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    ईवू शहर
    2014-12-29 10:00:13 cri

     


    अनिल:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल पांडे का नमस्कार।

    वनिता:सभी श्रोताओं को वनिता का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिलः आज के प्रोग्राम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे। इसके बाद एक श्रोता के साथ हुई बातचीत के मुख्य अंश पेश किए जाएंगे।

    दोस्तो, आज का पहला खत भेजा हैं एसबीएस वर्ल्ड श्रोता क्लब से एस बी शर्मा ने। लिखते हैं कि चीन और भारत के मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध को और मजबूत बनाने हेतु दोनों देश कई कदम उठा रहे है। हर साल सौ सौ युवाओं का दल एक दूसरे के देश में मैत्रीपूर्ण यात्रा करता है। ताकि एक दूसरे के विषय में और अधिक जानकारी हासिल हो और नजदीकियां बढे I इन दिनों सौ भारतीय युवाओं का दाल चीन पहुंच गया है वह विभिन्न जगहों का भ्रमण कर रहा है ये युवा भारत के चीन में मैत्रि दूत है जो भारत के दोस्ती के सन्देश को चीन में जन जन तक पहुंचा रहे है वे चीन के विभिन्न संस्कृतियों को देख रहे है और चीन के बहुमूल्य संस्कृति को नजदीक से जान और समझ रहे है भारत के सौ युवाओं का दल विजनेस संस्थानों को भी देख कर उनके सफलता का रहस्य जान रहे है जिससे भारत को लाभ पहुंचेगा जैसा की चाइना रेडिओ इंटरनेश्नल से पता चला अगले साल यानि 2015 से दोनों देशो के दो दो सौ युवा एक दूसरे के देश का मैत्री यात्रा करेंगे ताकि भारत चीन मैत्री और तेजी से बढे और हमारे सम्बन्ध प्रगाढ़ हो I चुकी अगले साल से दो सौ भारतीय युवा चीन की मैत्री यात्रा पर चीन जायेंगे, मेरा यह अपना मानना है की इसी टीम में यदि सी आर आई के दो चार श्रोताओ को शामिल किया जाता तो और अच्छा होता. सी आर आई के श्रोता भारत में रहने वाले चीन में स्थायी मैत्री दूत है अतः इस मैत्री सम्बन्ध को और तेजी से बढ़ाने में मदद करेंगे उम्मीद है सी आर आई चीन सरकार से परामर्श कर इस पर जरूर पहल करेगा

    वनिता:वे आगे लिखते हैं कि आज के लाइफ स्टाइल के दूसरे भाग का दूसरा कड़ी सुना बहुत मजेदार और सूचनाप्रद लगा मैरेज रजिस्ट्रेसन क्यों जरुरी है और इसके कौन कौन से फायदे है मैरेज रजिस्ट्रेसन कैसे कराया जाय इन सभी जरुरी पहलुओ की जानकारी आपने बारीकी से दी , समाज में बढ़ते पारिवारिक विखराव के युग में मैरेज रजिस्ट्रेसन सुरक्षा का अहम हथियार साबित हो रहा है वही मैरेज रजिस्ट्रेसन से मिलने वाली सहूलियतें इसके महत्व को और निखार रहा है मैरेज का रजिस्ट्रेशन करवाना अब अति आवश्यक हो गया है

    ओ के शब्द की उत्पति 1839 में हो गई थी इस शब्द के उत्पति की रोचक जानकारी देने के लिए आपका धन्यवाद जोड़ो का दर्द आम बात है जोड़ो के दर्द दूर करने के उपाय और जोड़ो का ख्याल रखने के लिए आपने कारगर सलाह दिया I कैरियर कार्नर में एथलीट थेरपी कैरियर विकल्प के रूप में कैसे और क्यों अपनाया जा सकता है इस महत्वपूर बिषय पर सारगर्भित जानकारी देने के लिए आज के लाइफ टीम का पुनः एक बार धन्यवाद I

    अनिलः दोस्तो, आज का दूसरा खत आया है केसिंगा ओड़िशा से सुरेश अग्रवाल का। लिखते हैं कि साप्ताहिक "आपका पत्र मिला" के तहत सदा की भांति आज भी श्रोताओं की तमाम प्रतिक्रियाएँ समाहित की गईं और आपने यह भी कहा कि श्रोताओं की राय,सुझाव,विचार आदि चाहे ई-मेल से मिलें या कि साधारण डाक से, आप हमेशा ही उसका स्वागत करेंगे। परन्तु यह बात फिर भी स्पष्ट नहीं हुई कि आपने आख़िर श्रोताओं को ज़वाबी लिफ़ाफ़े भेजना क्यों कर बन्द कर दिया और साधारण डाक से प्रेषित पत्र आप तक क्यों नहीं पहुँचते ? मेल भेजने वाले चंद श्रोताओं के बूते भला कोई अन्तर्राष्ट्रीय प्रसारण कैसे आगे बढ़ सकता है, यह बात क़ाबिल-ए-गौर है।

