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    गोपालन से गरीबी के चपेट से छुटकारा पाने की कहानी
    2017-08-07 16:04:30 cri

    किसान हुआंग खफंग का गोशाला

    हुआंग खफंग दक्षिणी चीन के क्वांगशी चुआंग स्वायत्त प्रदेश की थ्येन तंग काउंटी के थुओखान कस्बे के नानलिंग गांव में रहते हैं। सुबह नौ बजे अपने घर की दसेक गायों को चारा डालने के बाद वे अपनी पत्नी के साथ रिश्तेदारों और दोस्तों से ज्यादा मात्रा में मकई का भूसा मांगने पर विचार कर रहे थे ताकि अधिक चारा तैयार बनाया जाए। उन्होंने बताया,

    कुछ साल पहले गोपालन करने वाले लोगों की संख्या बहुत कम थी। मकई के पुआल सिर्फ जलाये जाते थे। अब गांव में गोपालक ज्यादा हो गये हैं। हर गांव में गायों को पालने वाले लोग रहते हैं जिससे मकई के पुआल की मांग भी बढ़ गयी है।अब अगर आप किसी को जानते हैं तो आपको मक्के का भूसा मिलता है।

    हुआंग खफंग का परिवार पहले थुओखान कस्बे में पंजीकृत गरीब परिवार था। गोपालन से उन्होंने पिछले साल गरीबी से छुटकारा पाया। दो महीने पहले उनकी नई गौशाला बन चुकी है। वे अपनी पत्नी के साथ रोज खेती करने के अलावा गौशाला आकर गायों को चारा खिलाते हैं और वहां साफ सफाई करते हैं। उनका जीवन अब बढ़िया तरीके से चल रहा है। उनकी पत्नी ने कहा ,घर में गोपालन करने के साथ हम माता पिता और बच्चों की देखरेख भी कर सकते हैं। काम इतना ज्यादा नहीं है। सुबह गायों को चारा देते हैं और दोपहर के बाद पाँच बजे फिर एक बार चारा देते हैं। एक दिन में दो बार चारा देते हें। गोबर रोज़ साफ़ करने की जरूरत नहीं है। दो महीने में एक बार गोबर साफ़ करना पड़ता है। बदबू नहीं है। गोबर को हम खेतों में डालते हैं। वह बहुत अच्छी खाद है।

    गोपालन से गरीबी से छुटकारा मिला हुआंग खफंग

    हुआंग खफंग की गौशाला का क्षेत्रफल 300 वर्गमीटर है, जो रोशनीदार और साफ़ है। वहां बदबू भी नहीं आती है। अपनी दसेक गायों के अलावा उनके पास अपने पडोसियों की भी दो गाएं हैं। उन्होंने कहा,हमारे यहां 15 गाएं हैं। मेरी 13 हैं और बाकी दो पड़ोसियों की हैं। पहले मैं पेनपेन गौशाला प्लांट में काम करता था। छै महीने में तकनीक में महारत हासिल करने के बाद मैं खुद गोपालन करने लगा। मैंने अपने पड़ोसियों को गोपालन की प्रेरणा भी दी। उसने गाय खरीदने के लिए 2000 युआन खर्च किया, अब वो गाय को 11 हजार युआन में बेच सकता है।

    थुओकान कस्बा थ्येन तंग काउंटी के अधीन सात कस्बों में से एक है। स्थानीय बोली में थ्येन तंग का अर्थ खड़ी हुई चट्टान है। यहां खेती योग्य ज़मीन की कमी है। इसलिए प्राचीन समय से यहां गोपालन की परंपरा है। लेकिन पहले गोपालन का पैमाना बहुत छोटा था। एक गांव में सिर्फ़ कुछेक घरों में ही गोपालन होता था और हर घर में सिर्फ 1 या 2 गायें थीं।

