प्रथम पीढ़ी के शिष्य दलाई लामा कन तुन जू बा की अध्यक्षता में 1447 में किया गया था। ताशलुनपू (चाशलुम्बू) मन्दिर के पश्चिम भाग में एक छांगपा यानी मैत्रय बुद्ध भवन खड़ा हुआ है। भवन में रखी हुई मैत्रय बुद्ध की मूर्ति बहुत दर्शनीय है। छांगपा बुद्ध की मूर्ति 3.8 मीटर ऊंचे कमलासन पर बैठी हुई है । मूर्ति की लम्बाई 26.7 मीटर है और वह विश्व में सबसे ऊंची व बड़ी कांस्य बुद्ध मूर्ति मानी जाती है ।

    मीनू:रविशंकर बसु जी ने आगे लिखा है.....प्रोग्राम के दूसरे हिस्से में छिंगहाई प्रांत के तिब्बती जाति का थांगखा चित्र के बारे में एक खास रिपोर्ट सुनी जो अत्यंत महत्वपूर्ण लगी। इस रिपोर्ट में श्याओ यांग जी ने हमें बताया कि छिंगहाई तिब्बत पठार पर तिब्बती बहुल क्षेत्रों के तिब्बती जाति के बड़े छोटे निवास और मकानों में रंगबिरंगे और सुन्दर थांगखा चित्र रखे जाते हैं। आज के इस कार्यक्रम में सुना कि थांगखा चित्रकला तिब्बती संस्कृति का एक अहम अंग है,जिसका इतिहास एक हज़ार से अधिक वर्ष पुराना है। तिब्बती भाषा में "रेकोंग" शब्द का अर्थ है सपना पूरा करने वाली स्वर्ण घाटी। रेकोंग कला का जन्म छिंगहाई तिब्बती पठार में स्थित छिंगहाई प्रांत के ह्वांगनान तिब्बती प्रिफेक्चर की थोंगरन कांउटी के लोंगवू नदी के तट पर स्थित रेकोंग में हुआ है। रेकोंग कला तिब्बत में ही नहीं,पुरे चीन में,कहा जाये तो विश्वभर में बहुत प्रसिद्ध है। इस कला का जन्म 13वीं शताब्दी में हुआ था। यह तिब्बती बौद्ध धर्म के मठों में प्रचलित परंपरागत हस्तकला है। थांगखा चित्र रेकोंग कला का प्रतिनिधित्व माना जाता है। तिब्बती भाषा में थांगखा चित्र का मतलब है स्क्रॉल पेंटिंग (scroll painting)। यह रंगीन रेशमी कपड़े पर बनाया गया धार्मिक चित्र है,जिसका विषय मुख्य तौर पर तिब्बती बौद्ध धर्म की कहानियां,तिब्बती जाति के इतिहास में महान व्यक्ति, मिथकों,कथाओं और महाकाव्यों में पात्र और उनकी कहानियां शामिल है।वर्ष 2009 में थांगखा चित्र प्रमुख रेकोंग कला को युनेस्को की गैरभौतिक सांस्कृतिक विरासतों की सूची में शामिल किया गया है। सुना है कि आम तौर पर तिब्बती लोगों के विचार में थांगखा चित्र एक शुद्ध बौद्ध धर्म का चिह्न है । तिब्बती लोगों के हृदय में थांगखा चित्र मंदिर के बराबर है। तिब्बती बहुल क्षेत्रों में हर तिब्बती परिवार के कमरे में थांगखा चित्र रखा जाता है। हाल की वर्ष में तिब्बती जाति के जीवन में थांगखा चित्र आय का प्रमुख स्रोत भी है। हर परिवार में मुख्य तौर पर थांगखा चित्र बनाते हैं और थांगखा बेचे जाते हैं। यह रिपोर्ट सुनकर मुझे तिब्बती जाति के परम्परागत रेकोंग थांगखा चित्र के बारे में बहुत कुछ जानने को मिला।

