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    कार्यक्रमों पर श्रोताओं की राय
    2014-11-15 09:06:39 cri

     


    अनिल:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल पांडे का नमस्कार।

    वनिता:सभी श्रोताओं को वनिता का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिलः आज के प्रोग्राम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे। इसके बाद एक श्रोता के साथ हुई बातचीत के मुख्य अंश पेश किए जाएंगे।

    दोस्तो, आज का पहला खत भेजा हैं जगत किशोर सोलंकी ने। उन्होने हमें एक कविता भेजी है। जिसे हम अपने प्रोग्राम में शामिल कर रहे हैं।

    पर्व है पुरुषार्थ का

    दीप के दिव्यार्थ का

    देहरी पर दीप एक जलता रहे

    अंधकार से युद्ध यह चलता रहे

    हारेगी हर बार अंधियारे की घोर-कालिमा

    जीतेगी जगमग उजियारे की स्वर्ण-लालिमा

    दीप ही ज्योति का प्रथम तीर्थ है

    कायम रहे इसका अर्थ, वरना व्यर्थ है

    आशीषों की मधुर छांव इसे दे दीजिए

    प्रार्थना-शुभकामना हमारी ले लीजिए!!

    झिलमिल रोशनी में निवेदित अविरल शुभकामना

    आस्था के आलोक में आदरयुक्त मंगल भावना!!!

    वनिता:दोस्तो, आज का दूसरा खत आया है जमशेदपुर, झारखंड से सागरिका शर्मा का। लिखती हैं कि सीआरआई हिंदी सेवा के सभी भाई बहनों को नमस्कार। बहुत दिनों बाद पत्र लिखने का मौका मिला। पढाई का जोर बहुत है टयूशन और स्कूल के चलते मौका कम मिलता है। पर जब जब अवसर मिलता है, आपको पत्र लिखने की कोशिश करती हूं। वैसे रेडियो मैं प्रतिदिन सुनती हूँ। मैं ही नहीं मेरा पूरा परिवार एक साथ बैठकर सी आर आई सुनता है। सभी लोग आपके सभी कार्यक्रम सुनते है सन्डे की मस्ती , टी टाइम , आज का लाइफ स्टाइल चीन का भ्रमण और चीन का तिब्बत सहित आपका पत्र मिला कार्यक्रम हम खूब पसंद करते हैं। हम इन्हें कभी भी छोड़ते नहीं है यदि किसी कारणवस परिवार का कोई सदस्य इसे मिस कर देता है तो दूसरे सदस्य से पूछ लेता है कि आज के कार्यक्रम में क्या हुआ क्या बताया गया। अखिल और मीनू जी ने रविवार को एक घोड़े के मीठा पान खाने की आदत के बारे में रोचक जानकारी दी। घोडा भी पान का आदी है, यह सुनकर अच्छा लगा।

    अनिलः दोस्तो अगला खत आया है एस बी शर्मा का। लिखते हैं कि चीन की झलक कार्यक्रम में आपने सोमवार 13 अक्टूबर को इस्लाम धर्म में विश्वास करने वाले चीनी अल्प्शंख्यक उज्बेक जाति के रीति-रिवाज और उनके बच्चों की शादियों में अपनाये जाने वाले तौर तरीके के विषय में विस्तार से बताया। मुझे ख़ुशी हुई कि इन सब जानकारियो को इकट्ठा करने के लिए सी आर आई संवाददाता शिंच्यांग वेवुर स्वायत्त प्रदेश के काश्गर क्षेत्र स्थित शा चेह काउंटी निवासी अप्लाई मिकीती के घर पहुंचे। जहां अप्लाई मिकीती के घर उनकी छोटी बेटी मेरई की शादी हो रही थी। यह रिपोर्ट हमें हमें रेडियो और वेवसाईट के माध्यम से बताई गई। स्थानीय रीति-रिवाज के अनुसार शादी व्याह दुल्हन के घर पर किया जाता है , अतः अप्लाई मिकीती के सभी परिजन शादी की तैयारी में लगे हुए थे। दुल्हन साफ सुथरा लम्बा सफेद स्कर्ट पहनी हैं और सिर पर चमकदार सफेद पतला रेशमी स्कार्फ भी ओढ़ी हुई है। दुन्हन की दादी अपनी दुल्हन पोती को उपदेश देती है और दुल्हन सादगी से उपदेश सुनती है। दुल्हा सिर पर उजबेक जाति की विशेष फूलदार छोटी टोपी और कसीदा काढ़ा जातीय पोशाक पहनता है । सुख और खुशी से उसके चहरे पर मुस्कान नजर आती है शादी में लगभग बीस हजार युआन खर्च होते हैं। पर गांव की खर्चीले शदियों में शामिल नहीं है इसका मतलब यह हुआ कि यहाँ की शादियों में लोग इससे ज्यादा खर्च करते हैं। दूल्हे के घर दुल्हन को उसके रोजमर्रा का सामान दहेज़ के रूप में दूल्हा पक्ष लड़की के घरवालो को दिखाता है। जो दूल्हे के सम्पन्नता और दुल्हन के सुखी जीवन को दर्शाता है इस तरह की रोचक रीतिरिवाज को श्रोताओं तक पहुंचाने के लिए सी आर आई को बहुत बहुत धन्यवाद।

