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    शन नों चा आदिम जंगल
    2015-01-04 09:01:05 cri

     


    अनिल:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल पांडे का नमस्कार।

    वनिता:सभी श्रोताओं को वनिता का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिलः आज के प्रोग्राम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे। इसके बाद एक श्रोता के साथ हुई बातचीत के मुख्य अंश पेश किए जाएंगे।

    दोस्तो, आज का पहला खत भेजा हैं आरा बिहार से राम कुमार नीरज ने। वे लिखते हैं कि 08 दिसंबर को आपके साइट पर प्रकाशित रेशम मार्ग का रोड मैप पर एक ऐतिहासिक रिपोर्ट सचित्र देखा और पढ़ा.रिपोर्ट बेहद ज्ञानवर्धक है.यदि इस रिपोर्ट को ध्यान से पढ़ें तो लगता है कि यह परियोजना दक्षिणपूर्व एशिया और हिंद महासागर क्षेत्र में स्थित रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण देशों, जिसमें बांग्लादेश और श्रीलंका शामिल हैं, में बंदरगाहों और बुनियादी सुविधाओं के निर्माण को प्राथमिकता देगी. चीन क्रमश: ग्वादर, हंबनटोटा और चिट्टगोंग में बंदरगाह-परियोजनाओं का निर्माण पहले ही शुरू कर चुका है.

    प्राचीन रेशम-मार्ग को पुनर्जीवित करने की पहल के अंग के रूप में चीन की अपने तटीय क्षेत्रों को दक्षिणपूर्वी देशों और हिंद महासागर से जोड़ने वाले मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाने की भी योजना है. ये वे क्षेत्र हैं, जिनके साथ चीन के प्राचीन समुद्री रेशम-मार्ग के जरिये व्यापार-संबंध थे.

    विदित है कि समुद्री रेशम-मार्ग की पुनर्स्थापना का प्रस्ताव चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग द्वारा अक्तूबर 2013 में इंडोनेशिया की यात्रा के दौरान किया गया था. हालाँकि इस सम्बन्ध में यह महत्वपूर्ण तथ्य काफी कम ही लोगों को पता है कि रेशम मार्ग प्राचीन चीनी सभ्यता को पश्चिम तक पहुंचाया जाने का एक अहम रास्ता था , जो पूर्व और पश्चिम के बीच आर्थिक व सांस्कृतिक आदान प्रदान का सैतु के नाम से विश्वविख्यात है.

    वनिता:वे आगे लिखते हैं कि रेशम मार्ग आम तौर पर वह थलीय रास्ता कहलाता है , जिसे चीन के हान राजवंश के महान यात्री चांग छ्यान ने खोला था , जो पश्चिम हान राजवंश की राजधानी छांग आन से पश्चिम में रोम तक पहुंचता था , इस मार्ग के उत्तर और दक्षिण में दो शाखा रास्ता थे , दक्षिणी रास्ता तुन हुंग नगर से शुरू हुए यांग क्वान दर्रे से हो कर पश्चिम की दिशा में खुनलुन पर्वत तलहटी में आगे चलते हुए छुङ लिन पर्वत को पार करता था और आगे ताय्येजी ( आज के सिन्चांग और अफगानिस्तान के उत्तर पूर्व क्षेत्र में) पहुंचता था , फिर आगे आनशी यानी फारसी ( आज का इरान ) और थ्यो जी ( आज के अरब प्रायद्वीप में ) से हो कर प्रचीन रोम तक पुहंचता था. उत्तरी रास्ता तुनहुंग से आरंभ हुए युमन दर्रे से हो कर थ्येन शान पर्वत की दक्षिणी तलहटी में छुङलिन पर्वत को पार कर ताय्वान व खानच्यु ( आज के मध्य एशिया में ) से गुजर कर पश्चिम दक्षिण की दिशा में आगे बढ़ते हुए दक्षिणी रास्ते से जा मिलता था. यही दो रास्ते प्राचीन रेशम मार्ग कहलाता था.एक खूबसूरत रिपोर्टिंग का शुक्रिया आप सब को .धन्यवाद

