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चीनी परंपरागत पंचांग के मुताबिक तेईस दिसंबर को रसोईघर के देव की पूजा करने की दो हजार साल पुरानी परंपरा है ।
चीनी लोककक्षाओं के अनुसार रसोईघर को देव भगवान द्वारा विश्व में भेजा गया देव है । यह देव हर साल के अंत में भगवान के यहां वापस जाता है और भगवान को आदमी के कामों की रिपोर्ट देता है । इसलिए लोग इस से डरते हैं । देव भगवान के यहां जाकर अच्छी रिपोर्ट दे इसलिए लोग हर साल के अंत में इस की पूजा करते हैं । रसोईघर के इस देव के जन्म के बारे में एक दिलचस्प कहानी है ।
प्राचीन काल में च्यांगशंग नामक एक अमीर था , जो अपनी सुन्दर व सुशील पत्नी डींगश्यांग के साथ आराम से जीवन बिता रहा था । लेकिन एक दिन च्यांगशंग ने बाहर जाते समय हाईथांग नामक एक सुन्दर लड़की देखी । हाईथांग तो पहले ही जानती थी कि च्यांगशंग अमीर है और इसलिए उस ने च्यांगशंग के प्रति प्यार की भावना प्रकट की । कुछ समय बाद च्यांगशंग ने हाईथांग के साथ शादी कर ली । पर हाईथांग को च्यांगशंग की प्रथम पत्नी डींगश्यांग के प्रति बहुत ईर्षा लगी और उस ने अपने पत्ति को डींगश्यांग को घर से बाहर निकाल देने के लिए परेशान करना शुरू किया । च्यांगशंग ने हाईथांग की बात मानकर अंततः डींगश्यांग को घर से बाहर निकाल दिया ।
इसतरह च्यांगशंग ने घर में हाईथांग के साथ मौजमस्ती का जीवन बिताना शुरू किया । पर दो साल बाद ही च्यांगशंग सारा धन खत्म हो गया । च्यांगशंग के पैसे खत्म होते देखकर हाईथांग ने तुरंत ही उसे छोड़कर एक दूसरे अमीर के साथ विवाह कर लिया । च्यांगशंग कुछ समय बाद भिक्षुक बना । बर्फबारी के एक दिन च्यांगशंग भूख और सर्दी की वजह से किसी परिवार के दरवाज़े के सामने बेहोश ही कर पड़ा रहा । इस परिवार की नौकरानी जब उसे बेहोश पड़ा देखा तो उठाकर रसोईघर में ले आयी । कुछ देर बाद परिवार की मालकिन वहीं आयी । च्यांगशंग ने बहुत आश्चर्य के साथ देखा कि वह महिला वास्तव में उस की पहली पत्नी डींगश्यांग थी । दिल में शर्म और आत्मआलोचना लिए हुए च्यांगशंग रसोईघर के चूल्हे से आग लगाकर जल मरा । डींगश्यांग ने जब च्यांगशंग को जलकर मरते हुए देखा तो खेद और शोक के कारण वह भी कुछ समय बाद मर गयी । भगवान ने च्यांगशंग और डींगश्यांग की कहानी सुनकर च्यांगशंग को रसोईघर और चूल्हे का देव नियुक्त किया । बाद में डींगश्यांग को भी रसोईघर की देवी के रूप में पूजा जाने लगा ।
प्राचीन काल में लोग रसोईघर के देव को मिठाई चढ़ाते थे ताकि वह भगवान के यहां जाकर अच्छी अच्छी बात बोले । यह मिठाई चूंकि अंकुरित गेहूं से बनती थी इसलिए मीठी तो नहीं होती थी पर बहुत चिपचिपी होती थी । इसलिए लोगों को आशा थी कि देव के दांत चिपचिपी मिठाई के कारण आपस में ऐसे चिपक जाएंगे कि भगवान के यहां वह कोई भी बात नहीं बोल सकेगा ।
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