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    टी टाइम 141216 (अनिल और वेइतुंग)
    2014-12-16 15:22:36 cri

    अनिलः टी-टाइम के नए अंक के साथ हम फिर आ गए हैं, आपका मनोरंजन करने। जी हां ..चाय की आवाज .........आपके साथ चटपटी बातें करेंगे और चाय की चुस्कियों के साथ लेंगे गानों का मजा, 35 मिनट के इस प्रोग्राम में। इसके साथ ही प्रोग्राम में श्रोताओं की प्रतिक्रियाएं भी होंगी शामिल। हां भूलिएगा नहीं, पूछे जाएंगे सवाल भी, तो जल्दी से हो जाइए तैयार।

    अनिलः दोस्तो पिछले दिनों पाकिस्तान की मलाला और भारत के कैलाश सत्यार्थी को नोबेल का शांति पुरस्कार प्रदान किया गया। सबसे पहले हम उन्हें बधाई देते हैं। जिस तरह से उन्होंने दुनिया के सामने उदाहरण पेश किया है, उससे बच्चों का जीवन बेहतर हो सकेगा।

    लेकिन जहां एक ओर कैलाश सत्यार्थी को बधाई मिल रही थी वहीं हमारे राजनेताओं को इसमें भी राजनीति लग रही थी। अब वे संचार क्रांति के इस युग में कैसे रहते हैं, इस पर सवाल उठते हैं।

    मध्यप्रदेश के कैलाश सत्यार्थी को शांति के लिए दुनिया का सबसे बड़ा नोबल पुरस्कार मिला। देश का हरेक व्यक्ति उनकी इस उपलब्घि पर गौरवान्वित हुआ। दुनियाभर से उन्हें बधाइयां मिलीं।

    आश्चर्य के साथ शर्म की बात ये रही कि मध्यप्रदेश के दो-तीन मंत्रियों और विधायकों ने सत्यार्थी की इस उपलब्घि पर शिवराज मंत्रिमंडल के सदस्य कैलाश विजयवर्गीय को बधाइयां दे डाली। यानी प्रदेश को चलाने का दावा करने वाले मंत्रियों को उन कैलाश सत्यार्थी के बारे में कोई जानकारी नहीं

    इससे तो लगता है कि मध्यप्रदेश के भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय के आगे सोचते ही नहीं। पूरे घटनाक्रम का सबसे दुखद पहलू तो यह है कि मंत्रियों के सामान्य ज्ञान की चर्चा पूरे देश में होने के बावजूद राज्य के मुख्यमंत्री खामोश हैं।

    क्या इतने अल्पज्ञानी मंत्रियों को मंत्रिमंडल में रहने का अधिकार होना चाहिए? क्या ऎसे मंत्रियों को झेलना जनता की मजबूरी होना चाहिए? उम्मीद तो यही की जाती है कि राज्य के मंत्री को अपने विभाग की ही नहीं अपितु सम्पूर्ण राज्य की जानकारी हो। मंत्रियों को पता होना चाहिए कि देश-दुनिया में क्या हो रहा है। नोबल पुरस्कार हासिल करने वाले भारतीयों की संख्या बहुत कम है।

    सत्यार्थी से पहले रविन्द्रनाथ टैगोर, सी.वी. रमन, मदर टेरेसा और अमर्त्य सेन ही ऐसे भारतीय थे जिन्हें पुरस्कार हासिल करने का गौरव मिला। इसके अलावा हरगोविन्द खुराना, एस. चन्द्रशेखर और वेंकटरमन रामकृष्णन को भी नोबल पुरस्कार मिला लेकिन वे दूसरे देशों की नागरिकता ग्रहण कर चुके थे। इतने प्रतिष्ठित पुरस्कार के बारे में अनभिज्ञता होना राजनेताओं के प्रति आम आदमी की धारणा और खराब ही करता है।

    वेइतुंगः दोस्तो वैसे तो आपने आज तक इंसान को शराब खुद पीते और दूसरों को पिलाते देखा और सुना होगा लेकिन जरा सोचिए कि तब क्या हुआ होगा जब किसी शख्स ने बंदर को शराब पिला दी हो?

    मणिपुर में एक ऎसा ही अजीबो-गरीब मामला सामने आया है। यहां एक शख्स ने बंदर को शराब पिला दी। हालांकि इसके लिए युवक को जेल की हवा खाने के साथ-साथ 3 हजार रूपए का जुर्माना भी भरना पड़ा।

    एक वेबसाइट के अनुसार 23 साल के जोशुआ एल इनबौन ने इंफाल के एक चिडियाघर में एक बंदर को इसलिए शराब पिला दी क्योंकि वह देखना चाहता था कि बंदर शराब पीने के बाद क्या करता है?

