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    संडे की मस्ती 2014-08-10
    2014-08-13 14:57:38 cri

    हैलो दोस्तों... नमस्कार...नीहाओ...। आपका स्वागत है इस चटपटे और laughter से भरे कार्यक्रम सण्डे की मस्ती में। मैं हूं आपका दोस्त और होस्ट अखिल पाराशर।

    दोस्तों, आज का हमारा कार्यक्रम है बेहद ख़ास क्योंकि आज है भाई-बहन के प्यार का त्यौहार यानि रक्षाबंधन। इस मौके पर आज हम अपने कार्यक्रम में सुनवाएंगे रक्षाबंधन स्पेशल सोंग्स, सुनवाएंगे चीन में रहने वाली बहन से ख़ास बातचीत और जानेंगे रक्षाबंधन का इतिहास। तो चलिए... आज हम और आप मनाते है एक साथ मिलकर राखी का त्यौहार।

    आज कार्यक्रम को होस्ट करने में मेरा साथ दे रही हैं मीनू जी...।

    मीनू- हैलो दोस्तों, आप सभी को मीनू का प्यार भरा नमस्कार और राखी की ढेर सारी शुभकामनाएं भी.....।

    अखिल- रिश्ता है यह जन्मों का; भरोसे का और प्यार का; और भी गहरा हो जाये यह रिश्ता; क्योंकि राखी त्यौहार है भाई-बहन के प्यार का। जी हां दोस्तों, आज भाई-बहन के प्यार का त्यौहार है, आप सभी को रक्षाबंधन की ढेर सारी बधाइयां।

    दोस्तों, भाई और बहन का रिश्ता मिश्री की तरह मीठा और मखमल की तरह मुलायम होता है। रक्षाबंधन का पर्व भाई-बहन के इसी पावन रिश्ते को समर्पित है। इसी त्योहार पर इस रिश्ते की मोहक अनुभूति को सघनता से अभिव्यक्त किया जाता है।

    हिन्दू कैलेंडर के अनुसार श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है। इसे आमतौर पर भाई-बहनों का पर्व मानते हैं लेकिन, अलग-अलग स्थानों और लोक परम्परा के अनुसार अलग-अलग रूप में रक्षाबंधन का पर्व मनाते हैं।

    वैसे इस पर्व का संबंध रक्षा से है। जो भी आपकी रक्षा करने वाला है उसके प्रति आभार दर्शाने के लिए आप उसे रक्षासूत्र बांध सकते हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने रक्षा सूत्र के विषय में युधिष्ठिर से कहा था कि रक्षाबंधन का त्योहार अपनी सेना के साथ मनाओ इससे पाण्डवों और उनकी सेना की रक्षा होगी। श्रीकृष्ण ने यह भी कहा था कि रक्षा सूत्र में अद्भुत शक्ति होती है। रक्षाबंधन से सम्बन्धित इस प्रकार की अनेक कथाएं हैं।

    रक्षा बंधन पर्व मनाने की विधि : रक्षा बंधन के दिन सुबह भाई-बहन स्नान करके भगवान की पूजा करते हैं। इसके बाद रोली, अक्षत, कुमकुम और दीप जलाकर थाल सजाते हैं। इस थाल में रंग-बिरंगी राखियों को रखकर उसकी पूजा करते हैं फिर बहनें भाइयों के माथे पर कुमकुम, रोली और अक्षत से तिलक करती हैं।

    इसके बाद भाई की दाईं कलाई पर रेशम की डोरी से बनी राखी बांधती हैं और मिठाई से भाई का मुंह मीठा कराती हैं। राखी बंधवाने के बाद भाई बहन को रक्षा का आशीर्वाद और उपहार व धन देता है। बहनें राखी बांधते समय भाई की लम्बी उम्र और सुख तथा उन्नति की कामना करती है।

    इस दिन बहनों के हाथ से राखी बंधवाने से भूत-प्रेत और अन्य बाधाओं से भाई की रक्षा होती है। जिन लोगों की बहनें नहीं हैं वह आज के दिन किसी को मुंहबोली बहन बनाकर राखी बंधवाएं तो शुभ फल मिलता है। इन दिनों चांदी और सोनी की राखी का प्रचलन भी काफी बढ़ गया है। चांदी और सोना शुद्ध धातु माना जाता है अतः इनकी राखी बांधी जा सकती है लेकिन, इनमें रेशम का धागा लपेट लेना चाहिए।

    रक्षाबंधन का धार्मिक महत्व : भाई बहनों के अलावा पुरोहित भी अपने यजमान को राखी बांधते हैं और यजमान अपने पुरोहित को। इस प्रकार राखी बंधकर दोनों एक दूसरे के कल्याण और उन्नति की कामना करते हैं। प्रकृति भी जीवन की रक्षक हैं इसलिए रक्षाबंधन के दिन कई स्थानों पर वृक्षों को भी राखी बांधी जाती है।

    रक्षाबंधन की कथा : रक्षाबंधन कब प्रारम्भ हुआ इसके विषय में कोई निश्चित कथा नहीं है लेकिन जैसा कि भविष्य पुराण में लिखा है, उसके अनुसार सबसे पहले इन्द्र की पत्नी ने देवराज इन्द्र को देवासुर संग्राम में असुरों पर विजय पाने के लिए मंत्र से सिद्ध करके रक्षा सूत्र बांधा था। इससे सूत्र की शक्ति से देवराज युद्ध में विजयी हुए। शिशुपाल के वध के समय भगवान कृष्ण की उंगली कट गई थी तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी का आंचल फाड़कर कृष्ण की उंगली पर बांध दिया। इस दिन सावन पूर्णिमा की तिथि थी।

    भगवान श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को वचन दिया कि समय आने पर वह आंचल के एक-एक सूत का कर्ज उतारेंगे। द्रौपदी के चीरहरण के समय श्रीकृष्ण ने इसी वचन को निभाया। आधुनिक समय में राजपूत रानी कर्मावती की कहानी काफी प्रचलित है। राजपूत रानी ने अपने राज्य की रक्षा के लिए मुगल शासक हुमायूं को राखी भेजी। हुमायूं ने राजपूत रानी को बहन मानकर राखी की लाज रखी और उनके राज्य को शत्रु से बचाया।


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