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    च्येन छ्वान म्युजियम समूह
    2014-10-21 09:55:19 cri


    अनिल:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल पांडे का नमस्कार।

    वनिता:सभी श्रोताओं को वनिता का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिलः आज के प्रोग्राम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे। इसके बाद एक श्रोता के साथ हुई बातचीत के मुख्य अंश पेश किए जाएंगे।

    दोस्तो, आज का पहला खत भेजने वाले हैं, जगत किशोर सोलंकी ने। वे लिखते हैं कि मैँ सीआरआई हिन्दी का एक पुराना श्रोता हूं,किसी कारणवश पत्र लिखने मेँ असमर्थ हूं,लेकिन सीआरआई का प्रसारण नियमित रूप से सुन रहा हूं,वेबसाईट भी रोज़ाना विज़िट करता हूं,आपकी नई वेबसाइट चाइना डॉट कॉम के लिए हार्दिक धन्यवाद एवं शुभकामना!

    वनिता:आज के प्रोग्राम में दूसरा पत्र हमें भेजा है पश्चिम बंगाल से विधान चंद्र सान्याल ने। लिखते हैं कि भारत विश्व का पहला ऐसा देश बन गया जिसने पहले ही प्रयास में मंगल पर पहुंचने मेँ सफलता पाई है। इस प्रकार , आज भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र मेँ इतिहास रच दिया है। गौरतलब है कि भारत, अमेरिका , रूस और यूरोप के बाद भारत चौथा देश है जिसने यह कामयाबी हासिल की है । इस सफलता के लिए मैं खुश हूं और वैज्ञानिककॉ को बधाई देना चाहता हूं ।

    अनिलः वे आगे लिखते हैं दुर्गापूजा के शुभ अवसर पर सी आर आई हिन्दी परिबार के सभी को शुभकामनाएं दे रहा हूँ । दुर्गापूजा बुराई पर सच्चाई , ईमानदारी और सदगुण की विजय का पर्व है। यह उत्सव हमें संयम एवं धैर्य के पथ पर आगे बढ़कर एक ऐसे समाज का निर्माण करने की सीख देता है जिसके शांति एवं सौहार्द की जीत होती है । दुर्गापूजा बंगाल मेँ बिशेष रूप से प्रसिद्ध है। दुर्गापूजा को लेकर बंगाल की सांस्कृतिक जड़ अत्यन्त गहरी और आस्था के प्रति सचेत है। दुर्गापूजा के अवसर पर हमारा इंडिया सी आर आई लिस्नर्स एसोसियेशन सी आर आई हिन्दी सेवा के प्रचार प्रसार के लिए बड़े उत्साह के साथ विशेष कार्यक्रमों की तैयारी में है। कार्यक्रम इस प्रकार है - 1) आगामी 28 सितम्बर को 25 गरीब लोगॉ को वस्त्र प्रदान किए जाएंगे। 2) सप्तमी यानि 1 अक्तूबर से दशमी यानि 3 अक्तूबर तक विभिन्न मंडप मेँ दर्शकॉ को बीच 5000 प्रचार पत्र वितरण । 3) अगले 23 अक्तूबर यानि दीपावली के दिन बालुरघाट मेँ श्रेष्ठ प्रतिमा , श्रेष्ठ पंडालों को पुरस्कार दिए जाएंगे। हमें विश्वास है कि इन कार्यक्रमों से आर आई हिन्दी सेवा के प्रचार प्रसार में एक बड़ी कामयाबी हासिल होगी । इसके लिए आपकी मदद की जरूरत है। धन्यवाद।

    वनिता:अगला खत भेजा है केसिंगा ओड़िशा से सुरेश अग्रवाल ने। वे लिखते हैं कार्यक्रम "मैत्री की आवाज़" के अन्तर्गत वर्ष 2014 चीन-भारत मित्रवत वर्ष के अवसर पर प्रसिध्द तबलावादक उस्ताद मुस्तफ़ा हुसैन से ली गई भेंटवार्ता सुन पता चला कि पूरे विश्व में लोग भारतीय शास्त्रीय संगीत के किस कदर दीवाने हैं। यह भी पता चला कि चीनी संगीत धुनें भारतीय संगीत के राग भोपाली से काफी मेल खाती हैं। अपनी बातचीत में मुस्तफ़ाजी ने कहा कि फ़िल्म "लव इन टोक्यो" में चीनी संगीत था, जब कि विशुध्द रूप से वह जापान पर बनी एक फ़िल्म है!

