मुद्रण कला प्राचीन काल में चीनियों के चार आविष्कारों में से एक है। आधुनिक कंप्युटर के युग में परम्परागत मुद्रण तकनीक धीरे-धीरे ओझल होती जा रही है। लेकिन छिंगहाई तिब्बत पठार के दक्षिण पूर्वी भाग में चिनशा च्यांग नदी के पूर्वी तट पर स्थित सछ्वान प्रांत के कानची तिब्बती स्वायत्त प्रिफैक्चर के देगे कांउटी में एक ऐसा मुद्रण गृह है, जहां आज भी प्राचीन परम्परागत वूडब्लॉक प्रिटिंग यानी लकड़ के ब्लॉक से छपाई वाले तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है।
देगे कांउटी सछ्वान प्रांत के कानची तिब्बती स्वायत्त प्रिफैक्चर के खांगबा तिब्बती बहुल क्षेत्र का सांस्कृतिक केंद्र है। देगे सूत्र मुद्रण गृह, तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की राजधानी ल्हासा के मुद्रण गृह और उत्तर पश्चिमी चीन के कानसू प्रांत के कान्नान तिब्बती स्वायत्त प्रिफैक्चर के लाब्रांग मठ के मुद्रण गृह के साथ मिलकर चीन के तिब्बती बहुल क्षेत्रों में तीन बड़े मुद्रण गृह माने जाते हैं। देगे सूत्र मुद्रण गृह में संरक्षित सांस्कृतिक ग्रंथों की संख्या सबसे ज्यादा है और बूडब्लॉक प्रिटिंग की गुणवत्ता सबसे अच्छी है। देगे में रहने वाले तिब्बती शास्त्र के विद्वान चेअर डोर्चे ने इसकी जानकारी देते हुए कहा:"आम तौर पर कहा जाए, तो चीन में मुद्रण गृह का इतिहास 284 वर्ष पूराना है, लेकिन इससे पहले सौ से अधिक और दो सौ से कम वाले समय में देगे सूत्र मुद्रण गृह मौजूद था, इस तरह देगे सूत्र मुद्रण गृह का इतिहास पांच सौ वर्ष का है।"
देगे सूत्र मुद्रण गृह का इतिहास बहुत पुराना है, जिसकी छपाई प्रक्रिया बहुत संजीदगी से है और परम्परागत तकनीक का प्रयोग किया जाता है। इसका परिचय देते हुए जेअर डोर्चे ने कहा:"इसकी स्थापना से लेकर अब तक देगे सूत्र मुद्रण गृह में सूत्र की प्रिटिंग में चार चरणों की आवश्यकता होती है। पहला-मुद्रित संस्करण का प्रोसेसिंग करना, दूसरा-मुद्रित संस्करण की नक्काशी करना, तीसरा-मुद्रित संस्कृरण को ठीक करना, और चौथा-मुद्रित संस्करण को सुरक्षित करना है।"