गेसार के उत्तराधिकारी गाफालखाओ
गेसार के उत्तराधिकारी गाफालखाओ
बचपन से ही गाफालखाओ ने अपने पिता जी से गेसार गाना सीखना शुरू किया था। 11 – 12 वर्ष की उम्र से गाफालखाओ ने औपचारिक रूप से गेसार गाना शुरु किया। अब तक गाफालखाओ ने अनजाने में न जाने कितने गेसार के बोलों को याद किया है। धीरे धीरे गाफालखाओ सुप्रसिद्ध होने लगे। उन्होंने राष्ट्रीय गेसार कलाकारों के सम्मेलन में भाग लिया और तीसरा पुरस्कार भी प्राप्त किया। हालांकि वह बूढ़े हो चुके हैं, फिर भी गेसार गाते समय बहुत जीवंत दिखाई देते हैं। उनके अनुसार:"लोग विवाह करते समय अक्सर मुझे गेसार गाने के लिए आमंत्रित करते हैं। एक बार मैंने निरंतर दो दिनों तक भी गेसार गीत गाया और बीच में कहीं भी रुका नहीं।"
गाफालखाओ चाहते हैं कि गेसार कला का प्रसार किया जाए। उन्होंने कहा:"मेरे बच्चों की आवाज़ अच्छी नहीं है इसलिए वे गेसार नहीं गा पाते। इसलिए अब मैं अपने शिष्यों को सिखाता हूं।"
गाफालखाओ की चाशी गांव में कुछ छोटे बच्चे हैं, जो स्वेच्छा से उनके पास जाकर गेसार गाना सीखते हैं। चाशी गांव ने उनके लिए खास स्थान देकर वृद्ध गाफालखाओ को सहायता दी है। गाफालखाओ ने परम्परागत गेसार को तिब्बती नाटक से जोड़कर इस कला में जीवित शक्ति डाली है।
पिछले कुछ वर्षों में स्थानीय सरकार ने परम्परागत तिब्बती संस्कृति के उत्तराधिकार और संरक्षण को बहुत महत्व दिया और गेसार जैसी गैर भौतिक सांस्कृतिक विरासतों के संरक्षण के लिए अधिक काम किया है। गाफालखाओ ने भी इस कला का प्रसार करने की आसा जताई है। गेसार कला के भविष्य की चर्चा में वृद्ध गाफालखाओ बहुत चिंतित हैं। एक जीवित ऐतिहासिक महाकाव्य के रूप में गेसार न केवल पुस्तकों या ऑडियो डिस्क में संयोजित कर रखना चाहते हैं बल्कि, जनता के दैनिक जीवन में भी रखना चाहते हैं।