    अनिलः वे आगे लिखते हैं कि साप्ताहिक "चीन का तिब्बत" के तहत तिब्बती भाषा के महाकाव्य राज़ा केसर को सुनने का मौक़ा मिला। तिब्बती बौध्दधर्म में आत्मा के अवतार का नियम है और आज के कार्यक्रम में जिन राज़ा केसर काव्य गायक का परिचय कराया गया, उन्हें भी कुछ ऐसी ही अनुभूति का होना चकित करने वाला लगा । उच्चारण सम्बन्धी कठिनाई के चलते हम उनका नाम तो नोट नहीं कर पाये, परन्तु उनकी भावपूर्ण वाणी में हमने गायन को दिल में ज़रूर उतारा। पशुपालन से अपनी जीविका चलाने वाले राज़ा केसर गाने वाले उक्त महानुभाव अब तक कोई बीस पुस्तकें लिख चुके हैं और 118 पुस्तकें लिखने का काम पूरा करना चाहते हैं, इसी से उनका समर्पणभाव स्पष्ट हो जाता है। ख़ुशी की बात है कि राज़ा केसर की वीरगाथा को सन 2009 में यूनेस्को द्वारा अपनी ग़ैरसांस्कृतिक भौतिक विरासत सूची में शामिल कर लिया गया। कार्यक्रम में राज़ा केसर को राज़ा गेसार भी कहा गया, कृपया बतलाने का कष्ट करें कि इसका सही उच्चारण क्या है।

    कार्यक्रम "दक्षिण एशिया फ़ोकस" में पहले प्रयास में ही भारत के मंगलयान को मंगलग्रह पर पहुँचाने में मिली असाधारण सफलता पर भाई पंकज श्रीवास्तव द्वारा चंडीगढ़ से अन्तरिक्ष वैज्ञानिक डॉक्टर सन्दीप सहजपाल से ली गई भेंटवार्ता सुन बहुत सी नई बातों पता चला। यह जानकर आश्चर्य हुआ कि जहाँ पृथ्वी से सूर्य तक सन्देश को पहुँचने में कोई साढ़े आठ मिनट लगते हैं, वहीं धरती से मंगलयान तक संकेत बारह मिनट बाद पहुँचता है। धन्य हैं भारत के वैज्ञानिक, जिन्होंने औरों की विफलताओं से सबक सीख कर अपने मिशन को त्रुटिहीन बनाने में कामयाबी हासिल की। हमारे लिये यह तथ्य भी नया था कि इतने लम्बे अभियान के लिये मंगलयान के पास मात्र 825 किलोग्राम ईंधन था। वैसे यहाँ मैं आपकी जानकारी को ज़रा दुरस्त अवश्य करना चाहूँगा कि भारत ने अपना मंगलयान नवम्बर 5 को भेजा था, न कि दिसम्बर में। धन्यवाद।

    वनिताः नेक्स्ट लेटर हमें भेजा है, अनिल कुमार द्विवेद्बी ने। लिखते हैं कि बड़ी ख़ुशी की बात है की बहुत से लोग फिर से दुनिया देख सकते हैं.

    चीन और श्रीलंका के नेत्र-अस्पतालों और श्रीलंका नेत्र बैंक द्वारा आयोजित रोशनी यात्रा नाम की गतिविधि 25 सितंबर को संपन्न हुई। 13 सितंबर से शुरू हुई इस गतिविधि के दौरान चीनी चिकित्सा दल हर दिन 10 से 12 घंटों तक काम करते हुए श्रीलंकाई मरीज़ों की आंखों से मोतियाबिंद निकालने के 1000 ऑपरेशन पूरे कर चुका है, इससे 1000 श्रीलंकाई मरीज़ों की आंखों में रोशनी फिर से लौट आयी है