    मैं आपका ध्यान आज के कार्यक्रम में हुई एक अन्य त्रुटि की ओर भी आकृष्ट करना चाहूँगा। आपने शुरुआत में कहा था कि पत्रोत्तर के बाद एक श्रोता से की गई बातचीत सुनवाई जायेगी, परन्तु बातचीत के बजाय आपने ईस्वी सन 413 में श्रीलंका से समुद्री ज़हाज़ के ज़रिये चीन लौट रहे बौध्द-भिक्षु फाशेन के समक्ष यात्रा के दौरान आयी कठिनाइयों पर आधारित विशेष रिपोर्ट पेश की। शायद आपको यह एहसास ही नहीं हुआ कि प्रसारण में ग़लत टेप बज गया, अन्यथा बाद में भूल सुधार की बात तो अवश्य की जा सकती थी। मेरी राय में हम इन दिनों चीज़ों को गम्भीरता से नहीं ले रहे, फिर चाहे वह शॉर्टवेव प्रसारण हों या कि वेवसाइट पर श्रोताओं की राय को अपडेट करने की बात, सब कुछ थमा-थमा सा लग रहा है। मेरी राय में इस स्थिति को तुरन्त प्रभाव से बदलने की सख़्त ज़रुरत है। धन्यवाद।

    वनिता:वे आगे लिखते हैं कि साप्ताहिक "चीन का भ्रमण" के तहत चीन के मशहूर रेशम मार्ग की हज़ारों वर्ष की विकास-यात्रा की कहानी सुनी। अन्य बातों के अलावा महान रेशम मार्ग के किनारे बसे चीन के महत्वपूर्ण शहरों को भी जाना। वैसे उच्चारण सम्बन्धी कठिनाई के चलते कुछ शहरों के नाम व अन्य चीनी शब्द न समझ पाने का मुझे खेद है। कार्यक्रम सुन कर पता चला कि चीन को भारत से जोड़ने वाला रेशम मार्ग दक्षिण-पश्चिम चीन के ताली प्रीफेक्चर से होकर भारत पहुँचता है। इटली के मशहूर यात्री मार्कोपोलो ने भी चीन पहुँचने के लिये रेशम मार्ग का इस्तेमाल किया था। स्थल रेशम मार्ग के बाद विकसित समुद्री रेशम मार्ग की कहानी भी सामान्य-ज्ञान में इज़ाफ़ा करने वाली थी। अपने प्रसारण के माध्यम से हमें चीन से जोड़े रखने हेतु हार्दिक साधुवाद।

    कार्यक्रम "मैत्री की आवाज़" के अन्तर्गत ईवू शहर में स्वाद-ए-हिंदुस्तान रेस्तरां चलाने वाले श्री गिरीश हरियानी से भाई अखिल पाराशर द्वारा ली गई भेंटवार्ता का दूसरा भाग आज सुना। अब हमें इस बात से हैरत नहीं होती कि ईवू में कोई 1500 -2000 भारतीय स्थायी तौर पर रहते तथा प्रतिवर्ष कोई एक लाख व्यापार के सिलसिले में वहां पहुँचते हैं। क्यों कि व्यापार के सिलसिले में भारतीयों के लिये चीन अब विश्व का सर्वोत्कृष्ट गन्तव्य बनता जा रहा है। जहाँ बातचीत से विदेशियों के प्रति चीन सरकार के सहयोगपूर्ण रवैये का पता चला, वहीं भारत-चीन सम्बन्धों में ईवू के विशेष योगदान को भी हमने बखूबी समझा। गिरीशजी ने ईवू में विदेशियों के लिये शिक्षा सम्बन्धी समस्या का उल्लेख किया, सो हमें विश्वास है कि चीन सरकार इस ओर भी अवश्य ध्यान देगी। धन्यवाद।

    अनिलः दोस्तो, अगला खत आया है सऊदी अरब से सादिक आज़मी का। लिखते हैं कि 6 दिसम्बर को कार्यक्रम आपकी पसंद का ताज़ा अंक एक भार फिर पंकज जी के नाम रहा जिसमे उन्होंने सेल्फ डिफेंस और आत्म विश्वास के बढ़ाने के कुछ अत्यन्त आवश्यक और सरल बातें हमसे साझा कीं और साथ मे भाषा सीखने के कुछ गुण भी बताया जो बहुत लाभकारी लगे । और साथ मे किशोर दा के कुछ मशहूर गीत सुनकर मन पूरी तरह प्रश्न हो उठा पंकज जी द्वारा हर सप्ताह नये एवं किसी रोचक विषय पर चर्चा करना इस कार्यक्रम की रोचरता को कायम रखता है जिसके लिये वह नि:संदेह बधाई के पात्र हैं आशा करता हूं भविष्य मे ऐसे ही वह हमारा ञानवर्धन करते रहेंगें धन्यवाद

