तिब्बती पंचांग के अनुसार हर वर्ष जून के अंत और जुलाई के शुरू में तिब्बत का परम्परागत श्वेतुन त्योहार मनाया जाता है । तिब्बती भाषा में श्वेतुन त्योहार का मतलब"दही खाने वाला त्योहार"है। इस तरह श्वेतुन त्योहार को दही त्योहार भी कहा जाता है । बीते समय में तिब्बती लोग सिर्फ श्वेतुन त्योहार के वक्त मूल्यवान दही खाते थे । लेकिन आज दही तिब्बती लोगों के लिए साधारण दुग्ध पदार्थ है ।
वर्तमान में मुख्य तौर पर बड़े पैमाने वाली बुद्ध चित्र प्रदर्शनी रस्म और धूमधाम रूप से तिब्बती ओपेरा प्रदर्शनी के जरिए श्वेतुन त्योहार मनाया जाता है । इस तरह श्वेतुन त्योहार को "तिब्बती ओपेरा त्योहार" और"बुद्ध चित्र प्रदर्शनी त्योहार"भी कहा जाता है । आम तौर पर श्वेतुन त्योहार बुद्ध चित्र की प्रदर्शनी से शुरू होता है, जिस के प्रमुख विषय तिब्बती ओपेरा देखना और उद्यान का दौरा करना है । इस के साथ ही रंगबिरंगे याक पर सवार हो कर दौड़ प्रतियोगिता व घुड़सवारी में भी भाग लिया जाता है ।
श्वेतुन त्योहार का चित्र 1 घुड़सवारी(गेटीइमेजस)
श्वेतुन त्योहार के दिन तड़के जड्रेपुंग मठ के भिक्षु बुद्ध का विशाल बड़ा चित्र पहाड़ की ढलान पर फैलाते हैं । बौद्ध धर्म के अनगिनत अनुयायी और तिब्बत की यात्रा पर आए पर्यटक इस की पूजा करते हैं ।
श्वेतुन त्योहार का चित्र 2 ड्रेपुंग मठ के बुद्ध की चित्र प्रदर्शनी(सी आर आई ऑन लाइन)
श्वेतुन त्योहार के दूसरे दिन से ल्हासा के नार्बुलिका उद्योग , पोटाला महल के आसपास लुंगवांगथान झील पार्क में तिब्बती ओपेरा प्रदर्शनी सुबह के ग्यारह बजे से शाम तक चलती है । तिब्बती लोग घास मैदान में दोस्तों व रिश्तेदारों के साथ बैठते हैं, जौ की शराब, घी की चाय पीते हैं और विभिन्न प्रकार के तिब्बती पकवान खाते हैं । अनेक तिब्बती बंधु तिब्बती ओपेरा देखते हैं, सूत्र चक्कर लगाकर सूत्र पढ़ते हैं और प्रार्थना करते हैं ।
श्वेतुन त्योहार का चित्र 3 ड्रेपुंग मठ में आयोजित गतिविधि(गेटीइमेजस)