    वनिता:वे आगे लिखते हैं कि चीन के युन्नान प्रांत के य्वानमो काउन्टी में एक अनोखा मिट्टी का जंगल भी मौजूद है। इसे युन्नान के तीसरे जंगल के नाम से जाना जाता है जिसका निर्माण खुद-ब-खुद हुआ है। जो देखने में बहुत सुन्दर लगता है पहली नजर में यह दृश्य पूरी तरह मन मोहक लगता है लगता है। यह बिलकुल प्राकृतिक है, य्वानमो काउन्टी में स्थित यह मिट्टी का जंगल 50 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला है। यहां बुलन्द व रंग-बिरंगी सीधी मिट्टी के खम्भे भिन्न भिन्न रूपों में खड़े हैं, कुछ अकेले हैं और कुछ सामूहिक है येन बहुत ही आकर्षक दिखते है। इसके निर्माण के विषय में भू-वैज्ञानिकों का कहना है कि लगभग 15 लाख वर्ष पूर्व इस क्षेत्र में नदियां व झीलें जाल की तरह बिछी हुई थीं और यहां हरे-भरे जंगल व जानवरों के झुंड के झुंड नज़र आते थे। नदियों के लगातार बहने से पैंदी में गाद की मात्रा बढ़ती गई और परतों का रूप लेती गई। बाद में पृथ्वी की भूपृष्ठ ने नदी-तल व झील-तल को धकेलकर उन्हें छोटी पहाड़ियों में बदल दिया और अर्द्धउष्ण-कटिबन्धीय मानसून के कारण गरमियों में बरसात की भारी मात्रा ने धीरे धीरे इन छोटी पहाड़ियों को अपक्षरित कर वर्तमान रूप दे दिया। अति सुन्दर मनमोहक जगह का भ्रमण करने के लिए सी आर आई के चीन का भ्रमण और चीन का झलक कार्यक्रम तैयार करने वाली टीम को धन्यवाद।

    अनिलः दोस्तो, अगला खत आया है आरा, बिहार से राम कुमार नीरज का। लिखते हैं कि दुनिया के बदलते घटना क्रम के बीच ताजातरीन समाचारों में आपकी साइट पर लिली द्वारा सम्पादित रिपोर्ट भारत में खूबसूरत चीन यात्रा नामक गतिविधियां आयोजित पर एक खूबसूरत और विस्तृत रिपोर्ट पढ़ा,बेहद ख़ुशी हुई.प्रस्तुत रिपोर्ट के माध्यम से कोलकाता में 16 अक्तूबर की रात को खूबसूरत चीन यात्रा नामक रंगारंग गतिविधियां आयोजित होने के साथ साथ चीनी कुंफू प्रदर्शन और चीनी पर्यटन से संबंधित सवाल-जवाब का दौर चलने से सम्बंधित जानकारी भी बेहद पसंद आई।

    पिछले महीने ही भारत की यात्रा पर आये चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने कहा था कि वह तीन लक्ष्यों के साथ भारत आए हैं जिनका मकसद द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना और दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं के बीच मजबूत आपसी समझ निर्मित करना है.निसंदेह भारत में चीन से सम्बंधित प्रदर्शनी भारत चीन के संबंधों को मजबूत बनाने में एक सोपान की तरह है.विदित है कि भारत यात्रा के दौरान उन्होंने कहा था कि उनकी यात्रा का मकसद दोनों देशों के बीच की मैत्री को आगे बढ़ाना है. राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी और मोदी के साथ शी ने संवाददाताओं से कहा था कि , 'चीन और भारत दोनों प्राचीन सभ्यताएं हैं जिनके बीच हजारों सालों से मैत्रीपूर्ण संवाद रहा है. हम दोनों एक दूसरे की सभ्यता की सराहना और सम्मान करते हैं. यह महत्वपूर्ण है कि हम मैत्रीपूर्ण संबंधों को आगे बढ़ाएं और यह सुनिश्चित करें कि हम एक दूसरे से किए गए वादों को निभाएंगे.

