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    टी टाइम 150630 (अनिल और ललिता)
    2015-06-30 10:50:30 cri

    अनिलः टी-टाइम के नए अंक के साथ हम फिर आ गए हैं, आपका मनोरंजन करने। जी हां ... आपके साथ चटपटी बातें करेंगे और चाय की चुस्कियों के साथ लेंगे गानों का मजा, 35 मिनट के इस प्रोग्राम में। इसके साथ ही प्रोग्राम में श्रोताओं की प्रतिक्रियाएं भी होंगी शामिल। हां भूलिएगा नहीं, पूछे जाएंगे सवाल भी, तो जल्दी से हो जाइए तैयार।

    अनिलः फटाफट क्रिकेट के रूप में टी-20 के पर्दापण के बाद मैदान पर बल्लेबाजों की तूती जमकर बोलने लगी थी। इसके अलावा आईसीसी की ओर से कुछ ऐसे नियम भी थे जो गेंदबाजों के अनुकूल नहीं थे और उन्हें रन रोकने और बल्लेबाजों पर अंकुश लगाने के लिए खासा संघर्ष करना पड़ता था।

    खासकर एकदिवसीय क्रिकेट (वनडे) के मुकाबले में। 50-50 ओवर के क्रिकेट मुकाबले में कुछ नियमों के कारण बल्लेबाजों का प्रभाव बढ़ने लगा, ऐसे में नियमों में बदलाव की बात कही जा रही थी।

    अब बारबाडोस में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) की सलाना बैठक में क्रिकेट के नियमों में कुछ अहम बदलाव किए गए हैं। यह बदलाव कई टीमों के कप्तानों और कोच के सुझाव के बाद किए गए।

    आईसीसी ने वनडे और टी-20 क्रिकेट में कुछ बड़े बदलाव करते हुए अब गेंदबाज की ओर से फेंकी गई हर नो बॉल पर बल्लेबाज को फ्री हिट देने का फैसला लिया है यानी अब गेंदबाजों को काफी संभल कर गेंदबाजी करनी होगी। इसके अलावा बैटिंग पावरप्ले पर भी एक बड़ा निर्णय लिया गया है।

    बारबडोस में आईसीसी की सालाना बैठक में बोर्ड ने सबसे अहम फैसला किया कि वनडे मैचों में अब हर तरह के 'नो बॉल' पर 'फ्री हिट' मिलेगी। अब यह तय किया गया है कि 'नो बॉल' चाहे किसी भी कारण से हो, उस पर 'फ्री हिट' मिलेगी। अब तक सिर्फ गेंदबाज के पैर पड़ने से हुई 'नो बॉल' पर ही फ्री हिट मिलती थी। पर अब हर तरह के 'नो बॉल' पर 'फ्री हिट' दी जाएगी।

    ऐसा नहीं है कि नियमों में बदलाव से सिर्फ बल्लेबाज को ‌‌ही फायदा मिलेगा। गेंदबाजों के लिए भी राहत की खबर है अब बैटिंग पावरप्ले को खत्म कर दिया गया है। इसके अलावा सबसे अहम फैसला क्षेत्ररक्षण करने वाली टीम के लिए भी किया गया है जिसमें शुरुआती 10 ओवर में 30 गज के बाहर अब 5 खिलाड़ी रखे जा सकेंगे।

    पहले यह नियम था कि शुरुआती 10 ओवर में सिर्फ 4 क्षेत्ररक्षक ही 30 गज के बाहर रखे जा सकते थे। इसके अलावा 41वें ओवर से अंत तक 30 गज के बाहर 5 खिलाड़ी रखे जा सकेंगे।

    ये सभी बदलाव अगले महीने 5 जुलाई से लागू होंगे। आईसीसी के सीईओ डेव रिचर्ड्सन ने एक प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि वनडे क्रिकेट में यह बदलाव बल्ले और गेंद के बीच संतुलन को बनाए रखने के लिए किया गया है।