    अनिलः दोस्तो, आज का दूसरा खत आया है दिल्ली से मोहम्मद शाहिद आज़मी का। लिखते हैं कि पिछले दो महीने से इंडियन सुपर लीग (फूटबाल ) कवर कर रहा हूँ। बहुत वयस्तता थी। अब केवल सेमी फाइनल और फ़ाइनल मैच बाकी हैं। अगले साल फरवरी में विश्व कप क्रिकेट का आयोजन ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड में होने जारहा है इस की जानकारी दो महीने पहले इस लिए दे रहा हूँ ताकि आप पूरी तैयारी के साथ इसपर कार्यक्रम बनायें। मैं आप से अनुरोध करता हूँ की फ़रवरी के शुरून से ही इस पर विशेष रिपोर्ट प्रस्तुत करें। भारत के श्रोताओं को को क्रिकेट विश्व कप का बेसब्री से इंतज़ार है भारत वर्तमान में क्रिकेट विश्व विजेता है इस लिए यहाँ के श्रोताओ को इस का अत्यंत इंतज़ार है। प्लीज प्लीज विश्व कप पर ज़रूर विशेष धेयान देन.

    वनिता:दोस्तो, अगला खत आया है पश्चिम बंगाल से रविशंकर बसु का। लिखते हैं कि देश-दुनिया के ताज़ा समाचारों के अलावा चीन को करीब से जानने के लिय मैं सीआरआई हिंदी सेवा के वेबसाइट को नियमित रूप से विजिट करता हूं,अच्छा लगता है। 24 नवंबर,2014 सोमवार को रात साढ़े नौ बजे मैंने रेडियो पर पंकज श्रीवास्तव जी द्वारा पेश किये गए रोजकार ताज़ा समाचार सुना। इस समाचार बुलेटिन के माध्यम से मैंने सुना है कि दक्षिण चीन के "क्वांगचो में दुबारा रक्त दान किया भारतीय लोगों ने",यह सुनकर मैं बहुत ही प्रभावित हुई। खबर के अनुसार 23 नवंबर को क्वांगचो शहर में रहने वाले 34 भारतीय लोगों ने रक्त दान किया। यह उनका क्वांगचो में दुबारा रक्त दान था। निसंदेह इस गतिविधि चीन और भारत के बीच मित्रवत संबंध मजबूत बनाने में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। समाचार के अलावा आपके वेबसाइट पर लिली जी द्वारा सम्पादित क्वांगचो में इस रक्त दान सम्बन्धी एक फोटो भी प्रकाश करने के लिए मैं हिंदी विभाग को धन्यवाद देता हूं।

    अनिलः वे आगे लिखते हैं कि मैं यहां पर उल्लेख करना चाहूंगा कि हमारे न्यू हराइजन रेडियो लिस्नर्स क्लब लोगों के बीच स्वैच्छिक रक्तदान के लिए जागरूकता पैदा करने की कोशिश कर रहा है और इस साल भी हमने सीआरआई हिंदी सेवा की 55 वीं वर्षगांठ को सेलिब्रेट करने के लिए पिछले 13 अप्रैल एक "सीआरआई रक्तदान शिविर" आयोजन किया था। यह हमारे लिए बहुत ही ख़ुशी की बात है कि इस सीआरआई रक्तदान शिविर के लिए हिंदी विभाग से आपलोगों का प्यार भरा सहयोगिता हमे मिला।

    दोस्तो, अगला खत भेजा है केसिंगा ओड़िशा से सुरेश अग्रवाल ने। वे लिखते हैं कि साप्ताहिक "चीन का भ्रमण" के तहत करायी गई मध्य चीन के हुबे प्रान्त स्थित शनोज़ा परिरक्षित आदिम जंगल की सैर बहुत चित्ताकर्षक लगी।