    अनिलः

    दोस्तो, अब पेश है पश्चिम बंगाल से रविशंकर बसु का खत। वे लिखते हैं कि सबसे पहले सी आर आई-हिन्दी सेवा के सभी कर्मचारियों को मेरा प्यार भरा नमस्कार। आशा है, आप सब सकुशल होंगे। इस साल भारत और चीन के बीच मैत्री आदान-प्रदान वर्ष है। वर्त्तमान में अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितियां तेज़ी से बदल रही हैं। चीन-भारत संबंध के सामने महत्वपूर्ण विकास के अवसर खड़े हैं।चीन-भारत संबंध का विकास करना और उसे मजबूत करना दोनों देशों की समान ऐतिहासिक जिम्मेदारी है। पिछले 17 सितंबर को चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग ने भारत की तीन दिवसीय राष्ट्रीय यात्रा की जो दोनों देशों के बीच व्यापक आवाजाही मजबूत करने के लिये अत्यन्त महत्वपूर्ण है। हम साधारण भारतवासी भारत-चीन संबंध को आगे बढ़ाना चाहिये। मैं हृदय से कामना करता हूं कि भारत-चीन द्विपक्षीय संबंध हमारे दोनों देशों के लोगों की प्रगति एवं समृद्धि के लिए हर क्षेत्र में समृद्ध हो। हिंदी चीनी भाई भाई। चीन भारत मैत्री जिंदाबाद।

    अनिलः अगला खत भेजा है मुहम्मद सादिक आज़मी ने। उन्होंने शी चिनफिंग जी की भारत यात्रा पर एक कविता लिखी है, अगर आपके पेज पर जगह मिल सके तो मैं अपने आपको खुशकिस्मत समझूंगा !

    नए युग की शुरूआत

    चीन भारत साथ साथ

    मिलकर करेंगे व्यापार

    सबको मिलेगा रोज़गार

    रेशममार्ग का होगा निर्माण

    चौतरफा होगा विकास

    प्रगति के खुलेंगे नए द्वार

    खुशियां आएँगी अपार

    नए युग की शुरूआत

    चीन भारत साथ साथ !

    वनिता:दोस्तो, अब समय हो गया है प्रोग्राम को आगे बढ़ाने का। नेक्स्ट खत हमें भेजा है एसबीएस वर्ल्ड श्रोता क्लब से एस बी शर्मा ने। वे लिखते हैं कि दक्षिण पश्चिम चीन के शू नान बांस समुद्र पर्यटन स्थल स छ्वान प्रांत के ई पिन शहर के उपनगर में अवस्थित है। इस बॉस समुद्र पर्यटन क्षेत्र का कुल क्षेत्रफल 120 वर्ग किमी. है ,जिसमें पांच सौ से अधिक ढलानों का क्षेत्रफल कोई 70 हजार से अधिक वर्गमीटर है और बेशुमार हरे भरे बांस ऊबड़ खाबड़ पांच सौ से अधिक ढलानों पर उगे हुए हैं। इस क्षेत्र का नाम बॉस समद्र इसलिए पड़ा क्योंकि जब ऊंचे पर्वत पर खड़े होकर नीचे देखते हैं तो एक अपार हरित बॉस का समुद्र मालूम पड़ता है, इसलिये इस क्षेत्र को बांस समुद्र की संज्ञा दी गयी है इस क्षेत्र में नान चू बांस पाया जाता है। जिसमें नर और मादा दोनों किस्में पायी जाती हैं नर और मादा बॉसों को पहचाना इस क्षेत्र के लोगो को मालूम है और वे आसानी नर बांस और मादा बांस को पहचान सकते हैं। यह जानकार बड़ी खुशी होती है कि यहां पर बांस की चौदह सौ प्रजातिया पायी जाती है यहाँ के बांस म्युजियम में 58 किस्मों वाले बांस देख सकते हैं