    मणिपुर जूऑलजिकल गार्डन के डायरेक्टर एल जॉयकुमार सिंह ने बताया कि आरोपी को बुधवार को बंदर को शराब पिलाते हुए पकड़ा गया था।

    शराब पीने के बाद बंदर का व्यवहार बदल गया था और उसे चिडियाघर के डॉक्टर को दिखाना पड़ा था। अब बंदर की हालत ठीक है। -

    अनिलः वहीं उल्टा होकर पेड़ पर चढ़ना हरियाणा के मुकेश की फितरत है। वो जब 21 साल का था तब पहली बार प्रयास किया। अब 31 के हो चुके है तो इसे उन्होंने जुनून बना डाला।

    सोचा, क्यों न गिनीज वल्र्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराएं। अब वे 1 मिनट 40 सेकेंड में 35 फीट ऊंचे पेड़ पर उल्टा चढ़ जाते है।

    मुकेश मजदूरी कर परिवार का पेट पालते है लेकिन रोजाना अभ्यास करना और दूध पीना नहीं भूलते। कुरूक्षेत्र के गांव तनगोरी निवासी मुकेश ने करनाल में नेशनल इंटीग्रेटेड फोरम फॉर आर्टिस्ट (निफा) अध्यक्ष प्रीतपाल पन्नू के सामने ये कारनामा करके दिखाया।

    मुकेश रोजाना 45 मिनट तक पेड़ पर उल्टा चढ़ने का अभ्यास करते है।

    प्रीतपाल सिंह पन्नू का कहना है कि मुकेश में काबिलियत है इसलिए वे उसका पूरा बायोडेटा गिनीज वल्र्ड रिकॉर्ड्स के लिए भेजेंगे। ऎसी प्रतिभा को सम्मान मिलना चाहिए। वे इसके लिए सरकार से भी मांग करेंगे कि ऎसे खिलाड़ी को आगेक बढ़ाने का मौका दें।

    वेइतुंगः वैसे बच्चे पैदा हों तो उनका वजन लगभग 2 या 3 किलो होता है। लेकिन कभी आपने ऎसे बच्चे को देखा है जिसके पैदा होने पर ही वजन 6 किलो हो।

    डेली मेल के अनुसार अमेरिका के वाशिंगटन में ग्रेज हार्बर कंयूनिटी अस्पताल में येसिका ऑरटिज डेलगाडो ने ऎसे बच्चे को जन्म दिया है जिसका वजन 6 किलो है।

    येसिका का ये तीसरा बच्चा है। इसका नाम फ्रैनसिस्को लियोन ऑरटिज रखा गया है।

    बच्चे के पिता का नाम डेविड क्वीग है और वो इसी अस्पताल में पब्लिक रिलेशन डिपार्टमेंट में डायरेक्टर हैं। येसिका ने बच्चे की डिलिवरी के बाद बताया कि उनके पहले दो बच्चे भी काफी मोटे पैदा हुए थे।

    दोनों का वजन 4 किलो ही था। उन्हें इस बात का कहीं ना कहीं पता था इस बार भी उनका बच्च मोटा ही पैदा होगा। लेकिन वो इतना मोटा होगा, इसके बारे में नहीं पता था।

    इसका वजन 6 किलो था। बच्चे के पिता के अनुसार उन्होंने बच्चे के लिए छोटे कपड़े खरीदे थे।

    सबसे मोटा बच्चा रिकॉर्ड के मुताबिक कनाडा में साल 1879 में जन्मा था। उसका वजन 10 किलो था।

    अनिलः क्या आपने सोचा है कि एक साइकिल कितनी महंगी हो सकती है। चलिए हम आपको बताते हैं। गोल्डजीनी नाम की कंपनी ने पहले भी कई लग्जरी सामानों पर गोल्ड की परत लगाकर उसे महंगा, अद्भुत और सुंदर बनाया है।

    जैसे कि स्मार्टफोन। अब इसी कंपनी ने लड़कों वाली रेसिंग साइकिल को सोने से कोट किया है।

    जी हां, ये साइकिल 24 कैरेट सोने की है और पुराने जमाने का टच लिए हुए है। इसकी कीमत 25 हजार पाउंड है। आपको जानकर खुशी होगी कि इसमें कुछ हीरे भी जड़े हुए हैं।

