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    शिक्षक दिवस
    2014-09-15 09:23:59 cri

     


    अनिल:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल पांडे का नमस्कार।

    वनिता:सभी श्रोताओं को वनिता का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिलः आज के प्रोग्राम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे। इसके बाद एक श्रोता के साथ हुई बातचीत के मुख्य अंश पेश किए जाएंगे।

    दोस्तो, गत पांच सितंबर को भारत में शिक्षक दिवस मनाया गया। देशभर में इस मौके पर तमाम कार्यक्रम आयोजित किए गए। वैसे विभिन्न देशों में शिक्षक दिवस मनाने की परंपरा बीसवीं सदी से शुरू हुई। विभिन्न देशों में इसे अलग-अलग दिन मनाया जाता है। इसके पीछे किसी महान शिक्षाविद का जन्मदिन या उससे जुड़ी हुई घटना को माना जाता है। भारत में 5 सितंबर को मनाए जाने के पीछे भारत के दूसरे राष्ट्रपति और शिक्षाविद डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिन को टीचर्स डे के रूप में मनाया जाता है। इस बार का शिक्षा दिवस भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देशभर के बच्चों से सीधे संवाद किए जाने और भाषण दिए जाने को लेकर अधिक चर्चा में रहा है। हालांकि इसको लेकर विवाद भी हुआ, जो भारत की राजनीति में कोई नया नहीं है। भारत के अलावा चीन में 10 सितंबर को चीन में शिक्षक दिवस मनाया जाता है। चीन में वर्ष 1985 में पहली बार टीचर्स डे मनाया गया, इसके बाद हर साल 10 सितंबर को इसे मनाया जाता है। वहीं ऑस्ट्रेलिया में टीचर्स डे अक्टबूर महीने के अंतिम शुक्रवार को होता है, थाइलैंड में 16 जनवरी। अमेरिका में मई महीने के पहले मंगलवार को अध्यापकों को सम्मानित किया जाता है। जबकि श्रीलंका में 6 अक्टूबर को। इसी तरह अन्य देशों में भी अलग-अलग दिन मनाया जाता है। हम चीन और भारत के शिक्षक दिवस पर सभी शिक्षकों को शुभकामनाएं देते हैं।

    टीचर्स डे पर जानकारी के बाद शुरू करते हैं, आज के प्रोग्राम में पत्र पढ़ने का सिलसिला।

    आज का पहला खत हमें भेजा है, जमशेदपुर, झारखंड से एस बी शर्मा ने। लिखते हैं कि चीन का भ्रमण कार्यक्रम में चीन की राजधानी पेइचिंग के बारे में तमाम जानकारी पहले भी दी जा चुकी है। लेकिन आज आधुनिकता के साथ इसके इतिहास और सांस्कृतिक परम्परा के बारे में बताया गया। आपने पेइचिंग की एक प्रसिद्ध सड़क ल्यू ली छांग पर विस्तार से बताया इससे हमें इस सड़क के इतिहास के विषय में विस्तार से पता चला। यह सड़क एक सांस्कृतिक धरोहर है और पेइचिंग की सबसे रौनकदार सांस्कृतिक सड़कों में से एक है। चीन की कई प्राचीन मूल्यवान कलात्मक कृतियां यहां पर देखी जा सकती हैं। इस सड़क के इतिहास के बारे में कहा जाता है कि शुरू में यहां पर पत्थर की एक भट्टी थी। इसलिये इस सड़क का नाम इसी भट्टी में तैयार खपरैल के नाम से लिया गया और अब तक इसी नाम से जाना जाता है।

    वनिता:वे आगे लिखते हैं कि ल्यू ली छांग सड़क का पुराना नाम हाई वांग था आज की ल्यू ली छांग सड़क वास्तव में 1980 के दशक में बनी। इससे इस सड़क का क्षेत्रफल बढ़कर दुगना हो गया। यह सड़क पूर्वी व पश्चिमी दो भागों में बंटी है और इसकी लम्बाई 750 मीटर है। सड़क के दोनों किनारों पर खड़े सभी मकान चीन की पुरानी वास्तुशैली से युक्त हैं। वे अंदर व बाहर से पत्थर व लकड़ी की अत्यंत सूक्ष्म तराशी से सुसज्जित हैं। इनमें छिंग राजवंश के अंतिम काल की पेइचिंग की दुकानों की परम्परागत शैली देखने को मिलती है।

