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    चीन में पहला डाक टिकट
    2014-09-22 09:10:57 cri

     


    अनिल:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल पांडे का नमस्कार।

    वनिता:सभी श्रोताओं को वनिता का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिलः आज के प्रोग्राम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे। इसके बाद एक श्रोता के साथ हुई बातचीत के मुख्य अंश पेश किए जाएंगे।

    दोस्तो, आज का पहला खत भेजने वाले हैं, कोलसिया से राजीव शर्मा। वे लिखते हैं कि सीआरआई हिंदी के सभी मित्रों को नमस्कार। मैं काफी दिनों से रेडियो पर आपकी प्रस्तुति तो नहीं सुन सका हूं, लेकिन वेबसाइट पर रोज दिन में पांच बार भ्रमण करने आ ही जाता हूं। एक खास लगाव हो गया है आपकी वेबसाइट से। जब तक इसे न देख लूं, लगता है कि कोई बहुत जरूरी काम बाकी रह गया। एक खास बात आपको बतानी है। वेबसाइट पर चीन का तिब्बत लिंक मेरा सबसे पसंदीदा है। इन दिनों वह खुल नहीं रहा है। कृपया उसमें जल्द सुधार करें। आपकी जानकारी के लिए बताना चाहूंगा कि मैं एक ऑनलाइन लाइब्रेरी चलाता हूं, जिसका नाम गांव का गुरुकुल है। इसके ब्लॉग पर कई किताबें और उपयोगी जानकारी उपलब्ध है। आज मैं उस पर डॉ. गंगप्रसाद शर्मा जी की पुस्तक चीन की डायरी नाम से उस पर प्रकाशित की है। अगर समय मिले तो उसका अवलोकन कीजिए। नीचे लाइब्रेरी का लिंक दे रहा हूं, जिस पर आपको यह पुस्तक (चीन की डायरी: डॉ. गंगाप्रसाद शर्मा) मिल जाएगी।

    वनिता:आज के प्रोग्राम में दूसरा पत्र हमें भेजा है पश्चिम बंगाल से रविशंकर बसु ने। लिखते हैं कि मैं चाइना रेडियो इन्टरनेशनल का नियमित श्रोता हूं। मैं आपकी वेबसाइट खोलकर समाचार पढ़ता हूं और चीन के बारे में अन्य जानकारियां प्राप्त करता हूं। आपके तमाम कार्यक्रम हमारे क्लब सदस्यों के बीच काफ़ी लोकप्रिय है। मैं आपके "चीन का भ्रमण" कार्यक्रम को काफ़ी पसंद करता हूं। हर सोमवार को मैं सब कुछ छोड़ कर आपके कार्यक्रम को सुनता हूं। 18 अगस्त को "चीन का भ्रमण" प्रोग्राम सुना। श्याओ यांग जी द्वारा प्रस्तुत इस प्रोग्राम के माध्यम से चीन के च्यांगसू प्रांत का ऐतिहासिक एवं खूबसूरत शहर सूचओ के बारे में दी गई जानकारी काफ़ी रोचक और दिल को छूने वाली था। इस कार्यक्रम में सूचओ के सुहावना मौसम,सुंदर बागान,उत्कृष्ट पगोडा,नदियों,पालदार नावों,झीलों के अद्भुत सौंदर्य की जानकारी मनमोहक लगी। साथ ही मैडम श्याओ यांग जी ने इस प्राचीन सांस्कृतिक शहर के वर्णन के लिए जो कविताएं सुनाई, ऐसा लगा कि मैं सचमुच सूचओ में पहुंच गया। एक अच्छी प्रस्तुति के लिए धन्यवाद।