    कार्यक्रम सुन कर पता चला कि 1970 वाले दशक में कैसे वहां की गई पेड़ों की अन्धाधुन्ध कटाई से प्रकृति को काफी नुकसान पहुंचा, परन्तु फिर मार्च सन 2000 में वहां परिरक्षित परियोजना लागू की गई, जिसके परिणाम स्वरुप शनोज़ा फिर से अपने पुराने रूप में लहलहा उठा और अब तो वहां हर साल कोई छह लाख सैलानी प्रकृति का खूबसूरत नज़ारा लेने पहुँचते हैं। निश्चित तौर पर मानव जाति और प्रकृति के बीच अनूठे समन्वय का यह प्रयास प्रशंसनीय है। इसी तरह कार्यक्रम में चीन के एक और मशहूर प्राकृतिक पर्यटन स्थल चालुंग परिरक्षित जलीय क्षेत्र, जो कि चीन की प्रमुख दलदली भूमि भी है, का भ्रमण भी काफी मनोरम लगा। लाल ग्रोनेत की जन्मस्थली के नाम से जाने जाने वाले उक्त पर्यटन स्थल के सौन्दर्य का वर्णन सुन कोई भी प्रकृति-प्रेमी वहां ज़रूर जाना चाहेगा। कार्यक्रम में चालुंग से जुडी किवदन्ती का ज़िक्र किया जाना भी अच्छा लगा। चीन के इन महत्वपूर्ण स्थलों से रूबरू कराने हेतु हार्दिक साधुवाद।

    वनिता:वे आगे लिखते हैं कि कार्यक्रम "मैत्री की आवाज़" के अन्तर्गत सन 1984 से भोपाल में मध्यप्रदेश उच्च शिक्षा विभाग में कार्यरत प्रोफ़ेसर शुभ्रा त्रिपाठी से भाई अखिल पाराशर द्वारा ली गई भेंटवार्ता सुन चीन पर उनके महत्वपूर्ण उदगार सुनने को मिले। विशेषकर, उनका चीन के ताओ और कन्फ़यूशियस धर्मों का भारत के हिन्दुत्व से तुलनात्मक विश्लेषण किया जाना काफी उचित जान पड़ा। उनकी वाणी में विद्वता स्पष्ट तौर पर झलक रही थी, इसलिये बात को समझने में और भी आसानी हुई। धन्यवाद स्वीकार करें एक ऐसी ख़ास शख्शियत से मिलवाने के लिये।

    अनिलः दोस्तो अब पेश है दिल्ली से अमीर अहमत का खत। वे लिखते है कि आज हमें मध्य चीन के हू पेह प्रांत में शन नों चा नामक एक आदिम जंगल के बारे में जानकारी मिली । चीन की झलक कार्यक्रम के माध्यम से इस क्षेत्र के बारे में जानने को मिला। मालूम हुआ कि चीन की जंगली जानवरों व वनस्पति संसाधन की एक अहम नीधि जाना जाता है ।मालूम हुआ की ये जंगल तीन हजार से अधिक वर्गकिलोमीटर विशाल के क्षेत्रों में चार हजार सात सौ से अधिक किस्मों वाले जानवर व वनस्पति उपलब्ध है , जिन में राष्ट्रीय प्रमुखता प्राप्त संरक्षित जानवरों की किस्में 60 से ज्यादा हैं । इस प्रोग्राम के माध्यम से हू पेह प्रान्त के शन नों चा जंगल का भ्रमण करने को मिला है हम अपनी आँखों और कानों के माध्यम से इस जगह की यात्रा करने का शौभाग्य प्राप्त हुआ है मैं बहोत बहोत धन्यवाद दूंगा यांग जी को जो उन्होंने ने इस जंगल की सैर के साथ साथ उन्होंने इसके इतिहास पर भी प्रकाश डाला है वो हमारे लिए हम श्रोताओं की चीन की झलक के लिए बहोत ही अच्छी और कामयाब गाइड है हम उनके इतने अच्छे कार्यक्रम बनाने के लिए दिल की गहराइयों से धन्यवाद।

    चीन की झलक कार्यक्रम के माध्यम से मालूम हुआ की हूँ हूँ पेह चा जंगल गत सदी के 70 वाले दशक के शुरु में यहां के आदिम जंगल की अंधाधुंध कटाई की गयी , जिस से यहां की पारिस्थितिकी स्थिति गम्भीर रूप से बरबाद हुई और जंगली जानवरों के अस्तित्व के लिये बड़ा खतरा उत्पन्न हो गया था ऐसा भी समय आया अफ़सोस जंगल के कटाई करने वाले थोड़ा जंगली जानवरों के बारे में भी ज़रा सोचें तो कटाई आज भी जो विश्व में जंगलों की हो रही है वो थोड़ा रोक जाएगी ।

