Web  hindi.cri.cn
    आपका पत्र मिला 2015-07-01
    2015-07-03 08:57:22 cri

    अनिल:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल पांडे का नमस्कार।

    मीनू:सभी श्रोताओं को मीनू का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिलः आज के कार्यक्रम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे। इसके बाद एक श्रोता के साथ हुई बातचीत के मुख्य अंश पेश किए जाएंगे।

    अनिल:चलिए श्रोताओं के पत्र पढ़ने का सिलसिला शुरू करते हैं। पहला पत्र मेरे हाथ आया है पश्चिम बंगाल से देवशंकर चक्रवर्त्ती जी का। उन्होंने लिखा है..... सादर नमस्कार। आपकी वेबसाइट और रेडियो पर कार्यक्रमों के ज़रिए हमें चीन के बारे में व्यापक जानकारी हासिल होती है। मैं कहना चाहता हूं कि आप अपनी वेबसाइट में आपका पत्र मिला,आज का लाइफ स्टाइल और चीन का तिब्बत प्रोग्राम को थोड़ा जल्दी अपडेट किया करें। जिससे हमें समय पर इन प्रोग्राम के बारे में पता चल सके।

    पिछले 14 जून रविवार को "सन्डे की मस्ती" प्रोग्राम में सुना कि एक चीनी व्यक्ति Mr. गेन ने बचपन से पाई पाई पैसे की बचत की, अब वे एक बीएमडब्लू 730 कार के मालिक हो चुके हैं । आस्ट्रेलिया के शहर ब्रिसबेन में एक पंजाबी मूल के एक सिख टैक्सी ड्राइवर सरबजीत सिंह ने 5000 आस्ट्रेलिया डॉलर उनकी टैक्सी में सवार एक व्यक्ति को वापस कर दिए। ये दोनों वाकये, प्रशंसा के योग्य हैं।

    15 जून सोमवार को "चीन का भ्रमण" प्रोग्राम में दक्षिण पश्चिम चीन स्थित पश्चिम सछ्वान प्रांत के रमणीक स्थल च्यु चाउ कोउ पर्यटन क्षेत्र के प्राकृतिक सौंदर्य के बारे में सुनकर मन मत्रमुग्ध हो गया ।च्यु चाइ काउ का नीला आसमान, सफेद बादल, बर्फीले पर्वत,घने जंगल और झरने, नदियां, झीलें व घाटियां आकाश से गिरने वाले मोतियों की लड़ियां मालूम पड़ती हैं, साथ ही मर्मस्पर्शी सुंदर किवदंतियां स्थानीय तिब्बती जाति व छ्यांग जाति के उत्साहपूर्ण व सशक्त जातीय रीति रिवाजों की झलक भी पेश करती हैं। च्यु चाइ काउ एक रंगीन,विविधतापूर्ण,आदिम व काल्पनिक प्राकृतिक बाल कथा दुनिया कहलाने लायक है ।यह प्रोग्राम सुनके मेरा भी दिल सछवान प्रांत में विख्यात पृथ्वी के स्वर्ग च्यु चाई काउ को अपनी आँखों से देखने के लिए कर रहा है। मैं आशा करता हूं कि एक न एकदिन आपके माध्यम से मेरा यह सपना जरूर पूरा होगा। चीन के इन रमणीक स्थल से रूबरू कराने हेतु हार्दिक धन्यवाद ।