    अनिलः वे आगे लिखते हैं कि चीन के च्येन छ्वान म्युजियम समूह के विस्तार से जानकारी देने के लिए आपका शुक्रिया तीस हैक्टेयर में फैले इस म्यूजियम में कुल 25 प्रदर्शनी भवन , तीन समारक चौंक और एक होटल बना हुआ है। इसमें से आठ प्रदर्शनी भवन और दो स्मारक चौंक विधिवत रूप से पर्यटकों के लिये खोल दिए गए हैं। च्येन छ्वान म्यूजियम समूह में कुल बीस लाख से अधिक दुर्लभ वस्तुएं सुरक्षित रखी हुई हैं। इन वस्तुओं को कुल तीन खंडो में सजाया गया है, प्रथम खंड में मुख्य तौर पर द्वितीय विश्व युद्ध काल में चीनी युद्ध मौर्चों पर छोड़ी गयी यादगार वस्तुएं , जिनमें हथियार , सैनिक वस्त्र , पत्र व दस्तावेज और फोटो जैसी चीजें शामिल हैं , दर्शायी जाती हैं । जबकि दूसरे खंड में मुख्यतः चीनी मिट्टी बर्तन , और प्रचार प्रसार चित्रों जैसी कलात्मक कृतियां दर्शायी जाती हैं । ये वस्तुएं 1966 से 1976 तक के दौरान चीन के एक विशेष ऐतिहासिक काल में तैयार चीजें हैं । तीसरे खंड में तो चीनी लोकोचार व सांस्कृतिक कलात्मक वस्तुएं प्रदर्शित हैं , जिन में पुराने ढंग वाले फर्निचर और फोटो भी शामिल हैं ।च्येन छ्वान म्युजियम समूह की डिजाइनों में प्रसिद्ध चीनी डिजाइनर श्री शिंग थुंग हो , प्रसिद्ध जापानी भवन

    निर्माता अराटा इसोजाकी और अमरीकी राष्ट्रीय भवन निर्माता संघ के पूर्व

    अध्यक्ष चेस्टर विडोल जैसी हस्तियों के द्वारा बनाया गया हैं म्यूजियम

    के विषय में आपने विस्तार से हर दृष्टि कोण से बताया इसके लिए धन्यवाद

    वनिता:दोस्तो, अब पेश है दिल्ली के स्टार न्यूज़ एजेंसी से असलम ख़ान का खत। वे लिखते हैं कि लेख में लेखक के नाम के साथ 'स्टार न्यूज़ एजेंसी' ज़रूर दीजिएगा.

    अनिलः लेख विषय इस प्रकार है, लड़की छत पर टहल रही थी. मौसम ख़ुशगवार था. आसमान में काली घटायें छाई हुई थीं. ठंडी हवा चल रही थी. लगता था, कहीं दूर बारिश हो रही है. लड़की बेचैन थी. वह क्यों बेचैन थी, इसका जवाब वह ख़ुद भी नहीं जानती थी. बस वो भीगना चाहती थी. वह चाहती थी कि सारी घटा यहीं बरस जाए और उसका रोम-रोम बारिश में भीग जाए. बूंदों की ठंडक उसके जिस्म में समा जाए, उसकी रूह में उतर जाए. लेकिन किसी के चाहने से घटायें कहां बरसने वाली थीं. उन्हें जब और जहां बरसना होता है, वहीं बरसा करती हैं.

    वहीं कुछ दूर छत पर एक लड़का पतंग उड़ा रहा था. उसकी नज़र लड़की पर पड़ती है. न जाने क्या सोचकर लड़का पतंग की डोर एक बच्चे को पकड़ा देता है और ख़ुद लड़की को निहारने लगता है. शायद उसे लंबे बालों वाली लड़की अच्छी लगी थी. लड़की का सब्ज़ लिबास और हवा में लहराता उसका दुपट्टा उसे अपनी तरफ़ खींच रहा था. अचानक लड़की की नज़र उस लड़के पर पड़ती है. पहली ही नज़र में उसे लड़का अच्छा लगता है. उसने महसूस किया कि उसकी बेचैनी ख़त्म हो चुकी है. तभी बारिश होने लगती है और लड़की पानी की बूंदों को अपनी हथेलियों के कटोरे में भर लेना चाहती है. लड़का अब भी उसे निहार रहा है. लड़की को महसूस होता है कि अचानक सावन आग बरसाने लगा है, जिसमें वह झुलसती जा रही है. लड़की छत से नीचे उतर आती है. मौसम अब भी ख़ुशगवार है. बादल बरस रहे हैं और वो भीगना चाहती है, लेकिन छत पर जाना नहीं चाहती. उसे लगता है कि लड़के की नज़रों से यह सावन भी सुलगने लगा है.

    अनिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल पांडे और वनिता को आज्ञा दीजिए, नमस्कार।

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