    वनिता:वे आगे लिखते हैं मालूम हुआ कि इस आदिम जंगल की परिस्थितिकी स्थिति में आयी बिगाड़ पर चीन सरकार और संबंधित विशेषज्ञों का ध्यान गया हुआ है और मार्च 2000 में शन नों चा आदिम जंगल में प्राकृतिक जंगल परिरक्षित परियोजना शुरु होकर कटाई पूरी तरह मना कर दी गयी । आदिम जंगल के संरक्षण में कार्यरत कर्मचारी सुश्री च्यांग लिंग लिंग को यहां काम किये हुए अनेक साल हो गये हैं । उन्हों ने इस का परिचय देते हुए जो जानकारी दी कि सन 2000 के बाद प्राकृतिक जंगल की परिरक्षित परियोजना लागू किये जाने के बाद यहां कि पारिस्थितिकी स्थिति में भारी परिवर्तन हुए हैं , अब यहां के किसी भी पर्वत पर बंदरों , लाल पेट वाले जंगली मुर्गों और जंगली भेड़ बकरियों जैसे जंगली जानवर झुंट में झुंट दिखाई देते हैं , साथ ही यहां के पर्वत पहले से काफी हरे भरे हुए हैं और पानी फिर साफसुथरा व स्वच्छ नजर आने लगा है । सही बदलाओ तो आया जंगली जानवरों का जीवन सुरक्छित हुआ और हरियाली शबाब पर है फोट के माध्यम से देखा। इसी तरह शन नोंग चा प्राकृतिक परिरक्षित क्षेत्र की सरकारी अधिकारी छ्येन य्वान खुन के विचार भी जानने को मिले । अच्छी जानकारी के लिए कोटि कोटि धन्यवाद।

    अनिलः दोस्तो, अगला खत भेजा हैं हमारे श्रोता सादिक आजमी ने। वे लिखते हैं कि हर बार की भाँति इस बार भी अपना सबसे पसंदीदा कार्यक्रम आपका पत्र मिला सुनने के लिये मित्रों के साथ रेडियो के समक्ष बैठे और इस बार अनिल पाण्डे जी के स्नेह और उत्साहयुक्त शब्दों ने दिल जीत लिया उन्होंने cri का पक्ष रखते हुए दोस्तों की प्रतिक्रिया एवं सुझावों पर प्रकाश डाला

    दूसरी बात मन को यह भायी कि कई श्रोता मित्र ने निष्पक्ष टिप्पणी करते हुए अपने सुझावों से आपको अवगत भी करवाया । इस बार विशेष रिपोर्ट से चीन के मशहूर चित्रकार श्री पे हुन जी के राविन्द्र नाथ टैगोर जी के साथ घनिष्ठ सम्बंध पर विस्तार से जानकारी प्रदान करवाई गई जो हृदय को छू गई.

    उनकी कला कृतियाँ और इससे सम्बंधित विभिन्न आय़ोजन तथा चीन और भारत मे प्राप्त लोकप्रियता का उल्लेख अति उत्साहित करने वाला रहा जो चीन भारत सम्बंधों मे प्राचीनता को दर्शाता है पे हुन जी के भारत दौरे और गाँधी से मिली सराहना आजके युग मे प्रेरणा का स्रोत कहा जा सकता है कुछ इसी से प्रभावित नमूना देखने को मिला जब चीनी युवादल और भारती युवादल ने एक दूसरे देश की प्रस्पर यात्राऐं कीं जो भविष्य मे चीन भारत मैत्री सम्बंध और सांस्कृतिक आदान प्रदान का मुख्य बिन्दु माना जाएगा जिसके सुद्रृढ़ होने की हृदय से हम कामना करते हैं ।

    आपकी सभा में अधिकाँश श्रोताओं ने रेशम मार्ग के सफलतापूर्वक समाप्ति की कामना की जो सराहनीय लगी और इस पर सहमति ब्यक्त करने हेतु आप द्वारा गीत का सुनवाया जाना रोचक लगा धन्यवाद स्वीकार करें