    अनिलः आज के प्रोग्राम में दूसरा पत्र हमें भेजा है पश्चिम बंगाल से बिधान चंद्र सान्याल ने। लिखते हैं कि मुझे "सेतु संबंध " के अंक 4 मिल चुके हैं। इतने कलारफुल रोचक और ज्ञानबर्धक जानकारी समेत त्रैमासिक मिलने पर बहुत अच्छे लगा ।मुझे इस त्रैमासिक मेँ लिखी गयी इस बाते - "राष्ट्रॉ के बीच शांति और सौहार्द बढ़ाने का सेतु ....!!!" बहुति अच्छा लगा । बास्तब मे आज बड़ी खुशी की बात है कि भारत और चीन का संबंध लगातार सुधरने के साथ दोनॉ देशॉ की दोस्ती दिन ब दिन गहरी होती जा रही है । पेपर और प्रच्छद का जितने भी प्रशंसा कि जाए ये कम होगी । हर लेख मेँ भारत व चीन के भिन्न भिन्न जानकारी दी गयी है जो पढ़ने से आम जानकारी प्राप्त कर सकते हैँ । यह त्रैमासिक पढ़कर हर पाठक न सिर्फ़ भारत के राजनीति व सँस्कृति तथा चीन भारत रिस्ते , चीनी संस्कृति और स्बादिष्ट चीनी ब्यंजन , भारत व चीन के आर्थिक बिकास आदि जानकारी ले सकते है । इसके साथ साथ इस त्रैमासिक मेँ भारत और चीन के बीच सांस्कृतिक आदान प्रदान का परिचय देने भी प्रयास किया गया है । लेकिन सेतु संबंध त्रैमासिक मेँ सी आर आई श्रोता पाठकॉ और सेतु संबंध की पाठकॉ को कोई स्थान न देना दुःखद के बात है । मुझे बिश्वास है कि अगले अंक मेँ पाठकॉ की मतामत जरूर प्रकाश करने की कौशिश करेंगे ।यदि पत्र का कोई बात ठीक न हो , तो मुझे बताइए । बहुत बहुत शुभ कामनाएं

    वनिता:वे आगे लिखते हैं कि स्वप्नलोक जैसे चीन के प्रमुख ऐतिहासिक शहर सूचो के बारे मेँ 12 फोटो के साथ महत्वपूर्ण जानकारी देने के लिए सी आर आई हिन्दी सेवा को बहुत बहुत धन्यबाद । फोटो और वर्णन से जो ख्याल दिलो दिमाग मेँ घूम रहा है। इस भ्रमण ने हम पर गहरी छाप छोड़ी है।

    अनिलः दोस्तो, अगला खत भेजा है पश्चिम बंगाल से असीम जे. घोष ने। वे लिखते हैं कि सीआरआई हिंदी विभाग के एक पुराने और नियमित श्रोता होने के नाते मुझे यह जानकर ख़ुशी हुई कि देवशंकर चक्रवर्त्ती जी सीआरआई हिंदी विभाग के प्रचार-प्रसार अभियान में पिछले कई वर्षो से रवि शंकर बसु जी के साथ जुड़े हुए हैं। देवशंकर जी के नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर स्थित दुर्गम बाबा अमरनाथ धाम में विशेष प्रचार अभियान प्रशंसनीय है। यह बात सच है कि देवशंकर चक्रवर्त्ती जी एक अहिन्दी भाषी श्रोता हैं फिर भी उनकी भेंटवार्ता सुनकर पता चला कि उन्हें सीआरआई-हिंदी सेवा से कितना प्यार है। उनकी बंग्ला मिश्रित हिन्दी सुनने में बहुत ही मीठी लगी। मैं तहे दिल से सीआरआई को धन्यवाद देता हूं क्योंकि आप पश्चिम बंगाल के अहिन्दी भाषी श्रोताओं को भी अपने प्रोग्राम में जगह देते हैं।

