खूबसूरत पहाडियों से घिरा आबा तिब्बती और छ्यांग जातिय स्वायत्त प्रिफेक्चर दक्षिण-पश्चिमी चीन के सछ्वान प्रांत में स्थित है। पहले यहां आर्थिक विकास थोड़ा पिछड़ा था। लोग साल भर खेती कर केवल अपना पेट ही भर पाते थे। लेकिन इधर के सालों में स्थानीय सरकार ने स्थानीय स्थिति के मुताबिक पारिस्थितिक कृषि के विकास पर जोर दिया और स्थानीय निवासियों को समृद्धि के रास्ते पर ला खड़ा किया। तो मित्रों, आज के इस कार्यक्रम में आप हमारे साथ आबा प्रिफेक्चर की आबा कांउटी में माईखुन जिला में स्थित अरलांग गांव का दौरा करेंगे और जानेंगे कि वहां के किसानों का समृद्धि रास्ता कैसा है।
अरलांग गांव में कृषि पारिस्थितिक मॉडल पार्क में स्थानीय किसान ग्रीन हाउस में उगाए गए मशरुम को तोड़ रहे हैं। अच्छी फ़सल के कारण उनके चेहरो पर खुशियां देखी जा सकती हैं। तिब्बती किसान जाशी ने हमारे संवाददाता से कहा:
"पहले यह स्थान खाली पड़ा था। बाद में कृषि ब्यूरो ने यहां सब्जियां उगाईं। स्थानीय लोग अपनी इच्छा से श्रम करने में हिस्सा लेते हैं। सरकार हमें भत्ता भी देती है। एक महीना का लगभग 2 हज़ार युआन। लोग बेहद खुश हैं और उन्हें पसंद भी हैं।"
वर्ष 2013 से ही आबा कांउटी ने कृषि क्षेत्र में ढांचागत समायोजन पर जोर दिया, ताकि स्थानीय लोगों की आय में बढ़ोत्तरी की जा सके। कांउटी कृषि ब्यूरो के प्रधान फ़ान वनह्वेई ने जानकारी देते हुए कहा:
"हमारा पारिस्थितिक कृषि पार्क स्थापित करने का उद्देश्य लोगों के लिए एक मॉडल बनाना है। पहले हम उन्हें करके दिखाते हैं फिर उनसे करवाते हैं। हम उन्हें सिखाते हैं कि यह कैसे किया जाता है, उसके बाद वे स्वयं करते हैं।"
फ़ान वनह्वेई के मुताबिक इस कृषि पार्क की तीन प्रमुख कार्य क्षमता है। जिसमें नए किस्म वाले बीजो को लाने और नए तकनीक का प्रसार करने के अलावा स्थानीय लोगों को प्रशिक्षण देना भी शामिल है। उनका कहना है:
"क्योंकि पहले स्थानीय लोग केवल जौ ही उगाते थे। यह बहुत सरल कार्य है, जिसके लिए सिर्फ़ तीन दिन लगते हैं जैसे एक दिन उगाना, एक दिन फ़सल काटना और एक दिन बीज इक्ट्ठा करना। तीन दिनों में कृषि का काम समाप्त हो जाता था। अब हम सब्ज़ियां उगाने में मानकीकरण तरीका अपनाते हैं। जैसा कि खाने के लिए मशरूम उगाने के दौरान उन सभी की पूरी तरह से भागीदारी होती हैं।"
वर्ष 2013 से, पारिस्थितिक कृषि पार्क ने करीब 5 सौ स्थानीय लोगों को प्रशिक्षण दिया है। वे अधिकतर स्थानीय गांव के युवा लोग हैं। पार्क में मशरूम उगाने के तकनीक सीखने आयी तिब्बती युवती यांगशी ने यहां आने का अपना उद्देश्य बताते हुए कहा:
"मेरे पास भूमि है। तकनीक सीखने के बाद मैं स्वयं घर में आर्थिक विकास कर सकूंगी।"
हालिया समय में कुछ किसान पार्क में तकनीक सीखने के अलावा कुछ लोग घर में ही सब्ज़ियां उगाने की कोशिश करते हैं। आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2014 में करीब 74 हेक्टेयर भूमि में सब्ज़ियां उगाई गईं। वर्ष 2015 में इसका दायरा और बढ़ेगा। आबा कांउटी के कृषि ब्यूरो के प्रधान फ़ान वनह्वेई ने कहा:
