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    संडे की मस्ती 2015-01-25
    2015-02-11 14:59:12 cri

    हैलो दोस्तों...नमस्कार...नीहाओ...। आपका स्वागत है हमारे इस मजेदार और laughter से भरे कार्यक्रम सण्डे की मस्ती में। मैं हूं आपका होस्ट और दोस्त अखिल पाराशर।

    हर बार की तरह आज के इस कार्यक्रम में होंगे दुनिया के कुछ अजब-गजब किस्से और करेंगे बातें हैरतंगेज़ कारनामों की....इसी के साथ ही हम लेकर आये हैं मनोरंजन और मस्ती की सुपर डबल डोज, जिसमें होंगे चटपटे चुटकुले, ढेर सारी मस्ती, कहानी और खूब सारा फन और चलता रहेगा सिलसिला बॉलीवुड गानों का भी।

    दोस्तों, आज प्रोग्राम को पेश करने के लिए मेरा साथ देंगी लिली जी...।

    लिली- दोस्तों, आप सभी को लिली का प्यार भरा नमस्कार

    अखिल- दोस्तों, हमें खेद है कि आज आपके प्यारे लेटर्स और कमेंट्स को हम अपने कार्यक्रम में शामिल नहीं कर पा रहे हैं। अगले कार्यक्रम में आपके लेटर्स और कमेंट्स जरूर शामिल करेंगे, आप हमें लेटर जरूर भेजते रहें। चलिए, अब हम आरंभ करते हैं हमारी मस्ती की पाठशाला

    अखिल- दोस्तों, उत्तर प्रदेश के लखीमपुर में छेड़खानी का एक अनोखा मामला सामने आया है। यहां छेड़खानी की शिकार कोई महिला या लड़की नहीं, बल्कि मुर्गियां हैं। सुनकर ताज्जुब होगा, लेकिन यह सच है कि थाने में एक दंपति ने एसओ को तहरीर दी, 'पड़ोस का मुर्गा हमारी मुर्गी को छेड़ता है। (हंसी की आवाज)

    इस तहरीर पर एसओ आरके यादव पहले तो कुछ देर सोचते रहे, उसके बाद उन्होंने कार्रवाई का आश्वासन दिया। मुर्गी पालक ईश्वरदीन और उसकी पत्नी रामगुनी शिकायत लेकर थाने पहुंचे। ईश्वरदीन ने एसओ से कहा, कि हमने करीब आधा दर्जन मुर्गियां पाल रखी हैं। हमारी मुर्गियां जब दरबे से बाहर निकलती हैं तो पड़ोस का मुर्गा उन्हें छेड़ता है।

    इस बात को लेकर पड़ोसी मारपीट पर अमादा हो जाता है। कई बार झगड़ा भी हो चुका है। पुलिस के मुताबिक, मुर्गी पालक दंपति ने कहा, कि इसी बुधवार को एक बार फिर पड़ोसी का मुर्गा आ गया और मेरी मुर्गियों को छेड़ने लगा। किसी तरह से मुर्गे को भगाने के बाद कड़ाके की ठंड में इतनी दूर चलकर हम थाने पहुंचे हैं। हमारी समस्या हल कीजिए हम किसी से झगड़ा नहीं चाहते। एसओ ने दंपति की समस्या हल करने का आश्वासन दिया।

    लिली- हां हां हां हां.... अखिल जी, यह किस्सा सुनकर तो मेरी हंसी नहीं रूक रही। वाकई ऐसा मजेदार किस्सा तो मैंने पहली बार सुना है।

    अखिल- हां हां हां... चलिए.. मैं तोते के बारे में बताता हूं कि 5 मिनट में चट कर जाता है पूरा का पूरा पेड़!