    अनिल:दोस्तो, अगला खत भेजा है बिहार से हेमंत कुमार ने।उन्होंने एक जोक हमें भेजा है, हालांकि हम इसे पहले भी शामिल कर चुके हैं, फिर भी हेमंत ने भेजा है तो पेश कर रहे हैं। जिसका विषय इस प्रकार है कि एक भारतीय यात्री जब जापान पहुंचा तो उसके जापानी मित्र ने पहली बार उसे जापानी शराब पीने के लिए पेश की। भारतीय यात्री ने पहला घूंट भरा ही था कि अचानक दीवारेँ लड़खड़ाने लगीँ। फर्श हिलने लगा। भारतीय यात्री घबराकर बोला- उफ! यह बहुत तेज शराब है, पहले ही घुंट ने यह हाल कर दिया। जापानी मित्र बोला- "फिक्र न करो दोस्त! इस गड़बड़ की वजह शराब नहीँ भूकम्प है"। इसके साथ साथ हेमंत ने एक सवाल भी पूछा है कि चीन का पहला डाक टिकट कब जारी हुआ था?

    वनिता:दोस्तो, चीन में पहला डाक टिकट छिंग राजवंश में जारी हुआ, जिसका नाम है बड़ा ड्रैगन टिकट। वर्ष 1878 छिंग राजवंश में सरकार ने पेइचिंग, थिएचिन, शांगहाई, यानथाई और यिंगखो आदि पांच चगहों पर डाक संस्थाएं स्थापित की। 15 अगस्त 1878 को बड़ा ड्रैगन नामक चीन का पहला डाक टिकट जारी हुआ। चीन में ड्रैगन शाही का प्रतीक है।

    अनिलः दोस्तो, अब पेश है उत्तर प्रदेश से अनिल कुमार द्विवेदी की कविता जिसका शीर्षक है खुश हूँ |

    जिंदगी है छोटी,

    हर पल में खुश हूँ

    काम में खुश हूँ

    आराम में खुश हूँ

    आज पनीर नहीं,

    दाल में ही खुश हूँ

    आज गाड़ी नहीं,

    पैदल ही खुश हूँ

    दोस्तों का साथ नहीं, अकेला ही खुश हूँ

    आज कोई नाराज है, उसके इस अंदाज से ही खुश हूँ

    जिस को देख नहीं सकता, उसकी आवाज से ही खुश हूँ

    जिसको पा नहीं सकता, उसको सोच कर ही खुश हूँ

    बीता हुआ कल जा चुका है,

    उसकी मीठी याद में ही खुश हूँ

    आने वाले कल का पता नहीं,

    इंतजार में ही खुश हूँ हंसता हुआ बीत रहा है पल,

    आज में ही खुश हूँ

    जिंदगी है छोटी,

    हर पल में खुश हूँ

    अगर दिल को छुआ,

    तो जवाब देना वरना बिना जवाब के भी खुश हूँ !

    वनिता:दोस्तो, अब समय हो गया है प्रोग्राम को आगे बढ़ाने का। नेक्स्ट खत हमें भेजा है नई दिल्ली से अमीर अहमद ने। वे लिखते हैं कि भारतीय उप संस्कृति मंत्री रविंद्र सिंह जी ने 2 सितंबर को विश्वास जताया कि रेशम मार्ग आर्थिक पट्टी और 21वीं सदी के समुद्री रेशम मार्ग का निर्माण आर्थिक, व्यापारिक और सांस्कृतिक समृद्धि बढ़ाएगा। ये सुनकर बहुत ख़ुशी हुई ।मालूम हुआ कि दो सितंबर को पश्चिमी चीन के शिन च्यांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश की राजधानी उरुमूछी में रविंद्र सिंह जी ने स्वायत्त प्रदेश के उपाध्यक्ष एर्किन टुनियाज के साथ बातचीत की थी। बिलकुल ही सही बात है जो एर्किन टुनियाज जी ने बताया था कि भारतीय संस्कृति और शिन च्यांग की संस्कृति में बहुत समानताएं हैं। मैं पूरी तरह सहमत हूँ मैंने खुद शिन च्यांग की संस्कृति को देखा है बिल्कुल सही बात है संस्कृति मिलती जुलती है। साथ है वहां का भोजन भी भारत से मिलता जुलता है। मुझे विश्वास है कि भारतीय लोग सिंच्यांग की यात्रा करेरंगे क्योंकि वह बहुत ही सुन्दर है। अगले वर्ष फरवरी में भारत में समुद्री सिल्क रोड से संबंधित कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे ये जानकर बड़ी ख़ुशी हुई। ताकि अधिकाधिक भारतीय चीनी संस्कृति और नये सिल्क रोड के बारे में जान सकें।आशा है इससे अधिक लोग चीन की यात्रा करेंगे।

