2009-01-15 15:42:57

अफ़्रीकी कला ने चीन में प्रवेश किया

पेइचिंग पुल कला केंद्र के प्रधान श्री चाओ शू लिन के ख्याल से चीन व अफ़्रीका का सांस्कृतिक आदान-प्रदान भूगोल की दूरी और जाति के फ़र्क के बावजूद चल सकता है। और वह चीनी व अफ़्रीकी जनता के बीच एक पुल भी बन गया है। इसलिये उन के कला केंद्र में अक्सर अफ़्रीका से जुड़े प्रदर्शन आयोजित किये जाते हैं। और उन्हें चीनी व अफ्रीकी सरकारों का बड़ा समर्थन मिला है।

श्री चाओ शू लिन के परिचय के अनुसार पुल कला केंद्र में पेइचिंग आलंपिक के उदघाटन के दूसरे दिन पुरातन की ताक नामक अफ़्रीकी प्राचीन लकड़ी मूर्ति का प्रदर्शन आयोजित किया गया। कीनिया, कैमरून आदि बीस से ज्यादा चीन स्थित अफ़्रीकी देशों के राजदूत व खेल-सितारों ने इस प्रदर्शन के उदघाटन समारोह में भाग लिया। पुल कला केंद्र ने आलंपिक के दौरान चीनी राष्ट्रीय पर्यटन ब्यूरो के साथ सुयंक्त रूप से कैमरून पर्यटन का एक परिचय सम्मेलन भी आयोजित किया, इस में कैमरून की विशेष संस्कृति व पर्यटन संसाधन का प्रचार-प्रसार व परिचय दिया गया। कैमरून के राष्ट्रीय पर्यटन मंत्री तथा चीन स्थित दसेक अफ़्रीकी देशों के राजदूतों ने भी इस सम्मेलन में भाग लिया। इस बार के पुरातन कला व आधुनिक जीवन नामक प्रदर्शनी का मुख्य लक्ष्य है अफ़्रीका की प्राचीन कला को चीनी जनता के आम जीवन में प्रवेश दिलाना।

सिलसिलेवार गतिविधियों में प्रदर्शन के अलावा प्रबंधकों ने अफ़्रीकी देशों के अधिकारियों, चीनी कलाकारों व कलेक्टरों को संगोष्ठी में भाग लेने के लिए निमंत्रित किया, ताकि आगंतुकों को अफ़्रीकी कला की विशेषता व मूल्य का परिचय गहराई से करवाया जा सके। चीन स्थित कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य के दूतावास के मिनिस्टर श्री एदौर्द अल्लुमा ने इस बार की सांस्कृतिक गतिविधियों की खूब प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि, इस प्रदर्शन की सब से बड़ी विशेषता यह है कि आगंतुक नज़दीक से प्रदर्शित वस्तुओं को देख सकते हैं, जो संग्रहालय की प्रदर्शित वस्तुओं की तरह नहीं है। इस से लोगों को ऐसा लगता है कि अफ़्रीकी कलात्मक वस्तुओं का न सिर्फ़ कलात्मक मूल्य होता है, बल्कि व्यावहारिकता भी होती है।

उन्होंने कहा कि अफ़्रीका में 50 से ज्यादा देश हैं। हर देश की अपनी-अपनी सांस्कृतिक विशेषताएं हैं। चीन में भी बहुजातीय समृद्ध संस्कृति है। इसलिये दोनों के बीच आदान-प्रदान की विस्तृत गुंजाइश है।

छिन ह्वा विश्वविद्यालय के कला कॉलेज के प्रोफ़ेसर श्री चाओ मेन ने कहा कि चीन व अफ़्रीकी देशों के बीच आर्थिक आदान-प्रदान बहुत विस्तृत हो गया है। लेकिन सांस्कृतिक आदान-प्रदान गतिविधियां बहुत कम हैं। इस बार उन्होंने इतनी सुन्दर व बड़ी संख्या में अफ़्रीका की कलात्मक वस्तुओं को देखा। वे बहुत हैरान व उत्साहित हैं। उन के ख्याल से अफ़्रीकी कला का आयात चीनी कला के विकास के लिये सकारात्मक भूमिका अदा करेगा। उन्होंने कहा कि, अफ़्रीकी कला ने 20वीं शताब्दी की आधुनिक कला के लिये बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। और आज अफ़्रीकी कला पुल कला केंद्र द्वारा चीन में पहुंच सकती है, और पेइचिंग में भी पहुंच सकती है। यह गतिविधि चीनी कला के विकास, अफ़्रीकी कला के प्रति चीनी लोगों की समझ और चीन व अफ़्रीका के सांस्कृतिक आदान-प्रदान को मजबूत करने के लिये सकारात्मक व सार्थक भूमिका अदा करेगी। शायद उन्हें देखकर कुछ श्रेष्ठ कलाकार भी मौजूद होंगे।

युगांडा के पर्यटन, व्यापार व उद्योग मंत्रालय के उपमंत्री श्री कामुंतू ने भी निमंत्रण पर पुल कला केंद्र में आयोजित संगोष्ठी में भाग लिया। उन्होंने कहा कि हालांकि इस बार उन की चीन यात्रा का मुख्य उद्देश्य है दोनों देशों के बीच उद्योग व व्यापार क्षेत्र के सहयोगों को मजबूत करना। पर उन्होंने बहुत खुशी के साथ इस तरह की गतिविधि में भाग लिया। क्योंकि दोनों देशों के विभिन्न स्तरीय आदान-प्रदान में सांस्कृतिक आदान-प्रदान एक अपरिहार्य आधार है। उन्होंने कहा कि, चीन व अफ़्रीका की संस्कृति व इतिहास बराबर हैं। हमारे धर्म व मानवता से जुड़े नैतिक मूल्य भी बराबर हैं। हम दोनों मनुष्य की कला के स्थापक हैं।

बहुत कलेक्टरों व आम जनता ने इस प्रदर्शन को देखने का बड़ा शौक प्रकट किया। कलेक्टर सुश्री मा ने कहा कि, मैंने बहुत मूल्यवान् वस्तुओं को देखा। उन से मैं अफ़्रीका के इतिहास, धर्म व संस्कृति को समझ सकती हूं। यह हमारे लिये एक बहुत अच्छी बात है। मुझे लगता है कि ऐसी गतिविधि भविष्य में ज्यादा से ज्यादा आयोजित होनी चाहिये। ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग अफ़्रीका को समझ सकें। (चंद्रिमा)

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