    वनिता:दोस्तो, अब पेश है नई दिल्ली से अमीर अहमत का खत। वे लिखते हैं कि चीन और ब्राज़ील के सहयोग में बने पृथ्वी संसाधन उपग्रह-04 का 7 दिसंबर को थाई युआन में सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया। इस के लिए चीन सरकार व चीनी जनता को बधाई / चीन संभंधित आप के रेडियो के अतिरिक्त आपकी वेबसइट के अध्यम्य से और पत्रिका के माध्यम से बहुत कुछ जानकारी दी जारही है और ये जानकारी चीन भारत मैत्री के बीच की खाई को भरने में सार्थक साबित होंगे। आपकी वेबसइट के माध्यम से रेशम मार्ग के बारे मने जानने को मिला। मालूम हुआ कि रेशम मार्ग चीन व दुनिया के अन्य क्षेत्रों को जोड़ने वाली यातायात लाइन था। मोटे तौर पर रेशम मार्ग नख्लिस्तान मार्ग, घास मैदान मार्ग, समुद्री मार्ग और दक्षिण पश्चिम पर्वतीय मार्ग में बंटा जा सकता था। रेशम मार्ग के तौर पर सब से प्राचीन विकसित रूट नख्लिस्तान मार्ग, घास मैदान मार्ग और दक्षिण पश्चिम के ऊंचे पर्वत मार्ग पर थे। सुंग व य्वान राजकाल( 10वीं सदी ) के बाद जहाज निर्माण उद्योग एवं जहाजरानी उद्योग में भारी प्रगति आयी। चूंकि जहाजरानी में कम खर्चा और बड़ी वाहन शक्ति थी, इसलिए समुद्री रेशम मार्ग बाद में विकसित होकर प्रमुख रेशम मार्ग बना। इतनी महत्व पूर्ण जानकारी देने के लिए हिंदी विभाग के सभी कर्मी को बधाई और मोबारकबाद देता हूँ। धन्यवाद।

    अनिलः वे आगे लिखते हैं कि कुछ दिनों पहले आपने फोन किया लेकिन मैं एक ऑफिस में बैठा था वहां उचित नही था ,लैकिन हमने आपके फ़ोन की वेट किया खैर कोई बात नही। आप जब भी फ़ोन करें हर समय आपका स्वागत है। अनिल जी आप बहोत ही अच्छे इंसान हैं आपसे दो शब्द भी बात करते हैं तो बहोत स्नेह महसूस होता है हम श्रोताओं को इतना स्नेह देने के लिए धन्यवाद। अनिल जी आज कल बीजिंग वाले इन दिनों ठण्ड का सामना कर रहे हैं ना क्यों की हम वेबसाइट के माध्यम से जानकारी हासिल करते रहते हैं । हमने सी सी टी वी पर चाइना के कुछ प्रान्त की फोटो ताज़ा देखा है जो बर्फ ने उस एरिया को बर्फ से ढक दिया है। मुझे अच्छी तरह से मालूम है और मेरा खुद का अनुभव किया है की बीजिंग में कितनी सर्दी रहती है और इनदिनों में शित लहर भी चरम सीमा पर होती है. मुझे एहसास है जब मैं पिछले साल बीजिंग में था और शीत लहर ने लोगो को सड़कों पर तेज़ और कुछ लोगों दौड़ कर चलते देखा है और ठण्ड व बीजिंग की सर्दी को महसूस किया है । वो पल सदैव याद रहेंगे। मैं आप सभी को सलाम कर्र्ता हूँ की इन शीतलहरों की परवाह न करते हुए हम लोगो के लिए ज्ञानवर्धक कार्यक्रम तैयार हैं। आज आपकी वेबसाइट के माध्यम से मालूम हुआ कि 2011 से 2014 तक तिब्बत में 33000 ग्रामीण क्षेत्रों के मार्ग का निर्माण और सुधार किया गया है, जिससे 11 लाख 33 हजार किसानों और चरवाहों को लाभ मिला।ये बहोत बड़ी कामयाबी है सच चीन सरकार के प्रयास से तिब्बत के लोगों की काया पलट निरंतर विकास हुआ है। सच इस निर्माण से यहाँ का जनजीवन में भी बदलाओ होगा। सच कठोर भौगोलिक और प्राकृतिक स्थिति के कारण लंबे समय से मार्ग और रेलवे जैसे यातायात मुद्दे तिबब्त के आर्थिक विकास को बाधित करते आ रहे थे,और खासकर स्थानीय चरवाहों और किसानों को इससे बहुत असुविधा होती थी। पिछले कुछ वर्षों में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के यातायात विभाग ने गरीबी उन्मूलन कर्ज की उदार नीति का पर्याप्त प्रयोग कर ग्रामीण क्षेत्रों के मार्ग निर्माण की धनराशि को सुनिश्चित किया, जिससे मार्ग के निर्माण को तेज गति मिली। ये बड़ी उपलब्धि है ये सच है कि इस मार्ग के खुलने से स्थानीय किसान और चरवाहों को बड़ी सुविधा मिली है और उनकी आय में भी इज़ाफ़ा ज़रूर हुआ होगा ।इसी के साथ अमीर को आज्ञा दें।