    अनिलः दोस्तो, सऊदी अरब से मुहम्मद सादिक आज़मी ने हमें मेरी नज़र में सी आर आई और चीन शीर्षक एक विशेष लेख भेजा, जिसका विषय इस प्रकार है, विगत दिनों आपकी वेबसाइट पर ल्यू ली छांग सांस्कृतिक सड़क के विषय पर रोचक लेख पढ़ने को मिला और जाना कि यह सड़क चीनी की राजधानी पेइचिंग शहर के थ्येन आन मन चौंक के दक्षिण पश्चिम भाग में स्थित हो फिंग गेट के बाहर अवस्थित है , पेइचिंग शहर के केंद्र में स्थित थ्येन आन मन चौंक से कार पर सवार होकर यहां पहुंचने में केवल बारह पंद्रह मिनट लगती है और यह सड़क पेइचिंग शहर की सब से रौनकदार सांस्कृतिक सड़कों में से एक है , चीन की जितनी भी प्राचीन मूल्यवान कलात्मक कृतियां इसी सांस्कृतिक सड़क पर देखी जा सकती हैं । श्री चन वन एक मीडिल स्कूल का एक अध्यापक हैं और वे इस सड़क पर दसियों सालों तक रह चुके हैं । इसलिये वे इस प्रसिद्ध सांस्कृतिक सड़क से बिल्कुल वाकिफ हैं । उन्हों ने इस सड़क के इतिहास का परिचय देते हुए कहा कि क्योंकि शुरू में यहां पर पत्थर की एक भट्टी थी , इसलिये इस सड़क का नाम इसी भट्टी में तैयार खपरैल के नाम से लिया गया और अभी तक इसी नाम से नामी रही है । इस रोचक जानकारी हेतु आपका आभारी हूं । धन्यवाद

    वनिता:दोस्तो, अब पेश है पश्चिम बंगाल से बिधान चंद्र सान्याल का खत। लिखिते हैं कि सी आर आई हिन्दी की 55वीँ बर्षगांठ के शुभ अवसर पर सी आर आई हिन्दी परिबार के सभी को मेरी ओर से ढेर सारी शुभकामनाएं । हर रोज सी आर आई हिन्दी प्रसारण सुनना मेरा नियमित अभ्यास बन गया है । एक दिन कभी सुन न पाए तो मन खराब हो जाता है । सी आर आई हिन्दी वेबसाइट भी बहुत आकर्षक हो गयी है। मै हर रोज वेबसाइट भी विजिट कर रही हूं । राजनीति , खेल , बिज्ञान हो या मनोरंजन सी आर आई हिन्दी सभी बिषयॉ पर नई नई जानकारियां लेकर हाजिर होता है । ताजा खबर पेश करने मेँ तो वह एक ऐसी खुली खिड़की है। जिसके जरिए हम चीन को बहुत पास से और अच्छी तरह से देखता हूं।। 55 साल के सी आर आई के सफर मेँ कोई बदलाव आए । कई आवाज बदली , बहुत कुछ नया देखने को मिला । सालॉ के इस सफर मेँ अगर कुछ नही बदला तो वह है सी आर आई का प्यार और सी आर आई से हमारा अटूट रिश्ता , जो आज भी नये दिन की शुरुआत