    वनिता:वे आगे लिखते हैं कि 20 अगस्त, 2014 को साप्ताहिक "आपका पत्र मिला" कार्यक्रम रेडियो पर सुना। प्रोग्राम के पहले भाग में श्रोताओं की प्रतिक्रियाओं के बाद दूसरे भाग में पश्चिम बंगाल के हुगली स्थित न्यू हराइज़न रेडियो लिस्नर्स क्लब के देवशंकर चक्रवर्त्ती के साथ अनिलजी की बातचीत सुनी, बेहद अच्छा लगी।

    अनिलः दोस्तो, अब पेश है पश्चिम बंगाल से ही रविशंकर बसु का पत्र। वे लिखते हैं कि मैं "चीन का भ्रमण" कार्यक्रम काफ़ी पसंद करता हूं। हर सोमवार को मैं सब कुछ छोड़ कर आपके कार्यक्रम को सुनता हूं। दिनांक 18 अगस्त यह प्रोग्राम सुना। मैडम श्याओ यांग जी द्वारा प्रस्तुत इस प्रोग्राम के माध्यम से चीन के च्यांगसू प्रांत का ऐतिहासिक एवं खूबसूरत शहर सूचओ के बारे में दी गई जानकारी काफ़ी रोचक और दिल को छूने वाली थी। इस कार्यक्रम में सूचो के सुहावने मौसम,सुंदर बागान,उत्कृष्ट पगोडा,नदियों,पालदार नावों,झीलों की अद्भुत सौंदर्य की जानकारी मनमोहक लगी। साथ ही श्याओ यांग जी ने इस प्राचीन सांस्कृतिक शहर का वर्णन करने के लिए जो कविताएं सुनाई, ऐसा लगा कि मैं सचमुच सूचओ पहुंच गया। एक अच्छी प्रस्तुति के लिए धन्यवाद।

    वनिता:दोस्तो, अब पेश है बिहार से हेमंत कुमार का खत। वे लिखते हैं गत् 12 अगस्त को शाम की सभा मेँ प्रस्तुत कार्यक्रम-'टी टाइम' मेँ पिछले दिनोँ भारत के प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट प्राण कुमार शर्मा के निधन का समाचार सुनकर दुख हुआ। लेकिन इस महान कार्टूनिस्ट की यादेँ हमेशा रहेंगी। तथा इंदौर की शिक्षिका अहिल्या कश्यप का विद्यालय से 23 सालोँ तक लगातार अनुपस्थित रहने की घटना शिक्षा विभाग की उदासीनता का परिचायक है। साथ ही फेसबुक कंपनी द्वारा बिना इंटरनेट के द्वारा चलने वाले इंटरनेट 'एप्प' लांच करने संबंधी जानकारी रोचक लगी। और हेल्थ टिप्स मेँ विटामिन-डी की कमी से होने वाले पागलपन का खतरा चौँकाने वाली लगी। साथ ही कई हसगुल्लोँ की प्रस्तुति मनोरंजक लगी। बेहतर प्रस्तुति के लिए धन्यवाद!

    अनिलः दोस्तो, अब समय हो गया है प्रोग्राम को आगे बढ़ाने का। नेक्स्ट खत हमें भेजा है इलाहाबाद से रवि श्रीवास्तव ने। वे लिखते हैं कि सी आर आई की प्रतियोगिता के सभी विजेता मित्रों को हार्दिक बधाई! संभवतः सीआरआई एक मात्र ऐसा प्रसारण संस्थान है जो अपने श्रोताओं के उत्साहवर्धन हेतु मासिक रूप से इस तरह की पुरस्कारी योजनाओं का संचालन करता है। नए-पुराने श्रोताओं की बराबर भागीदारी के साथ उच्च मानकों को स्थापित करते हुए नित नई जानकारियों से अवगत कराता है। एक बार पुनः कोटिशः धन्यवाद!