    ये हीरे रात में साइकिल पर चमकते हुए आराम से देखे जा सकते हैं। जहां इस साइकिल को खरीदने वाला इसकी डिजाइन और लुक से काफी खुश रहेगा वहीं वो स्पीड पकड़ने के लिए इस पर निर्भर नहीं रह सकता।

    सोने की साइकिल की स्पीड को क म कर देती है और इसके मुकाबले लोग सेकेंड हैंड साइकिल लेना ज्यादा बेहतर समझेंगे। -

    चलिए दोस्तो अब कुछ दूसरी जानकारियों से आपको रूबरू कराते हैं।

    भारत में अब महिलाएं, कॅरियर में स्थापित होने के बाद विवाह करने तथा मां बनने की ओर रूख कर रही हैं, जो उनकी भावी संतान को पढ़ाई में तेज कर सकता है।

    शोधकर्ताओं ने एक नए शोध में पाया है कि कम उम्र में मां बनी महिलाओं की अपेक्षा देर से मां बनने वाली शिक्षित महिलाओं के बच्चे गणित और बाकी पढ़ाई में ज्यादा तेज होते हैं।

    जर्नल ऑफ रिसर्च ऑन एडोलसंस में प्रकाशित शोध में पाया गया है कि देर से मां बनने वाली माताओं की तुलना में कम उम्र में मां बनने वाली माताओं की हाईस्कूल की पढ़ाई पूरी करने और कॉलेज में दाखिला लेने की दर बेहद कम है। शोध दर्शाता है कि 19 वर्षीया अमरीकी माताओं के बच्चों ने आमतौर पर उच्च उपलब्धियों के साथ किंडरगार्टन में प्रवेश किया।

    18 या उससे कम उम्र की माताओं के बच्चों की अपेक्षा इन माताओं के बच्चों ने 8वीं कक्षा तक गणित और बाकी पढ़ाई में अच्छे नंबर लेना जारी रखा।

    वेइतुंगः यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन में मनोविज्ञान की शोधकर्ता सैंड्रा टैंग ने कहा, "ये नतीजे इस बात के पक्ष में दमदार सबूत देते हैं कि कम उम्र में मां बनना अगली पीढ़ी की उपलब्धि पर एक स्थायी नकारात्मक असर डालता है।"

    प्रो. पामेला डेविस-कीन के अनुसार, "कम उम्र की माताओं के बच्चे कभी उन बच्चों की उपलब्धियों तक नहीं पहुंच पाते, जो अपनी पढ़ाई पूरी करने वाली माताओं से जन्मे।"

    अनिलः वहीं सड़क पर होने वाली अंजानी मौतलेवा दुर्घटनाओं के लिए अनिद्रा बहुत बड़ा रोल निभाती है। इसका खुलासा जर्नल "स्लीप में प्रकाशित एक रिसर्च ने किया है। अध्ययन कहता है कि अनिद्रा एक विकार है, जो व्यक्तियों को दिन में ही अवसाद, चिड़चिड़ापन, तनाव, एकाग्रता में कमजोरी और संयोजन करने में दिक्कत देता है ।

    सड़क दुर्घटनाओं के लिए अनिद्रा एक बड़ा कारण हो सकती है। आपकी नींद का नियमित रूप से पूरी न होना कई घातक चोटों कोे लिए जिम्मेदार हो सकती है।

    वेइतुंगः नॉर्वेजियन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के अध्ययन में सड़क दुर्घटना में होने वाली मौत का संबंध अनिद्रा से जोड़कर देखा गया।

    नार्वे में चले 13 साल के एक लंबे अध्ययन के निष्कर्ष हाल में ही सामने आए हैं, जिनमें कहा गया है कि अनिद्रा से होने वाले लक्षण जितने अधिक होंगे, सड़क पर होने वाली दुर्घटना की घातकता उतनी ही अधिक होगी। इस अध्ययन में 55 हजार पुरूष तथा महिलाओं को शामिल किया गया था, जो 20 से 89 उम्र के बीच थे।

    अध्ययन के परिणामों के अनुसार, अनिद्रा से होने वाले तीन लक्षणों वाले प्रतिभागियों को नींद पूरी लेने वाले प्रतिभागियों की अपेक्षा जानलेवा चोट की वजह से होने वाली मौत का जोखिम 2.8 फीसदी अधिक पाया गया। वाहन चलाते वक्त नींद आ जाना, जानलेवा एक्सीडेंट्स के लिए सबसे मजबूत कड़ी बन कर उभरी। रिजल्ट में देखा गया कि जिन्हें वाहन चलाते वक्त नींद आने की समस्या थी, वे सड़क दुर्घटना में

    कम से कम दो गुना अधिक मारे गए। न सोने वालों की तुलना में, ऎसे लोग अंजानी घातक चोट की वजह से कम से कम 1.5 गुना अधिक मारे गए थे।

    ......