    उन्होंने कहा, "इन बातों को लागू करते हुए हमने इसका ध्यान रखा है कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की आक्रामकता और उसका 'थ्रिल' बरकरार रहे। 50-50 ओवरों के क्रिकेट का आकर्षण हम बनाए रखना चाहते हैं ताकि 2019 में इंग्‍लैंड में होने वाले वर्ल्ड कप के लिए सकारात्मक रास्ता अपनाया जा सके।"

    ललिताः आईसीसी ने यह बदलाव अनिल कुंबले की अगुवाई वाली आईसीसी की क्रिकेट समिति की ओर से मई में दिए गए कई सुझावों के बाद किया है। रिचर्ड्सन ने कहा कि मैच के दौरान 15 ओवर के पावरप्ले में गेंदबाजों के लिए गेंद डालना काफी मुसीबत भरा रहता था क्योंकि क्षेत्ररक्षण की सीमा निर्धारित थी।

    साथ ही डीआरएस पर आईसीसी ने पुराना फैसला जारी रखने का निर्णय‌ लिया ‌है जो सीरीज खेलने वाली दोनों क्रिकेट बोर्डों के आपसी तालमेल पर निर्भर करेगा।

    अनिलः दोस्तो, आप क्या सोचते हैं, इस बारे में हमें लिखकर भेजिएगा।

    ललिताः अब बढ़ते हैं, दूसरी जानकारी की ओर। शोधकर्ताओं का कहना है कि जिन बच्चों की याददाश्त बेहतर होती है वे झूठ बोलने में भी माहिर होते हैं। जानिए, क्या कहती है रिसर्च।

    'जर्नल ऑफ एक्सपेरीमेंटल चाइल्ड साइकोलॉजी' में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटेन के चार स्कूलों के 114 बच्चों पर किए गए प्रयोग के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया है।

    उत्तर फ्लोरिडा, शेफील्ड और स्टर्लिंग विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने इस प्रयोग में छह और सात साल के बच्चों को शामिल किया। उन्हें आसान गेम में नकल करने का मौका दिया गया और फिर इस बारे में झूठ बोलने को कहा गया।

    शोधकर्ताओं की दिलचस्पी इस बात में थी कि बच्चे अपने झूठ को छिपाने के लिए क्या कहानी बनाते हैं।

    शोधकर्ताओं ने पाया कि जो बच्चे झूठ बोलने में माहिर थे उन्होंने मौखिक याददाश्त की परीक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन किया।

    मौखिक याददाश्त का मतलब है कि आप कितने शब्द याद रख सकते हैं। ऐसे बच्चे झूठ बोलते समय भी शब्दों की जादूगरी में माहिर थे। इस शोध में सबसे ज़्यादा चौंकाने वाली बात यह सामने आई है कि केवल एक चौथाई बच्चों ने ही नकल की।

    अनिलः दोस्तो, आजकल इंटरनेट कनेक्शन की रफ़्तार ख़ासी तेज़ हो गई है। हम उन उपकरणों का इस्तेमाल कर रहे हैं जो हमें लगभग हर समय ऑनलाइन रखने में मदद करते हैं। कई बार तो ऐसा लगता है कि हम हर पल ईमेल कम्यूनिकेशन से जुड़े हैं।

    ये इंस्टेंट कम्यूनिकेशन का दौर है। ये अच्छा है या बुरा, इस पर अलग से बहस हो सकती है लेकिन अहम ये है कि ऐसा संभव है।

    बहुत समय पहले की बात नहीं कि हम एक दूसरे से संपर्क के लिए दिनों और कई बार हफ़्तों तक इंतजार किया करते थे। ऐसे में ऑनलाइन कम्यूनिकेशन का सबसे बेहतर तरीका क्या होगा? क्या ऐसा दौर भी आएगा जब एक आदमी दूसरे आदमी के दिमाग से सीधा संपर्क साध लेगा? यदि ऐसा हुआ तो सबसे पहले तो टाइपिंग के झंझट से छुटकारा मिल जाएगा। जैसे ही आपके दिमाग में कोई आइडिया आता है तो उसे आप सीधे अपने दोस्त से शेयर कर पाएँगे, फिर वो दुनिया के किसी भी कोने में हो।