    वनिता:दोस्तो, अगला खत भेजा है जिंदल सिटी, कुरुक्षेत्र से विनय गोयल ने। वे लिखते हैं कि रेडियो चाइना की हिंदी वेबसाइट को देखने पर पता चला की इस पर ढेरों जानकारिया है.जो भारत व चीन के मजबूत होते हुए सम्बन्धों की जानकारी देती हैं। एक अध्यापक होते हुए भारत व चीन के सम्बन्धों के बारे में जानने में सदा ही रूचि रही है. भारत व् चीन मैत्री क्लब की स्थापना करना चाहता हूँ। इसके लिए आपसे सहयोग की अपेक्षा है. डाक टिकट क्लब की स्थापना भी संस्थान में की है. यदि संभव हो सके तो चीन के कुछ डाक टिकट भेंजें। धन्यवाद।

    अनिलः दोस्तो, अब पेश है केसिंगा ओड़िशा से सुरेश अग्रवाल का खत। वे लिखते हैं कि 22 अगस्त को ताज़ा अन्तराष्ट्रीय समाचारों में देश-दुनिया के हालात का ज़ायज़ा लेने के बाद हमने साप्ताहिक "चीन का तिब्बत" के तहत गत 12-13 अगस्त को तिब्बत की राजधानी ल्हासा में सम्पन्न चीनी-तिब्बत विकास मंच पर ज़ारी विज्ञप्ति पर पेश महत्वपूर्ण रिपोर्ट सुनने को मिली। मंच में पधारे तमाम देशों के प्रतिनिधियों द्वारा तिब्बत के पारिस्थितिकी और आर्थिक विकास पर महत्वपूर्ण सुझाव पेश किये गये। विशेषकर, आयरलैण्ड और ऑट्रेलियायी प्रतिनिधियों द्वारा तिब्बत की विशेष पारिस्थितिकी के मद्देनज़र उसी के अनुरूप उद्योग विकसित कर उसकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने सम्बन्धी दिया गया सुझाव प्रशंसनीय लगा। वैसे भी चीन सरकार की चीनी विकास परिषद द्वारा सन 2009-10 से ही तिब्बत के विकास पर काफी ध्यान दिया जा रहा है और अब तक कोई चार अरब बियासी करोड़ युआन से अधिक की धनराशि इस पर ख़र्च की जा चुकी है। वैसे भी कुदरत ने तिब्बत को इतना समृध्द बनाया है कि उसकी नैसर्गिकता को नुकसान पहुँचाये बिना भी उसकी आर्थिक समृध्दि सम्भव है। कार्यक्रम के अगले भाग में छिंगहाई-तिब्बत पठार पर स्थित चांग्मू कस्बे के रास्ते चीन और नेपाल के बीच होने वाले व्यापार को भूस्खलन के कारण होने वाले नुकसान पर दी गई जानकारी काफी सूचनाप्रद लगी। ख़ुशी की बात यह है कि इस अहम भूमार्ग पर भूस्खलन समस्या के स्थायी समाधान हेतु चीन सरकार द्वारा कोई तीन अरब अस्सी करोड़ युआन की लागत से एक भूस्खलनरोधी महती परियोजना शुरू की जा रही है, जिसके पूरा होने पर हर मौसम में दोनों देशों के बीच व्यापार और आवाजाही निर्बाध रूप से हो सकेगी।

    वनिता:वे आगे लिखते हैं कि 25 अगस्त को पेश साप्ताहिक "चीन का भ्रमण" के तहत आज चीन की राजधानी बीजिंग के रौनकदार क्षेत्र में स्थित कोई तरह सौ साल पुराने पायम मठ और ईस्वी सन 304 में निर्मित सुप्रसिध्द थांचो मन्दिर की सैर बहुत मनोरम लगी। कोई 6700 वर्गमीटर क्षेत्र में फैले पायम मठ में सहस्र हाथ और आँखों वाली विशाल कांस्य बौध्द मूर्ति, जिससे हमेशा पानी टपकता रहता है, के बारे में जान कर मन में कौतूहल जगा कि ऐसी अलौकिक प्रतिमा का अविलम्ब दर्शन किया जाये। वहां खिले लौंग-फूल और सन 1924 में कवीन्द्र रवीन्द्रनाथ ठाकुर द्वारा वहां जाकर कविता लिखने के बारे में जान कर मन गदगद हो उठा। कभी मौक़ा मिला,तो वहां के लौंग-फ़ूल कविता सम्मेलन का साक्षी अवश्य बनना चाहूँगा।