    दोस्तों, हरियाणा के जींद जिले में हर साल आने वाले पहाड़ी तोते किसानों के लाखों रूपए के बेर चट कर जाते हैं। बागवानों को पहाड़ी तोतों का खौफ दिसंबर खत्म होते ही बढ़ जाता है।

    आमतौर पर इन तोतों का दिसंबर महीने से आना शुरू हो जाता है लेकिन जनवरी महीने में इनकी संख्या बढ़ जाती है। ये केवल बेर को ही नुकसान पहुंचाता है। तोते की चोंच इतनी पैनी होती है कि वह चंद सैकंड में ही बेर की गुठली को तोड़ कर उसके अंदर की गिरी को चट कर जाता है। दिसंबर माह में धुंध शुरू होते ही पहाड़ी तोते का आगमन शुरू हो जाता है।

    शहर के विभिन्न हिस्सों में बेर के बाग हैं जो भी व्यक्ति बेर के बाग लेता है उसे सुबह से शाम तक बेर की रखवाली करनी पड़ती है। अधिकतर खेतों में तो किसान बेर के पेड़ के ऊपर चारपाई लगाकर तोते उड़ाने का काम करते हैं। किसानों की बातों पर अगर भरोसा किया जाए तो यह तोता देसी तोते से लंबा होता है और इसकी चोंच भी बड़ी होती है।

    यदि मनुष्य की उंगली तोते की चोंच में आ जाए तो उंगली बचनी मुश्किल है क्योंकि जिस गुठली को व्यक्ति दांतों से तोड़ने की हिम्मत नहीं जुटाता उसे ये तोते सैकेंड में तोड़ देते हैं। पहाड़ी तोता अमरूद या अन्य वस्तुओं को नहीं खाता। बेरों के अंदर गुठली को तोड़कर उसकी गिरी खाता है। उमरी बेरों को ही यह तोता खाता है। कैथली बेरी के बेरों को यह ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचाता।

    हम आपको बता दें कि कैथली बेरी के बेरों की गुठली पतली होती है और उसकी गिरी ज्यादा बेहतर नहीं होती। गिरी को खाने के चक्कर में बेर बर्बाद होते हैं। यह तोता गहरी धुंध में बेरों को खाने के लिए आता है और पांच मिनट में पूरे पेड़ को चट कर जाता है। यदि मौसम साफ हो तो इनकी संख्या नाम मात्र ही रह जाती है। ये तोते तेज आवाज से भागते हैं।

    लिली- अरे वाह.. बड़े कमाल के तोते हैं।

    अखिल- दोस्तों, आपने अदालतें तो कई देखी होंगी जहां हम और आप जैसे लोग जाते हैं, लेकिन क्या आपने ऐसी किसी अदालत के बारे में सुना या देखा हैं जहां भूतों की अदालत लगती हो। जी हां ये कोई फंसाना नहीं बल्कि हकीकत है।

    मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ में एक ऐसी अदालत है जहां भूतों की अदालत लगती है। इस अदालत में बकायदा भूतों की पेशी होती है और भूत अदालत में बयान भी देता है। पठपरा में पीर अब्दाल साहब के दरबार में पिछले 5 सालों से भूत-प्रेतों की न केवल अदालत लग रही है बल्कि देश और प्रदेश के कई शहरों से भूत बाबा के दरबार में पेशियों पर भी आ रहे हैं, और लोगों के सवालों का जवाब भी दे रहे हैं।

    इस दरबार में दिए की लौ देखकर प्रेत आत्माओं से पीड़ित व्यक्ति के सिर पर सवारी आना शुरू हो जाती है और पीड़ित के हाथ जमीन से अपने आप चिपक जाते हैं। इस अदालत में पीड़ित व्यक्ति को मृत आत्माओं की परेशानी से छुटकारा भी मिलता है।

    लिली- अरे.. यह तो वाकई अचम्भे वाली बात है। भूतों की अदालत... सच में अजब-गजब किस्सा है। चलिए मैं बताती हूं दुनिया के सबसे बड़े रेस्टोरैंट के बारे में, जहां रोबॉट खाना बनाते है।

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