    उम्मीद है संबंधों के इस नए सोपान को यूँ ही हम तय करते करते एक नए मंजिल को छूने में कामयाब होंगे.

    वनिता:दोस्तो, अगला खत आया है सऊदी अरब से, इसे भेजने वाले हैं सादिक आज़मी । लिखते हैं कि 15 अकतूबर की सभा मे ताज़ा समाचारों का जाएज़ा लेने के बाद अपना पसंदीदा कार्यक्रम आपका पत्र मिला का नया अंक सुना जिसे प्रस्तुत किया अनिल जी और वनीता जी ने । श्रोता भाईयों की प्रतिक्रियाओं से बहुत से अनुभव प्राप्त हुए एवं नरेन्द्र गुप्ता जी से लिया गया साक्षात्कार भी बहुत अच्छा लगा। उनका सीआर आई से ये लगाव हमारे लिये प्रेरणादायी है। अनिल जी ने उनके निजी जीवन से सम्बन्धित कई रोचक प्रश्न पूछे और गुप्ता जी ने भी खुले मन से अपने अनुभव हमसे साझा किये ।इस भेंटवार्ता हेतु अनिल जी का आभार ब्यक्त करता हूं ।

    अनिलः वे आगे लिखते हैं कि आज दिनांक 18 उक्तूबर की सभा में आपकी पसंद का नया अंक आश्चर्यचकित बातों का आईना लगा। फिल्मी गीतों के साथ बीच में दी जाने वाली जानकारी हैरान करने वाली थी । विशेषकर जापान के रेस्त्रां मे परोसे जाने वाले कीड़े मकोड़ों यहां तक कि सांप और बिच्छू से तय्यार व्यंजन और सूप की बातें । एक तरफ हम मानव आधुनिक जीवन मे ऐसी ऐसी चीज़े आविस्कार कर रहे हैं आकाश गंगा तक चीज़ों का पता लगाने मे सक्षम हैं तो वही दूसरी ओर कुछ ऐसा करजाते हैं जिससे मानव जाति ही शर्मशार हो जाती है और ये सब उसी का उदाहरण है कहना शायद गलत न होगा । पूर्व के इतिहास पर नजर डालें तो ग्रन्थों मे ऐसे लोगों को दानव राक्षष हैवान और न जाने क्या क्या कहते थे । पर जो भी हो रोचकता के हिसाब से रिपोर्ट अच्छी लगी और इसी प्रकार की अद्धभुत बातों का जिक्र इस प्रोग्राम को लोकप्रिय बनाता है।

    सुंदर प्रस्तुति हेतु हार्दिक साधुवाद।

    वनिता:दोस्तो, अगला खत आया है केसिंगा ओड़िशा से, इसे भेजने वाले हैं सुरेश अग्रवाल। लिखते हैं कि साप्ताहिक "चीन का तिब्बत" के तहत उत्तर-पश्चिमी चीन के कान्सू प्रान्त स्थित कान्नान तिब्बती स्वायत्त प्रीफेक्चर में थांगखा चित्रकला के विकास पर महत्वपूर्ण जानकारी हासिल की । मुझे वहां के मिडल स्कूल के एक अध्यापक माछाए छंग का थांगखा के प्रति प्रेम काफी प्रेरक लगा, क्यों कि बर्फ पर फिसल जाने पर उनकी एक टांग टूट गई, फिर भी उन्होंने स्कूल जाकर विद्यार्थियों को प्रशिक्षण देना बन्द नहीं किया। आखिर एक हज़ार साल पुरानी इस विधा को जीवित रखने का श्रेय ऐसे लोगों ही को तो जाता है। कार्यक्रम में 1967 में एक घुमन्तू चरवाहा परिवार में जन्में तिब्बती लेखक लॉन्गजेन् छिंग के बारे में दी गई जानकारी भी काफी सूचनाप्रद लगी। धन्यवाद।