    साथ ही आगे लिखा है कि... समाचारों के बाद साप्ताहिक "चीन का भ्रमण" से पूर्व आज 8 से 21 सितम्बर तक चलने वाली विशेष श्रृंखला "चीन-भारत मैत्री पुल के निर्माता" की पहली कड़ी सुनी, जिसमे इसी माह शुरू होने वाली चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की भारत यात्रा की चर्चा के बाद ईस्वी सन 413 में महान चीनी भिक्षु फाशेन की समुद्री ज़हाज़ से श्रीलंका और भारत से चीन लौटते समय की कठिन यात्रा का का वृत्तांत सुनाया गया। हिचकोले खाते ज़हाज़ का वज़न कम करने तमाम यात्रियों ने अपना सामान समुद्र में फेंकना शुरू किया, तो भिक्षु फाशेन ने भी अपना पूरा सामान समुद्र में फेंक दिया, बस अपने पास बचा कर रखी तो एक पोटली, जो कि उन्हें प्राणों से भी प्यारी थी-पोटली में बौध्द-ग्रन्थ जो थे । चीन-भारत और चीन-श्रीलंका मैत्री को समर्पित फाशेन के बारे में बहुत कुछ बतलाया गया, परन्तु उच्चारण सम्बन्धी कठनाई के चलते काफी बातें समझ में नहीं आयीं, जिसका मुझे खेद है।

    कार्यक्रम "चीन का भ्रमण" के तहत दक्षिण-पश्चिम चीन के युन्नान प्रान्त स्थित मशहूर पत्थरों का जंगल क्षेत्र की सैर और कोई सत्ताईस करोड़ साल पूर्व भूगोलीय संरचना में परिवर्तन के कारण समुद्र से पाषाण जंगल बने उक्त क्षेत्र की दिलचस्प कहानी सुनाई गई। शिलिंग काउन्टी के पत्थर जंगल रमणीय स्थल के विकास कार्यों की चर्चा के अलावा वहां रहने वाली ई-जाति की सान शाखा और वहां की सबसे ऊँची चोटी आसमा से जुडी कहानी भी बहुत दिलचस्प लगी। आसमा वहां सुन्दर लड़की को कहते हैं और आसमा एवं आहे की प्रेमकहानी के चलते ही चोटी का नाम आसमा पड़ा। स्थानीय ज़मीनदार आसमा की शादी अपने पुत्र से करना चाहता था और उस ने लड़की का अपहरण भी कर लिया था, परन्तु आहे द्वारा उसे मुक्त करा लेने के बाद ज़मीनदार ने आहे-आसमा दोनों को डुबो कर मार दिया और आसमा ने चोटी का रूप धारण कर लिया । धन्यवाद।

    अनिलः दोस्तो, आज का अंतिम खत पेश है दिल्ली से राम कुमार नीरज का। लिखते हैं कि आपका इंटरनेट संस्करण समाचार की दुनिया में बड़ी तेजी से बदलता हुआ एक ऐसा आयाम है जिसका कोई जवाब नहीं है.आज भारत से बाहर चीन की धरती से हिंदी का इस कदर प्रचार प्रसार दोनों देशों के लिए एक महत्वपूर्ण ब्रिज का काम करता है जिसके सहारे भारत चीन के बदलते आयाम को करीब से देखा और समझा जा सकता है.आपकी साइट पर चीन भारत स्तम्भ पर 'चीन और भारत को शांति, सहयोग और समावेशी विकास पूरा करना चाहिए' पर विस्तृत रिपोर्ट पढ़ा और एक विस्तृत समीक्षा से अपने आप को रोक नहीं पाया.

    उम्मीद है आने वाले समय में कुछ और रुचिकर और मनोरंजक रिपोर्टें देखने और पढ़ने को मिलती रहेंगी.

    धन्यवाद।

    अनिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल पांडे और वनिता को आज्ञा दीजिए, नमस्कार।

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