
दोस्तो , पाकिस्तान मुस्लीम लीग नवाज और न्यायिक जगत के व्यक्तियों ने इधर दिनों में सरकार से 2007 में बर्खास्त किये गये जजों को बहाल करने की मांग में लगातार प्रदर्शनकारी कार्यवाहियां कीं । 15 मार्च को मुस्लीम लीग नवाज के समर्थकों ने लाहौर शहर में पुलिसकर्मियों के साथ झड़प की , जिस से दसियों लोग गिरफ्तार किये गये । इस बात पर पाक राष्ट्रपति जरदारी ने वार्ता के जरिये मामले का समाधान करने को कहा । पाक राजनीतिक स्थिति पर फिर व्यापक ध्यान केंद्रित हो गया है ।
पाक डाँन न्यूज टी वी ने 15 मार्च को रिपोर्ट दी है कि पाक सरकार ने उसी दिन पूर्व प्रधान मंत्री व विरोधी पार्टी मुस्लीम लीग नवाज के नेता नवाज शरीफ को तीन दिवसीय नजरबंद करने का फैसला लिया । पर पाक गृह मंत्रालय के सलाहकार मलिक ने तरंत ही ऐलान किया कि सरकार ने शरीफ और अपने भाई की स्वतंत्रता को सील करने का आदेश नहीं दिया , सिर्फ उन की सुरक्षा की मजबूती बनाने का निर्देश दिया है , उन की कार्यवाही स्वतंत्र है । उसी दिन शाम को श्री शरीफ ने घर से बाहर निकलकर अपने समर्थकों के सम्मुख बयान दिया और प्रदर्शनकारी अभियान का नेतृत्व करने की घोषणा की ।
सत्तारुढ़ पाक आवामी पार्टी और मुस्लीम लीग नवाज के बीच अंतरविरोध दो साल पहले उत्पन्न हो गया था , 2007 में पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति मुशर्रफ ने पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट प्रथम न्यायधीश चौधरी समेत दसियों जजों को बर्खास्त कर दिया , जिस से पाकिस्तान के भीतर बड़े पैमाने वाली प्रदर्शनकारी गतिविधियां चलायीं और अंत में मुशर्रफ को राष्ट्रपति पद से इस्तिफा देने पर मजबूर कर दिया । नयी पाक सरकार की स्थापना के बाद आवामी पार्टी व मुस्लीम लीग शरीफ के बीच संपन्न समझौते के अनुसार हालांकि अधिकतर जजों की बहाली हो गयी है , पर प्रथम न्यायाधीश चौधरी के पद की बहाली फिर भी नहीं हो पाई , यह दोनों दलों का विवादास्पद सवाल बन गया , जिस से दोनों दलों से गठित गठबंधन के बीच दरार पड़ गयी ।
पाक सुप्रीम कोर्ट ने गत 25 फरवरी को यह फैसला सुनाया कि नवाज शरीफ और अपने छोटे भाई शहबाज शरीफ को सरकारी पदों के चुनाव में भाग लेने का हक नहीं है और शहबाज शरीफ पंजाब प्रांत का मुख्य मंत्री बनने लायक नहीं हैं । मुस्लीम लीग शरीफ और न्यायिक जगत के व्यक्तियों ने 12 मार्च से पाकिस्तान के विभिन्न क्षेत्रों में प्रदर्शनकारी कार्यवाहियां करनी शुरु कीं और यह योजना बनायी कि वे 16 मार्च को इस्लामावाद में धरना तब तक देते रहेंगे , जब तक सरकार बर्खास्त किये गये जजों की बहाली से राजी न हो जाती ।
पाक डेली टाइम्स ने 15 मार्च को राष्ट्रपति जरदारी के बयान का हवाला देते हुए कहा कि जल्से जलूस और धरना देने से सरकार को क्षति पहुंच जायेगी , सड़कों के बजाये संसद के माध्यम से मामले का समाधान करना चाहिये । पाक राष्ट्रपति के प्रवक्ता बाबर ने 14 मार्च को बयान जारी कर कहा कि सरकार सुप्रीम कोर्ट से शरीफ के चुनाव के अधिकार पर फिर से सुनवाई सुनाने का आवेदन पेश करेगी । श्री बाबर ने कहा कि पाक राष्ट्रपति व प्रधान मंत्री के बीच वार्ता हुई और आवामी पार्टी की पूर्व अध्यक्षा बेनजीर भुट्टो व शरीफ के बीच हुए लोकतंत्र चार्टर के अनुसार बर्खास्त जजों को बहाल करने पर सहमत हो गया । मुस्लीम लीग शऱीफ के उच्च स्तरीय नेता इशाक दार ने 14 मार्च को कहा कि उन की पार्टी ने शरीफ व अपने भाई के मामले पर फिर से सुनवाई के बारे में सरकार के फैसले के प्रति स्वागत व्यक्त किया ।
विपक्षी दलों की जबरदस्त प्रदर्शनकारी गतिविधियों को छोड़कर पाक सरकार भीतर व बाहर से आने वाले डबल दबावों का सामना कर रही है । पाक सूचना व प्रसारण मंत्री शेरी रहमान व पाक कानून मंत्री गिलानी ने अपने पद से क्रमशः इस्तीफा देने की घोषणा की । साथ ही पाक सरकार को आतंक विरोधी संश्रयकारी अमरीका के दबाव का सामना करना पड़ रहा है । स्थानीय मीडिया ने संकेत दिया है कि अमरीका ने बार बार दबाव डालकर दोनों पक्षों से मामले का शीघ्र ही समाधान करने का अनुरोध भी पेश किया ।
मौजूदा प्रदर्शनकारी गतिविधियां दो साल से पहले हुई परिस्थिति से मिलती जुलती है , साथ ही तालिबान ने उत्तर पश्चिम कबीले क्षेत्र में लगातार आतंकवादी हमले बोल दिये हैं , प्रदर्शनकारी गतिविधियों से उत्पन्न दंगे और भीड़ंत से पाक सुरक्षा वातावरण और अधिक चिन्ताजनक नजर आ रहा है ।