    अनिलः अब दोस्तो, शामिल करते हैं आज के प्रोग्राम में लिस्नर्स के कमेंट, जो कि बहुत अहम होते हैं।

    सबसे पहला ई-मेल हमें आया है, जमशेदपुर झारखंड से एस.बी.शर्मा का। लिखते हैं कि हमेशा की तरह 9 दिसंबर का अंक भी आकर्षक और मनोरंजक लगा। इसकी शुरुआत आईआईटी कानपुर के चार छात्रों द्वारा कैम्पस सिलेक्शन में मिले एक करोड़ के सैलरी पैकेज को ठुकराने और इसके आधे के सैलरी पैकेज को चुनने के समाचार से की गई। छात्रों ने पैसे से ज्यादा शांति को तवज्जो दी। इसमें छात्रों के संतोष का भाव भी दिखाई दे रहा है और दूसरी बात जो मुझे समझ में आ रही है की पैसा सबकुछ नहीं है। जीवन जीने के लिए पैसे के अलावा मानसिक शांति की भी आवश्यकता होती है।

    वेइतुंगः वहीं जापान में एक प्रेमी द्वारा अपने प्रेमिका को प्रपोज़ करने के लिए जो किया, वाकई दर्शाता है कि लोग प्यार में क्या-क्या नहीं करते। अपनी प्रेमिका को मैरी मी कहने के लिए वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बनाया। आज के प्रोग्राम के कछुए और खरगोश , प्रेमी-प्रेमिका और संता-बंता के जोक्स बहुत मजेदार लगे। एक शानदार प्रोग्राम पेश करे लिए आपका धन्यवाद।

    अनिलः वहीं नेक्स्ट ई-मेल हमें आया है, सऊदी अरब से सादिक आजमी का। लिखते हैं कि

    9 दिसम्बर का टी टाईम का नया अंक रोचक बातों से भरपूर था पर एक घटना समझ से परे थी जो मुझे भयभीत कर गई पूर्व की भाँति दिनांक 2 दिसम्बर के कार्यक्रम को पूरे मनोयोग के साथ सुनकर उसपर अपनी प्रतिक्रिया भेजी थी पर न जाने कौन सा रद्दी का टोकरा है जो मेरे अधिकाँश मेल हज़म कर जाता है आखिर क्या कारण है जो अनिल जी द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रम की हर टिप्पणी आपतक पहुंचने से पहले गायब हो जाती है?

    खैर कारण जो भी हो मैं भी हार नहीं मानने बाला देखता हूं कबतक रद्दी के टोकरे का पेट भरता है ।......

    देखिए आजमी जी...मुझे समझ नहीं आ रहा है कि गड़बड़ी कहां है, आज हमें आपका मेल मिला है और शामिल भी कर रहे हैं। अगर आपको परेशानी हो, मेरे व्यक्तिगत ई-मेल पर भी भेज सकते हैं। जो हम आपको बाद में बता सकते हैं।

    वेइतुंगः

    आजकी पहली रिपोर्ट हैरान करने वाली लगी जब अनिल जी ने बताया कि कानपूर के चार IITके छात्रों ने करोड़ों की नौकरी ठुकरा कर उससे आधी सैलरी वाली नौकरी महज़ इस कारण स्वीकार किया क्यूँ कि मांसिक स्तर पर वहां आज़ादी है सच है मन की संतुष्टि ही सबसे बड़ी दौलत है काश इस घटना से हर कोई सीख लेता तो आज अधिक दौलत कमाने की होड़ मे लोग भ्रष्टाचार का मार्ग नहीं अपनाते ।

    नाम कमाने के लिये लोग तरह तरह के जोखिम उठाते हैं पर जान पर बन जाए तो तौबा तरलेना ही बुद्धिमानी कही जायेगी पश्चिम बंगाल के इस शख्स की घटना से तो यही सीख मिलती है जिसे लम्बे नाखून के चलते लकवा मार गया हम मुरारी जी के स्वस्थ होने की कामना करते हैं. ।