    इस दिशा में पहला कदम उठाया गया है। एक ताज़ा प्रयोग में हज़ारों मील की दूरी पर दो इंसानों के बीच इंटरने के ज़रिए ब्रेन टू ब्रेन कम्यूनिकेशन का दावा किया गया है।

    ललिताः ऐसा नहीं कि मनुष्य ऐसे संवाद के बेहद करीब पहुँच गया हो और नज़दीक भविष्य में ऐसा होने लगेगा। ये अध्ययन केवल प्रूफ़ ऑफ़ कॉन्सेप्ट (यानी ऐसा संभव होने का सबूत) है।

    बार्सिलोना स्थित स्टारलैब के सीईओ और इस प्रोजेक्ट से जुड़े एक शोधकर्ता जूलियो रुफ़िनी इस मुद्दे पर विस्तार से रोशनी डालते हैं।

    उनके मुताबिक केरल स्थित एक आदमी के दिमाग को ब्रेन कंप्यूटर इंटरफ़ेस से कनेक्ट किया गया जो ब्रेन वेव्स को रिकॉर्ड कर लेता है।

    उस व्यक्ति को कहा गया कि वो कल्पना करे कि वह अपना हाथ हिला रहा है या फिर पांव। जब वह अपना पांव हिलाने की सोचता तो कंप्यूटर उसे शून्य दर्ज करता, जब वह अपने हाथ हिलाने की सोचता तो कंप्यूटर उसे एक दर्ज करता।

    शून्य और एक के बारंबर आवृति को इंटरनेट के ज़रिए फ़्रांस के स्ट्रॉसबर्ग में बैठे एक शख्स तक पहुँचाया गया जो इस संदेश का रिसीवर था। फ़्रांसीसी शख़्स को टीएमएस रोबोट से जोड़ा गया। टीएमइस रोबोट के ज़रिए दिमाग में बिजली का छोटा मगर तेज़ झटका दिया जाता है।

    जब संदेश भेजने वाला ये सोचता कि वह हाथ हिलाए तो टीएमएस रोबोट के ज़रिए संवाद ग्रहण करने वाला व्यक्ति दिमाग में लाइट देखता, चाहे उसकी आंखे बंद थीं। जब केरल का व्यक्ति पांव हिलाने की सोचता तो कोई रोशनी नहीं जलती।

    अनिलः दोस्तो, क्या आपने सुना है, कि कोई शेर दहाड़ता नहीं, बल्कि भौंकता है। शायद नहीं, चलिए आज हम आपको बताते हैं। चीन के चिड़ियाघर में ऐसा किया गया गजब कि कुत्ते को बना दिया शेर और ये शेर दहाड़ता नहीं, बल्कि भौंकता है। दरअसल पिछले कुछ दिनों से चीन के एक चिड़ियाघर में एक शरे जैसा जानवर दिखाई दे रहा है, लेकिन हकीकत में वो शेर नहीं एक कुत्ता है, जिसे शेर की खाल पहना दिया गया है। कई बार देखा गया है कि पालतू कुत्ते घरों में शेर की तरह व्यवहार करते हुए घर की बखूबी सुरक्षा करते हैं, लेकिन चिड़ियाघर में ऐसा क्यों किया गया है, इसका खुलासा तो नहीं हो सका है।

    लेकिन कुत्ता बने शेर को देखने की उत्सुकता लोगों को जरूर चिड़ियाघर तक खींच ला रही है। शायद दर्शकों की संख्या बढ़ाने के लिए ऐसा कारनामा किया गया होगा।