    पेनपेन गोपालन प्लांट नानलिंग गांव में बना एक ऐसा प्लांट है जहां पर गायों को मांस के लिये पाला जाता है, जो किसानों की पशुपालन सहकारी समिति पर निर्भर है। चाइना लाइफ इंश्योरेंस कंपनी और थ्येन तंग काउंटी सरकार ने मिलकर थ्येन तंग काउंटी के सभी गरीब परिवारों के लिए गरीबी उन्मूलन कर्ज बीमा खरीदा है। हुआंग खफंग ने इस इंश्योरेंस पॉलिसी लेकर स्थानीय ग्रामीण बैंक से 50 हजार युआन का कर्ज लिया और पेनपेन पशुपालन सहकारी समिति में शामिल हुआ। पेनपेन गोपालन प्लांट में हुआंग खफंग ने चार गायों को खरीदकर इस प्लांट में मीट के लिये पाला और पिछले साल के अंत में इन गायों को बेचने से उसे 35320 युआन की आय हुई।

    पिछले साल थ्येन तंग काउंटी ने गरीबी उन्मूलन में पशुपालन को व्यावसायिक तरीके से प्रोत्साहित करने के लिए एक उदार नीति तैयार की। इस नीति का लाभ उठाकर हुआंग खफंग ने इस मई में अपने घर के पास गौशाला बनाई। काउंटी सरकार की उदार नीति के अनुसार नये गौशाला बनाने में हर वर्गमीटर में 200 युआन का भत्ता मिलता है। गौशाला बनाने के लिए हुआंग खफंग ने कुल 1 लाख युआन खर्च किया। उनको सरकार से 60 हजार युआन का भत्ता मिला। इस साल हुआंग खफंग के दो बच्चे विश्वविद्यालय में पढ़ने गए हैं। जब यह सवाल पूछा गया कि क्या वे बच्चों की विश्वविद्याल की फीस को लेकर चिंतित हैं, तो हुआंग खफंग ने प्रसन्नता से सिर हिलाया और गौशाला में दो सबसे बड़ी गायों की तरफ़ उँगली का इशारा करते हुए कहा,एक है जीवन खर्च, दूसरी है स्कूल फी। सब तैयार हैं।

    पेनपेन गोपालन प्लांट के अलावा थुओखान कस्बे का और एक गोपालन प्लांट है। वह दाहुआ नानलिंग गोपालन प्लांट है।

    दाहुआ गोपालल प्लांट की झलक

    दाहुआ नानलिंग गोपालन प्लांट चाइना लाइफ बीमा कंपनी द्वारा 5 लाख युआन खर्च कर बनाया गया है। क्वांगशी दाहुआ कृषि कंपनी इसका प्रबंधन करती है। इस प्लांट का संचालन पेनपेन गोपालन प्लांट के मॉडल से अलग है। गांव वासियों को गाय लेकर यहां प्लांट में देने की जरूरत नहीं है। वे गरीब परिवारों के समर्थन वाली योजना से मिले कर्ज शेयर के रूप में दाहुआ कंपनी को देते हैं और फिर उन्हें इसका लाभांश मिलता है। उदाहरण के लिए कोई गरीब परिवार सरकार की उदार नीति के तहत बैंक से 50 हजार युआन का ऋण लेता है और शेयर के रूप में ये पैसे दाहुआ कंपनी को देता है, तो उसे सालाना लाभांश 4 हज़ार युआन मिलेगा। सहयोग समाप्त होने के बाद दाहुआ कंपनी समय पर कर्ज की मूल धनराशि को किसान को वापस लौटाएगी। इस तरह गरीब परिवार का लाभ सुनिश्चित किया जाता है और उसे घाटा नहीं होगा।