    प्यार के इज़़हार करने पर हमेशा कुछ नया सुनने को मिलता रहता है पर इस बार जापान के इस नागरिका याशूशी ताकाहाशि ने तो हैरान ही कर दिया 7164 किमी का यह सफर वाकई विश्व का सबसे लम्बा प्रपोज़ल कहा जाएगा । पर सबसे हैरान करने वाली बात तो अनिल जी ने बताई कि कैसे न्यूयार्क के एक शहर में रहने वाली विली मर्फी जी 74 साल की आयु मे भी वेट लिफटिंग करती हैं और 100 कीलो का वज़न आसानी से उठा लेती हैं एक ओर हमारे यहां उम्र के इस पड़ाव मे दादियां उठने बैठने मे खुद को असहाय महसूस करती हैं तो दूसरी ओर इस दादी के जज़बे और कारनामें हमको दांतो तले ऊंगली दबाने पर विवश करते हैं उनके इस जज़्बे को सलाम ।

    आजके तीनों जोक्स सुनकर हंस हंस के बुरा हाल था इस सुंदर प्रस्तुति पर आपको बधाई।

    अनिलः अब केसिंगा उड़ीसा से सुरेश अग्रवाल का मेल। कहते हैं साप्ताहिक "टी टाइम" के तहत हमने तमाम अत्यन्त हतप्रभ करने वाले समाचार सुने। अपनी मानसिक शान्ति हेतु एक करोड़ की नौकरी ठुकराने वाले आईआईटी कानपुर के चार छात्रों के फैसले की दाद देने के साथ-साथ उसकी हम तारीफ़ भी करते हैं, क्यों कि मन के चैन से बड़ी कोई चीज़ नहीं होती। अपने लम्बे नाखूनों के लिये गिनीस बुक में स्थान पाने वाले पश्चिम बंगाल के मुरारी आदित्य के हाथ को लकवा मार जाने का समाचार दुःखदायी ज़रूर है, परन्तु रिकॉर्ड्स के लिये अपने जीवन को यूँ दाँव पर लगाना भी अच्छी बात नहीं। हाँ,जापान के याशुशि ताकाहाशि सान को हम सिरफिरा इसलिये नहीं कह सकते, क्यों कि उन्होंने अपने सच्चे प्यार को पाने पूरे जापान का 7164 किलोमीटर का चक्कर लगाया है। वास्तव में, प्रस्ताव हो तो ऐसा! कार्यक्रम में 77 साल की भारोत्तोलक दादी माँ विली मर्फ़ी ने सौ किलोग्राम भार उठा कर तो मानों युवाओं के लिये चुनौती खड़ी कर दी। उनका करतब असाधारण और चौंकाने वाला है। ब्राज़ील के एक स्टेडियम में एकसाथ 1960 जोड़ों का प्रणय-सूत्र में बंधना तो भारत में आयोजित आदर्श-विवाह गतिविधि को भी पीछे छोड़ देता है। हंसगुल्लों में-खरगोश का चिड़ियाघर में बम लेकर घुसने वाला जोक गुदगुदाने में कामयाब रहा। धन्यवाद आज की इस रोचक प्रस्तुति लिये।

    वहीं दक्षिण दिनाजपुर पश्चिम बंगाल से देबाशीष गोप ने भी हमें ई-मेल भेजा है।

    ...आप सभी श्रोताओं का एक बार फिर से धन्यवाद अदा करते हैं कि आपने हमें मेल किया। उम्मीद करते हैं कि आपका प्यार हमें यूं ही मिलता रहेगा।

    वेइतुंगः अब कुछ स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी देते हैं।

    अक्सर लोग महंगे भाव के फल व सब्जियां लाते हैं और उन्हें खा लेते हैं, लेकिन उपयोगिता से अनजान होने के कारण हम उनके बेहद गुणकारी छिलकों को या तो कचरे में फेंक देते हैं या फिर जानवरों को खिला देते हैं।

    अगर आपको इन फलों व सब्जियों के छिलकों में छिपे गुणों का पता चल जाए तो आप शायद ही उन्हें फेंकने की गलती करें।

    एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन सी प्रचुर मात्रा में होता है। लेकिन गूदे से पांच गुना ज्यादा एंटीऑक्सीडेंट इसके छिलके में होता है। जर्नल ऑफ एग्रीकल्चर एंड फूड कैमिस्ट्री के शोधकर्ताओं ने पाया कि इसके छिलकों में एंटी डिजीज व एंटी कैंसर जैसे गुण होते हैं। इसलिए सेब को छिलके समेत ही खाएं।