    अनिल:अंत में बसु जी लिखते हैं....आज "मैत्री की आवाज़" प्रोग्राम में अखिल पराशर जी के साथ दक्षिण चीन के क्वांगतोंग प्रांत की राजधानी क्वांगचो शहर में रहने वाले भारतीय व्यापारी राहुल गुप्ता की बातचीत मुझे काफी पसंद आयी। सुना है छह साल पहले वे भारत से क्वांगचो गए और न्यू ब्लू जेड कंपनी लिमिटेड का बिजनेस शुरू किया।मुझे यह सुनकर बहुत ही अच्छा लगा कि वह वहां जाकर वे अपने सपनों को साकार करने की कोशिश कर रहे है ।चीनी जीवन,चीनी संस्कृति के बारे में उनका अहसास काफी आकर्षक लगा । सुना है राहुल जी अकसर अपने चीनी यार-दोस्तों के साथ टी-शॉप जाकर चाय पीना पसंद करते है। यह बातचीत सुनके मुझे लगता है कि राहुल जी एक बहुत जिम्मेदार इंसान हैं और वह अपने लक्ष्य को पाने के लिए बहुत मेहनत से काम करते हैं। धन्यवाद ।

    मीनू:दोस्तो, आप लोगों ने जरूर यह खबर सुनी होगी कि पेइचिंग को वर्ष 2022 शीतकालीन ओलंपिक की मेजबानी मिल गई है। अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के अध्यक्ष थॉमस बाख ने 31 जुलाई को क्वालालुंपर में यह घोषणा की। पेइचिंग ने वर्ष 2008 में सफलता से 29वें समर ओलंपिक का आयोजन किया था। पेइचिंग इस बार च्यांग च्या काओ के साथ शीतकालीन ओलंपिक खेलों का आयोजन करेगा। इस मौके पर हमारे पुराने दोस्त छत्तीसगढ़ से चुन्नीलाल कैवर्त जी ने हमारी वेबसाइट पर मैसेज दिया है कि पेइचिंग को वर्ष 2022 शीतकालीन ओलंपिक की मेजबानी मिलने पर चीनी जनता को बधाई l दुनिया का एक मात्र शहर पेईचिंग को हो गौरव प्राप्त होगा, जो समर और विंटर ओलम्पिक के लिए उपयुक्त हैl वास्तव में पेईचिंग खेलों के लिए सर्वोत्तम और पसंदीदा जगह हैl

    अनिल:रविशंकर बसु जी ने भी हमारी वेबसाइट पर यह मैसेज लिखा है कि आज चीन की तमाम जनता के साथ मैं भी आपकी वेबसाइट पर अपनी नज़र जमाये हुए था और आख़िरकार वह खुशखबरी मुझे मिल ही गयी । चीन को ही वर्ष 2022 में 24वें शीतकालीन ओलंपिक खेलों की मेज़बानी मिली है। आज 31 जुलाई को मलेशिया की राजधानी कुआलालम्पुर में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) के 128वें पूर्णाधिवेशन में वर्ष 2022 शीतकालीन ओलंपिक खेलों की दावेदारी में चीन की राजधानी पेइचिंग और हबेई प्रांत की राजधानी चांगच्याखो शहर को चुना गया है। मैं बहुत खुश हूं क्योंकि मैं जानता हूं कि चीन के लोग खेलों से कितना प्यार करते हैं।चीन के शीतकालीन ओलंपिक खेलों की दावेदारी का मतलब है कि वह खेल के प्रति अपने प्यार और उत्साह को दुनिया के सामने दर्शाना चाहता है। ओलंपिक में चीनी खिलाड़ियों ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए पूरी दुनिया को हिला दिया है। वर्ष 1980 में शीतकालीन ओलंपिक खेलों में हिस्सा लेने के बाद से लेकर अब तक चीनी खिलाड़ियों ने कुल 12 शीतकालीन ओलंपिक स्वर्ण पदक जीते हैं। पेइचिंग ने वर्ष 2008 में सफलता से 29वें समर ओलंपिक का आयोजन किया था। पेइचिंग और चांगच्याखो को वर्ष 2022 में शीतकालीन ओलंपिक खेलों की मेज़बानी मिलने से मेरा हृदय आनंद से उछल उठा और मैं बेसब्री से चीन में विंटर ओलंपिक खेलों का आयोजन देखने की प्रतीक्षा में हूं।

    मीनू:अब सुनिए हमारे श्रोता कुमार जय बर्द्धन के साथ हुई बातचीत।

    अनिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल पांडे और मीनू को आज्ञा दीजिए, नमस्कार

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