छडंतू सछ्वान प्रांत की राजधानी है। ईसा पूर्व 400 से ही यह नगर सछ्वान प्रांत का राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक केंद्र रङा है। पांच राजवंशों के जमाने में उत्तर-कालीन शू राज्य के शासक ने जनता को आदेश दिया था कि सारे नगर में हिबिस्कस के पौधे लगा दिए जाएं। जिस के कारण प्राचीन छडंतू नगर फूरुडं(हिबिस्कस) भी कहलाने लगा।
थाडं राजवंश के महान कवि तू फू चार वर्ष तक छडंतू में रहे थे। उन्होंने यहां अनेक प्रसिद्ध कविताओं की रचना की थी। ईसवीं 760 के बसंत में तू फू ने छडंतू के पश्चिमी उपनगर में वानह्वा जलस्रोत के किनारे अपने लिए एक कुटिया बनवाई थी। तू फू की कुटिया और तू फू का मन्दिर जन सरकार की देखरेख में आज भी सुरक्षित हैं। अपने शांत और सुन्दर वातावरण के कारण यह एक मनोरम स्थान है।
नगर के दक्षिणी फाटक के बाहर शू राज्य के प्रधान मंत्री चूको ल्याडं की स्मृति में एक मन्दिर खड़ा है। चूको ल्याडं की मूर्तिके सामने विभिन्न आकार के तीन कांसे के ढोल रखे हुए हैं, जिन पर सुन्दर डिजाइन बने हुए हैं।
आज से 2000 वर्ष पहले मिनच्याडं नदी के पानी से पश्चिमी मैदान के खेतों की सिंचाई करने के लिए शू के प्रिफेक्च ली पिडं और उन के बेटे ने छडंतू के उत्तर पश्चिम में 50 किलोमीटर की दूरी पर तूच्याडंयेन व्यवस्था का निर्माण करने में किसानों का नेतृत्व किया था। तभी से इस मैदान की गिनती हमारे देश के अनाज के गोदामों में की जाने लगी।
छडंतू अपने शू ब्रोकेड के लिए भी बहुत पहले से ही प्रसिद्ध है। पूर्वी हान राजवंश के शासन काल में ब्रोकेड-उद्योग के विकास-कार्य की जिम्मेदारी संभालने के लिए एक अधिकारी यहां भेजा गया था। शू ब्रोकेड को बुनने के बाद पास ही की एक नदी में धोया जाता था, जिस से उस का रंग और ज्यादा निखर जाता था। इसलिए इस नदी का नाम चिनच्याडं(ब्रोकेड नदी) पड़ गया।