    छिलका अगर गलत जगह फेंक दिया जाए और उस पर किसी का पांव पड़ जाएं तो यह खतरनाक हो सकता है। वावजूद इसके इस छिलके में कई गुण मौजूद है।

    ताईवान के वैज्ञानिकों ने अध्ययन में पाया कि केले का छिलका डिप्रेशन से मुकाबला करता है। इसलिए कच्चे केले की सब्जी बनाते समय छिलका न हटाएं।

    अनार: जिन महिलाओं को अधिक मासिक स्राव होता है, वे अनार के सूखे छिलकों को पीसकर एक चम्मच पानी के साथ लें। इससे रक्तस्राव कम होगा।

    बवासीर की शिकायत हो तो अनार के छिलकों को कूटकर इसके पाउडर को गुड़ मे मिलकार बारीक-बारीक गोलियां बना लें। कुछ दिन तक इनका प्रयोग करें, आराम मिलेगा।

    ...

    दोस्तो, इसी के साथ प्रोग्राम में वक्त हो गया है, हंसी-मजाक यानी हंसगुल्लों का। ......जी हां तो आज भी पेश हैं, मनोरंजन से भरपूर तीन हंसगुल्ले।

    पहला हंसगुल्ला है।

    पत्नी: जानू , क्या मैं तुम्हारे सपनो में आती हूं?

    पति: बिलकुल नहीं। पत्नी: क्यों ? पति: में हनुमान चालीसा पठकर सोता हूं

    ..हंसने की आवाज....

    अब दूसरा जोक...

    मरीज: उम्र लम्बी करने का कोई तरीका बताईये। डॉक्टर: शादी कर लो। मरीज: इससे उम्र लम्बी हो जायगी? डॉक्टर: नही,पर दो फायदे जरुर होंगे... लम्बी जिन्दगी की चाहत खत्म हो जायेगी। बची जिन्दगी लम्बी लगने लगेगी।

    .....हंसने की आवाज...

    अब लीजिए पेश है, आज के प्रोग्राम का अंतिम और तीसरा जोक।

    बेटा: पापा एक बात बतानी है आपको। पापा: क्या? बेटा: मैंने फेसबुक पर लड़कियों के नाम से 10 फेक आईडी बना रखी हैं। पापा: तो मुझे क्यों बता रहा है नालायक? बेटा: वह जो आप बार-बार नेहा कटारिया को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज रहे हैं न, दरअसल वह मेरी ही फेक आईडी है। -

    हंसने की आवाज।

    जोक्स के बाद बारी है, सवाल जवाब की।

    दोस्तो, हमने पिछले प्रोग्राम में दो सवाल पूछे थे। पहला सवाल था...

    किसने हाल ही में एक करोड़ की सैलरी ठुकरा दी। सही जवाब है आइआइटी कानपुर के छात्रों ने

    दूसरा सवाल था--- किस देश के व्यक्ति ने प्यार का इजहार करने के लिए अनूठा तरीका अपनाया। सही उत्तर है जापान के एक युवक ने।

    इन सवालों का सही जवाब हमें भेजा है, उड़ीसा से सुरेश अग्रवाल, सऊदी अरब से सादिक आजमी, पश्चिम बंगाल से देवाशीष गोप और जमशेदपुर झारखंड से एस.बी.शर्मा आदि ने। आप सभी को बधाई । आगे भी हमारे सवाल सुनते रहिए।

    अब आज के सवालों की बारी है...पहला सवाल है, देर से मां बनने वाली महिलाओं का उनके होने वाले बच्चों पर क्या असर होता है।

    दूसरा सवाल है- अंजानी सड़क दुर्घटनाओं के लिए क्या चीज जिम्मेदार होती है।

    अगर आपको इनका जवाब पता है तो जल्दी हमें ई-मेल कीजिए या खत लिखिए।.....हमारा ईमेल है.. hindi@cri.com.cn, हमारी वेबसाइट का पता है...hindi.cri.cn.

    ...... अपने जवाब के साथ, टी-टाइम लिखना न भूलें। ........म्यूजिक........

    अनिलः टी-टाइम में आज के लिए इतना ही ...अगले हफ्ते फिर मिलेंगे.....चाय के वक्त......तब तक आप चाय पीते रहिए और सीआरआई के साथ जुड़े रहिए। नमस्ते, बाय-बाय, शब्बा खैर,चाइ च्यान.....

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