    शेर बने कुत्ते की तस्वीरें सोशल मीडिया पर भी खूब वायरल हो रही हैं।

    ललिताः वहीं 90 दिनों के अंदर एक ही किडनी 3 लोगों में सफलतापूर्वक ट्रांसप्लांट कर दी गई। ये हैरान कर देने वाला मामला रोमानिया का है। दरअसल, रोमानिया के ओराडिया में रहने वाले एक 36 साल के व्यक्ति की किडनी ने काम करना बंद कर दिया तो उनके उसके पिता ने किडनी देकर बेटे की जान बचाई।

    ट्रांसप्लांट के 3 महीने बाद ही अपने पिता से किडनी लेने वाले व्यक्ति को जबरदस्त दौरा पड़ा और उसकी मौत हो गई। मृतक व्यक्ति को किडनी दानदाता के तौर पर पहले ही पंजीकृत कर लिया गया था।

    किडनी को एक बार ट्रांसप्लांट किया जा चुका था, ऐसे में डॉक्टर इस बात को लेकर डिसाइड नहीं कर पा रहे थे कि इसे अब तीसरे व्यक्ति में प्रत्यारोपित किया जाए या नहीं।

    पूरी जांच के बाद डॉक्टर्स ने युवक के पिता से संपर्क कर किडनी को तीसरे व्यक्ति में लगाने की अनुमति मांगी, जिसकी उन्होंने मंजूरी दे दी।

    इसके बाद किडनी को तीसरे व्यक्ति 51 साल के योन अरनव में सफलतापूर्वक ट्रांसप्लांट कर दिया गया। ऑपरेशन में 3 घंटे का वक्त लगा।

    डॉक्टर्स के मुताबिक योन जल्द ही ठीक हो जाएंगे। किडनी खराब होने के चलते योन पिछले साल से ही डायलसिस पर जिंदा थे। उनके भाई डैन नसरा ने इसे अविश्वसनीय बताते हुए खुशी जाहिर की है।

    अनिलः तकनीकी यंत्रों का इस्तेमाल लोगों की नौकरी भी ले सकता है। जी हां लोग नौकरी से हाथ धो बैठते हैं। ऑस्ट्रेलिया में ईमेल के बढ़ते प्रयोग के कारण डाकघरों से संबंधित 1,900 नौकरियों में अगले तीन साल में कटौती की जाएगी।

    ऑस्ट्रेलिया के डाकघर का कहना है कि ईमेल के कारण डाक-पत्र भेजने में कमी आई है, जिससे वित्तीय नुकसान हुआ है। इस वित्त वर्ष में यह नुकसान 38.7 करोड़ अमरीकी डॉलर का हो गया है। ऑस्ट्रेलिया में साधारण डाक के जरिये भेजे जाने वाले पत्रों में 10 प्रतिशत से अधिक की गिरावट का अनुमान है। ऑस्ट्रेलिया के डाकघर ने चेताया है कि इससे पिछले 30 वर्षों में ऑस्ट्रेलियाई डाकघर को सर्वाधिक वित्तीय नुकसान हो सकता है।

    ऑस्ट्रेलिया में डाकघर के प्रबंध निदेशक अहमद फाहौर ने कहा कि डाक-पत्रों में गिरावट की स्थिति अब बेहद खराब हो गई है। फाहौर ने कहा कि हम उस मुकाम तक पहुंच गए हैं, जहां बिना सुधार के यह कारोबार चलाना मुश्किल हो गया है।

    दोस्तो, तमाम जानकारी के बाद वक्त हो गया है, श्रोताओं के कमेंट शामिल करने का।

    आज भी हमें कई श्रोताओं ने ई-मेल भेजे हैं। चलिए अब श्रोताओं ने क्या लिखा है, आपको भी बताते हैं।