    16 जून मंगलवार को "टी टाइम" प्रोग्राम में रक्तदान से जुड़ी चर्चा असाधारण सूचनाप्रद लगी । अनिल जी आपने सही कहा कि नियमित रक्तदान से न केवल लाखों लोगों की जान बचाई जा सकती है,बल्कि इससे खुशी एवं स्वास्थ्य लाभ मिलता है ।खुद को सेहतमंद रखने का रक्तदान एक अच्छा तरीका है। रक्तदान के जरिए जितना खून शरीर से निकलता है उसकी भरपाई शरीर में मात्र 21 दिन में हो जाती है। रक्तदान से शरीर को नुकसान की बजाय फायदा ही होता है। इससे शरीर में रक्त कोशिकाएं तेजी से बनने लगती हैं और लाल रक्त कोशिकाओं का पुर्ननिर्माण होता है,जिससे शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा अधिक रहती है।हमारे देश में समय पर रक्त नहीं मिलने के कारण हर साल हजारों लोगों की मौत हो जाती है। अगर सभी लोग साल में एक बार भी रक्तदान करें तो बहुत सी अनमोल जिंदगियां बचाई जा सकती हैं। 18 जून,बृहस्पतिवार को साप्ताहिक "आज का लाइफस्टाइल" प्रोग्राम में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को लेकर आपकी खास चर्चा मुझे बहुत पसंद आई। आपकी वेबसाइट पर प्रस्तुत विशेष रिपोर्ट के माध्यम से दक्षिण पश्चिमी चीन के सछ्वान प्रांत की राजधानी छंगतु के अधीन तु च्यांगयान शहर में पहले चीन-भारत अंतरराष्ट्रीय योग उत्सव से सम्बंधित विस्तृत जानकारी मिली,जिसके लिए मैं आपको तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूं ।

    मीनू:देवशंकर चक्रवर्त्ती जी, हमें नियमित रूप से पत्र भेजने पर आपका बहुत बहुत धन्यवाद। चलिए, अगला पत्र मेरे पास है उत्तर प्रदेश से बद्री प्रसाद वर्मा अनजान जी का। उन्होंने लिखा है.....नमस्कार। चार महीने के बाद आज फिर मुझे सेतु संबंध पत्रिका का मई-जुलाई 2015 का अंक पढ़ने को मिला। नया अंक देखकर हमारे क्लब के मित्रों को बड़ी खुशी हुई। मुख्य पेज पर चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग और भारतीय प्रधानमंत्री नरंद्र मोदी की हाथ मिलाने वाली फोटो मन को छू गई। प्रधानमंत्री नरिंद्र मोदी की 14 से 16 मई तक चीन यात्रा पर पूर्व समीक्षा-मोदी की यात्रा में सहयोग की संभावनाएं कवर स्टोरी पसंद आई। वैसे मोदी जी की चीन यात्रा पूर्ण रूप से सफल मानी जा रही है। चीनी राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री तथा चीनी और भारतीय लोगों ने जिस तरह से मोदी जी का स्वागत सत्कार किया। उसके लिए हम चीनी जनता के आभारी है। लेख शी के बाद अब मोदी की बारी, अब क्या कर पाएंगे राहुल, सिंगापुर के हीरो ली कुआन यू, नशे में डुबा चीनी मनोरंजन जगत, हुवावेई ने भारत में जमाए कदम काफी पसंद आई।

    अनिल:बद्री प्रसाद वर्मा अनजान जी, हमें पत्र भेजने और हमारे पत्रिका के बारे में अपनी राय लिखने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद। चलिए, अब हम आपको सुनाते हैं ओड़िशा से हमारे मोनिटर सुरेश अग्रवाल जी का पत्र। उन्होंने लिखा है..... दिनांक 28 जून को प्रतिदिन शाम साढ़े छह बजे शॉर्टवेव पर सीआरआई हिन्दी का ताज़ा प्रसारण सुनना हमारी कमज़ोरी बन चुका है। यद्यपि,शाम साढ़े छह बजे प्रसारण अन्य सभाओं के बनिस्पत कम स्पष्ट होता है, फिर भी चौबीस घण्टे लम्बे इन्तज़ार के बाद इतना धैर्य नहीं बचता कि अधिक साफ़ सुनने के लिये और प्रतीक्षा की जाये। बहरहाल, अन्य तीन सभाओं को हम इसलिए सुनते हैं कि उनके रिसैप्शन की स्थिति से आपको अवगत कराया जा सके। वर्त्तमान में यहाँ रात साढ़े आठ और साढ़े नौ बजे वाले प्रसारण शॉर्टवेव 41 मीटरबैण्ड पर अन्य सभाओं के मुक़ाबले अधिक स्पष्ट सुनाई पड़ते हैं, जब कि प्रातः साढ़े आठ बजे 19 मीटरबैन्ड तथा शाम साढ़े छह बजे 31 मीटरबैण्ड पर रिसैप्शन अपेक्षतया कमज़ोर होता है। आपके सूचनार्थ।