    अनिलः वे आगे लिखते हैं कि साप्ताहिक "आज का लाइफ़ स्टाइल" सुना और तमाम महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल कीं। भारत सरकार पर्यटन मंत्रालय के पेइचिंग स्थित पर्यटन कार्यालय में निर्देशक दीपा लश्कर से श्री अखिल पाराशर द्वारा ली गई भेंटवार्ता सुन भारत के लोकप्रिय पर्यटन स्थलों और पर्यटन को बढ़ावा देने किये जा रहे प्रयासों पर महत्वपूर्ण जानकारी हासिल हुई। हेल्थकेयर में आहार में दो विपरीत वस्तओं का उपयोग कितना घातक हो सकता है, इससे आगाह करने हेतु हार्दिक आभार। फिर चाहे पूड़ी-दही; खाने के बाद मीठा; मछली-दही; खाने के साथ खट्टे फल; दूध और नमकीन; ठण्डे के साथ गर्म पेय हो या कि ख़रबूज़े और मूली के साथ दही लेने की बात, सब कुछ ज्ञानवर्धक लगा। हमने तो यह भी सुना है कि घी और शहद भी सममात्रा में लिया जाये, तो वह ज़हर बन जाता है। कॅरियर कॉर्नर में एजेन्सी अथवा डिस्ट्रीब्यूटरशिप व्यवसाय में कॅरियर की अच्छी सम्भावनाओं पर दी गई जानकारी भी उद्यमियों के लिये सफलता के नये द्वार खोलने वाली प्रतीत हुई। बॉलीवुड हंगामा में फ़िल्म "बैंग बैंग" के सीक्वल में भी काम करना चाहते हैं रितिक रोशन और इस शुक्रवार रिलीज़ होने वाली फ़िल्म "सोनाली" का प्रोमो सुनवाया जाना हमें सिनेमाघर की ओर जाने को मज़बूर करेगा। और हाँ, हर बार की तरह सवाल-ज़वाब का सिलसिला आज भी बेहतरीन रहा। वैसे यहाँ मैं आपसे अपनी यह गुज़ारिश अवश्य दोहराना चाहूँगा कि सवाल-ज़वाब के क्रम को अत्यधिक लम्बा न करें, अन्यथा श्रोताओं को ऊब होने लगेगी। मेरी राय में हर तीन महीने में सवाल-ज़वाब का नया चक्र शुरू किया जाना अच्छा लगेगा । आप चाहें, तो इस पर अन्य श्रोताओं की राय भी ले सकते हैं। धन्यवाद।

    वनिता:दोस्तो, आज का अंतिम खत आया है उ.प्र से अनिल कुमार द्विवेदी का। वे लिखते हैं कि चीनी वास्तुशैली के साथ दी गई यह जानकारी अत्यन्त सूचनाप्रद लगी कि चीन में भवन निर्माण का कार्य कोई आठ हज़ार साल पूर्व ही शुरू हो चुका था। चीन में काष्ठयुक्त निर्माण वास्तुशैली मिंग और छिंग राजवंशकाल में ही शुरू हो गई थी और और कोई दो हज़ार साल पूर्व चीनी कारीगरों ने इसमें पूरी तरह महारत हासिल कर ली थी।

    अनिलः वे आगे लिखते हैं कि इस परिप्रेक्ष्य में चीन में हुये अनेक ऐतिहासिक निर्माणों का भी ज़िक्र किया गया। विशेषकर, हन्नान प्रान्त में ईस्वी सन 583 में निर्मित समाधि पैगोड़े तथा सन 1139 और 1564 में बने ख़ास पगोडा के बारे में जान कर पता चला कि चीनी वास्तुशैली वास्तव में कितनी समृध्द है। कार्यक्रम में चीन की थूजा जाति की विशेष बुनाई कला; युन्नान प्रान्त की राजधानी खुनमिंग से कोई 110 किलोमीटर दूर स्थित मिट्टी के जंगल की अद्भुत संरचना तथा दक्षिण-पश्चिम चीन के सछवान प्रान्त में वधू ढूंढने एवं उनकी शादी की विचित्र रस्मों के बारे में जानकर तो मन में कौतूहल पैदा हुई।

    अनिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल पांडे और वनिता को आज्ञा दीजिए, नमस्कार

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