    वनिता:दोस्तो, अगला खत आया है पश्चिम बंगाल से बिधान चंद्र सान्याल का। लिखते हैं कि सी आर आई हिन्दी कारिक्रम और वेबपेज के जरिए रेशम मार्ग का बिस्तृत परिचय पा कर बहुत अच्छा लगा। रेशम मार्ग के बारे मेँ मैने सूचित हुयी कि चीनी सभ्यता को पश्चिम तक पहुंचाना जाने का एक अहम रास्ता था , जो पूर्ब और पश्चिम के बीच आर्थिक व सांस्कृतिक एबं राजनैतिक आदान प्रदान का सेतु के नाम से बिश्वबिख्यात है। रेशम मार्ग प्राचीन चीन से मध्य एशिया से हो कर दक्षिण एशिया , पश्चिम एशिया , यूरोप तथा उत्तरी अफ्रीका तक जाने वाला थल ब्यापार रास्ता था। रेशम मार्ग आम तर पर वह थलीय रास्ता कहलाता है , जिसे चीन के हान राजबंश के महान यात्री चांगछयान ने खोला था , जो पश्चिम थान राजबंश की राजधानी छांग आन से पश्चिम मेँ रोम तक पहुँचता था । ब्यापार के साथ रेशम मार्ग की अहम भूमिका तो थी , ब्यापार के साथ साथ सांस्कृतिक आदान प्रदान भी बहुत क्रियाशील रहा था । वे अव बिश्व सांस्कृतिक धरोहर नामसूची मेँ शामिल किए गए है ।

    अनिलः दोस्तो, आज का अंतिम खत पेश है उत्तर प्रदेश से मोहम्मद असलम का । वे लिखते हैं प्रिय हिन्दी परिवार और इसी के साथ नया साल मुबारक हो २०१५, मुझे और मेरे क्लब मित्रों को बहुत खुशी हो रही है कि सी.आर.आई. हिन्दी परिवार एक ऐसा केन्द्र है जिसको हम लोग कभी भुल नहीं सकते हैं आज कल कुछ पत्र कम हुआ है लेकिन आपसी बात चीत लगातार होती है और प्रोग्राम भी काफ़ी अच्छा है साफ़ सुनाई देता है आज खुशी की बात यह है कि जिस तरह हम लोग आप को नहीं भुले हैं उसी तरह आप नहीं भुले हैं आज जब मै अपने कार्यालय से वापस आया तो देखा मेरी मोबाइल पर आप की फोन काल थी खुशी बहुत हुइ लेकिन दुख इस बात का का था कि आप से बात नही हुइ उमीद है जल्द ही बात होगी मै आप से यही बिन्ती कर्ता हु पह्ले वाला सी.आर.आई. की ज़रुरत है ताकि हम श्रोता आप के बहुत करीब हो सके जैसे पहेल रहा करते थे आप आप की एक भी पत्रिका दिल्ली से नहीं मिलती है जब फ़ोन किया जाता है तो वहा से मालुम होता है कोरियर से भेजी गई लेकिन सच तो यह है नहीं मिलती है सीधे चीन से ही भेजना चाहिये प्रतियोगिता भी बहुत हल्की करते हैं श्रोता सम्म्मेलन की मांग लगातार सभी लोग करते हैं लेकिन उसपर कम ही सुनवाइ होती है मै भी आप की लिस्ट मे था मानिटर के लिये मुझसे यही कहा गया था की मानिटर की अवधी एक साल के लिये रखी गई है लेकिन कुछ लोग है जो कई साल साल से मानिटर पद पर बने हुये हैं इस साल हम जैसे श्रोता को भी मानिटर का औसर देना चाहिये मुझे बही बहुत उमीद थे आप को किसी मानिटर से कम पत्र नहीं मिलेगा मुझे २००१ से मानिटर के काम का शौक रहा है लेकिन वक्त गुज़रता गया एक नया चेहरा दुबारा आता गया मुझे उमीद है इस साल मुझे ज़रुर मानिटर पद का सुऔसर मिलेगा आप का असलम ।

    अनिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल पांडे और वनिता को आज्ञा दीजिए, नमस्कार

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