    बहरहाल, रोज़ाना की तरह हमने आज भी शाम ठीक साढ़े छह बजे शॉर्टवेव 31 मीटरबैण्ड पर ताज़ा प्रसारण का लुत्फ़ उठाया और अब मैं उस पर हम सभी की मिलीजुली प्रतिक्रिया लिये आपके समक्ष उपस्थित हूँ। ताज़ा अन्तर्राष्ट्रीय समाचारों के बाद पेश साप्ताहिक "सण्डे की मस्ती" के तहत आज दी गई तमाम जानकारी क़ाबिल-ए-तारीफ़ थी। बस, नागपुर के श्रीकान्त पन्तवने वाली एक जानकारी ऐसी थी, जो इससे पूर्व साप्ताहिक "टी टाइम" और "आपकी फ़रमाइश आपकी पसन्द" में भी दोहरायी जा चुकी थी। मेरी राय में हमें ऐसी पुनरावृत्ति से बचना चाहिये, क्यों कि सीआरआई हिन्दी के श्रोता अलग-अलग नहीं, एक ही हैं। कार्यक्रम की शुरुआत मधुर चीनी गीत से करने के बाद चीन में नये रूप में लोकप्रियता हासिल करते भारतीय धारावाहिक "महाभारत" के बारे में जान कर अतीव प्रसन्नता हुई। कार्यक्रम में सुनायी गई अमेरिका के एक ऐसे इंजीनियर की कहानी, जो कि पचास लाख वोल्ट बिजली के करण्ट को भी झेल लेता है, काफी हैरतअंगेज़ लगी। दो ऐसे जजों की कहानी, जो कि दुर्गम स्थानों पर जाकर लोगों को न्याय दिलाते हैं, भी काफी दिलचस्प लगी। परन्तु उक्त जज महोदय किस देश से सम्बन्ध रखते हैं, समझ में नहीं आया। अफ़्रीकी देश केन्या और तंज़ानिया में मसाई जनजाति के लोगों द्वारा हाथ पर थूक कर मेहमान का स्वागत करने की परम्परा भी काफी अनूठी लगी। निकट भविष्य में जीवन से जुड़ने वाली नवीनतम तकनीकों के बारे में जान कर लगा कि हमारा जीवन और आसान होने वाला है। भिखारी वाली प्रेरक कहानी की जितनी भी प्रशंसा की जाये, कम है। "परीक्षाओं में क्यों इतने नम्बर लाते हैं....... कवि की पंक्त्तियां काफी जानदार लगीं। जोक्स में, भागलपुर बिहार के श्रोता डॉक्टर हेमन्त कुमार के हथौड़े वाले जोक के तो कहने ही क्या।

    मीनू:आगे सुरेश जी लिखते हैं......श्रृंखला "पश्चिम की तीर्थयात्रा" की कड़ी में आज अग्निपर्वतों की तमाम बाधाएं पार करने के बाद सानचांग आदि चारों गुरु-शिष्य आगे बढ़ते हैं और फिर उनके सामने एक काफी लम्बा-चौड़ा पर्वत आ जाता है, जो कि कंटीली झाड़ियों से भरा होता है। शूकर अपना और अपने पाँचे का रूप बदल कर उसकी सफ़ाई कर आगे का मार्ग प्रशस्त कर देता है। फिर आगे बढ़ने पर उनके सामने एक बड़ा सा खुला मैदान आता है, जहाँ प्रस्तर शिला पर कण्टक पर्वत लिखा था। और आगे बढ़ने पर फिर उनके सामने एक और मैदान आता है, जहाँ एक मन्दिर भी होता है और वहां रात्रि-विश्राम करने को लेकर गुरु-शिष्यों में मतैक्य नहीं होता। अब आगे देखना है कि कहानी में क्या होता है। धन्यवाद। आज इतना ही। योग्य कार्यों एवं आवश्यक मार्गदर्शन सहित उत्तरापेक्षा में,