    दाहुआ कंपनी के उप प्रमुख थांग सुंगयुन के अनुसार दाहुआ कंपनी के पास मांस के लिये गाय पालने और बेचने का एक बहुत परिपक्व मॉडल है। इसी कारण थ्येन तंग काउंटी सरकार ने दाहुआ कंपनी को थुआखान कस्बे में गोपालन प्लांट चलाने का निमंत्रण दिया है। उन्होंने कहा, वर्ष 2012 में हमारी कंपनी छोंगत्सो शहर में स्थापित हुई। अब चार साल बीत चुके हैं। छोंगत्सो के हमारे मुख्यालय में 2 हज़ार से अधिक गायें पाली जाती हैं। अब हम थ्येनखान कस्बे के साथ सहयोग करते हैं और चाइना लाइफ इंश्योरेंस कंपनी द्वारा दान में निर्मित गोपालन प्लांट का संचालन करते हैं। हमारे पास तकनीक और अच्छा संचालन मॉडल है। हर हफ्ते हमारे तकनीशिन और संक्रामक रोग निरोधी कर्ता प्लांट का दौरा करते हैं।

    श्री चो और उनकी पत्नी दाहुआ कंपनी के कर्मचारी हैं। वे दाहुआ नानलिंग बीफ कैटल प्लांट की देखभाल करते हैं। यहां 40 से अधिक गायें हैं। श्री चो की पत्नी ने बताया, एक साल पहले मैं यहां आयी थी। रोज़ का काम गायों को चारा डालना, सफाई करना और रिकार्डिंग करना है।

    थुओखान कस्बा सरकार के प्रमुख नोंग वेनचे के अनुसार गोपालन प्लांट का चारा मकई का भूसा और गन्ने के पत्ते हैं। पूरे थुओखान कस्बे में 40 हज़ार मू (लगभग 2666 हेक्टेयर ) खेती है ,जिनमें से 36 हज़ार मू में मकई उगई जाती है। पहले मकई का भूसा बेकार था, अब गोपालन के विकास से मकई के भूसे को पूरी तरह इस्तेमाल किय जाता है। गोबर के निपटारे में जैविक खमीर तकनीक का इस्तेमाल होता है। इस तकनीक से पूरा प्लांट साफ़ सुथरा नज़र आता है और गायों के बाड़े के पास ही बदबू भी नहीं है। नोंग वेनच्ये ने बताया,जैविक किटाणुओं से गोबर में खमीर उठाया जा सकता है जिससे बदबू नहीं आती। तीन से पाँच महीनों में एक बार गोबर की सफ़ाई की जा सकती है। खमीर उठने के बाद गोबर खाद के रूप में बिक जाता है। एक छोटा चार पहिये वाले वाहन में लदी गोबर की खाद 240 युआन में बिक सकती है। किसानों को गोपालन की तरफ़ आकर्षित करने के लिए नोंन वेनच्ये ने बहुत से काम किये हैं। इस गरीबी उन्मूलन के रास्ते की चर्चा में उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा, हमारे यहां एक ऐसा घर है। पति क्वांगतुंग प्रांत जाकर मज़दूरी करता है। पत्नी घर में रहकर तीन बच्चों की देखरेख करती है। पहले वे गोपालन नहीं करना चाहती थीं। बाद में उन्होंने दो गायों को पालना शुरू किया। अब दो गायें 10 हज़ार युआन बिक सकती हैं। इसके बाद उन्होंने फिर दो बछड़े खरीदे। अब घर में चार गायें हैं। गोपालन से आय प्राप्त होगी और पति घर में भी पैसे भेजते हैं, तो जीवन धीरे धीरे बेहतर हो चला है।

    आकंडों के अनुसार पिछले साल नानलिंग गांव में प्रति व्यक्ति आय 4869 युआन थी, जो वर्ष 2015 से 9.9 प्रतिशत बढ़ गई। अब नानलिंग गांव में तीन गोपालन प्लांट बन चुके हैं और चार प्लांट और बन रहे हैं। पूरे गांव के 245 परिवार कुल 826 गांय पालते हैं।

    गोपालन पर निर्भर रहकर नानलिंग गांव गरीबी दूर कर अमीर के रास्ते पर चल रहा है।

    (वेइतुङ)

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