    ललिताः पहला ई-मेल आया है केसिंगा उड़ीसा से सुरेश अग्रवाल का।

    लिखते हैं कि 23 जून को अन्तर्राष्ट्रीय समाचारों का ज़ायज़ा लेने के बाद हमने अपने हरदिलअज़ीज़ साप्ताहिक "टी टाइम" का भी जी भर कर लुत्फ़ उठाया और मनोरंजन के साथ महत्वपूर्ण जानकारियाँ हासिल कीं। प्रथम अन्तर्राष्ट्रीय योगदिवस पर पेश ख़ास रिपोर्ट काफी सूचनाप्रद लगी। मिस्र स्थित सकारा की सुरंगों में पायी गयी कुत्तों की प्राचीन ममियाँ और उनका अबुनिस देवता की पूजा से सम्बन्ध होने की जानकारी काफी विस्मयकारी लगी। इंग्लैण्ड के कवेन्ट्री में रहने वाली ब्लेयर नामक महिला की दर्दभरी दास्ताँ के साथ उसे नींद न आने की बीमारी से निज़ात दिलाने वाले चिकित्सक की जितनी प्रशंसा की जाये, कम है। इसके अलावा आज अंक में ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथवेल्स में विश्व के सबसे वज़नी एटलस; थ्री-डी प्रिंटर से बनने वाले एयरबस के कलपुर्जे और हवा में लकीरें खींच कर पुल बनाने वाला रोबोटिक थ्री-डी प्रिंटर; चिली में एक 92 वर्षीया महिला के पेट में पाया गया मृत-भ्रूण तथा धरती से एकबार पुनः जीवन विलुप्त होने की प्रक्रिया शुरू होने आदि समाचार चौंकाने वाले लगे। आज के हेल्थटिप्स में भारत में विकराल होती कब्ज़ की बीमारी तथा गुणकारी छाछ के बारे में दी गई जानकारी भी उपादेय लगी। आज के तीनों जोक्स भी उम्दा थे। धन्यवाद।

    धन्यवाद सुरेश जी हमें ई-मेल भेजने के लिए।

    अनिलः दोस्तो, अब बारी है अगले कमेंट की।

    ये श्रोता लिखते हैं कि मेरा नाम मुकेश चौहान है, मध्य प्रदेश से, आपका टी टाईम प्रोग्राम अच्छा लगता है, मैं आजकल रोजाना cri सुनता हूं आप अचछी खबरें देते हैं मुझे आपके कार्यक्रम में पेश होने वाले जोक्स बहुत पसंद आते हैं।

    मुकेश आगे लिखते हैं कि यह मेरा पहला ई-मेल है, मुझे उम्मीद है कि आप अपने कार्यक्रम मै शामिल करेंगे। मुझे ई-मेल करना अच्छी से नहीं आता है, अगर गलती हुई तो माफ करना। मुकेश जी सीआरआई से जुड़ने और हम तक अपनी टिप्पणी पहुंचाने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया। देखिए हमने आपका ई-मेल प्रोग्राम में शामिल कर लिया है, और जहां तक गलती की बात है तो, यह आपका पहला मेल है, हम समझ सकते हैं। लेकिन आपने कोशिश की है, इसके लिए धन्यवाद।

    अब मेरे हाथ जो पत्र है, वह आया है, सुलतानपुर यूपी से राजेश कुमार मिश्रा का। वे लिखते हैं कि नमस्ते, आपका प्रोग्राम बहुत रुचिकर लगता है, 23 जून को प्रसारित टी-टाइम भी मैंने अच्छी तरह सुना, अब आपके द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब भेज रहा हूं। धन्यवाद।

    धन्यवाद राजेश जी।

    वहीं सुलतानपुर, यूपी से ही एक नए श्रोता अम्बरीश कुमार जायसवाल ने भी हमें ई-मेल के जरिए सवालों के जवाब भेजे हैं। आपका भी बहुत-बहुत शुक्रिया। हम उम्मीद करते हैं कि अगले ई-मेल में आप प्रोग्राम के बारे में टिप्पणी भी लिखकर भेजेंगे।

    वहीं मधुबनी बिहार से अवधेश कुमार और पश्चिम बंगाल से अवधेश मंडल ने भी ई-मेल भेजे हैं।