    अनिल:सुरेश अग्रवाल जी को बहुत बहु धन्यवाद क्योंकि वे मोनिटर का कार्य बहुत मेहनत से करते हैं। चलिए, अगला पत्र हमें भेजा है राजस्थान से राजेश कुमार मेहरा जी ने। उन्होंने लिखा है.....नमस्कार, 20 जून को आपकी पसंद प्रोग्राम सुना, जिसमें रोचक जानकारी के साथ गाने सुनवाए गए, अच्छे लगे। रोचक जानकारियों के क्रम में हड्डियों से बनाए चर्च और छत्तीसगढ़ के रायपुर के योगी बाबा जो कई सालों से खड़े रहकर ही जीवन बिता रहे हैं, आश्चर्य में डालने वाली थई। अच्छी प्रस्तुति के लिए धन्यवाद।

    मीनू:राजेश कुमार मेहरा जी, हमें पत्र भेजने और अपनी प्रतिक्रिया हम तक पहुंचाने के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद। अगला पत्र लीजिए पेश है, पश्चिम बंगाल से मॉनिटर रविशंकर बसु जी का। उन्होंने लिखा है, 22 जून को अनिल पाण्डेय जी द्वारा पेश किये गए दुनिया भर को ताज़ा अंतर्राष्ट्रीय समाचारों के बाद साप्ताहिक "चीन का भ्रमण" प्रोग्राम का ताज़ा अंक सुना। आज "चीन का भ्रमण" प्रोग्राम में मैडम रूपा जी द्वारा पेश किये गए दक्षिण पश्चिम चीन स्थित सछ्वान प्रांत के चीनी बौद्ध मठों को बारे में बहुत सारी जानकारी हासिल हुई।

    बौद्ध धर्म चीन व भारत मैत्री की एक मिसाल है। चीन में मंदिरों और मठों का निर्माण इतिहास काफी पुराना है। यह सर्वविदित है कि चीन में बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार भारत से ही शुरू हुआ था। विद्वानों का मानना है कि छिन राजवंश के समय में चीन में बौद्ध धर्म का प्रवेश हो चुका था। इसका उल्लेख महान चीनी एतिहासिक ग्रंथ "श्री ची" में भी मिला है। इसलिए माना जा सकता है कि छिन राजवंश के समय में बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार चीन में हो चुका था।अब चीन में सुरक्षित सबसे पुराना बौद्ध मंदिर मध्य चीन के हनान प्रांत के लोयांग शहर में स्थित पाईमा मठ यानी सफेद घोड़ा मठ है,जो आज से 1900 साल पहले बनाया गया था। पाईमा मठ का भारत से भी संबंध है । ऐतिहासिक उल्लेख के अनुसार चीन के हान राजवंश में चीन और भारत के बीच धार्मिक और सांस्कृतिक आवाजाही जोरों पर थी,चीनी भिक्षु भारत से सफेद घोड़े पर बौद्ध सूत्र वापस लाए। इसकी याद में लोयांग शहर में एक मठ बनाया गया ,जिसका नाम पाईमा अर्थात सफेद घोड़ा मठ रखा गया। अभी तक, हर वर्ष के नये साल के दिन,पाईमा मंदिर में 108 घंटियां बजाई जाती हैं। पेईमा मंदिर ने बौद्ध धर्म का चीन में प्रसार व विकास करने में, अन्य देशों के साथ सांस्कृतिक आदान-प्रदान को आगे बढ़ाने में और विभिन्न देशों की जनता के साथ मित्रता का विकास करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। वर्ष 1961 में चीन ने पाईमा मंदिर को चीन के महत्वपूर्ण सांस्कृतिक अवशेषों की संरक्षण इकाई घोषित किया। वर्ष 2001 में पाईमा मंदिर चीनी पर्यटन ब्यूरो द्वारा देश के चार सितारे वाला पर्यटन स्थल घोषित किया गया।