"कुछ परिवार के लोगों ने कृषि ब्यूरो से सब्ज़ियां उगाने से संबंधित अनेक तकनीकों के बारे में पूछा। उन्होंने तकनीशियनों को भेजने की उम्मीद जताई। हमने उन्हें पूरा भरोसा दिलाया। उन्होंने हमसे कई सवाल पूछे जैसे फसलों के लिए कीटनाशक कहां से खरीदे, खेत में खाद कैसे डाले आदि। मैंने उनसे कहा कि आप लोगों की मांग के अनुसार कृषि ब्यूरो आपकी सेवा में कोई कसर नहीं छोड़ेगा। मुझे लगता है कि किसानों के लिए नई किस्म और नए तकनीक का प्रसार करना हमारी जिम्मेदारी हैं।"
आबा कांउटी में जमीन संसाधन प्रचुर मात्रा में हैं। पठारीय मौसम के कारण यहां दिन और रात के तापमान में बहुत अंतर है। यहां का वातावरण पठारीय सब्ज़ियां और दुर्लभ वनस्पतियों को उगाने के लिए अनुकूल है। आबा कांउटी के कृषि ब्यूरो ने कृषि उत्पादों के किस्मों के अनुसार तीन उद्योगों का ध्यान खींचा, जो कृषि उत्पादों के उत्पादन, परिवहन और बिक्री के लिए जिम्मेदार हैं। इन उद्योगों ने आबा कांउटी में अपना प्रमुख उत्पादन केन्द्र खोला जिससे स्थानीय किसानों को अधिक से अधिक रोज़गार के मौके प्राप्त हुए। कांउटी के कृषि ब्यूरो ने किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए रंगीन सब्ज़ी कंपनी की उत्पादन रेखा का बंटवारा किया। आबा कांउटी के कृषि ब्यूरो के प्रधान फ़ान वनह्वेई ने इसका परिचय देते हुए कहा:
"उनकी उत्पादन रेखा को एक साल में 1333 हेक्टेयर क्षेत्रफल वाले बैंगनी गोभी की कच्ची सामग्री चाहिए। हमने 333 हेक्टेयर क्षेत्रफल वाली भूमि का प्रयोग करने के अधिकार कंपनी के प्रमुख उत्पादन केन्द्र को दिया। बाकी 1000 हेक्टेयर क्षेत्रफल की भूमि पर बैंगनी गोभी उगाने का कार्य स्थानीय किसान करते हैं।"
किसानों की आय बढ़ाने के लिए आबा कांउटी के कृषि ब्यूरो ने माखा नामक जड़ी-बुटी उगाने वाले कंपनी का ध्यान आकर्षित किया। फ़ान वनह्वेई ने जानकारी देते हुए कहा:
"बाज़ार में माखा का दाम ऊंचा है। उसे उगाए जाने से प्रति हेक्टेयर भूमि में 1 लाख 50 हज़ार युआन मिलता है। पहले हमारे यहां जौ उगाए जाने से प्रति हेक्टेयर भूमि में मात्र 7500 युआन मिलता था। इस तरह हम जमीन के अतिरिक्त मूल्य बढ़ाने पर विचार करते हैं, ताकि स्थानीय किसानों की आय में और बढ़ोत्तरी हो सके।"
वर्तमान में आबा कांउटी के कृषि ब्यूरो के समर्थन से सब्ज़ियों के उत्पादन और बिक्री वाली समस्या का समाधान हो चुका है। अब वह कृषि उत्पादों के ग्रीन ओर्गानिक ब्रांड के आवेदन में व्यस्त है और सब्ज़ियों के उगाने के पहले कदम से ही एकीकृत मापदंड अपनाते हुए मानकीकरण ब्रांड के जरिए बिक्री करने में प्रयासरत है, ताकि पारिस्थितिक कृषि से स्थानीय नागरिकों को समृद्धि के रास्ते पर लाया जा सके।