    ललिताः अब हमारे पास आज के प्रोग्राम का आखिरी खत है, जो भेजा है, पश्चिम बंगाल से रविशंकर बसु ने। लिखते हैं कि अनिल जी एवं वेइ तुंग जी द्वारा पेश साप्ताहिक "टी टाइम" प्रोग्राम का ताज़ा अंक सुना और प्रोग्राम में दी गई सारी जानकारी मुझे बहुत रुचिकर लगी।

    पिछले 21 जून रविवार को हमारे देश भारत की अगुआई में पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 192 देशों के 251 से अधिक शहरों में मनाया गया। आज प्रोग्राम की शुरूआत में आपने योग दिवस को लेकर जो खास रिपोर्ट पेश की वह मुझे काफी पसंद आई। हम सभी जानते हैं कि योग हमारी प्राचीन परंपरा का अमूल्य उपहार है और इसकी उपयोगिता के बारे में हम भारतवासी अच्छी तरह वाकिफ हैं। योग एक कला है और विज्ञान भी। इसमें मानव कल्याण की अद्भुत क्षमता है। योग के माध्यम से आधुनिक जीवनशैली से जुड़ी अनेक बीमारियों का उपचार एवं निवारण किया जा सकता है। इस भागदौड़ की जिंदगी में जिस शरीर से हम सारे कार्य करवाते हैं, उसके लिए यदि हम समय नहीं निकालेंगे तो एक दिन हम बीमारी का बसेरा हो जाएंगे। इससे बचने को हर व्यक्ति को नियमित योग करना चाहिए। मैं भी योग के कुछ जरूरी आसन रोज करता हूं।

    वहीं मिस्र के सकारा में सामूहिक कब्र में मिली 80 लाख कुत्तों की ममियों को लेकर एक चर्चा की। सुना है कि प्राचीन मिस्र में अनुबिस नामक देवता के सम्मान में 80 लाख कुत्तों एवं अन्य जानवरों की ममी बनाई गई थी। लेकिन जो बात आपने ठीक से बताई नहीं कि उन कुत्तों को मरने के बाद या जिंदा ही ममी बनाया जाता था। जबकि इंग्लैंड में एक मां, जिंदा लाश बन गई, जो अपनी दोनों बेटियों को संभालती थी। इसीलिए वो सिर्फ 6 सालों तक रोजाना सिर्फ 1 घंटा सोती थी। यह दुनिया कितनी अजब है! आपको धन्यवाद देता हूं यह स्टोरी सुनाने के लिए साथ ही मैं आशा करता हूं कि वह महिला जल्द ही स्वस्थ हो उठेंगी।

    अनिलः इसके साथ ही विश्व की सबसे अधिक वजनी एटलस आस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स की स्टेट लाइब्रेरी में है, यह भी पता चला। थ्रीडी प्रिंटर से बनाए गए एयरबस A 350 XWB के बारे दी गयी जानकारी काफी अच्छी लगा। चिली की एक 92 साल की वृद्धा के पेट में 50 साल का मरा हुआ भ्रूण बहुत ही आश्चर्यजनक लगा।

    अमेरिका के तीन विश्वविद्यालयों के एक अध्ययन के अनुसार, धरती पर इंसान जीवन ख़ात्मे के एक नए दौर में प्रवेश कर गई है। यह चौंकाने वाला जानकारी सुनने के बाद मुझे हमारे विश्व कवि रवीन्द्रनाथ ठाकुर की एक कविता की चार पंक्तियाँ याद आई:

    "मैं मरना नहीं चाहता

    इस सुन्दर संसार में

    मनुष्यों के बीच

    मैं बचा रहना चाहता हूं।

    जीवंत ह्रदय के बीच यदि जगह पा सकूं

    तो इन सूर्य-किरणों में, इस पुष्पित कानन में

    मैं अभी जीना चाहता हूं"।

    (अरिजनल बंगाली पंक्तियाँ कुछ इस प्रकार है- morite chahina ami sundor bhubone/manober majhe ami banchibare chai/ei surjo kore ei pushpito kanone/jibonto hriday majhe jodi sthan pai)