    अनिल:आगे बसु जी लिखते हैं......इसके बाद मैडम रूपा जी ने हमको दक्षिण-पश्चिम चीन के छंगतु शहर में स्थित महा ता छी मंदिर के बारे में बताया। इसके बारे सुनकर मुझे चीन के इस ऐतिहासिक खजाने के बारे में मूल्यवान जानकारी मिली । सुना है कि महा ता छी मंदिर छंगतू शहर की पूर्वी हवा नामक सड़क पर स्थित है । यह महा मंदिर अनगिनत भित्ति चित्रों बहुत मशहूर हैं। इस मंदिर का कुल क्षेत्रफल 17 हजार वर्ग मीटर है। प्राचीन छायादार पेडों से घिरे ये भवन बेहद आलीशान हैं। इस महा मंदिर का इतिहास आज से कोई एक हजार छः सौ साल पुराना है । महा ता छी मंदिर कई बार नष्ट हुआ पर फिर पुनर्निर्मित हुआ। थांग व सुंग राजवंश काल में उसका विकास बुलंदी पर था, पर मिंग राजवंश के अंतिम काल में एक युद्धाग्नि में वह बरबाद हो गया,छिंग राजवंश की शुरूआत में उस का जीर्णोंधार हुआ । वर्ष 1966 से वर्ष 1976 तक चले दस वर्ष के सांस्कृतिक महान क्रांतिकारी आंदोलन के दौरान वह फिर एक बार नष्ट हुआ और फिर 2004 में उसका पुनर्निर्माण हुआ और वह सार्वजनिक रूप से दर्शकों के लिए खुला। आज इस मंदिर में स्वर्ग राजा भवन, अमिताभ भवन, महावीर भवन, सूत्र पढ़ाई भवन , सूत्र सुरक्षित भवन और ह्वेनसान के यात्रा विवरण प्रदर्शनी कक्ष सब से प्रमुख हैं। पता चला कि विश्वविख्यात आचार्य ह्वेनसान बौद्ध सूत्र पढ़ने के लिये विशेष तौर पर शीआन शहर से छंगतू आये थे और वे इस मंदिर में पांच साल तक लगातार अध्य़यन करते रहे और वे इसी महा मंदिर में भिक्षु की उपाधि से सम्मानित हुए । फिर आचार्य ह्वेनसान बड़ी मुसीबतें झेलते हुए पैदल लगातार तीन सालों की कठिन यात्रा के बाद भारत पहुंचे । भारत में वे बौद्ध धर्म के सूत्रों का अध्ययन करने के लिये 17 साल ठहरे । आचार्य ह्वेनसान भारत से 657 बौद्ध धार्मिक ग्रंथ लेकर चीन लौट आये। उन्होंने चीन व भारत के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिये असाधारण योगदान किया है और वे भी विश्वविख्यात ऐतिहासिक व सांस्कृतिक विभूति बन गये हैं ।

    इसके बाद हम छंगतु शहर का और एक बौद्ध तीर्थ स्थल मंजूश्री मंदिर से परिचित हुए। यह मंदिर छंगतू शहर के उत्तर पश्चिम भाग में स्थित है। 11 हजार 600 वर्गमीटर क्षेत्रफल वाले विशाल मंदिर में कुल दो सौ से अधिक कमरे हैं । मजूश्री मंदिर में नाना प्रकार वाली तीन सौ से अधिक मूर्तियां और अन्य संबंधित धार्मिक निधियां भी हैं । आपके वर्णन के मुताबिक , खुदाई में प्राप्त शिला लेख, थांग, सुंग और छिंग राजवंश कालों में निर्मित लौहे व कांस्य की मूर्तियां और म्यांमार जेट मूर्ति बहुत आकर्षित करती हैं । मंजूश्री मंदिर में सुरक्षित थांग राजवंश के महाभिक्षु ह्वेनसान के शरीर सबसे दुर्लभ हैं ।इस के अलावा मंजूश्री मंदिर में भारतीय पत्र सूत्र, थांग राजवंश के बांस पर लिखित सूत्र, सहस्र बुद्ध चोला और बालों से तैयार बौधिसत्व मूर्ति जैसे बौद्ध धार्मिक व सांस्कृतिक अवशेष भी सुरक्षित हैं । भारतीय पत्र सूत्र सन 1887 में मिंग ख्वान आचार्य भारत से चीन लाये थे और ये सू्त्र अब बेहद दुर्लभ माने जाते हैं। इस मंदिर में स्वर्ग राजा भवन , बौधिसत्व भवन, महावीर भवन और सूत्र शिक्षा दीक्षा भवन जैसी इमारतें भी देखने को मिलती हैं। सछ्वान प्रांत का बौद्ध धर्म संघ भी इसी मंदिर में अवस्थित है। तमाम जानकारी मुहैया कराने के लिए धन्यवाद।