    वनिता:दोस्तो, अगला खत भेजा हैं पश्चिम बंगाल से देवशंकर चक्रवर्त्ती ने। वे लिखते हैं कि सीआरआई-हिन्दी सेवा के सभी कर्मचारियों को न्यू हराइज़न रेडियो लिस्नर्स क्लब के सदस्यों की ओर से सादर अभिवादन और नव वर्ष-2015 की हार्दिक शुभकामनायें! आशा है,आप सब सकुशल होंगे।

    मैं सीआरआई हिन्दी सेवा से प्रसारित कार्यक्रमों का नियमित श्रोता हूं।मुझे सीआरआई से प्रसारित अनेक कार्यक्रम गागर में सागर जैसे लगते हैं,पर चीन का भ्रमण,टी टाइम और आपका पत्र मिला सब से ज्यादा पसंद है। सीआरआई के कार्यक्रमों में हमें चीन को अधिक नजदीक से जानने का मौका मिलता है। "चीन का भ्रमण" कार्यक्रम से हमें चीन के विभिन्न जगहों को अच्छी तरह जानने का शुभअवसर मिलता है।मैं नियमित रूप से आपकी वेबसाइट विजिट करता हूं।सी आर आई वेबसाइट बहुत ही आकर्षक ,रोचक और ज्ञानवर्धक है। मैं तो कहूँगा कि एक प्रकार से यह ज्ञान का खज़ाना है जो कभी भी समाप्त नहीं होगा। इसका उपयोग चाहे जितना भी करें या जितना भी विजिट करे । लेकिन यहां पर मैं सुझाव देना चाहूंगा कि आपको नियमित रूप से इसे अपडेट करना चाहिए। खासकर के साप्ताहिक कार्यक्रम को ;कभी कभी एक-दो-तीन सप्ताह तक भी अपडेट नहीं होते है। मेरा सुझाव है कि रेडियो से जो भी कार्यक्रम प्रसारित किया जाये ,उसको तुरंत वेबसाइट पर डाल देना चाहिए lजिस प्रकार से आप समाचार को नियमित रूप से अपडेट करते है उसी तरीके से साप्ताहिक कार्यक्रम को भी अपडेट करते रहे। इस से वेबसाइट और आकर्षक हो जायेगा ।उम्मीद है कि मेरे इस सुझाव पर ध्यान देंगे।

    अनिलः दोस्तो, नया साल आ रहा है। उ॰प्र॰ से अनिल कुमार द्विवेदी ने हमें ई-मेल भेजकर कहा कि सादर सप्रेम नमस्ते। नव वर्ष 2015 के आगमन मेँ अब कुछ ही दिन बचे हैँ।अत: आप लोगोँ कोनववर्ष की हार्दिक शुभकामनायेँ।

    HAPPY NEW YEAR. नया साल मुबारक बाद।

    दो शब्द :

    अच्छे लोगों की इज्जत

    कभी कम नहीं होती।

    सोने के सौ टुकड़े करो,

    फिर भी कीमत

    कम नहीं होती।

    भूल होना "प्रकति " है,

    मान लेना "संस्कृति" है,

    सुधार लेना "प्रगति" है,

    ये रास्ते ले ही जाएंगे....

    मंजिल तक, तू हौसला रख,

    कभी सुना है कि अंधेरे ने

    सुबह ना होने दी हो..!!!

    और साथ ही राम कुमार नीरज ने भी नए साल के मौके पर हमें एक कविता भेजी, उन्होंने कहा कि आप तमाम हिंदी परिवार को नववर्ष की शुभकामनायें भेज रहा हूँ,उम्मीद है स्वीकार्य होगा.

    2014 बीत रहा, क्या खोया क्या पाया है,

    महंगाई,बलात्कार,का फैला देखो साया है.

    जीवन की उपलब्धियां,अभी भी है अवरुद्ध,

    सभ्यता बढी है, पर जारी अभी भी है युद्ध.

    जिन्दगी का दामन फटा ,आँसू भी है नम,

    आदमी सुखी नहीं,छाया है दुनिया में गम.

    जो स्वप्न है सच का, वरदान कब बनेगा,

    शैतान आदमी न जाने, इंसान कब बनगा.

    आने वाली पीढी ने है, हमसे उम्मीद लगाईं

    नया साल सुखमय गुजरे,नववर्ष की बधाई

    अनिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल पांडे और वनिता को आज्ञा दीजिए, नमस्कार

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