    के लिए एक नई उमंग लिए हमेशा हमारे साथ है ।

    अनिलः दोस्तो, अब पेश है एसबीएस वर्ल्ड श्रोता क्लब से एस बी शर्मा का खत। वे लिखते हैं कि साप्ताहिक चीन की झलक में नहर यात्रा का सुन्दर विवरण प्रसारित किया गया जो बहुत पसंद आया यह मानव निर्मित सबसे पुराना जल मार्ग है। ईसा पूर्व 486 में उत्तरी चीन के अन्य राज्यों पर अपना आधिपत्य स्थापित करने के लिए दक्षिण-पूर्व चीन में ऊ राज्य के राजा फ़ूछाए ने छाडंच्याडं और ह्वाएहो नदियों को काट कर उत्तर की तरफ़ जाने वाली एक नहर खोदने का आदेश दिया। जिसे बाद में शताब्दियों में इस महानहर को और सीधा गहरा और चौड़ा किया गया जो एक बढ़िया जलमार्ग में तब्दील हो गया इस लेख में महा नहर के पूर्ण इतिहास का विवरण दिया गया । इस नहर पर कई शहर स्थापित किये गए। जहां से नमक, चाय, सिल्क, चीनी , तांबे की वस्तुओं, फर्निचर और लाख की वस्तुओं का व्यापार होता था । इसी जल मार्ग से विदेशी भूषणों, दवाओं और मसालों का व्यापर किया जाता था इस नहर के किनारे अनेक मनोरंजक शहर स्थापित किये गए महानहर याडंचओ शहर से निकलकर काओपाओ झील के उत्तर में बहती है इसी क्षेत्र में कओयो का क्षेत्र जो भूरी बत्तखों और बत्तख के अंडों के लिए प्रसिद्ध है। काओयो बत्तख जल्दी बढ़ती है, मोटा खाना खा सकती है, और अपना बचाव खुद कर सकती है। यह दो या चार जरदियों वाले अंडे देती है। काओयो की बत्तख के नमकीन अंडे रंग और स्वाद दोनों में आकर्षक होते हैं।

    वनिता:दोस्तो, अब पेश है केसिंगा ओड़िशा से सुरेश अग्रवाल का खत। लेखिते हैं कि 3 सितम्बर को हमने साप्ताहिक "आपका पत्र मिला" के तहत विभिन्न कार्यक्रमों पर श्रोताओं से मिली बेशक़ीमती राय सुनने का लाभ भी उठाया। लगता है कि अब ज़्यादातर श्रोता रेड़ियो सुन कर राय भेजने के बजाय सीआरआई हिन्दी की वेबसाइट देख अपनी प्रतिक्रिया भेजते हैं। इसलिये आपसे गुजारिश है कि शॉर्टवेव के साथ-साथ अब वेबसाइट के ज़रिये भी ताज़ा प्रसारण आरम्भ करने का कष्ट करें, ताकि आधुनिक तकनीक का लाभ उठाते हुये सीआरआई के श्रोताओं की संख्या में बढ़ोत्तरी सम्भव हो। आशा है कि इस पर अवश्य गौर फ़रमाएंगे।

    अनिलः वे आगे लिखते हैं कि श्रोताओं से बातचीत क्रम में आज रेड़ियो को समर्पित रायपुर, छत्तीसगढ़ के स्वनामधन्य श्रोता भाई अशोक बजाज से ली गई भेंटवार्ता काफी प्रेरक लगी। मैं हर उस प्रयास को सैल्यूट करता हूँ, जो कि रेड़ियो को बचाने के लिये होता है और भाई अशोक उन्ही प्रयासों का एक हिस्सा हैं, इसलिये मैं ह्रदय से उनका वन्दन करता हूँ। बातचीत के तुरन्त बाद सम्पर्क स्थापित कर मैं उनका आभार प्रकट करता, यदि उनका कोई सम्पर्क-सूत्र मुझे उपलब्ध होता। वैसे रायपुर मुझ से कोई दो सौ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और दूरी अधिक न होने के कारण उम्मीद है कि कभी भी उनसे मिलना सम्भव है। धन्यवाद एक सार्थक भेंट के लिये।

    अनिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल पांडे और वनिता को आज्ञा दीजिए, नमस्कार।

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