    मीनू:अंत में बसु जी ने लिखा है....आज "मैत्री की आवाज़" प्रोग्राम बहुत ही दिलचस्प लगा क्योंकि आज इस प्रोग्राम में सी आर आई - हिंदी विभाग की निर्देशिका मैडम श्याओ यांग जी का साक्षात्कार लिया भारत के हिन्दी समाचार चैनल ज़ी न्यूज़ के सह संपादक राहुल सिन्हा जी ने। इस विशेष साक्षात्कार से हमें पिछले 14 मई से 16 मई तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीन दिवसीय चीन यात्रा को लेकर श्याओ यांग जी का अनुभव के साथ हिंदी कार्यक्रम के विभिन्न पहलुओं पर उनकी राय सुनने का मौका मिला।

    इस विशेष साक्षात्कार में ज़ी न्यूज़ के पत्रकार ने श्याओ यांग जी को एक महत्वपूर्ण सवाल पूछा:

    "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बाकी दूसरे देशों के नेताओं की यात्रा में कुछ फर्क आपको नज़र आ रहा है" ?

    -इस सवाल के जवाब में श्याओ यांग जी ने कहा कि -"सबसे बड़ा फर्क यह है कि विदेशी नेता जब चीन यात्रा करते है और चीनी नेता आम तौर पर पेईचिंग में उनका स्वागत करते है। लेकिन इस बार चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग ने खासतौर पर शीआन शहर जाकर गर्मजोशी से स्वागत किया ।यह शायद पहली बार है,चीनी नेता के लिए"।

    इस )बातचीत से यह साबित होता है कि चीन भारत दोनों देशों के नेता दोनों देशों के बीच मैत्री प्रगाढ़ करने के लिए बहुत ही इच्छुक है । मैं सीआरआई को धन्यवाद देता हूं प्रधानमंत्री मोदी की इस चीन यात्रा लेकर आपकी वेबसाइट पर एक विशेष पेज तैयार करने के लिए। आपने इस यात्रा के दौरान बहुत ही शानदार कवरेज दिया था । सीआरआई के सभी संवाददाताओं को धन्यवाद।

    अनिल:रविशंकर बसु जी, हमें पत्र भेजने के लिए आपको बहुत बहुत शुक्रिया। अंत में आप सुनेंगे पश्चिम बंगाल से धीरेन बसाक जी का पत्र। उन्होंने लिखा है....

    आपका पत्र मिला प्रोग्राम नियमित रूप से सुनता हूं, जो कि बहुत अच्छा लगता है। मुझे हिंदी भाषा लिखना अच्छी तरह नहीं आता है, लेकिन मैं आपके प्रोग्राम सुनने और ई-मेल भेजने की कोशिश करता हूं। वहीं 22 जून के चीन का भ्रमण कार्यक्रम में आपने तमाम जानकारी मुहैया कराई, इसके लिए बहुत-बहुत शुक्रिया।

    मीनू:अब सुनिए हमारे श्रोता के साथ हुई बातचीत।

    अनिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल पांडे और मीनू को आज्ञा दीजिए, नमस्कार

    © China Radio International.CRI. All Rights Reserved.
    16A Shijingshan Road, Beijing, China. 100040