    आज "हेल्थ टिप्स" में गर्मियों में छाछ के इस्तेमाल के बारे में कुछ रोचक तथ्यों का सुनवाया जाना मुझे बहुत पसंद आया। यह सच है कि हम बंगाली लोग इस गर्मी में हर दिन घर में छाछ और दही बनाते है। रॉसोगुल्ला के बाद हम बंगालियों की पसंदीदा मिठाई है दही। गर्मियों में छाछ के विभिन्न फायदे को सुनने के बाद आपसे मैं एक उत्तर जानना चाहता हूं: क्या गर्मियों में चीनी लोग छाछ और दही खाते हैं?

    कुल मिलाकर सुंदर प्रस्तुति लगा। बधाई स्वीकार करें।

    श्रोताओं के कमेंट यही तक। आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद।

    अब समय हो गया है, हंसगुल्लों का।

    पहला जोक...

    पिता- पानी गिर रहा है

    बेटा- हां फेसबुक में देखा सब का स्टेटस

    पापा- अरे फेसबुक के कीड़े ऊपर टंकी का पानी गिर रहा! मोटर बंद कर..!!

    दूसरा जोक...

    पत्नी- तुम सारी दुनिया ढूंढो, तो भी मुझ जैसी दूसरी नहीं मिलेगी.....

    पति - तुम क्या समझती हो? मैं दूसरी भी तुम्हारी जैसी ढूंढूगा ..! हद हो गयी..

    तीसरा जोक...

    भिखारी (कार में बैठी सेठानी से)- मैडम, 10 रुपये दे दो.!

    मैडम ने पैसे दे दिये...

    भिखारी जाने लगा तभी ...मैडम बोली- बाबा, दुआ तो देते जाओ ..!

    भिखारी- BMW में तो बैठी है मोटी, अब क्या ...रॉकेट में बैठेगी .!!

    जोक्स यही तक.... अब सवाल-जवाब की बारी है।

    पिछले हफ्ते हमने दो सवाल पूछे थे।

    पहला सवाल था- अन्तरर्राष्ट्रीय योग दिवस कब मनाया जाता है।

    सही जवाब है, 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाए जाने की शुरूआत हुई है।

    दूसरा सवाल था- विश्व की सबसे अधिक वजनी एटलस किस देश में है।

    सही जवाब है, आस्ट्रेलिया के न्यू साउथवेल्स की स्टेट लाइब्रेरी में रखा गया है।

    इन सवालों का सही जवाब हमें लिखकर भेजा है, सुलतानपुर यूपी से, राजेश कुमार मिश्रा, अम्बरीश कुमार जायसवाल, मधुबनी बिहार से अवधेश कुमार, मध्य प्रदेश से मुकेश चौहान, पश्चिम बंगाल से रविशंकर बसु और अवधेश मंडल, व केसिंगा उड़ीसा से सुरेश अग्रवाल.......आदि ने। आप सभी का बहुत-बहुत शुक्रिया।

    अब आज के सवालों का वक्त हो गया है...

    पहला सवाल है... किस तरह के बच्चे झूठ बोलने में माहिर होते हैं।

    दूसरा सवाल है... किस देश में 90 दिनों के भीतर तीन किडनी ट्रांसप्लांट कर दी गई।

    अगर आपको इनका जवाब पता है तो जल्दी हमें ई-मेल कीजिए या खत लिखिए। ...हमारा ईमेल है... hindi@cri.com.cn, हमारी वेबसाइट का पता है...hindi.cri.cn...... अपने जवाब के साथ, टी-टाइम लिखना न भूलें।

    अनिलः टी-टायम प्रोग्राम में आज के लिए इतना ही नहीं, अगले हफ्ते फिर मिलेंगे चाय के वक्त, तब तक आप चाय पीते रहिए और सीआरआई के साथ जुड़े रहिए। नमस्ते, बाय-बाय, शब्बा खैर, चाइ च्यान।

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