ल्हासा तिब्बत स्वायत प्रदेश की राजधानी है, जो तिब्बत का राजनीतिक, आर्थिक व सांस्कृतिक केंद्र भी है। वह दुनिया के विशेष शहरों में से एक है। कारण यह है कि उस की ऊंचाई समुद्र तल से 3700 मीटर ऊंची है, और इस का 1300 वर्षों का पुराना इतिहास है। ल्हासा में अनेक सांस्कृतिक धरोहर हैं , जिस में गहरा धार्मिक माहौल है।
पोताला महल, बारकोर सड़क, चोखहांग मठ, सेरा मठ और द्रेपुंग मठ आदि ल्हासा में लोगों के लिए सब से आकर्षित स्थल हैं।कुछ लोगों ने कहा कि केवल इन स्थलों का दौरा करके सच्चे माइने में ल्हासा आना साकार हो जाता है।
पोताला महल की स्थापना 7 शताब्दी में हुई थी। तिब्बती राजा सुंगस्जेन गेमबो ने इसे चीन की केंद्र सरकार की रानी वनछन रानी के लिए निर्मित किया, जो हालिया दुनिया में सब से ऊंची सामूहिक मठ की इमारत है। पोताला महल का क्षेत्रफल 3 लाख 60 वर्गमीटर से ज्यादा है, जिस में अनेक बुद्ध मूर्तियां, भित्ति चित्र, तिब्बती शास्त्र और मूल्यवान आभूषण रखे गये हैं, जिन का बहुत ऊंचा कला व शास्त्री मूल्य है।
ल्हासा का चित्र---रात्रि में पोताला महल (सी आर आई ऑन लाइन)
चोखांग मठ ल्हासा शहर के केंद्र में स्थित है। मठ में शाक्यामुनि की मूर्ति वनछन रानी द्वारा तत्कालीन चीन की राजधानी छांग एन से लायी गयी थी। पवित्र ल्हासा का नाम भी इस मूर्ति से संबंधित है। वनछन रानी की वजह से इस मठ की इमारतों की शैली तिब्बती और हान जातियों की विशेषताओं से मिली हुई है। मठ में वनछन रानी की तिब्बत यात्रा एवं चोखांग मठ का निर्माण चित्र नामक लगभग हजार मीटर लम्बा वाला एक तिब्बती भित्ति चित्र है।
ल्हासा का चित्र---ल्हासा का चोखांग मठ से पहले(गटीइमंजस)
बारकोर सड़क ल्हासा के पुराने क्षेत्र में स्थित है, जो तिब्बती विशेषता वाली पुरानी सड़क है। इस सड़क में पुराने ल्हासा शहर की पहले की स्थिति दिखायी गयी है। हालांकि यह सड़क बहुत चौड़ी नहीं है, फिर भी ल्हासा में सब से भी़ड़ वाला क्षेत्र है। यहां हजार दुकानें खड़ी हैं, जिन में तिब्बती विशेषता वाले विभिन्न किस्मों की दैनिक सामग्री और धार्मिक सामग्री बेची जाती है। इतना ही नहीं, यहां भारत एवं नेपाल से आया विभिन्न सामान भी बेचा जाता हैं, जो अच्छी क्वौलिटी का है और सस्ता है।
इस सड़क पर, तिब्बती शैली वाले मकान एवं छोटी सड़कें फैली हैं, जहां तिब्बती क्षेत्र के विभिन्न स्थलों से लोग आते हैं। उन में से अनेक लोग अपनी जाति की परम्परागत वेशभूषा में हैं। उन के हाथों में प्रार्थना मोतियों से हमें मालूम होता है कि बौद्ध धर्म वास्तव में उन के जीवन का एक तरीका बन चुका है।
ल्हासा का चित्र---बारकोर सड़क(सी आर आई ऑन लाइन)