किंवदन्ती है कि 1600 से भी अधिक साल पहले चच्याडं प्रांत के दक्षिणी भाग में स्तित युडंच्या सफ़ेद हिरन आया करता था, स्थानीय जनता इसे शकुन मानती थी। इसीलिए इस कस्बे का एक और नाम "हिरन कस्बा"पड़ गया। यहां की समशीतोष्ण जलवायु के चलते थाडं राजवंश में इस का नाम बदलकर "वनचओ"शहर रख दिया गया, पर सफ़ेद हिरन की प्रतिमा इस शहर के प्रतीक-चिन्ह के रूप में कुछ इमारतों के सामने बनी रही।
उस समय का छोटा कस्बा वनचओ आज दक्षिणी चच्याडं प्रांत का एक मशहूर शहर है। इस में एक शहरी इलाका और नौ काउन्टियां शामिल हैं। कुल क्षेत्रफल 11783 वर्ग किलोमीटर है। आबादी 6110000 है। शोच्याडं, फेइयुन और आवच्याडं ये तीन बड़ी नदियां इस क्षेत्र से गुजरती हैं। शहर के दक्षिण, उत्तर और पश्चिम में तीनों तरफ़ पहाड़ हैं, पूर्व में सागर है। इसलिए उसे पहाड़ों, नदियों व समुद्र तीनों का लाभ मिलता है। पहाड़ी क्षेत्र में फिटकरी, ग्रेनाइट, शीशा, जिक, चीनी मिट्टी, पाइरोफाइलाइट आदि 40 से अधिक प्रकार के खनिज पदार्थ मौजूद हैं। इन में फिटकरी का उत्पादन 30 करोड़ टन है। यह उत्पादन-मात्रा सारे देश का अस्सी प्रतिशत बनती है और विश्व का 60 प्रतिशत, इसलिए वह"विश्व का फिटकरी केंद्र"भी कहलाता है। शहर के पूर्वी मैदान की भूमि अत्यन्त उपजाऊ है, यहां अनाज की खूब पैदावार होती है, साथ ही सन्तरे और गन्ने की भी बढ़िया पैदावार होती है।
वनचओ का बाहर के प्रति खुले रहने का इतिहास बहुत पुराना है। सुडं राजवंश(960-1279) में यहां विदेशों से व्यापार शुरू हो चुका था। यहां समुद्रतट लाइन की लम्बाई 355 किलोमीटर है। अब यह बन्दरगाह देश के अच्छे बन्दरगाहों में से एक माना जाता है। यहां 20 से अधिक तरह-तरह की गोदियां हैं और समुद्रीय किनारे पर बनी 40 से अधिक बर्थ दस हजार टन भार वाले जहाजों को जगह दे सकती है। श्याडंफू पहाड़ क्षेत्र में दो बर्थों के निर्माण की योजना है और शहर के केंद्र से 14 किलोमीटर दूरी पर स्थित लुडंवान इलाके को आर्थिक उद्यम क्षेत्र घोषित किया गया है।
वनचओ के निवासी निपुण दस्तकार हैं। छिन राजवंश में यह इलाका चीनी मिट्टी के मदिरा-पात्न बनाने के लिए मशहूर था। इस के बाद से वनचओ व्यापार व दस्तकारी के शहर के रूप में प्रसिद्ध कला आ रहा है। यहां का संहत् दूध, चीनी मिट्टी की ईंट, मोम-काग़ज़, चर्म-जूते, काग़ज़ीछाते, घास-फूस की चटाइयां, गिनती-चौखटे और आतिशबाजियां आदि उत्पादन काफ़ी नामी हैं। छिडं राजवंश(1644-1911) के खाडंशी सम्राट के शासन-काल में घास-फूस की चटाइयां"ओ"कसीदाकारी, मूर्तिकला, हाथीदांत की नक्काशी, काष्ठ-तराशी, पत्थर-तराशी, रंगीन पत्थर-जड़ाई आदि परम्रागत दस्तकारी वस्तुएं सम्राट को उपहार देने की चीज़ों के रूप में समझी जाती थीं। अब वनचओ की ये दस्तकारियां देश-विदेश में खूब लोकप्रिय हैं।
खाद्य-पदार्थ, वस्त्र-उद्योग, रासायनिक उद्योग, कम्प्यूटर, यंत्र-मीटर, जूते, जहाज निर्माण व जहाज-विखंडन और इमारती सामग्री उद्योग वनचओ शहर के आठ बड़े उद्योग हैं। इन में 5 लाख मज़दूर काम करते हैं और वह चच्याडं प्रांत के दक्षिणी भाग का एक विशेष आर्थिक क्षेत्र बन गया है। जिस का केंद्र वनचओ है और वनचओ बन्दरगाह उस का बड़ा सहारा है।
वनचओ के शहरी इलाके में पुरानी शैली अब भी पूरी तरह आरक्षित है। इस क्षेत्र की आबादी 5 लाख 20 हज़ार है, यह एक विकसित व्यापारिक इलाका भी है। निजी व्यापार जोरों पर चलता है—फैशनदार कपड़ों से सुसज्जित नौजवान तरह-तरह के स्टाल सड़क के किनारे लगाए रहते हैं। इसीलिए अब यह "छोटा शाडंगाए"भी कहलाने लगा है।
वनचओ की प्राकृतिक दृश्यावली भी अत्यन्त मनोहर है। रणनीक स्थानोंकी इफारत है। शहर के निकट से गुजरने वाली ओच्याडं नदी के बीच स्थित टापू "फडंलाए दैवी टापू"के नाम से मशहूर है। लछिडं काउन्टी में स्थित येनताडं पहाड़ दक्षिणी चीन और दुनियाकी सब से सुन्दर जगहों में से एक है। थ्येनतुडं औरयाओशी ताल तो मशहूर पर्यटन-स्थल हैं ही।